हमेशा दो विभन्न्न टाइम फ्रेम में काम करे

Which indicators is best with Bollinger Bands?
हर वह व्यक्ति जो शेयर बाजार में काम करना चाहता है या कर रहा है वह हमेशा ऐसे टूल के पीछे समय देता रहता है जिससे कि वह बाजार का पूर्वानुमान लगा सके कि कहां से बाजार ऊपर जाएगा और कहां से बाजार नीचे चला आएगा इस तरीके के भावनाओं के साथ अलग-अलग टूल्स का उपयोग करने के लिए उसे ढूंढता रहता है उसी क्रम में आज हम एक टूल की बात करेंगे जिसका नाम है Bollinger Bands।
जैसा कि हम सभी जानते हैं बाजार हमेशा ऊपर और नीचे होता रहता है यह कभी भी स्थिर नहीं होता और इस स्थिति में हम सभी बाजार का सही प्राइस ढूंढने की प्रयास करते रहते हैं ताकि हम अच्छे जगह पर एंट्री लेकर अपना प्रोफिट बना सके इस जगह की तलाश करने के लिए हम ना जाने कितने इंडिकेटर प्राइस एक्शन टेंडर्स अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।
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हम सभी जो बाजार में काम कर रहे होते हैं सारे लोग मार्केट का भविष्य बताने का काम करते रहते हैं और इस क्रम में हम यह भूल जाते हैं कि भविष्य का वर्णन सटीकता से किया जा सकता है या नहीं।
शेयर बाजार में शेयर का प्राइस को पता लगाने के लिए ही अलग-अलग टूल्स में से Bollinger Bands भी एक टूल्स है। हम इसी टूल्स के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे हमेशा दो विभन्न्न टाइम फ्रेम में काम करे इसका उपयोग कैसे कर सकते हैं इसके साथ किस तरीके के ट्रेडिंग करने के लिए कौन से और दूसरे इंडिकेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं सारी बातों की चर्चा करेंगे।
Bollinger Bands Indicator
Bollinger हमेशा दो विभन्न्न टाइम फ्रेम में काम करे Bands आमतौर पर वोलेटिलिटी इंडिकेटर होता है। जिसकी खोज 1980 के दशक में जॉन बोलिंजर नामक व्यक्ति ने किया था। इसमें सामान्य तौर हमेशा दो विभन्न्न टाइम फ्रेम में काम करे पर 20 दिनों का मूविंग एवरेज लगे होते हैं जिससे दो स्टैंडर्ड डेविएशन ऊपर और नीचे लिया जाता है। जो एक चैनल की जैसा दिखता है।
Bollinger Bands काम कैसे करता है?
Bollinger Bands का इस्तेमाल टारगेट और एंट्री के लिए कैसे करें।
जैसा कि हम लोगों ने बात करा की Bollinger Bands में तीन लाइन बने होते हैं एक अपर लाइन दूसरा मिडिल लाइन और तीसरा लोअर लाइन जैसा की fig- में दिया गया है।
Fig.- 1
सामान्य तौर पर Bollinger Band में निचली लाइन से प्राइस अपर साइड मूव करती है और मिडिल लाइन जो 20 दिन के एवरेज को दिखता है वहा तक जाने के कोशिश करता है। उसी तरह से अगर 20 दिन के एवरेज प्राइस से प्राइस ऊपर के साइड मूव करता है तो वह अपने ऊपरी बैंड के लाइन तक जाने का कोशिश करता है।
Bollinger Bands की मुटाई कभी फैलती है तो कभी सिकुड़ती है अगर बाजार में कीमत बढती है तो वॉलेटिलिटी भी बढ़ती है और बैंड के बीच की दूरी भी चौड़ी हो जाती है, जबकि कम वॉलेटिलिटी के दौरान बैंड सिकुड़ जाती है। इसे बैंड का एक्सट्रैक्शन और कांट्रेक्शन कहते हैं। जब बैंड कंस्ट्रक्शन पीरियड में होता है तो उस दौरान मार्केट की वोलैटिलिटी कम होती है और प्राइस 1 रेंज में ट्रेड करता रहता है, जबकि बैंड जब एक्सट्रैक्शन पीरियड में होता है तो प्राइस का मूवमेंट डायरेक्शनल होता है और प्राइस उस निश्चित डायरेक्शन में मूव करती है।
Fig .- 2
Which indicators used with Bollinger Bands?
अगर आप Bollinger Bands के साथ और भी दूसरे इंडिकेटर का उपयोग करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको यह डिसाइड करना होगा कि, आप किस तरीके के ट्रेडर हैं अगर आप इंट्राडे में ट्रेड करना चाहते हैं तो उसके लिए हम अलग इंडिकेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो कि इंट्राडे का मूवमेंट को अच्छे से बताने का कोशिश करता है साथ ही अगर आप स्विंग ट्रेडर है तो उसके लिए आप दूसरे इंडिकेटर का उपयोग कर सकते हैं।
Strategy for Swing trading
जब हम बात करते हैं स्विंग ट्रेडिंग की तो सुन ट्रेडिंग में एंट्री लेने के बाद हम अपने पोजीशन को 3 से 7 दिन या 7 से 15 दिन या 15 से 30 दिन तक के लिए अपने पास रखते हैं और उसके बाद प्रोफिट मिलने के बाद अपने पोजीशन से एग्जिट करते हैं। और इस तरीके के ट्रेडिंग के लिए Bollinger Bands के साथ हम RSI ( Relative Strength Index ) का इस्तेमाल कर सकते हैं।
Fig. – 3
ऊपर के Fig.-3 में RSI 20 के पास हमेशा दो विभन्न्न टाइम फ्रेम में काम करे आ गया और Bollinger Bands में प्राइस लोअर बैंड के पास आ कर होल्ड किया तो यहा एक बाइंग का एंट्री का सिग्नल मिल रहा है और प्राइस ऊपर भी गया। इस तरह के चार्ट अगर आप तलाशते है तो एक सही एंट्री आपको बाइंग साइड का मिल सकता है और आप बाय कर के एक अच्छा ट्रेड कर सकते है।
Fig.- 4
अब अगर सेलिंग के लिए एंट्री की बात करे तो उसके लिए आप fig.- 4 को देख सकते हैं जहा आप देख पा रहे होंगे की प्राइस Bollinger Bands के उपरी बैंड में टच किया और हमारा RSI हमेशा दो विभन्न्न टाइम फ्रेम में काम करे भी 80 को टच कर चुका था। अब अगर बात करे तो RSI और Bollinger Bands दोनो सेलिंग जोन में आ गया है और अब प्राइस को नीचे आना पड़ता है। तो इस तरह से आप देख सकते है की Bollinger Bands और RSI के मदद से बाय और सेल कैसे किया जा सकता है।
Bollinger Bands for intraday with VWAP
सबसे पहले इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए हम टाइम फ्रेम को छोटे टाइम ड्यूरेशन में लेकर जाएंगे जैसे 5 और 15 मिनट का टाइम फ्रेम। जिसके बाद अपने चार्ट पर Bollinger Bands के साथ VWAP इंडिकेटर का उपयोग करेंगे। VWAP सामान्य तौर पर इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए उपयोग में लाया जाने वाला सबसे आसान इंडिकेटर है इस इंडिकेटर के ऊपर अगर प्राइस जाता है तो बाइक किया जाता है और अगर इंडिकेटर VWAP के नीचे प्राइस जाता है तो सेल किया जाता है।
जब Bolllinger Bands का मध्य लाइन 20 पीरियड मूविंग एवरेज और VWAP के पास प्राइस हमेशा दो विभन्न्न टाइम फ्रेम में काम करे आता हुआ और पहले से बैंड सिकुड़ा हुआ है तो VWAP का इस्तेमाल करते हुए बाय या सेल जो भी सिग्नल मिलता है उसका ट्रेड करते है जैसा की Fig.- 5 में दिखाया गया है।
Fig.- 5
इसी तरीके से बाइंग साइड के लिए भी हमेशा दो विभन्न्न टाइम फ्रेम में काम करे हम पोजीशन बना सकते हैं अगर Bollinger Bands कॉन्ट्रैक्ट हो तथा VWAP के ऊपर प्राइस क्लोज करना स्टार्ट कर दे तो हम बाइंग का पोजीशन इंट्राडे में बना सकते हैं जोकि Fig.- 6 में आपको दिखाया गया है।
Fig.- 6
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