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रुझान सूचक

रुझान सूचक
आपात स्थिति और मानवीय संदर्भों में, बच्चे विशेष रूप से बीमारी, कुपोषण और हिंसा के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं। प्राकृतिक आपदाएं कई लोगों को अस्थायी आश्रयों में विस्थापित करती हैं जहाँ उन्हें जीवन रक्षक बहुआयामी सहायता की सख्त जरूरत होती है। आपदा और आपात स्थिति महत्वपूर्ण सामाजिक बुनियादी ढांचे को नष्ट करती या नुकसान पहुंचाती है, जिसमें काफी बड़े क्षेत्रों में अस्पताल, स्कूल और पानी और सफाई व्यवस्था प्रभावित होते हैं, ऐसे में एक ऐसा वातावरण बनता है जिसमें बीमारी तेजी से फैलती है और शिक्षा आदि बाधित हो जाती है।

मधुबनी, बिहार के मिडिल स्कूल में अपने क्लासरूम के बाहर भूकंप सुरक्षा बचाओमॉकड्रिल में भाग लेते बच्चे

दिशा सूचक यंत्र होकायंत्र Hindi-Marathi Compass

दिशा सूचक यंत्र or compass in Hindi & English language
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this app contains compass app in both English & Hindi language

direction in Hindi & Marathi are as follows
compass for India
* पूर्व* poorv * East
* पश्चिम* pashchim* West
* उत्तर * uttar * North
* दक्षिण * dakshin * South
* ईशान* eeshaan *NorthEast
* नैऋत्य* nairty * Southwest
* वायव्य,* vaayavy * Northwest
* आग्नेय * aagney * Southeast

आपदा जोखिम न्यूनीकरण

Children play in Gehua river, Madhubani, one of the worst flood-affected districts in Bihar Province.

भारत एक बहु आपदा प्रवण देश है जहाँ दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले सबसे अधिक आपदाएँ घटती हैं. भारत के 29 राज्यों एवं 7 केंद्र शासित प्रदेशों में से 27में प्राकृतिक आपदाओं जैसे चक्रवात, भूकंप, भूस्खलन, बाढ़ और सूखे जैसी आदि का कहर निरंतर रहता है।

जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरणीय क्षति की वजह से आपदाओंकी तीव्रता एवं आवृत्ति भी अधिक हो गई है जिससे जान – माल की क्षति अधिक हो रही है. इसके अतिरिक्त देश का एक तिहाई हिस्सा नागरिक संघर्ष एवं बंद आदि से भी प्रभावित रहता है।

किसी भी आपदा में व आपदा के बाद बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं और ऐसी वास्तविकताओं को अक्सर योजनाओं एवं नीति निर्माण के समय में अनदेखा कर दिया जाता है ।

आपातकालीन तत्परता और प्रतिक्रिया

राष्ट्रीय क्षमता और यूनिसेफ के तुलनात्मक फायदे के साथ आने से आपातकालीन तैयारी और राहत एवं बचाव तंत्र द्वारा आपातकालीन एवं मानवीय संकट में प्रभावी रूप से सामना करने में मदद मिलती है । यूनिसेफ बच्चों के लिए अपनी मुख्य प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और आपातकालीन तैयारियों पर सरकार के अनुरोधों को पूरा करने हेतु अपनी क्षमता को निरंतर विकसित करता है।

सरकार में यूनिसेफ रुझान सूचक की मुख्य समकक्ष संस्था

गृह मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण यूनिसेफ का मुख्य सरकारी समकक्ष है। अन्य रणनीतिक भागीदारों में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट, शहरी स्थानीय निकाय, थिंक टैंक, सिविल सोसाइटी संगठन, सेक्टोरल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट और अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और विकास संगठन शामिल हैं। आपदा जोखिम में कमी पर काम करने वाले बाल-केन्द्रित गैर सरकारी संगठन (एन.जी.ओ.) समुदाय और क्षमता निर्माण गतिविधियों के प्रमुख भागीदार हैं। मीडिया, विशेष रूप से रेडियो, भी यूनिसेफ के एक महत्वपूर्ण भागीदार की भूमिका निभाता है।

संपादकीयः नतीजों का संकेत

संपादकीयः नतीजों का संकेत

चुनाव प्रचार के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला भाजपा का झंडा।

उपचुनाव के नतीजों को अक्सर आगामी चुनावों में मतदाताओं के रुझान का सूचक माना जाता है। इस लिहाज से देश के आठ राज्यों की बारह विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम सियासी दलों के लिए अहम सबक लेकर आए हैं। इन चुनावों में सात सीटों पर मिली जीत से भाजपा और उसके सहयोगी दलों में निश्चित ही उत्साह का संचार हुआ है, क्योंकि प्रधानमंत्री के शब्द उधार लें तो यह जीत ‘उत्तरी, पश्चिमी, पूर्वी, दक्षिणी सभी राज्यों में’ पसरी हुई है। इस उत्साह की एक बड़ी वजह यह भी है कि उत्तर प्रदेश, बिहार और कर्नाटक में यह जीत राजग ने तमाम पूर्वानुमानों को झुठलाते हुए समाजवादी पार्टी, जनता दल (एकी)-राष्ट्रीय जनता दल-कांग्रेस से सीटें छीन कर हासिल की रुझान सूचक है। उधर सत्ताविरोधी रुझान को दरकिनार करते हुए मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, तेलंगाना और त्रिपुरा की एक-एक सीट पाकर क्रमश: भाजपा, शिवसेना, अकाली दल, टीआरएस और माकपा अपनी पीठ ठोंकने में लगी हैं। दरअसल, जीत के उत्साह और पराजय की निराशा से परे जाकर इन नतीजों के विश्लेषण की जरूरत है। उत्तर प्रदेश में संवेदनशील मानी जा रही मुजफ्फरनगर सीट से जीत को भाजपा 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव के परिणामों का संकेतक मान कर चल रही है।

परिवार कल्याण में परम्पराएं बाधक!

बड़े परिवार को प्रतिष्ठा का सूचक मानने की परम्परा और पुरानी मान्यताएं हावी रहने के बीच जिले की साक्षरता का प्रतिशत काफी कम (57.21 ) होने जैसे कारणों से अभी भी पुरुष नसबंदी को लेकर रुझान कम देखने को मिल रहा है। अभी जो आंकड़े आ रहे हैं, उसको देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महकमा परिवार कल्याण कार्यक्रम अपने तय लक्ष्य से पीछे है।

विभाग की ओर से परिवार कल्याण शिविरों में जितने नसबंदी के केस आ रहे हैं, उनमें अधिकांशत: महिलाएं ही शामिल है। बमुश्किल इक्का-दुक्का मरीज ही नसबंदी कराने के लिए पहुंच रहे हैं। विभाग के जिम्मेेदार मानते हैं कि शिक्षा का प्रसार व सामाजिक मान्यताओं के कारण परिवार कार्यक्रमों को लेकर लोगों में रुझान नहीं है। ऐसे में व्यापक रुझान सूचक प्रचार-प्रसार से भी कोई विशेष परिणाम सामने नहीं आ रहे हैं।

दिल्ली चुनाव नतीजों से तय होगा राष्ट्रीय रुझान

राष्ट्रीय राजधानी अभी पूर्ण राज्य नहीं है और इसमें केवल 70 विधानसभा सीटें हैं, इसके बावजूद यहां के चुनाव को राष्ट्रीय स्तर पर रुझान तय करने वाला माना जा रहा है।

  • आईएएनएस
  • Last Updated : December 04, 2013, 03:43 IST

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी अभी पूर्ण राज्य नहीं है और इसमें केवल 70 विधानसभा सीटें हैं, इसके बावजूद यहां के चुनाव को राष्ट्रीय स्तर पर रुझान तय करने वाला माना जा रहा है। यहां का चनाव पहले भी कई बार लोकसभा चुनाव में मतदाताओं के रुझान का सूचक बन चुका है।

भारतीय जनता पार्टी पिछले 15 साल से यहां की सत्ता पर काबिज होने की पूरी कोशिश कर रही है। पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में चुनाव प्रचार का नेतृत्व किया और महानगर में पांच रैलियों को संबोधित किया। पार्टी के अनुसार, पिछले 10 दिनों में विभिन्न नेताओं ने 230 जनसभाएं आयोजित की हैं।

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मतदाताओं की संख्या: 856
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