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व्यापार के साधन

व्यापार के साधन

अंतरराष्ट्रीय व्यापार का महत्व - importance of international trade

अंतरराष्ट्रीय व्यापार का महत्व - importance of international trade

अंतरराष्ट्रीय व्यापार से लाभ की व्याख्या निम्नलिखित तीन वर्गों को मिलने वाले फायदे के रूप में की जा सकती है।

(क) निर्यातकर्ता देश को लाभ

निर्यातक देश में निर्यातों से अधिक आय प्राप्त की जाती है। इनसे आगे विशिष्टीकरण बड़े पैमाने के उत्पादन और पैमाने की बचत प्राप्त हो सकती है। अधिक निर्यात क्षेत्र में ऊँची मजदूरी व ऊँचे लाभ प्राप्त हो सकते हैं तथा समाज में कल्याण की वृद्धि की कल्पना की जा सकती है। इनके प्रभावों के ब्यौरे की व्याख्या निम्न प्रकार की जा सकती है-

(i) उत्पादन में वृद्धि अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फलस्वरूप उत्पादन वृद्धि से कुल उत्पादन अधिकतम होगा, संसाधनों का पूर्ण उपयोग होगा और उत्पादन की लागते व्यापार के साधन समयतया कम हो सकती हैं। यह सभी तब समय है जब यह देश जिस वस्तु का उत्पादन करता है उसमें विशिष्टता प्राप्त कर ले।

(ii) अधिक विशिष्टीकरण देश की सीमा पर होने वाले व्यापार के फलस्वरुप प्रत्येक देश उन वस्तुओं के उत्पादन में विशिष्टता प्राप्त कर लेता है जो उसके लिए बहुत उपयुक्त है अथवा जिसके उत्पादन में उसको तुलनात्मक लाभ प्राप्त है यह उपयुक्तता भूमि, श्रम अथवा पूँजी जैसे प्राकृतिक साधना की उपलब्धता पर निर्भर करती है। इसलिए यदि भारत या ताईवान के लिए श्रम प्रधान वस्तुएं उत्पादन करना उपयुक्त है तथा जापान या जर्मनी के लिए व्यापार के साधन पूँजी प्रधान वस्तुओं का उत्पादन करना, तब ये देश अपने उत्पादन की इसी दिशा में विशिष्टता प्राप्त करेंगे उससे उत्पादन संसाधनों का इष्टतम प्रयोग होगा और अंतरराष्ट्रीय श्रम विभाजन संभव होगा।

(iii) तेज आर्थिक विकास विश्व व्यापार की वृद्धि से सभी सहभागी देशों में उत्पादन तथा उपभोग में वृद्धि होगी जिससे अधिक आय होगा तथा राष्ट्रीय उत्पाद की दर ऊँची होगा। इससे आर्थिक विकास को तीव्र गति प्राप्त होगी।

(iv) विस्तृत बाजार तथा निम्न लागते अंतरराष्ट्रीय व्यापार से बाजार का विस्तार होता है और व्यापार में शामिल की जाने वाली वस्तु का उत्पादन अधिक होता है। उत्पादन की मात्रा के बढ़ने से पैमाने की बचत बढ़ती है और उत्पादन लागत तथा कीमतें घट सकती है।

(v) अतिरिक्त उत्पादन का विक्रय अंतरराष्ट्रीय व्यापार से उत्पादक देश के अतिरिक्त उत्पादन विश्व बाजारों में बेचा जा सकता है तथा अर्जित विदेश

मुद्रा से देश में कम मात्रा में उपलब्ध संसाधनों का आयात किया जा सकता है।

(vi) उत्पादन के साधनों को अधिक प्रत्याय अधिक निर्यातों के कारण निर्यातकर्ता देश में उत्पादन के साधनों को अधिक प्रत्याय प्राप्त होता है। निर्यातो के बढ़ने से निर्यातकर्ता देश में उत्पादन बढ़ ता है जिससे उत्पादन के साधनों की मांग बढ़ जाती है।

(ख) आयातकर्ता देश को लाभ

इसी प्रकार उन देशों को भी लाभ प्राप्त होंगे जो वस्तुओं का आयात करते है। इन देशों में आयातित वस्तुओं की आवश्यकता को महसूस किया जाता है और इसीलिए आयात भी इन देशों के लिए उपयोगी होते हैं इन देशों को मिलने वाले लामों की व्याख्या निम्न प्रकार से की जा सकती है:

(i) वस्तुओं और सेवाओं का अधिक उपयोगः अंतरराष्ट्रीय व्यापार से वस्तुओं एवं सेवाओं का अधिक उपयोग समय हो जाता है। इससे संतुष्टि में वृद्धि होती है और सामान्य रूप से लोगों के जीवन स्तर मे सुधार होता है ऐसा संभव है कि आयातित वस्तुएँ देश के भीतर उपलब्ध न हो या जिनका उत्पादन ऊंची कीमतों पर हो सकता है। परन्तु इन वस्तुओं के आयात से देश को स्वयं उत्पादन करने की तुलना में अधिक लाभ प्राप्त हो सकता है।

(ii) उच्च आर्थिक संवृद्धि यदि आयात की जाने वाली वस्तुएँ उत्पादन में प्रयोग होने वाला कच्चा माल या मध्यवर्ती वस्तुएँ अथवा निवेश में प्रयोग की जाने वाली पूँजीगत वस्तुएँ है तब घरेलू निवेश तथा उत्पादन सभावना में वृद्धि होगी। इससे वस्तुओं तथा सेवाओं का अधिक उत्पादन होगा और आर्थिक समृद्धि अधिक होगी। विकासशील देशों के लिए आयात संवृद्धि के इंजन के रूप में कार्य करते है क्योंकि इन देशों को विदेशी संसाधन तथा प्रौद्योगिकी के साथ पूंजी पदार्थों की आवश्यकता सदा बनी रहती है।

(iii) वस्तुओं की विभिन्नता आयातकर्ता व्यापार के साधन देश से विभिन्न वस्तए प्राप्त करता है जिनका उत्पादन यह स्वयं नहीं कर सकता। अन्य देशों द्वारा प्राप्त विभिन्न कौशलों का लाभ यह देश उठाता है। उदाहरण के लिए भारत लोग आयातों से उन वस्तुओं के उपभोग का लाभ पा सकते हैं जिन्हें या तो देश के भीतर पैदा नही किया जा सकता है या उनको पैदा करना मंहगा पड़ता है।

(iv) नई तकनीक सीखने का अवसर आयातकर्ता देश विदेश से आयातित वस्तुओं का उत्पादन करना सीख सकता है और स्वयं उन वस्तुओं का उत्पादन कर सकता है तथा देशीय उत्पादित विदेशी वस्तुओं का पुनः निर्यात करके अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर कब्जा कर सकता है। इसका जीता-जागता उदाहरण जापान तथा चीन है जिन्होंने शुरु में विदेशी वस्तुओं की नकल की और जापानियों ने उस कला को सीख लिया और आज विश्व बाजार में सशक्त प्रतिस्पर्धी देश बन गए है।

(v) प्राकृतिक आपदा का सामना करने में सहायक प्राकृतिक आपदा बाद सूखा, सुनामी भूचाल आदि के रूप में हो सकती है। बाढ़ व सूखा कृ पिं उत्पादन को कुप्रभावित करते हैं। इससे कृषि पर आधारित उद्योगों को भी नुकसान होता है। इस तरह औद्योगिक क्षेत्रों में यदि भूचाल आ जाए तो इससे औद्योगिक इकाइयों को बहुत नुकसान होता है। ऐसी दशा में प्राकृतिक आपदा से पीड़ित क्षेत्रों में आवश्यक उत्पादों की कमी हो जाती है। इस कमी को आयात द्वारा पूरा किया जा सकता है।

(ग) सपूर्ण विश्व को व्यापार के साधन लाभ

निर्यातकर्ता और आयातकतां देशों के उपरोक्त विवरण के अतिरिक्त संपूर्ण विश्व भी कई तरीकों से अंतरराष्ट्रीय व्यापार से लाभान्वित हो सकता है ये लाभ निम्नलिखित है:

(i) व्यापार के सभी भागीदारों को लाभ अधिक अंतरराष्ट्रीय व्यापार से अधिक उत्पादन, विश्व उत्पादकता में वृद्धि अधिक आय तथा ऊँची संवृद्धि दर सभी सहभागी देशों को प्राप्त हो सकती है। विदेशी व्यापार द्वारा देशों का आर्थिक विकास सुविधाजनक हो जाता है। यह लाभ व्यापार में भाग लेने वाले देशों को होता है। यह लाभ उपभोक्ताओं को कम कीमतों या अच्छी गुणवत्ता वाली वस्तुओं की प्राप्ति तथा उत्पादकों को ऊँचे लाभों से प्राप्त होता है।

(ii) विश्व व्यापार का विस्तार अंतरराष्ट्रीय व्यापार बाजार को विस्तृत करता है और उत्पादन के पैमाने को बढ़ाता है। इससे उत्पादन के बड़े पैमाने की बचते प्राप्त होती है

इससे संसाधनों का उत्तम उपभोग संभव होता है उत्पादन बढ़ ने से शोध और विकास में निवेश संभव होता है और तकनीक में सुधार होता है व सभी देशों को लाभ प्राप्त होता है।

(iii) व्यापार में वृद्धि का गुणक प्रभाव व्यापार से कुछ देशों में उपभोग तथा कल्याण में वृद्धि होती है और अन्य देशों में उत्पादन अधिक होता है। यदि सपूर्ण विश्व को ले ले तब अधिक उत्पादन और उपभोग से अधिक लाभ प्राप्त होते हैं जैसे रोजगार, राष्ट्रीय आय प्रति व्यक्ति आय कल्याण में वृद्धि, आदि इसके परिणामस्वरूप व्यापार का गुणक प्रभाव सभी देशों की अर्थव्यस्थाओं पर पड़ता है।

(iv) दुर्लभ साधनों का उत्तम उपयोग: क्योंकि सभी देशों की साधन सम्पन्नता भिन्न-भिन्न होती है इसलिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के माध्यम से व अपने दुर्लभ साधनों का उत्तम उपयोग करके परस्पर लाभ उठा सकते है। जिन देशों में अपर्याप्त पूँजी उत्पाद है वे विकसित देशों से पूँजी उत्पाद आयात करके अपनी विकास प्रकिया को बढ़ा सकते हैं।

व्यापार के साधन

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दो देशों के बीच वस्तु-विनिमय ( .

व्यापार शेष द्विपक्षीय व्यापार व्यापार परिणाम बहुपक्षीय व्यापार

Solution : द्विपक्षीय व्यापार को दो देशों के बीच वस्तु-विनिमय या बार्टर (Barter) कहा जाता है। द्विपक्षीय व्यापार शर्तों की धारणा में देश के निर्यातों में निहित उत्पादक साधनों की उत्पादकता के साथ साथ देश के आयातों में प्रयुक्त विदेशी साधनों की उत्पादकता को भी सम्मिलित किया जाता है। मिल मार्शल विश्लेषण प्रस्ताव व्यापार के साधन वक्रों द्वारा निर्धारित व्यापार की शर्ते वस्तुतः व्यापार की वस्तु विनिमय शर्तों से संबद्ध है।

वित्तीय साधनों की सूची

वित्तीय साधनों की सूची

"मार्केट वॉच" या "नेविगेटर" विंडो पर राइट-क्लिक करके ("इंस्ट्रूमेंट" अनुभाग में) या अपने कीबोर्ड पर F8 दबाकर, के रूप में अच्छी तरह से मुख्य मेनू से "व्यापार" विकल्प के माध्यम से, आप इस्तेमाल किया उपकरणों की सूची संपादित करने के लिए "उपकरण" आदेश का चयन कर सकते हैं ।

"इंस्ट्रूमेंट" ऑप्शन का चयन कर, "इंस्ट्रूमेंट ब्राउजर" विंडो खुलती है, जिसमें 3 सेक्शन होते हैं:

  • बाईं ओर "में उपयोग" खंड है, "बाजार देखो" तालिका से उपकरणों से युक्त; इसके अलावा, एक रंग निशान के साथ चिह्नित उपकरणों से संकेत मिलता है कि वहाँ खुले स्थानों, आदेश या बनाए गए चार्ट इन पर उपकरण (उपकरणों के बाकी एक खाली वर्ग के साथ चिह्नित कर रहे हैं).
  • दाईं ओर "सभी उपकरण" अनुभाग, सभी उपकरणों की पदानुक्रमिक आधार युक्त है, जो श्रेणियों (उपकरणों के समूहों) में विभाजित कर रहे हैं; इसके अलावा, एक विशेष हरे निशान के साथ उपकरणों पहले से ही कर रहे हैं प्रयुक्त यंत्रों की सूची में प्रस्तुत किया.
  • नीचे "उपकरण विनिर्देश" खंड के साथ चिह्नित उपकरण के बारे में जानकारी के 4 ब्लॉक है बाएं क्लिक करें माउस बटन (चित्र में यह है # C-ब्रेंट)-"सामांय", "व्यापार शर्तों", "व्यापार समय" , "स्वैप".

इस विंडो में आप कर सकते हैं:

  • प्रयुक्त यंत्रों की सूची देखें ।
  • उपकरणों का संपूर्ण पदानुक्रमिक आधार देखें.
  • आप इस्तेमाल किया उपकरणों की सूची में और डेटाबेस के दौरान दोनों की जरूरत है साधन के लिए खोज; इसके अलावा, इस खोज को केवल लिखत नाम के एक भाग को इंगित करके किया जा सकता है, उदाहरण के लिए, निर्दिष्ट करके उपस्ट्रिंग "EUR" खोज बॉक्स में, इस उपस्ट्रिंग वाले सभी उपकरणों का एक सबसेट दिखाई देगा.
  • किसी भी साधन के पूर्ण विनिर्देशन का खुलासा ।
  • किसी अनावश्यक उपकरण को हटाएं उपयोग किए गए उपकरणों की सूची के रूप में ।
  • उपकरण या उपकरणों के समूह आप डेटाबेस से इस्तेमाल किया उपकरणों की सूची के लिए की जरूरत है जोड़ें ।
  • आप चाहते हैं क्रम में इस्तेमाल किया उपकरणों की सूची में उपकरणों की व्यवस्था.

प्रयोग किए जाने वाले यंत्रों की सूची में से यंत्र को जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया बहुत सरल है-आप जिन उपकरणों की जरूरत है उन्हें चिह्नित कर सकते हैं (बाईं ओर स्थित चेकबॉक्स में एक लेबल लगा दें) और बाएं या दाएं स्थानांतरण तीर पर क्लिक करें , आप भी उपकरण पर कर्सर रख सकते हैं और बाईं क्लिक माउस बटन पकड़ कर इसे ले जाएँ. इसके अतिरिक्त, आप दो तीरों के साथ विशेष बटन पर क्लिक करके सूची से सभी प्रयुक्त उपकरणों को हटा सकते हैं ।

विदेशी व्यापार के लाभ

प्राकृतिक साधनों का पूर्ण उपभोग- विदेशी व्यापार के कारण बाजारों का विस्तार हो जाता है, जिससे अतिरिक्त उत्पादनों को विदेशी मंडियों में आसानी से बेचा जा सकता है। न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन करके प्राकृतिक साधनों का पूर्ण उपभोग किया जाता है।

क्षेत्रीय श्रम विभाजन तथा विशिष्टीकरण- अधिकतर राष्ट्र अपने देश की जलवायु तथा प्राकृतिक साधनों की उपलब्धि के अनुरूप ऐसी वस्तुओं का उत्पादन करते हैं, जिनके उत्पादन में उन्हें पूर्ण कुशलता प्राप्त हो। परिणामस्वरूप ऐसे उत्पादन की मात्रा बढ़ाकर क्षेत्रीय श्रम विभाजन एवं विशिष्टीकरण के लाभ उठाने लगते हैं।

जीवन-स्तर तथा आय में वृद्धि- विदेशी व्यापार के कारण सभी उपभोक्ताओं को सस्ती, सुन्दर, टिकाऊ वस्तुए मिलने से उनका जीवन-स्तर ऊॅंचा उठाने लगता है तथा उनकी वास्तविक आय में वृद्धि होती है।

उत्पादन विधि में सुधार- विदेशी व्यापार में प्रतिस्पर्धा होने के कारण कम लागत पर अच्छा माल उत्पन्न करने के लिए उत्पादन विधियों में समय-समय पर सुधार किये जाते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को अच्छा माल मिलने लगता है।

संकट में सहायक- बाढ़, भूकम्प, सूखा आदि प्राकृतिक संकटों के आने पर विदेशों से खाद्य सामग्री आयात कर इन संकटों का सामना किया जा सकता है। भारत ने विगत वर्षों में खाद्य संकट आने पर विदेशों से भारी मात्रा में खाद्य सामग्री का आयात किया था।

अन्तर्राष्ट्रीय श्शान्ति एवं सद्भावना- विदेशी व्यापार के कारण वस्तुओं के साथ-साथ विचारों के आदान-प्रदान के भी अवसर प्राप्त होते रहते हें, जिससे ज्ञान एवं संस्कृति का भी आदान’-प्रदान होता रहता है तथा सद्भावना का जन्म होता है।

औद्योगिकरण को प्रोत्साहन- विदेशी व्यापार से बाजार का विस्तार हो जाने के कारण नये-नये उद्योगों का जन्म होता है एवं पुराने उद्योगों का विकास हाने े लगता है।

यातायात के साधनों में वृद्धि- विदेशी व्यापार के कारण वायु, जल एवं थल यातायात के साधनों में पर्याप्त वृद्धि होने लगती है। नये-नये परिवहन एवं संचार साधनों का विकास होता है।

मूल्य में स्थायित्व- वस्तुओं की पूर्ति में कमी होने के कारण बाजार में वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि हो जायेगी, परिणामत: विदेशों से वस्तुओं का आयात प्रारंभ हो जाएगा। वस्तुओं की पूर्ति में वृद्धि के कारण भाव पुन: कम हो जायेंगे। इस प्रकार विदेशी व्यापार से वस्तुओं के मूल्यों में स्थिरता बनी रहती है।

उपर्युक्त लाभों के अतिरिक्त विदेशी कार्यकुशलता एवं रोजगार में वृद्धि, एकाधिकार की समाप्ति, श्शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक विकास में विदेशी व्यापार सहायक होता है।

परिवहन

2. प्रांतीय राजमार्ग ( State Highways ) – जो सड़कें विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों को एक दूसरे से तथा राष्ट्रीय राजमार्ग से प्रांत के विभिन्न स्थानों को मिलाती हैं, उन्हें प्रांतीय राजमार्ग कहा जाता है |

3. जिला स्तरीय या स्थानीय सड़कें (District or Local) – ये जिला स्तर की सड़के हैं, जिनका प्रबंध स्थानीय स्वायत्त पर्षद द्वारा किया जाता है |

4. ग्रामीण सड़कें (Village Roads) – एक गाँव को दूसरे गाँव से जोड़ने वाली सड़कें ग्रामीण सड़कें कहलाती हैं |

5. अन्य सड़कें (Other Roads) –

  1. सीमान्त सड़कें – क्षेत्रीय विकास, प्रतिरक्षा और पड़ोसी देशों के साथ कूटनीतिक और व्यापारिक संबंधों व्यापार के साधन की दृष्टि से सामरिक महत्त्व के उत्तरी और उत्तरी पूर्वी सीमावर्ती क्षेत्रों में इस प्रकार की सड़कों का निर्माण हुआ है |
  2. सुपर राष्ट्रीय महामार्ग – वाहनों को और अधिक तीव्र गति से चलाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों से 14, 846 कि० मी० लम्बी सड़कों का चुनाव किया गया और इन्हें सुपर राष्ट्रीय महामार्ग (6 लेन वाली) कहा गया | इन सडकों के नाम हैं –
  1. स्वर्णिम चतुर्भुज (Golden Quadrilateral) – ये देश के चार प्रमुख महानगरों दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई और कोलकाता को जोड़ती हैं |
  2. उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम गलियारा (North-South and East-West Corridor) – ये महामार्ग श्रीनगर को कन्याकुमारी (4016 कि० मी०) और सिलचर को पोरबंदर (3640 कि० मी०) से जोड़ते हैं | इसका निर्माण कार्य भी चल रहा है |
  3. स्वर्णिम चतुर्भुज और गलियारों को दस बड़े व्यापार के साधन पत्तनों से जोड़ने वाले मार्ग – ये महामार्ग विशाखापत्तनम, जवाहर लाल नेहरू पत्तन, मूरामूगाँव, तूतीकोरिन, इन्नौर, चेन्नई, हल्दिया और पारादीप पत्तनों को आपस में जोड़ने का काम करेंगी |
  4. एक्सप्रेस वे (Express way) व्यापार के साधन – चार लेन वाली इन अत्याधुनिक सडकों में कोलकाता-दमदम राजमार्ग, अहमदाबाद राजमार्ग, मुम्बई पश्चिमी तटीय राजमार्ग शामिल हैं | मुम्बई-पुणे राजमार्ग देश का पहला अंतर्राष्ट्रीय स्तर का राजमार्ग है |
  1. रेलमार्ग – भारत में रेलमार्ग अंत: स्थलीय परिवहन की प्रमुख धमनियाँ हैं | बड़े पैमाने पर माल को ढोने तथा बहुसंख्यक यात्रियों को लाने -ले – जाने के लिए ये देश की जीवनरेखाएँ हैं | व्यापार के साधन भारतीय रेल से प्रतिदिन लगभग 1.24 करोड़ यात्री सफल करते हैं |

रेल क्षेत्र – स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारतीय रेलों का राष्ट्रीयकरण किया गया और उसे प्रशासनिक सुविधा की दृष्टि से विभिन्न क्षेत्रों में बाँटा गया | वर्तमान समय में भारत में कुल 16 रेलवे जोन हैं, जिसका विस्तृत विवरण निम्नांकित तालिका की मदद से भी भली भाँती समझा जा सकता है –

पटरियों के बीच की दूरी के अनुसार इस समय भारत में तीन प्रकार के रेलमार्ग हैं, जो इस प्रकार हैं –

  1. बड़ी लाइनें या ब्रॉडगेज ( 1.676 मीटर ) – लम्बाई 49820 की० मी० जो कुल मार्ग का 74 % है |
  2. छोटी लाइनें या मीटर गेज या स्मालगेज ( 1.000 मीटर ) – लम्बाई 10621 कि० मी० जो कुल मार्ग का 21 % है |
  3. संकरी लाइनें ( 0.762 मीटर ) – लम्बाई 2886 कि० मी० जो कुल मार्ग का 5 % है |

रेल परिवहन कई समस्याओं से ग्रसित है | भारत में रेल मार्गों पर 3700 समपार ( क्रॉसिंग ) बिना फाटक ( मानवरहित ) वाले हैं |

3. पाइपलाइन – वर्तमान समय में पाइपलाइनों को बहुउद्देश्यीय उपयोग में लाया जा रहा है | पहले इसका उपयोग शहरों और उद्योगों के लिए पानी आपूर्ति के लिए होता था | आज इसका उपयोग कच्चा तेल तथा प्राकृतिक गैस के परिवहन में भी होता है |

  1. ऊपरी असम तेल क्षेत्र से लेकर कानपुर (उ० प्र०) तक |
  2. गुजरात से सलाया से लेकर पंजाब में जालंधर तक |
  3. गुजरात में हजीरा से लेकर उत्तरप्रदेश में जगदीशपुर तक गैस पाइपलाइन |

4. जलमार्ग ( Waterways ) – भारत में प्राचीन काल से ही जलमार्ग का विशेष महत्त्व रहा है | देश का आन्तरिक व्यापार नदियों के द्वारा तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समुद्रों के द्वारा होता था |

भारत के जलमार्ग, को दो भागों में बाँटा जा सकता है –

(A) आन्तरिक जलमार्ग , (B) समुद्री जलमार्ग |

(A) आन्तरिक जलमार्ग ( Inland Waterways ) – इसके अन्तर्गत नदियों, नहरों तथा झीलों को सम्मिलित किया जाता है |

भारत में पाँच आन्तरिक जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है | ये निम्नलिखित हैं –

  1. राष्ट्रीय जल मार्ग संख्या 1 – इलाहबाद से हल्दिया तक गंगा नदी में 1620 कि० मी० लम्बा |
  2. राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 2 – सदिया से धुबरी तक ब्रह्मपुत्र नदी में 891 कि० मी० लम्बा | इसमें भारत के साथ बंगलादेश की साझेदारी है |
  3. राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 3 – कोल्लम से कोट्टापुरम तक, पश्चिमी तट पर केरल में यह नहर मार्ग उद्योगमंडल और चम्पकारा सहित 205 कि० मी० लम्बा है |
  4. राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 4 – गोदावरी-कृष्णा नदियों तथा पुडुचेरी-काकीनाड़ा नहर द्वारा आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और पुडुचेरी तक 1095 कि० मी० लम्बा |
  5. राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 5 – उड़ीसा में इस्ट कोस्ट नहर, मताई नदी, ब्राह्मणी नदी एवं महानदी डेल्टा के सहारे 623 कि० मी० लम्बा निर्माणाधीन |

(B) सामुद्रिक जलमार्ग – भारत का सामुद्रिक जलमार्ग प्रचीन काल से ही विकसित है | इसके द्वारा व्यापारिक जहाज विश्व के विभिन्न भागों में जाया करते थे |

  1. स्वेज नहर जलमार्ग – इस मार्ग पर कांडला, मुम्बई, नावाशिवा, मार्मागोआ तथा कोचीन बन्दरगाह पड़ते हैं |
  2. केपमार्ग – यह मार्ग भारत को दक्षिण-पश्चिम अफ्रीका तथा दक्षिण अमेरिका के देशों से जोड़ता है | भारत के पश्चिम तटीय बंदरगाहों द्वारा इस मार्ग से कपड़े, व्यापार के साधन मसाले तथा कपास आदि का निर्यात एवं कोयला, चीनी, कपास इत्यादि का आयात होता है |
  3. सिंगापुर मार्ग – यह मार्ग भारत के पूर्वी तटीय बंदरगाहों को चीन, जापान, न्यूजीलैंड, कनाडा इत्यादि से जोड़ता है |
  4. आस्ट्रेलिया मार्ग – इस मार्ग से भारत के पूर्वी तटीय बन्दरगाह आस्ट्रेलिया से जुड़े हुए हैं |

5. वायु मार्ग ( Airways ) – वायुमार्ग परिवहन का सबसे तीव्रगामी तथा आरामदायक साधन है, जिससे पर्वतों, मरुस्थलों, महासागरों और जंगलों को बहुत कम समय से आराम से पार किया जा सकता है |

भारत की वायुसेवा दो निगमों द्वारा संचालित होती है –

  1. एयर इंडिया ( Air India ) यह अंतर्राष्ट्रीय वायु सेवा प्रदान कराती है | इससे भारत विश्व के अधिकतर देशों से जुड़ा हुआ है |
  2. इंडियन एयरलाइन्स या इंडियन ( Indian Airlines or Indian ) – यह घरेलू सेवा तथा कुछ पड़ोसी देशों, जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बंगलादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका तथा म्यनमार के लिए वायु सेवा प्रदान करता है |

संचार

संचार एक सेसा माध्यम है जिसके द्वारा हम घर बैठे-बैठे संदेशों का आदान-प्रदान कार लेते हैं |

भारत में संचार के साधनों को दो वर्गों में विभाजित किया गया है, जो इस प्रकार हैं –

  1. व्यक्तिगत संचार तंत्र |
  2. जन-संचार तंत्र |
  1. व्यक्तिगत संचार व्यापार के साधन तंत्र – डाक सेवा, टेलीफोन और इंटरनेट व्यक्तिगत संचार तंत्र हैं | व्यक्तिगत संचार डाक सेवा द्वारा तथा कंप्यूटर समर्थित दूरसंचार द्वारा सम्पन्न होता है |
  2. जनसंचार तंत्र – राष्ट्रीय कार्यक्रमों और नीतियों के प्रत्ति लोगों में जागरूकता पैदा करने में जनसंचार महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं | यह मनोरंजन का भी एक बढ़िया साधन है | रेडियों, टेलीविजन, समाचार-पत्र-पत्रिकाएँ, पुस्तकें तथा फिल्में जनसंचार के महत्त्वपूर्ण साधन हैं |

जनसंचार के दो माध्यम हैं |

  1. इलेक्ट्रॉनिक माध्यम – रेडियो, टेलीविजन, फ़िल्म प्रदर्शन, कम्प्यूटर |
  2. मुद्रण माध्यम-प्रकाशन कार्य ( समाचार पत्र, पत्रिका, पुस्तक आदि ) |

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

दो व्यक्तियों या समूहों के बीच वस्तुओं एवं सेवाओं के क्रय-विक्रय को ही व्यापार कहा जाता है | यह दो व्यक्तियों या समूहों के अलावे दो राज्यों या दो देशों के मध्य भी होता है |

आधुनिक वैज्ञानिक युग में कोई भी राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के बिना प्रगति नहीं कर सकता है | व्यापार के दो पहलू होते हैं – आयात और निर्यात | अंतर व्यापार संतुलन को निर्धारित करता है |

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