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विदेशी मुद्रा खाता मुद्रा

विदेशी मुद्रा खाता मुद्रा
विदेशी मुद्रा और विनिमय दर का प्रबंधन रिजर्व बैंक की जिम्मेदारी है. अभी शेयर बाजार पर निवेशकों के निकलने के अलावा तेल की बढ़ी कीमतों के कारण भी दबाव है. इससे भारत का कुल आयात खर्च (सालाना 150 अरब डॉलर से अधिक) प्रभावित होता है तथा अनुदान खर्च भी बढ़ता है क्योंकि तेल व खाद के दाम का पूरा भार उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जाता है.

विदेशी मुद्रा का प्रबंधन जरूरी

बीते आठ महीनों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने शेयर और बॉन्ड की बिकवाली कर लगभग 40 अरब डॉलर भारत से निकाल लिया है. इसी अवधि में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 52 अरब डॉलर की कमी हुई है. अमेरिकी डॉलर की तुलना में भारतीय रुपये के मूल्य में गिरावट जारी है. निर्यात की अपेक्षा आयात में तेजी से वृद्धि हो रही है. इसका मतलब है कि हमें भुगतान के लिए निर्यात से प्राप्त डॉलर से कहीं अधिक डॉलर की जरूरत है.

सामान्य परिस्थितियों में भी भारत के पास डॉलर विदेशी मुद्रा खाता मुद्रा की संभालने लायक कमी रहती आयी है, जो अमूमन सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का एक से दो प्रतिशत होती है. आम तौर पर यह 50 अरब डॉलर से कम रहती है और आयात से अधिक निर्यात होने पर इसमें बढ़ोतरी होती है. इस कमी की भरपाई शेयर बाजार में विदेशी निवेश, विदेशी कर्ज, निजी साझेदारी या बॉन्ड खरीद से की जाती है.

दो साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा देश का विदेशी मुद्रा भंडार

Indian Foreign researve

यूक्रेन संकट के बाद से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार में $80 बिलियन से अधिक की कमी दर्ज हुई है. अकेले वर्तमान हफ्ते में $ 2 बिलियन से ज्यादा की गिरावट सामने आई है. इसकी विदेशी मुद्रा खाता मुद्रा मुख्य वजह डॉलर के भाव को 80 रुपए प्रति डॉलर से ऊपर जाने से रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से मुद्रा बाजार में डॉलर की बिकवाली को बताया जा रहा है. इसके साथ ही इसकी दूसरी वजह देश के चालू खाते के घाटा भी है, जिसकी वजह से देश का विदेशी मुद्रा रोकने में मदद नहीं मिल सकी. आरबीआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 9 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार $ 2.234 बिलियन गिरकर $550.871 बिलियन ही रह गया है, जो एक सप्ताह पहले $553.105 बिलियन था. देश का विदेशी मुद्रा भंडार इस वक्त दो साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है.

भारत दुनिया में पांचवें सबसे बड़े विदेशी मुद्रा भंडार वाले देश के रूप में उभरा

चीन, जापान, स्विटजरलैंड और रूस के बाद भारत दुनिया में पांचवें सबसे बड़े विदेशी मुद्रा भंडार वाले देश के रूप में उभरा है। लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि पिछले महीने की 25 तारीख को देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 609 अरब डॉलर था। उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार आयात की दृष्टि से 18 महीने से अधिक की अवधि के लिए पर्याप्‍त है।

श्री चौधरी ने कहा कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक उभरती हुई बाहरी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं ताकि व्यापक आर्थिक विकास को समर्थन देने के लिए नीतियों अथवा विनियमों की जांच की जा सके। उन्होंने कहा कि 2020-21 में, भारत के भुगतान संतुलन की दृष्टि से चालू खाते और पूंजी खाते दोनों में अधिशेष दर्ज किया गया है। इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई।

विदेशी मुद्रा भंडार 6.56 अरब डॉलर बढ़कर 531.08 अरब डॉलर पर

विदेशी मुद्रा भंडार 6.56 अरब डॉलर बढ़कर 531.08 अरब डॉलर पर |_40.1

देश का विदेशी मुद्रा भंडार 28 अक्टूबर को समाप्त हफ्ते में 6.56 अरब डॉलर बढ़कर 561.08 अरब डॉलर हो गया। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। पिछले दिनों देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserve) में गिरावट का रुख देखा गया। इससे पिछले हफ्ते विदेशी मुद्रा भंडार 3.84 अरब डॉलर घटकर 524.52 अरब डॉलर रह गया था। एक साल पहले अक्टूबर, 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के ऑलटाइम हाई पर पहुंच गया था।

देश के मुद्रा भंडार में गिरावट आने का मुख्य कारण यह है कि रुपए की गिरावट को थामने के लिए केन्द्रीय बैंक मुद्रा भंडार से मदद ले रहा है। रिजर्व बैंक द्वारा जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, 28 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण घटक मानी जाने वाली, फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) 5.77 अरब डॉलर बढ़कर 470.विदेशी मुद्रा खाता मुद्रा 84 अरब डॉलर हो गई। डॉलर में अभिव्यक्त किए जाने वाली फॉरेन करेंसी एसेट्स में मुद्रा भंडार में रखे यूरो, पौंड और जापानी येन जैसे गैर डॉलर मुद्रा के मूल्य में आई कमी या बढ़त के प्रभावों को दर्शाया जाता है।

दो साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा देश का विदेशी मुद्रा भंडार

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यूक्रेन संकट के बाद से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार में $80 बिलियन से अधिक की कमी दर्ज हुई है. अकेले वर्तमान हफ्ते में $ 2 बिलियन से ज्यादा की गिरावट सामने आई है. इसकी मुख्य वजह डॉलर के भाव को 80 रुपए प्रति डॉलर से ऊपर जाने से रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से मुद्रा बाजार में डॉलर की बिकवाली को बताया जा रहा है. इसके साथ ही इसकी दूसरी वजह देश के चालू खाते के घाटा भी है, जिसकी वजह से देश का विदेशी मुद्रा रोकने में मदद नहीं मिल सकी. आरबीआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 9 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार $ 2.234 बिलियन गिरकर $550.871 बिलियन ही रह गया है, जो एक सप्ताह पहले $553.105 बिलियन था. देश का विदेशी मुद्रा भंडार इस वक्त दो साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है.

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