आपको गंभीरता से ट्रेंड को फॉलो कब करना चाहिए?

दिल्ली चुनाव पर एक तात्कालिक सटीक विश्लेषण
आइए, वोट शेयर की बात करें। जनता को गाली दिए बिना जनादेश की बात करें। उन सभी सवालों के जवाब जानिए, जो आज उठाए जा रहे हैं। काफ़ी लोगों को काफ़ी कुछ लग रहा है, जो उनके अवलोकन और बौद्धिक क्षमता के स्तर पर निर्भर करता है। राजनीति है, सटीक आकलन हर बार कोई नहीं कर सकता। लेकिन, मैं आपको सभी सवालों के जवाब देने का प्रयास करता हूँ क्योंकि मैंने यहाँ की ज़मीनी राजनीति पर नज़र रखी थी और मैं पूरी तरह ग़लत भी नहीं हुआ हूँ। फेसबुक से लेकर बड़े मीडिया पोर्टलों तक, अलग-अलग आकलन पढ़ने मिलेंगे। पहले मैं सवालों के जवाब देने का प्रयास करता हूँ, फिर बाकी चीजों पर चर्चा होगी।
जवाब: भारतीय जनता पार्टी एक राष्ट्रवादी दल है, जिसके कार्यक्रमों की अवधारणा हिंदुत्व की भावना पर टिकी हुई है। जब देश का प्रधानमंत्री रैली करने आएगा तो वो सीएए, एनआरसी,राम मंदिर और तीन तलाक की बात करेगा ही। जहाँ पार्टी 22 सालों से सत्ता में नहीं है, जहाँ उसके मात्र 3 विधायक हैं- वहाँ वो काम के नाम पर कुछ ख़ास नहीं गिना सकती, ये तय है। हाँ, दिल्ली की कॉलनियों को पक्का कर के 40 लाख लोगों को उनके घर की रजिस्ट्री पक्की की गई, जिसकी चर्चा पीएम मोदी ने हर रैली में की। इसका फ़ायदा नहीं मिल पाया। शाहीन बाग़ मुद्दा बना, केजरीवाल भाजपा की पिच पर खेले भी, लेकिन इससे भी भाजपा को कोई बड़ा लाभ नहीं हुआ। (शाहीन बाग के प्रायोजकों का खुलासा राष्ट्रीय हित में जरूरी है और यह भी पता लगाया जाना चाहिए कि कंही यह पीएफआई जैसे चरमपंथियों की शाजिस तो नहीं)
मीडिया में प्रधानमंत्री ये पार्टी अध्यक्ष के बड़े बयान ही चलाए, जाते हैं- इसका मतलब ये नहीं कि वो स्थानीय मुद्दों की बात नहीं कर रहे। पीएम ने आयुष्मान भारत, शौचालय निर्माण, आवास योजना और उज्ज्वला की बातें की। उनकी किसी भी रैली को पूरा सुनिए। कॉलनियों के लिए डेवलपमेंट बोर्ड बनाने की बात पीएम ने हर रैली में दोहराई। ईस्टर्न और वेस्टर्न एक्सप्रेसवे के निर्माण का मुद्दा पीएम की सभाओं में छाया रहा। रैपिड रेल सिस्टम और 16 लें सड़कों का निर्माण कार्य लोगों को याद दिलाया गया। ‘दीनदयाल उपाध्याय पार्क’ और ‘भारत वंदना पार्क’ का निर्माण चल रहा है, इस बारे में पीएम ने कइयों बार कहा।
द्वारका में वर्ल्ड क्लास कन्वेंशन सेंटर का निर्माण हो रहा है। छोड़िए, आप बोर हो जाएँगे और ये पोस्ट ही नहीं पढ़ेंगे। सार ये कि मोदी और शाह ने हर रैलियों में दिल्ली में किए गए या हो रहे काम को गिनाया। लेकिन, दिक्कत कहाँ हुई? दिक्कत ये हुई कि ये चुनाव काम को लेकर था। जो भी समझता है कि भाजपा काम न गिनाने के कारण हारी है और AAP काम करने के कारण जीती है, वो मूर्ख है। मुख्यधारा की मीडिया सिर्फ़ राष्ट्रीय बयानों को फ़िल्टर कर के हेडलाइंस बनाती है और लोग उनके झाँसे में आकर समझ लेते हैं कि भाजपा ने स्थानीय मुद्दा उठाया ही नहीं।
जवाब: दरअसल, अरविन्द केजरीवाल के पास प्रोजेक्ट्स और काम के नाम पर गिनाने को काफ़ी कुछ था क्योंकि सरकार उनकी ही थी पिछले 5 सालों से, लेकिन उनके पास उपलब्धि के नाम पर कुछ नहीं था। उनका भी अधिकतर समय भाजपा को गरियाने में ही गया। क्या यही है स्थानीय मुद्दा? हिन्दू-मुस्लिम की बातें करना स्थानीय मुद्दा है? AAP नेताओं का अधिकतर समय भाजपा पर आरोप लगाने में गया और दोनों तरफ के आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति में काम कहीं था ही नहीं। ये विकास पर हो रहा चुनाव नहीं था, ये Freebies और राष्ट्रवाद की लड़ाई थी, जिसमें पहले वाले की जीत हुई।
जवाब: नहीं। दिल्ली ने लगातार दो बार सातों सीटें भाजपा की झोली में डाल दी है एमसीडी भी दिया है। पूरे देश की तरह, यहाँ भी सांसदों ने कुछ ख़ास काम नहीं किए। प्रवेश वर्मा ने 2019 में भी ‘भारत माता की जय’ बोल कर वोट माँगे थे। मनोज तिवारी 3 साल बैठे रहे और चौथे साल में अचानक से ज्यादा एक्टिव हो गए, जब शाह ने मोर्चा सम्भाला। दिल्ली का एक गरीब रिक्शा वाला, जो 200 यूनिट से कम बिजली खपत करता है, उसे रुपए नहीं लगते। वो क्यों किसी और की फ़िक्र करेगा? उनके रुपए बच रहे हैं, तो वो बच्चों को पढ़ाएगा, परिवार की बेहतर देखभाल करेगा। हर ग़रीब यही करेगा। मुफ़्त में चीज हर कोई को मिलना चाहिए लेकिन भाजपा ऐसा वादा नहीं कर सकती। ऐसा इसीलिए, क्योंकि बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी उसे ऐसा करना पड़ेगा, जो संभव नहीं है। इसीलिए, जनता को मुफ़्तखोर नहीं कहिए। कोई अन्य ऊपर निकालना होगा जनता को ख़ुश करने के लिए।
जवाब: ये सवाल वही लोग पूछ रहे हैं, जो पहले पूछते थे कि तारीख कब बताएँगे? ‘राम मंदिर पर भाजपा धोखा कर रही है’- ऐसा कहने वाले अब कह रहे हैं कि राम मंदिर मुद्दा है ही नहीं। बनवा ही दिया तो क्या उखाड़ लिया? ऐसा ही होता है। मजबूत इच्छाशक्ति के साथ जब कोई आकर 500 सालों का अटका कार्य यूँ करा देता है तो एक छोटी सी हार से उसे उसका श्रेय लेने से वंचित कर दिया जाता है। 2019 में जनता ने इसीलिए वोट दिया है मोदी को, भले दिल्ली में ये नहीं चल पाया। इसीलिए, भाजपा को अपने कोर मुद्दों से कभी नहीं भटकना चाहिए। ऐसे सवाल वही कर रहे हैं, जो परिस्थिति देख कर बदल जाते हैं।
जवाब: ये सवाल उतना ज्यादा फ़र्ज़ी नहीं है क्योंकि मनोज तिवारी अभी भी सेलेब्रिटी वाले आवरण से बाहर नहीं निकले हैं, मैं पहले भी कह चुका हूँ। कौन है उनके टक्कर का? प्रवेश वर्मा भी उसी किस्म का आदमी है। विजय गोयल ने तो ख़ुद का ही नाम आगे कर दिया था पिछली बार, वो भी सही चॉइस नहीं हो पाता डॉक्टर हर्षवर्धन सही उम्मीदवार होते लेकिन केंद्रीय कैबिनेट में उनके जैसे चेहरों की ज़रूरत है। लेकिन, उन्हें जिम्मेदारी दी जा सकती थी। बाकी दिल्ली भाजपा में गुटबंदी चरम पर थी और मनोज तिवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने से आपसी लड़ाई कम हुई थी।
ये ट्रेंड रहा है। भाजपा के हर राज्य में जो भी चेहरा हो उसे बदनाम किया जाता है। शिवराज सिंह चौहान सामान्य वर्ग का विरोधी है, रमन सिंह से कार्यकर्ता ख़ुश नहीं है, रघुबर दास बाहरी है, वसुंधरा राजे अहंकारी हैं, मनोज तिवारी नचनिया है, सुशील मोदी आलाकमान के कारण टिका हुआ है, फडणवीस को मिला कर चलना नहीं आता और येदियुरप्पा भ्रष्टाचारी है। इनमें से कुछ बातें सत्य हैं, कुछ झूठ। लेकिन मोदी-शाह को निशाना न बना के स्थानीय चेहरे को टारगेट करना विपक्ष की नई रणनीति है।
फिर कारण क्या है? भाजपा हारी क्यों? दिल्ली में 8 मुस्लिम-बहुत सीटें हैं, जिनमें से आठों पर AAP जीत रही है। इनमें से 4 पर मुस्लिम उम्मीदवार जीत रहे हैं। जनता को चीजें मुफ़्त में चाहिए क्योंकि उसके पास रुपए नहीं हैं। कोई भी ऐसा ही करेगा। शिक्षा को लेकर AAP ने सच में कुछ किया होता, तो सिसोदिया और आतिशी अंत तक हारते-हारते नहीं जीतते। भाजपा को एक ऐसा बड़ा चेहरा चाहिए, जो गुटबंदी को ख़त्म करे और जनता के बीच जाए लगातार। दूसरे दलों के नेता भी ऐसा ही करते हैं लेकिन दिल्ली में ‘’Party With Difference’ ऐसा करे तो ये समझ नहीं आता।
और हाँ, ये जान लीजिए कि भाजपा ने उतनी गंभीरता से भी नहीं लड़ा है दिल्ली विधानसभा चुनाव। HR के नाम पर सांसदों-विधायकों को लगाया तो गया लेकिन सभी खानापूर्ति कर रहे थे। 2015 में भी इन्हें लगाया गया था, कुछ नया नहीं है। चुनाव दिल्ली में था, मोदी असम में रैली आपको गंभीरता से ट्रेंड को फॉलो कब करना चाहिए? कर रहे थे। अमित शाह काफ़ी देर से उतरे। भाजपा का पूरा जोर पश्चिम बंगाल में Ground Work पर है। बंगाल, बिहार और असम में जीत के साथ ही ये चर्चाएँ ख़त्म 8हो जाएँगी। भाजपा जीतेगी, इसी रणनीति के साथ। भाजपा अब भी 40% के क़रीब वोट के साथ जनता की बड़ी पसंद बनी हुई है, 10-15% वोटों का अंतर है। भाजपा का वोट शेयर बढ़ा भी है। इसीलिए,पार्टी मजबूत है। कभी भी वापसी कर लेगी
२- एक अन्य विश्लेषक धर्मेन्द्र सिंह के अनुसार
बीजेपी के वोटों में 6-7 फ़ीसदी का उछाल आया बावजूद इसके पार्टी को कुछ ही सीटों का फ़ायदा हुआ।ये बीजेपी की करारी हार है।केंद्र सरकार के नाक के ठीक नीचे एक मक्कार नेता और उसका गिरोह लोगों को मुफ़्तख़ोरी का अफ़ीम खिलाकर, मीडिया को मैनेज करके और सोशल मीडिया में झूठ का रायता फैलाकर आपको हरा देता है तो कमियां आपमें है। आप राज्यों को नाकाबिल नेतृत्व देकर कब तक मोदी के नाम पर वोट माँगेंगे? एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड में हुई ग़लतियों से कुछ नहीं सीखा बल्कि बार बार उसे दोहरा ही रहे हैं। अब अगला नंबर उत्तराखंड का है। इसलिए नहीं कि वहां काम नहीं हो रहा है बल्कि आपके सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का दिमाग़ आसमान पर है और उनका अगर इलाज नहीं किया तो झारखंड की कहानी उत्तराखंड में दोहराई जाएगी। टुकड़े टुकड़े गैंग का हौसला बुलंद है। ग़द्दारों की फ़ौज खुलकर हमले कर रही है। राष्ट्रीवादी पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है।मोदी को गाली देने वाले पत्रकारों की चाँदी कट रही है।मज़बूत सरकार पर एक ऐसा इकोसिस्टम हावी है जो देश को बर्बाद करके खुद आबाद रहना जानता है। ऐसा भी नहीं कि इस चुनावी नतीजे का असर दूर तलक जाएगा। 2015 में तो जीत इससे भी बड़ी थी जो दिल्ली में ही सिमट कर रह गई। अब देश की दशा और दिशा पर नए सिरे से सोचने की ज़रूरत है। टुकड़े गैंग पर ज़ोरदार प्रहार करने का वक्त आ गया है।
क्या अत्यधिक सकारात्मकता हानिकारक है - विषाक्त सकारात्मकता
जीवन में सकारात्मक होना अच्छा ही नहीं, बल्कि जरूरी भी है । मुश्किल घड़ियों में सकारात्मकता की छोटी सी किरण आपके हौसले को वापस जिंदा कर सकती है। लेकिन इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि सुख और दुख जीवन की अभिन्न अंग है। कई बार दुख व्यक्त करना बहुत आवश्यक होता है। ऐसे में भी हर वक्त केवल सकारात्मकता की बात करना अच्छे से अधिक नुकसानदेह साबित हो जाता है।
क्या है विषाक्त सकारात्मकता?
आवश्यकता से अधिक सकारात्मकता विषाक्त सकारात्मकता है। ऐसे वक्त आते हैं, जहां आप अपनी समस्याओं के बारे में बात करना चाहते हैं, उन्हें व्यक्त करना चाहते हैं लेकिन हर पल सकारात्मक रहने का विचार आपको ऐसा करने नहीं देता। आपने तय कर लिया होता है, कि आप बुरी चीजों के बारे में ना तो सोचेंगे, ना तो बात करेंगे। इससे आपके मन का दुख आपके मन के अंदर ही दब जाता है । आप बाहर से तो यह दिखाते हैं कि सब कुछ ठीक है, लेकिन दबी हुई भावनाएं आपको अंदर ही अंदर परेशान करती रहती हैं। यही है विषाक्त सकारात्मकता।
एक और पहलू पर गौर करें। आजकल सकारात्मकता ट्रेंड सा बन गया है। हम हमेशा अच्छी बातें करने एवं अच्छा सोचने के लिए कहते हैं, बिना यह जाने कि सामने वाला व्यक्ति किन परिस्थितियों से जूझ रहा है। इससे दूसरों तक संदेश जाता है कि आप केवल अच्छी बातें सुनना चाहते हैं, उनकी समस्याओं को नहीं। परिणामस्वरूप व्यक्ति अपनी समस्याओं को आपके साथ साझा नहीं कर पाता है। आपकी सकारात्मकता दूसरों के लिए विष बन जाती है।
तो दोस्तों, सकारात्मकता और विषाक्त सकारात्मकता के बीच के अंतर को समझें। जीवन में बुरी बातों को भी साथ देना पड़ता है। सकारात्मक होने की दौड़ में कब आप टॉक्सिक पॉजिटिविटी के शिकार हो जाते हैं, आपको पता भी नहीं चलता। अतः सतर्क रहें।
ये घरेलू नुस्खे करेंगे आपके हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल
भारत में करीब 20 करोड़ से अधिक लोग हाई ब्लड प्रेशर यानि हाइपरटेंशन से ग्रसित है. इसकी गंभीरता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि भारत में उम्र से पहले होने वाली मौतों में हाई ब्लड प्रेशर भी एक बहुत बड़ा कारण है. हाई ब्लड प्रेशर के कोई खास लक्षण नहीं होते इसी वजह से इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है. हाई आपको गंभीरता से ट्रेंड को फॉलो कब करना चाहिए? बीपी को कंट्रोल करने के लिए लोग दवाइयां लेते हैं. लेकिन सिर्फ दवाइयां ही इसके लिए काफी नहीं है आप कुछ आसान घरेलू उपायों से भी इसपर कंट्रोल रख सकते हैं. आइये जानते हैं
अगर आपका बीपी अचानक बढ़ जाए तो उसी समय आधा गिलास पानी में काली मिर्च पाउडर डालकर पीएंगे तो आपको राहत मिलेगी. ये पानी दो-दो घंटे में पीते रहें इससे आपका बीपी कंट्रोल हो जाएगा. काली मिर्च ब्लड प्रेशर के साथा साथ वज़न कम करने में भी कारगर है
हाई ब्लड प्रेशर वाले मरीजों को लहसून की दो कलियां हर रोज सुबह खाली पेट पानी के साथ चबाकर खाना चाहिए. ये कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करती है और आपके ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित रखती है.
बढ़ हुए ब्लड प्रेशर को कम करने का एक शानदार तरीका गाजर और पालक का जूस भी है. इसे दिन में दो बार पीजिए. इससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है.
अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत है तो ऐसे में एक चम्मच प्याज का रस को दो चम्मच शहद में मिलाकर पीने से तुरंत फायदा मिलता है.
अप नेक्स्ट
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Mitsubishi Pajero: दीवार ढहने से नीचे दबकर चकनाचूर हो गई Toyota, चट्टान की तरह खड़ी रही Pajero; देखें Video
रांची में इन दो SUV के साथ हुए दुर्भाग्यपूर्ण हादसे ने कुछ सवाल खड़े कर दिए हैं कि सुरक्षा के मामले में सबसे शक्तिशाली कार कौन सी है? कार तोख की रिपोर्ट है कि रांची के गोविंद स्ट्रीट स्थित कॉन्वेंट स्कूल की दीवार ढह गई।
Mitsubishi Pajero: अब वह समय है जब अधिकांश उपभोक्ता अपने वाहनों की सुरक्षा को बहुत महत्व देते हैं। लोगों ने सुरक्षा पहलू को पहले से ज्यादा गंभीरता से लिया है। कई लोग नई कार खरीदते समय सुरक्षा का सबसे ज्यादा ध्यान रखते हैं खासकर SUV कारों से। ग्राहकों की इन मांगों को ध्यान में रखते हुए कई मोटर वाहन निर्माता कंपनियां ये दावा करती है सुरक्षा के लिहाज़ से उनकी SUV कारें दमदार हैं और चालक मानते हैं कि वे अपनी कार में बैठकर पूरी तरह से सुरक्षित हैं। ऐसी दो प्रीमियम एसयूवी टोयोटा फॉर्च्यूनर (Toyota Fortuner) और मित्सुबिशी पजेरो (Mitsubishi Pajero) हैं, जो अपनी मजबूत निर्माण गुणवत्ता के लिए जानी जाती हैं।
लेकिन हाल ही में रांची में इन दो SUV के साथ हुए दुर्भाग्यपूर्ण हादसे ने कुछ सवाल खड़े कर दिए हैं कि सुरक्षा के मामले में सबसे शक्तिशाली कार कौन सी है? कार तोख की रिपोर्ट है कि रांची के गोविंद स्ट्रीट स्थित कॉन्वेंट स्कूल की दीवार ढह गई। मारुति सुजुकी वैगनआर (Maruti Suzuki WagonR) और बोलेरो पिकअप ट्रक (Bolero pickup truck) के साथ, पजेरो (Pajero) और फॉर्च्यूनर (Fortuner) के उपर बड़ी दीवार गिर गई।हादसे की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है।
दुर्घटना में Mitsubishi Pajero पूरी तरह से क्षतिग्रस्त नहीं हुई
इस हादसे में एक बहुत बड़ा परिणाम सामने निकलकर आया है। दुर्घटना में टोयोटा फॉर्च्यूनर और मित्सुबिशी पजेरो एसएफएक्स को गंभीर नुकसान हुआ, जबकि अन्य वाहन दुर्घटना में पूरी तरह से नष्ट हो गए। लेकिन अगर हम दोनों की तुलना करें तो टोयोटा फॉर्च्यूनर (Toyota Fortuner) पर असर चौंका देने वाला है। दुर्घटना में फॉर्च्यूनर की छत और खंभे पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए थे। वहीं, पजेरो एसएफएक्स को इसके खंभे और छत को नुकसान पहुंचा और घटना में पजेरो (Mitsubishi Pajero) पूरी तरह से क्षतिग्रस्त नहीं हुई। घटना में कोई हताहत नहीं हुआ क्योंकि दीवार गिरने के दौरान वहां पर सिर्फ एसयूवी कारें ही खड़ी थी।
इन दोनों एसयूवी को कब किया गया था लाॅन्च?
दुर्घटना में शामिल Mitsubishi Pajero भारत में 90 के दशक में लॉन्च किया गया SFX मॉडल है। वाहन 2012 तक भारत में मित्सुबिशी पजेरो के रूप में बेचा गया था, और इसके उत्तराधिकारी के आने के बाद, इसे भारत में मित्सुबिशी मोंटेरो के रूप में बेचा गया था। टोयोटा फॉर्च्यूनर (Toyota Fortuner) की पहली पीढ़ी 2012 में आई थी और इसे 2016 में दूसरी पीढ़ी के संस्करण से बदल दिया गया था।
Skin Care Tips: एवरग्रीन सॉफ्ट और ग्लोइंग स्किन के लिए यंगस्टर्स फॉलो करें ये आसान टिप्स, लोग हो जाएंगे आपकी खूबसूरती पर फिदा
कॉलेज के दिनों को और भी ज्यादा मज़ेदार बनाने के लिए लड़कियां अक्सर अपनी फ्रेंड्स के साथ मिलकर नए-नए मेकअप ट्रेंड (Make up Trend) और हेयर स्टाइल (Hair Style) आजमाती हैं।
कॉलेज के दिनों को और भी ज्यादा मज़ेदार बनाने के लिए लड़कियां अक्सर अपनी फ्रेंड्स के साथ मिलकर नए-नए मेकअप ट्रेंड (Social Media Make Up Trend) और हेयर स्टाइल (Hair Style) आजमाती हैं। अपने बालों में कलर लगाने से लेकर ब्यूटी ट्रेंड्स (Beauty Trends) को पूरा करने तक, अपनी पर्सनालिटी पर काम करने का यह एक अच्छा समय है। हालांकि, इन सभी आपको गंभीरता से ट्रेंड को फॉलो कब करना चाहिए? प्रयोगों में मेकअप, कैमिकल्स और प्रोडक्ट्स का अत्यधिक उपयोग होता है जो त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। तो, क्यों न स्किन को नुकसान से बचाने और समय से पहले उम्र बढ़ने के संकेतों को रोकने के लिए अपने स्किनकेयर रूटीन (Skin care Routine) का ध्यान रखा जाए? यही कारण है कि कॉलेज के दिनों में पछताने के बजाय, कम उम्र से ही स्किनकेयर को गंभीरता से लेने की सलाह दी जाती है ताकि भविष्य के लिए अपनी स्किन को स्वास्थ बनाए रखा जा सके। इसलिए आज की इस खबर में हम आपको स्किन केयर (Skin Care Tips For College Students) से संबंधित कुछ आसान और असरदार टिप्स देंगे।
1. सनस्क्रीन लगाएं (Apply Sunscreen)
इस तथ्य से कोई इंकार नहीं कर सकता है कि सनस्क्रीन लगाए बिना आओ अपनी स्किन का ठीक तरह से ध्यान रख पाएंगे। अपनी स्किन टाइप के मुताबिक सनब्लॉक क्रीम या लोशन चुनें लेकिन इसे अपने चेहरे और हाथों और पैरों जैसे सूरज के सामने आने वाले अन्य हिस्से पर पर्याप्त मात्रा में लगाए बिना घर से बाहर न निकलें। यदि आप अधिक समय तक धूप में रहते हैं तो हर कुछ घंटों के बाद सनब्लॉक क्रीम को दोबारा लगाएं।
2. रोजाना जेंटल स्किन क्लींजर का इस्तेमाल करें (Use a Gentle Skin Cleanser Daily)
एक लंबे दिन के बाद अपने चेहरे और सूरज से कांटेक्ट में आने वाली स्किन को हानिकारक प्रदूषकों, बैक्टीरिया और अन्य कारकों से साफ करना बहुत महत्वपूर्ण है जो त्वचा को बंद कर देते हैं और त्वचा की विभिन्न समस्याओं का कारण बनते हैं। इसलिए घर के अंदर वापस आने के बाद रोजाना त्वचा पर जेंटल क्लींजर का इस्तेमाल करें।
3. सोने से पहले मेकअप हटाना न भूलें (Don't Forget To Remove Makeup Before Sleeping)
अक्सर अलग मेकअप प्रोडक्ट्स और हैक्स का इस्तेमाल करने और चेहरे पर कई केमिकल्स को लगाने के बाद, बिस्तर पर जाने से पहले चेहरे से इन सभी चीजों को हटाना बहुत जरुरी हो जाता है, ताकि पोर्स बंद न हों और स्किन की अन्य समस्याएं न हों। यदि आप लंबे समय तक अपने चेहरे पर मेकअप लगाना पसंद नहीं करती हैं तो आप मेकअप वाइप्स का इस्तेमाल भी कर सकती हैं।
4. अंडर आई क्रीम का प्रयोग करें (Use Under Eye Cream)
कम उम्र से ही आंखों के नीचे क्रीम का उपयोग करना शुरू कर दें क्योंकि आंखें और आसपास का एरिया संवेदनशील त्वचा के साथ चेहरे का सबसे नाजुक हिस्सा होता है जो आमतौर पर उम्र बढ़ने के शुरुआती लक्षण जैसे झुर्रियां और महीन रेखाएं दिखाना शुरू कर देता है। इसलिए इस एकिन को सबसे ज्यादा सुरक्षित रखना जरूरी हो जाता है। कॉलेज के दिनों से ही आई क्रीम लगाना शुरू कर दें।
5. सप्ताह में एक या दो बार त्वचा को एक्सफोलिएट करें (Exfoliate the skin once or twice a week)
अगर धीरे और सही तरीके से किया जाए तो एक्सफोलिएशन एक फायदेमंद प्रक्रिया है। सप्ताह में एक या दो बार सौम्य एक्सफोलिएटर का उपयोग करने से आप डेड स्किन सेल्स से छुटकारा पा सकेंगे। स्किन की जलन और लालिमा से बचने के लिए एक्सफोलिएट करने के तुरंत बाद त्वचा को मॉइस्चराइज़ करें।
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