डीमैट अकाउंट क्या होता है

Demat और Trading अकाउंट में क्या फर्क होता है? स्टॉक ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो समझ लें ये कैसे होते हैं अलग
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट दो अलग-अलग चीजें होती हैं. डीमैट अकाउंट ऐसा अकाउंट होता है जिसमें आप अपने असेट या शेयर को रख सकते हैं, वहीं, ट्रेडिंग अकाउंट से आप ट्रांजैक्शन कर सकते हैं.
Representative Image (Source: Pexels)
शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते हैं तो आपको यह पता होना चाहिए कि आपके पास इसके लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है. डीमैट अकाउंट रखना स्टॉक मार्केट में निवेश के लिए सबसे पहली शर्त है. इसके अलावा एक ट्रेडिंग अकाउंट भी है, जिसकी जरूरत आपके इन्वेस्टमेंट नेचर के हिसाब से पड़ती है. डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट दो अलग-अलग चीजें होती हैं. डीमैट अकाउंट ऐसा अकाउंट होता है जिसमें आप अपने असेट या शेयर को रख सकते हैं, वहीं, ट्रेडिंग अकाउंट से आप ट्रांजैक्शन कर सकते हैं. इनका फर्क, इनका काम और इनका रोल समझना जरूरी है.
Demat Account क्या होता है?
डीमैट अकाउंट ऐसा अकाउंट होता है, जहां आप अपने शेयर इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में होल्ड करके रख सकते हैं. डीमैट अकाउंट फिजिकल शेयर को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में बदल देता है. डीमैट अकाउंट खोलने पर आपको एक एक डीमैट नंबर दिया जाता है जिससे आप अपना ट्रेड उसमें सेटल कर सकते हैं.
इसका काम कुछ-कुछ बैंक अकाउंट जैसा होता है, जहां आप अपना पैसा डिपॉजिट और विदड्रॉ कर सकते हैं. इसी तरह इस अकाउंट में सिक्योरिटी रखी जाती है और जरूरत पड़ने पर डेबिट और क्रेडिट किया जाता है.
डीमैट अकाउंट खोलने के लिए आपके पास कोई शेयर हो, ऐसा कोई जरूरी नहीं है. आपके अकाउंट में ज़ीरो बैलेंस हो तो भी कोई दिक्कत नहीं है.
ट्रेडिंग अकाउंट क्या होता है?
डीमैट अकाउंट के उलट अगर आपको स्टॉक ट्रेडिंग करनी है तो आपको इसके लिए ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ेगी. स्टॉक मार्केट में लिस्टेड किसी कंपनी के शेयर में निवेश करना हो तो आप इस अकाउंट से इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ट्रेडिंग कर सकते हैं.
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट में कुछ बेसिक फर्क
1. डीमैट अकाउंट आपके शेयर और असेट को डिमैटिरियलाइज्ड फॉर्म में रखने वाला अकाउंट होता है, जबकि ट्रेडिंग अकाउंट को आपके बैंक और डीमैट अकाउंट के बीच का लिंक माना जा सकता है.
2. डीमैट अकाउंट जहां बस असेट स्टोर करने के लिए खुलवाया जाता है, इससे कोई ट्रांजैक्शन नहीं हो सकता. वहीं, ट्रेडिंग अकाउंट ट्रेड ट्रांजैक्शन करने के काम आता है.
3. डीमैट अकाउंट पर इन्वेस्टर्स को सालाना चार्ज देना होता है. ट्रेडिंग अकाउंट आमतौर पर फ्री होता है, लेकिन चार्ज कंपनी पर भी निर्भर होता है कि वो आपसे चार्ज लेगी या नहीं.
डीमैट अकाउंट के बिना ट्रेडिंग अकाउंट, और ट्रेडिंग अकाउंट के बिना डीमैट अकाउंट रख सकते हैं?
आमतौर पर डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट एक साथ ही खोले जाते हैं. स्टॉक मार्केट में निवेश के लिए ये दोनों ही अकाउंट जरूरी है. जब एक निवेशक शेयरों में ट्रेड करता है तो ये शेयर स्टोर करने के लिए उसे डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ती है.
हालांकि, अगर ट्रेडर बस ट्रेडिंग कर रहा है, जैसे कि वो इंट्राडे शेयर ट्रेडिंग, फ्यूचर ट्रेडिंग, ऑप्शंस ट्रेडिंग और करेंसी ट्रेडिंग कर रहा है, तो वो ट्रेडिंग अकाउंट से भी हो जाता है, इसमें डीमैट अकाउंट की जरूरत नहीं पड़ती है.
Demat और Trading अकाउंट में क्या फर्क होता है? स्टॉक ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो समझ लें ये कैसे होते हैं अलग
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट दो अलग-अलग चीजें होती हैं. डीमैट अकाउंट ऐसा अकाउंट होता है जिसमें आप अपने असेट या शेयर को रख सकते हैं, वहीं, ट्रेडिंग अकाउंट से आप ट्रांजैक्शन कर सकते हैं.
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शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते हैं तो आपको यह पता होना चाहिए कि आपके पास इसके लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है. डीमैट अकाउंट रखना स्टॉक मार्केट में निवेश के लिए सबसे पहली शर्त है. इसके अलावा एक ट्रेडिंग अकाउंट भी है, जिसकी जरूरत आपके इन्वेस्टमेंट नेचर के हिसाब से पड़ती है. डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट दो अलग-अलग चीजें होती हैं. डीमैट अकाउंट ऐसा अकाउंट होता है जिसमें आप अपने असेट या शेयर को रख सकते हैं, वहीं, ट्रेडिंग अकाउंट से आप ट्रांजैक्शन कर सकते हैं. इनका फर्क, इनका काम और इनका रोल समझना जरूरी है.
Demat Account क्या होता है?
डीमैट अकाउंट ऐसा अकाउंट होता है, जहां आप अपने शेयर इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में होल्ड करके रख सकते हैं. डीमैट अकाउंट फिजिकल शेयर को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में बदल देता है. डीमैट अकाउंट खोलने पर आपको एक एक डीमैट नंबर दिया जाता है जिससे आप अपना ट्रेड उसमें सेटल कर सकते हैं.
इसका काम कुछ-कुछ बैंक अकाउंट जैसा होता है, जहां आप अपना पैसा डिपॉजिट और विदड्रॉ कर सकते हैं. इसी तरह इस अकाउंट में सिक्योरिटी रखी जाती है और जरूरत पड़ने पर डेबिट और क्रेडिट किया जाता है.
डीमैट अकाउंट खोलने के लिए आपके पास कोई शेयर हो, ऐसा कोई जरूरी नहीं है. आपके अकाउंट में ज़ीरो बैलेंस हो तो भी कोई दिक्कत नहीं है.
ट्रेडिंग अकाउंट क्या होता है?
डीमैट अकाउंट के उलट अगर आपको स्टॉक ट्रेडिंग करनी है तो आपको इसके लिए ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ेगी. स्टॉक मार्केट में लिस्टेड किसी कंपनी के शेयर में निवेश करना हो तो आप इस अकाउंट से इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ट्रेडिंग कर सकते हैं.
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट में कुछ बेसिक फर्क
1. डीमैट अकाउंट आपके शेयर और असेट को डिमैटिरियलाइज्ड फॉर्म में रखने वाला अकाउंट होता है, जबकि ट्रेडिंग अकाउंट को आपके बैंक और डीमैट अकाउंट के बीच का लिंक माना जा सकता है.
2. डीमैट अकाउंट जहां बस असेट स्टोर करने के लिए खुलवाया जाता है, इससे कोई ट्रांजैक्शन नहीं हो सकता. वहीं, ट्रेडिंग अकाउंट ट्रेड ट्रांजैक्शन करने के काम आता है.
3. डीमैट अकाउंट पर इन्वेस्टर्स को सालाना चार्ज देना होता है. ट्रेडिंग अकाउंट आमतौर पर फ्री होता है, लेकिन चार्ज कंपनी पर भी निर्भर होता है कि वो आपसे चार्ज लेगी या नहीं.
डीमैट अकाउंट के बिना ट्रेडिंग अकाउंट, और ट्रेडिंग अकाउंट के बिना डीमैट अकाउंट रख सकते हैं?
आमतौर पर डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट एक साथ ही खोले जाते हैं. स्टॉक मार्केट में निवेश के लिए ये दोनों ही अकाउंट जरूरी है. जब एक निवेशक शेयरों में ट्रेड करता है तो ये शेयर स्टोर करने के लिए उसे डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ती है.
हालांकि, अगर ट्रेडर बस ट्रेडिंग कर रहा है, जैसे कि वो इंट्राडे शेयर ट्रेडिंग, फ्यूचर ट्रेडिंग, ऑप्शंस ट्रेडिंग और करेंसी ट्रेडिंग कर रहा है, तो वो ट्रेडिंग अकाउंट से भी हो जाता है, इसमें डीमैट अकाउंट की जरूरत नहीं पड़ती है.
शेयर बाजार में निवेश के लिए जरूरी है डीमैट खाता, जानिये क्या हैं इसके फायदे
डीमैट अकाउंट आपके निवेश दस्तावेज को डिजिटल रूप में सुरक्षित रखता है जिससे इनके चोरी होने , नष्ट होने या खो जाने का जोखिम नहीं रहता।
TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा
Updated on: Jul 03, 2022 | 8:20 AM
शेयर बाजार में निवेश के लिए सबसे जरूरी होता है कि निवेशक के पास उसका अपना एक डीमैट खाता हो. इसलिए कोई भी शख्स अगर बाजार में निवेश की योजना बनाता है तो पहले उसे डीमैट अकाउंट (Demat account) खुलवाना होता है. ऐसे में आपके मन में सवाल उठना तय है कि ये डीमैट अकाउंट होता क्या है, और इसके फायदे क्या है. दरअसल डीमैट को समझना, उसकी पूरी जानकारी रखना और सही ब्रोकर के साथ डीमैट खाता खुलवाना ही तय करता है कि आप आने वाले वक्त में बाजार (stock market) का कितना फायदा उठा सकते हैं. दरअसल डीमैट के साथ निवेश की लागत, समय के साथ मिलने वाली निवेश की सलाहें, और निवेश करने में आसानी जैसी कई बातें जुड़ी होती. ऐसे में आज हम आपको डीमैट अकाउंट से जुड़े कुछ अहम सवालों के जवाब दे रहे हैं जिससे आप इसका पूरा फायदा उठा सकें.
क्या होता है डीमैट अकाउंट
डीमैट शब्द डीमटिरिलाइजेशन (Dematerialisation)से बना है. एनएसडीएल के मुताबिक डीमटिरिलाइजेशन एक डीमैट अकाउंट क्या होता है ऐसी प्रकिया है जिसमें क्लाइंट अपने निवेश से जुड़े पेपर को डिजिटल रूप में रखता है. डीमैट अकाउंट वो अकाउंट या खाता होता है जहां निवेश से जुड़े दस्तावेज डिजिटल रूप में रखे जाते हैं. ये एक बैंक खाते जैसा होता है लेकिन इसमें कैश की जगह आपके निवेश दस्तावेज जैसे शेयर, बॉन्ड आदि इलेक्ट्रॉनिक रूप जमा रहते हैं. हर ग्राहक का अपना एक अलग और खास डीमैट अकाउंट होता है, जो खास लॉगइन आईडी और पासवर्ड से सुरक्षित होता है । खरीद और बिक्री की सुविधा के लिए डीमैट अकाउंट, ट्रेडिंग अकाउंट और बैंक खाते के साथ लिंक होता है।
क्यों जरूरी डीमैट अकाउंट क्या होता है होता है डीमैट खातों को गंभीरता से लेना
देश के अधिकांश ब्रोकर और डिस्काउंट ब्रोकर ऐसे खाते खोलते हैं. ये सभी एक खास शुल्क लेकर जिसे ब्रोकरेज कहते हैं कारोबार की सुविधा देते हैं वहीं अपने खाता धारकों को निवेश सलाह, रिसर्च और अपनी खुद की सलाह के लिए टूल्स ऑफर करते हैं. अलग अलग ब्रोकर के ब्रोकरेज अलग अलग होते हैं जिससे निवेश की लागत पर असर पड़ता है. वहीं निवेश सलाहें इस बात पर तय होती हैं कि ब्रोकरेज की टीम कितनी अनुभवी है. यानि साफ है कि किसी अच्छे ब्रोकर के साथ डीमैट खुलवाने का फैसला आपकी आगे की राह आसान करता है.
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डीमैट अकाउंट के क्या हैं फायदे
डीमैट अकाउंट आपके निवेश दस्तावेज को डिजिटल रूप में सुरक्षित रखता है जिससे इनके चोरी होने , नष्ट होने या खो जाने का जोखिम नहीं रहता. अगर आपके पास पहले के शेयर सर्टिफिकेट हैं या फिर दूसरे निवेश दस्तावेज हैं, आप उन्हें भी डिजिटल रूप में डीमैट अकाउंट में रख सकते हैं और तनाव मुक्त हो सकते हैं. इसके साथ ही डीमैट अकाउंट आपको तेजी के साथ ट्रेड करने में मदद करता है। डीमैट अकाउंट के ट्रेडिंग अकाउंट और बैंक खाते के साथ लिंक होने की वजह से आप न केवल तेजी के साथ निवेश कर सकते डीमैट अकाउंट क्या होता है हैं साथ ही आप निवेश से पैसा भी उतनी ही तेजी के साथ निकाल सकते हैं. डीमैट की मदद से आप अपने निवेश को बेहद आसानी के साथ ट्रैक कर सकते हैं. वहीं बोनस शेयर, डिविडेंड, स्टॉक स्पिलिट, जैसी कई कॉर्पोरेट गतिविधियों की आपको टेंशन लेने की जरूरत नहीं होती. कंपनियों इससे जुड़े फायदे सीधे आपके खाते में ट्रांसफर कर देती हैं. आप आईपीओ जैसे निवेश के मौकों का भी सिर्फ कुछ क्लिक से फायदा उठा पाते हैं डीमैट अकाउंट ग्राहकों के लिए निवेश प्रक्रिया आसान और पारदर्शी बनाने का, ट्रांजेक्शन को तेजी के साथ पूरी करने का और आम निवेशकों के लिए डॉक्यूमेंट्स से जुड़े जोखिमों और समस्याओं को खत्म करने का कारगर तरीका है.
डीमैट अकाउंट क्या होता है? शेयरों को खरीदा और बेचा कैसे जाता है?
डीमैट अकाउंट एक बैंक अकाउंट के समान है. जैसे एक सेविंग अकाउंट (बचत खाता) पैसे को चोरी होने और किसी भी गड़बड़ी से बचाता है, वैसे ही एक डीमैट अकाउंट निवेशकों के लिए भी यही काम करता है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: मनीष रंजन
Updated on: Oct 20, 2022 | 11:17 AM
शेयर मार्केट में निवेश ( इन्वेस्टमेंट ) शुरू करने के लिए आपको तीन अकाउंट ( खातों ) की जरूरत होती है . ये तीन अकाउंट हैं डीमैट अकाउंट , ट्रेडिंग अकाउंट और बैंक अकाउंट . हर अकाउंट का अपना एक अलग काम होता है , लेकिन ट्रांजैक्शन ( लेन – देन ) को पूरा करने के लिए तीनों एक – दूसरे पर निर्भर होते हैं . शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के लिए ये तीन अकाउंट होने चाहिए .
डीमैट अकाउंट क्या है ?
डीमैट अकाउंट एक बैंक अकाउंट के समान है . जैसे एक सेविंग अकाउंट ( बचत खाता ) पैसे को चोरी होने और किसी भी गड़बड़ी से बचाता है , वैसे ही एक डीमैट अकाउंट निवेशकों के लिए भी यही काम करता है . डीमैट अकाउंट या डीमैटरियलाइज्ड अकाउंट इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में शेयरों और सिक्योरिटीज को रखने की सुविधा देता है . ये अकाउंट फिजिकल शेयरों को डीमैटरियलाइज्ड फॉर्म में स्टोर ( संग्रहित ) करते हैं . फिजिकल शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म ( रूप ) में परिवर्तित करने की प्रक्रिया ( प्रोसेस ) को डिमैटेरियलाइजेशन कहा जाता है . जब भी ट्रेडिंग की जाती है तो इन शेयरों को डीमैट अकाउंट में क्रेडिट या डेबिट किया जाता है . डीमैट डीमैट अकाउंट क्या होता है अकाउंट के प्रकार ( टाइप ) डीमैट अकाउंट खोलते समय निवेशकों को अपने प्रोफाइल के मुताबिक डीमैट अकाउंट का चुनाव सावधानी से करना चाहिए . कोई भी भारतीय मिनटों में ऑनलाइन डीमैट अकाउंट खोल सकता है . निवेशक डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (DP) के साथ डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं . 5 पैसा https://bit.ly/3RreGqO एक ऐसा ही प्लेटफॉर्म है जहां आप आसानी से अपना डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं और ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं . डीमैट अकाउंट चार तरह के होते हैं .
1)- रेगुलर डीमैट अकाउंट एक रेगुलर डीमैट अकाउंट भारतीय निवासी निवेशकों के लिए होता है जो केवल शेयर खरीदना और बेचना चाहते हैं और सिक्योरिटीज को जमा ( डिपॉजिट ) करना चाहते हैं . जब आप शेयर बेचते हैं तो शेयर अकाउंट से डेबिट हो जाते हैं . इसी तरह जब आप शेयर खरीदेंगे तो वह आपके अकाउंट में क्रेडिट हो जाएंगे . यदि आप फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में ट्रेडिंग कर रहे हैं तो डीमैट अकाउंट की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि इस तरह की डील के लिए स्टोरेज की कोई जरूरत नहीं होती है .
2)- बेसिक सर्विस डीमैट अकाउंट यह एक नए तरह डीमैट अकाउंट क्या होता है का डीमैट अकाउंट है , जिसे बाजार नियामक ( मार्केट रेगुलेटर ) सेबी (SEBI) ने पेश किया है . छोटे निवेशकों को ध्यान में रखते हुए यह अकाउंट शुरू किया गया है . 50,000 रुपये से कम के स्टॉक और बॉन्ड रखने के लिए कोई मेंटेनेंस चार्ज ( रखरखाव शुल्क ) नहीं देना होगा . 50,000 रुपये से 2 लाख रुपये तक की सिक्योरिटी रखने पर सिर्फ 100 रुपये का चार्ज लगेगा .
3)- प्रत्यावर्तनीय डीमैट अकाउंट (Repatriable Demat Account) प्रत्यावर्तनीय डीमैट डीमैट अकाउंट क्या होता है अकाउंट NRI ( अनिवासी भारतीयों ) के लिए है . इसके जरिए वे भारतीय बाजार में निवेश कर सकते हैं और विदेश में भी पैसा भेज सकते हैं . हालांकि फंड ट्रांसफर करने के लिए डीमैट अकाउंट को NRI (Non-Resident External) अकाउंट से जोड़ना होगा .
4)- गैर प्रत्यावर्तनीय डीमैट अकाउंट (Non-repatriable Demat Account) अनिवासी भारतीयों (NRI) के लिए एक गैर – प्रत्यावर्तनीय डीमैट अकाउंट भी मौजूद है . हालांकि इस अकाउंट के जरिए विदेश में पैसा ट्रांसफर नहीं किया जा सकता .
डीमैट अकाउंट के फायदे
डीमैट अकाउंट बिना किसी परेशानी के शेयरों को तेजी से ट्रांसफर करने की सुविधा देता है . शेयर या सिक्योरिटीज सर्टिफिकेट एक डीमैट अकाउंट में इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म से रखे जाते हैं . ऐसे में उनकी चोरी , जालसाजी और नुकसान होने की संभावना बहुत कम होती है . ट्रेडिंग एक्टिविटीज को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है . डीमैट अकाउंट को कभी भी और कहीं से भी एक्सेस किया जा सकता है . बोनस स्टॉक , राइट्स इश्यू , स्प्लिट शेयर अपने आप अकाउंट में जमा हो जाते हैं .
डीमैट अकाउंट कैसे खोलें
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के लिए डीमैट अकाउंट खोलना अनिवार्य है . आप किसी वित्तीय संस्थान या ब्रोकर के जरिए डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं . सबसे पहले आपको इसके लिए एक डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (DP) को चुनना होगा . यह एक वित्तीय संस्थान , अधिकृत बैंक या ब्रोकर हो सकता है . आप उनके साथ एक डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं . DP को ब्रोकरेज चार्ज , सालाना चार्ज और लीवरेज के आधार पर चुना जाना चाहिए . DP का चयन करने के बाद आपको अकाउंट खोलने का फॉर्म , KYC फॉर्म भरना होगा और उसे जमा करना होगा . इसके साथ आपको कुछ दस्तावेज भी देने होंगे . इनमें पैन कार्ड , रेजिडेंस प्रूफ , आईडी प्रूफ और पासपोर्ट साइज फोटो शामिल हैं .