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अभौतिक खाता

अभौतिक खाता
कल्पना एक प्रकार की मानसिक प्रक्रिया हैं । जिसके माध्यम से बीटी हुई अनुभूतियों को या फिर जो तथ्य हमारे सामने प्रत्यक्ष रूप से प्रस्तुत नहीं हैं । उन्हे स्मरण किया जाता हैं । कल्पना दूरस्थ वस्तुओ का संबंध में चिंतन हैं – मकड़ुएगल कल्पना की परिभाषा

रीट मनोविज्ञान नोट्स -Imagination(कल्पना ) notes for REET

कल्पना एक प्रकार की मानसिक प्रक्रिया हैं । जिसके माध्यम से बीटी हुई अनुभूतियों को या फिर जो तथ्य हमारे सामने प्रत्यक्ष रूप से प्रस्तुत नहीं हैं । उन्हे स्मरण किया जाता हैं । कल्पना दूरस्थ वस्तुओ का संबंध में चिंतन हैं – मकड़ुएगल

कल्पना की परिभाषा

कल्पना के प्रकार

कल्पना की खोज विलियम मकड़ुएगल के द्वारा की गई थी । ये दो प्रकार की होती है ;

  1. पुनरुत्पादक कल्पना Re-Productive Imagination
  2. उत्पादक कल्पना Productive Imagination- इसके दो प्रकार हैं –
    1. रचनात्मक कल्पना constructive – इसे निर्माणात्मक कल्पना भी कहा जाता हैं । ये भौतिक होती हैं ।
    2. सृजनात्मक कल्पना Creative – ये अभौतिक कल्पना होती हैं ।

    पुनरुत्पादक कल्पना

    “बीती हुई अनुभूतियों का ज्यों का त्यों स्मरण मे लाना ही पुनरुत्पादक कल्पना हैं । ” जैसे – बचपन में मैं दिनभर खाता रहता था कोई टेंशन नहीं थी ।

    उत्पादक कल्पना

    “बीती हुई स्मृतयो को इस प्रकार सृजित किया जाए की कुछ नवीन तथ्य उत्पन्न हो तो इसे उत्पादक कल्पना कहते हैं । “जैसे – एक बालक बूंदी में एक मकान देखा ओर अपने गाँव में भी वैसे ही मकान बनाने की कल्पना करता हैं किन्तु उसका गेट अलग तरीके से बनाना चाहता हैं । इसके दो प्रकार हैं –

    1. रचनात्मक कल्पना – किसी भौतिक वस्तु के निर्माण की कल्पना करना , रचनात्मक कल्पना हैं । जैसे – एक अभियंता का नदी पर पुल बनाने की कल्पना करना । थॉमस अल्वा एडीसन का विद्युत बल्ब का आविष्कार करने की कल्पना करना ।
    2. सृजनात्मक कल्पना – किसी अभौतिक वस्तु का निर्माण करना ही सृजिनात्मक कल्पना हैं । जैसे – कविता , गीत संगीत की रचना की कल्पना करना

    ड्रेवर के अनुसार कल्पना

    1. पुनरुत्पादक कल्पना
    2. उत्पादक कल्पना- इसके दो प्रकार हैं
      1. आदानात्मक या ग्राही कल्पना
      2. सृजनात्मक कल्पना- इसके दो प्रकार हैं
        1. परिणामवादी / कार्य साधक – इसके दो प्रकार हैं
          1. विचारक / सिद्धांतिक
          2. क्रियात्मक / व्यावहारिक
          1. कलात्मक
          2. मन तरंग ( खयाली पुलाव )

          Note :- जेम्स ड्रेवर ने विलियम मकड़ुएगल के आधार पर ही कल्पना के परकर दिए थे ।

          आदानात्मक या ग्राही कल्पना

          किसी की बातों को ग्रहण करके कल्पना करना। इसमें दूसरों की बातों पर ही क्रिया की जाती है अतः इसे अनुकरणत्मक कल्पना भी कहते हैं। जैसे – ” पिताजी की डांट सुन कर के कक्षा 10 की परीक्षा पास करने की कल्पना करना।

          सृजनात्मक कल्पना

          किसी नवीन वस्तु या तथ्य के निर्माण करने की कल्पना करना ही इस सृजनात्मक कल्पना है। इसके दो प्रकार हैं

          रिटायरमेंट के बाद सोने में निवेश करने के तरीके

          Gold as an investment - Perfect retirement option

          यदि आप हाल ही में सेवा-निवृत्त हुए हैं और आपको आय का एक स्रोत नहीं रहने की चिंता सता रही है, आप सोने को निवेश का एक विकल्प मान सकते हैं, जिससे आपके जीवन का यह स्वर्णिम दौर वित्तीय रूप से सुरक्षित हो जाएगा।

            स्वर्ण मुद्रीकरण योजना

          सम्भव है आपके पास कुछ सोना बेकार रखा हो, जिसका आप प्रयोग नहीं कर रहे हों और जो पिछले कई वर्षों से त्यौहारों, पारिवारिक उत्सवों, उपहारों और क्रय के तौर पर इकट्ठा हुआ हो। आइए जानिए उसका समुचित लाभ कैसे उठाया जाए।

          स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (जीएमएस) की शुरुआत 2015 में हुई थी ताकि आप अपने भौतिक सोने – छड़ , सिक्के या गहने - को एक स्वर्ण बचत खाते (गोल्ड सेविंग्स अकाउंट) में जमा करके उसे आय की एक सम्पत्ति के रूप में बदल सकें।

          जीएमएस में निवेश करने से आप इकट्ठा किये हुए सोने से नियमित ब्याज कमाकर उसे आय का एक ज़रिया बना सकते हैं। फिलहाल में, आपको अपना सोना लॉकर में ही सुरक्षित रखने के लिए भुगतान देना पड़ता है। इस योजना के तहत, आपको सिर्फ अपना सोना अपने बैंक के किसी जीएमएस खाते में रखना है और फिर आप उससे ब्याज कमा सकते हैं।

          आप इस खाते में एक से पंद्रह वर्षों तक के लिए सोना रख सकते हैं। इसमें ब्याज दर 0.5% से 2.5% तक होता है, जो इस बात पर निर्भर करती है कि आप कितने लम्बे समय तक खाता चालू रखना चाहते हैं, यानि जितनी लम्बी अवधि का खाता, उतना अधिक ब्याज दर। इस योजना के तहत आपको कोई कर भी नहीं देना होगा।

          इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें बैंक का ब्याज सोने के रूप में ही होता है। मतलब यह हुआ कि यदि वार्षिक ब्याज 2.5% है तो आपको अपने जीएमएस खाते में जमा किये गये प्रति 100 ग्राम सोने पर 2.5 ग्राम सोना मिलेगा।

          एक स्वर्ण बचत खाता खोलने के लिए आप सिर्फ 30 ग्राम जितनी कम मात्रा से भी शुरुआत कर सकते हैं और उसके बाद से आपके सोने की सुरक्षा की जिम्मेदारी बैंक की।

          सम्बंधित: सोने की बढ़ती कीमत आपको बना सकती है वित्तीय रूप से सुरक्षित

          हमने स्टॉक बाज़ार में निवेश करने से कमाई की सम्भावनाओं के बारे में सुना है।

          आजकल, सोना सिर्फ भौतिक रूप में ही नहीं खरीदा जाता, बल्कि डिजिटल रूप में भी लिया जाता है। गोल्ड ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) से आप ऑनलाइन भी सोने में निवेश कर सकते हैं।

          एक गोल्ड ईटीएफ एक्सचेंज ट्रेडेड फंड होता है जो घरेलू भौतिक सोने की कीमत की निगरानी करता है। गोल्ड ईटीएफ कागज़ी या अभौतिक रूप में भौतिक सोने का प्रतिनिधित्व करने वाली इकाइयाँ होती हैं। गोल्ड ईटीएफ की एक इकाई अभौतिक खाता 1 ग्राम सोने के बराबर होती है और इसके पीछे श्रेष्ठ शुद्धता का भौतिक सोना होता है।

          आप स्टॉक की तरह ही गोल्ड ईटीएफ खरीद और बेच सकते हैं। जब आप असल में गोल्ड ईटीएफ रिडीम कराते हैं, आपको भौतिक सोना तो नहीं मिलता लेकिन उतने ही मूल्य का नकद मिलता है। गोल्ड ईटीएफ बहुत लाभकारी होता है क्योंकि इसमें जीएसटी नहीं लगता और ना ही इसमें कोई मजूरी या प्रीमियम शुल्क लगता है।

          उपर्युक्त सभी कारणों से सोने में निवेश करना सेवा-निवृत्त व्यक्तियों के लिए एक उत्तम विकल्प है। ये सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट प्लैन (एसआईपी) के जरिये भी शुरु किया जा सकता है क्योंकि इसमें एकमुश्त बड़ी रकम नहीं करके, छोटी मात्रा में नियमित अंतराल पर निवेश किया जा सकता है।

          गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना शुरु करने के लिए आपको सबसे पहले एक डीमैट खाता खोलना पड़ेगा और यह तय करना पड़ेगा कि आप किस ब्रोकर या बैंक के जरिये खरीदना चाहते हैं। निवेश करने के लिए गोल्ड ईटीएफ और खरीदने के लिए इकाइयों की संख्या तय करने के बाद, आप आसानी से ट्रेडिंग पोर्टल के माध्यम से अपना ऑर्डर प्लेस कर सकते हैं।

          सम्बंधित

          यदि आप और भी अधिक सोने में निवेश के विकल्प जानना चाहते हैं और सोने के सदाबहार आर्थिक, सामाजिक, भावनात्मक और नैसर्गिक मूल्य से लाभ उठाना चाहते हैं, तो पढ़िए 2018 में सोने के निवेश ।

          Accrued Interest क्या है?

          अर्जित ब्याज क्या है? [What is Accrued Interest ? In Hindi]

          Accrued Interest Loan Interest की राशि है जो पहले ही हो चुकी है, लेकिन अभी तक उधारकर्ता द्वारा भुगतान नहीं किया गया है और अभी तक ऋणदाता द्वारा प्राप्त नहीं किया गया है।

          लेखांकन (Accounting) के प्रोद्भवन आधार के तहत, अर्जित ब्याज की राशि को अपने वित्तीय विवरण जारी करने से पहले उधारकर्ता और ऋणदाता द्वारा प्रोद्भवन समायोजन प्रविष्टियों के साथ दर्ज किया जाना है।

          उधारकर्ता की समायोजन प्रविष्टि ब्याज व्यय और क्रेडिट अर्जित ब्याज देय (एक वर्तमान देयता) को डेबिट कर देगी। ऋणदाता की समायोजन प्रविष्टि अर्जित ब्याज प्राप्य (एक वर्तमान संपत्ति) और क्रेडिट ब्याज राजस्व (या आय) अभौतिक खाता को डेबिट कर देगी। Accrued Income क्या है?

          अर्जित ब्याज क्या है? [What is Accrued Interest ? In Hindi]

          उपार्जित ब्याज का लेखा कैसे करें ? [How to Account for accrued interest ?]

          निम्नलिखित उप-अनुभागों में, हम दिखाते हैं कि किसी भी पक्ष द्वारा अर्जित ब्याज का हिसाब कैसे लगाया जाए, प्रविष्टियों को उलटने की आवश्यकता पर ध्यान दिया जाए, और यह बताया जाए कि अभौतिक राशियों के लिए एक प्रोद्भवन की आवश्यकता क्यों नहीं है।

          आलेख : बोला कुकुरमुत्ता। अबे, सुन बे गुलाब! - मृणाल पांडे

          आलेख : बोला कुकुरमुत्ता। अबे, सुन बे गुलाब! - मृणाल पांडे

          आज वसंत पंचमी है। आज ही के दिन सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का एक सौ बीसवां जन्मदिन भी पड़ता है। हिंदी पट्टी के अधिकतर साहित्यिक और शिक्षण संस्थानों में वह रस्मी तौर से मनाया जाएगा। क्या वजह है कि हम हिंदीवाले निराला, महादेवी या प्रेमचंद के नाम पर कई पुरस्कारों की घोषणा और तामझाम भरे समारोह करने के बावजूद अगली पीढ़ी को अपनी भाषा के इतिहास और उसमें इन मनीषियों के योगदान को राजनीतिक-सामाजिक पृष्ठभूमि में समझ-समझा नहीं सके हैं? सच तो यह है कि हमारे अकादमिक संस्थान और शोधार्थी आज न सत्साहित्य की परख कर पाते हैं, न उससे प्रभावित होते हैं। अचरज नहीं कि निराला का साहित्य व हिंदी कविता में क्रांतिकारी बदलाव लाने में उनका केंद्रीय महत्व (डॉ. रामविलास शर्मा के गहन-गंभीर अभौतिक खाता विमर्श के बावजूद) आज भारतीय साहित्य के औसत पाठक-छात्र के लिए अजाना ही बना हुआ है। कुकुरमुत्ता, चतुरी चमार, बिल्लेसुर बकरिहा सरीखी रचनाएं देने वाले इस लेखक को लेकर हिंदी का साहित्यिक प्रतिष्ठान जब पाता है कि उनकी कृतियां तो भारतीय इतिहास के ऐसे गरिष्ठ टुकड़े हैं, जिनकी राजनीति व समाज पर समसामयिक असर की व्याख्या जोखिम भरी हो सकती है, तो वह उनकी एक जड़ मूर्ति बना अखंड पाठ शुरू करा देता है।

          निराला छायावादी कविता के सुकुमार, लालित्यमय, संस्कृतनिष्ठ वासंती माहौल के बीच उपजे एक दुर्लभ ऑर्किड थे। यह वह युग था, जब हिंदी भाषा अखिल भारतीयता का पवित्र पथ मान ली गई थी। साहित्य में भौतिक सचाई कम, अभौतिक मिलन-विरह, इच्छापूर्ति-अपूर्ति का द्वैतभरा एक भव्य रुदन या उल्लासमय जादू ही कवि सम्मेलनों, संस्थानों व नई-नकोर पत्रिकाओं के सर चढ़ बोलता था। निराला आए कबीर के शब्दों में सबै भ्रम की टाटी उड़ाने वाली एक दुर्दांत आंधी बनकर और देखते-देखते तुकांत कोमल और हवा-हवाई अमूर्तन को चीरते हुए कवि तथा कविता की छुईमुई छवि को सर के बल खड़ा कर दिया। 40 के दशक में इस विलक्षण कवि का कुकुरमुत्ता सरीखा अक्खड़ किंतु अद्भुत रूप से पठनीय काव्य संकलन छपा। यह संकलन हिंदी साहित्य का एक बिलकुल नया द्वार युवा लेखकों तथा पाठक वर्ग के लिए खोलता था, जो आजादी की मोहाविष्टता के बाद राज-समाज के स्तर पर तमाम तरह की भौतिक तकलीफों और मोहभंग के दु:ख अभौतिक खाता से जूझ रहा था। पुरानी कविता का तुकांत निर्मल संगीत और आध्यात्मिकता का पुट, बोलियों का पिया, हिया छतियां भरा रीतिकालीन स्वर या फारसी का आभिजात्यपूर्ण सामंती आडंबर नए भारत के नए पाठक-लेखक को अब रिझाता कम खिझाता अधिक था। उन युवाओं की तरह निराला खुद अकाल, दुष्काल, बमबारी और नीची आयुष्य वाले बीसवीं सदी के शुरुआती दौर में गरीबी, सामाजिक जड़ता, प्रियजनों की अकाल मौत देख-जी चुके थे। अपनी रचनाओं तथा पत्राचार के पन्‍ने में वे हमको चौंकाने वाली बेबाकी से बताते हैं कि दो महायुद्धों के बीच के अर्धसामंती, अर्धखेतिहर राज-समाज में बैसवाड़े के सामान्य ब्राह्मण परिवार की परंपराओं और गांधी की आंधी व सुधारवादी नएपन की चुनौतियों के बीच किशोरवय से ही उनका संवेदनशील मन किस तरह मथा जाता रहा था। उनके लिखे लगभग लट्ठभंजाई के तेवर सहित जड़ीभूत राज-समाज को चुनौती देने वाले कुकुरमुत्ता के पहले संस्करण (4.6."42) की भूमिका में कवि को कोमल अशरीरी और भौतिकता से कतई दूर मानने वालों के विरुद्ध उनका बगावती तेवर साफ दिखाई देता है : 'इसमें वही शरीक होंगे, जिन्हें न्योता नहीं भेजा गया, साथ ही जो कंगाल नहीं, न ऐसे बड़े आदमी, जो अपनी जगह गड़े रह गए। मतलब साफ है। हम दोनों मतलब के। न हम पैरों पड़ें, न वह। मिहनत की कमाई हम भी खाएं, वह भी।" अपने उन साहित्यिक तथा राजनैतिक अग्रजों से, जो यथास्थिति के पक्ष में थे, निराला का छायावादी छंदबद्धता की थीसिस के साथ एंटीथीसिस का रिश्ता बना। उनकी कविताओं में नियमानुशासन का बोध तो है, पर मृत हो चुके नियमों से ईमानदार चिढ़ व खीझ भी। प्रकाशन जगत का बाजारवाद व भाषा व छंद के साथ नए प्रयोग लेखन की भीतरी जरूरत के साथ लेखक की नियमित आय व नए पाठकों की रुचि का वाहक भी होते हैं, यह बोध उनके पत्रों में साफ है।

          गांधी का जादू अंत तक निराला को भी बांधे रहा। लेकिन गांधी के सत्य के जिन अनेक प्रयोगों से और गांधीवादियों की कुछ किस्मों से कई बार उनको विरक्ति महसूस होती रहती थी, उन पर भी निराला ने (विचार पत्रिका के लिए) एक चर्चित कविता, बापू के प्रति लिखी : बापू, तुम मुर्गी खाते यदि, तो क्या भजते होते तुमको, ऐरे-गैरे नत्थूखैरे? सर के बल खड़े हुए होते हिंदी के इतने लेखक कवि? कवि ने इस कविता में अपने समय में सामाजिक वर्जनाओं और आमो-खास की भावनाओं का द्वैत ही नहीं, हिंदी के प्रतिष्ठान की जड़ता और दास्यभरी मानसिकता को भी क्या खूब लपेटा है। कवि से उनकी नई रचना साग्रह मंगवाने वाले संपादक भगवतीचरण वर्मा ने यह रचना छापी तो, पर रचना के साथ इसे ऊलजलूल आदि कहते हुए अपना एक निंदापरक नोट भी चेंप दिया था। आज वह नोट बिसर-सा गया है, पर कविता अभी भी अपनी जगह अपना आंका-बांका सवाल लिए मुस्कराती है, उसी तरह जैसे नेहरूयुगीन भद्रलोक पर कटाक्ष करती रचना में किसी रईस के बागीचे का वह बेअदब कुकुरमुत्ता : आया मौसिम खिला फारस का गुलाब, बाग पर पड़ा था उसका रोबोदाब। वहीं गंदे में उगा देता हुआ बुत्ता, पहाड़ी से उठे सर ऐंठ कर बोला कुकुरमुत्ता। अबे, सुन बे गुलाब!

          गोल्ड ईटीएफ क्या है

          सदियों से सोना भारतीयों की पसंदीदा धातु रही है सोने के आभूषण, सिक्के इत्यादि महिलाओ के लिए सर्वदा आकर्षण का अभौतिक खाता अभौतिक खाता मुख्य बिंदु रहे है समय के साथ-साथ इस उत्पाद के मूल्य में भी वृद्धि होती रहती है तथा सोना एक अच्छे निवेश के रूप में भी लोकप्रिय हुआ है | बहुत समय से यह निवेश के उत्पाद के रूप में जाना जाता है वर्तमान समय में सोना भौतिक से अभौतिक रूप में अधिक विकसित हुआ हैV | सोने के भौतिक रूप में आभूषण को खरीदने, बेचने या बनाने में अधिक लागत आती है, जबकि सोने में निवेश करने पर गोल्ड ईटीऍफ़ (Gold ETF) के द्वारा सोने की वास्तविक कीमत के आस-पास ही लागत आती है |

          प्राचीन काल से सोना सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता रहा है, लेकिन वर्तमान में सोने को भौतिक रूप में न खरीद कर गोल्ड ईटीऍफ़ (Gold ETF) के तहत निवेश ज्यादा सुरक्षित है | यदि आप भी भविष्य में गोल्ड पर निवेश करना चाहते है तो गोल्‍ड ईटीएफ (Gold ETF) में निवेश करना अधिक बेहतर होगा | यह आपको गोल्ड के निवेश के साथ साथ स्टॉक कारोबार से भी जोड़ती है | यहाँ पर आपको “गोल्ड ईटीएफ क्या है, Gold ETF Explained in Hindi” इसके विषय में आपको पूरी जानकारी उपलब्ध कराई गयी है |

          गोल्ड ईटीएफ का क्या मतलब होता है?

          Table of Contents

          वह लोग जो सोने पर निवेश करना चाहते है उनके लिए गोल्ड ईटीऍफ़ (Gold ETF) निवेश का बेहतर माध्यम है | गोल्ड ईटीऍफ़ (Gold ETF) एक म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) योजना है, जिसमे सोने के भौतिक रूप की आवश्यकता नहीं होती है | सोना खरीदने के स्थान पर गोल्ड ईटीऍफ़ (Gold ETF) में निवेश करके शेयर के समान शेयर बाजार में ख़रीदा तथा बेचा जा सकता है |

          आपके द्वारा खरीदे गए गोल्ड ईटीऍफ़ फण्ड (Gold ETF Fund) को डीमैट खाते में जमा कर दिया जाता है | गोल्ड ईटीऍफ़ फण्ड (Gold ETF Fund) के तहत शेयर के मूल्य का निर्धारण सोने की कीमत के आधार पर होता है, सोने की बढ़ती तथा घटती कीमत के आधार पर गोल्ड ईटीऍफ़ फंड (Gold ETF Fund) के शेयर के मूल्य में भी परिवर्तन होता रहता है, जबकि यह सोने की वास्तविक कीमत से सम्बंधित होता है गोल्ड ईटीऍफ़ (Gold ETF) के तहत आप 1 ग्राम से लेकर 10 ग्राम या उससे अधिक सोने पर भी निवेश कर सकते है | भौतिक रूप से आप सोने के मालिक नहीं होते है, जब आपको गोल्ड ईटीऍफ़ (Gold ETF) नगद करना हो आप गोल्ड शेयर को ऑनलाइन ब्रोकर के द्वारा बेच कर गोल्ड ईटीऍफ़ (Gold ETF) के मूल्य के बराबर नगद या सोना प्राप्त कर सकते है |

          गोल्ड ईटीएफ में निवेश कैसे करे ? (How to Invest for Gold ITF)

          यदि किसी कंपनी के शेयर खरीदते है, उसी प्रकार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange) से गोल्ड ईटीएफ़ (Gold ETF) बाजार की कीमत पर खरीद तथा बेच सकते है, तथा अभौतिक खाता गोल्ड ईटीएफ़ (Gold ETF) में कारोबार करने के लिए आपको डीमैट खाता और ट्रेडिंग खाता खुलवाना होता है | शेयर ब्रोकर की सहायता से या सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (Systematic Investment Plan) के अभौतिक खाता द्वारा आप गोल्ड ईटीएफ़ (Gold ETF) को ऑनलाइन खरीद सकते है तथा इस प्रकार गोल्ड ईटीएफ़ (Gold ETF) में निवेश कर सकते है इसके लिए –

          • शेयर ब्रोकर की सहायता से या ऑनलाइन डीमैट और ट्रेडिंग खाता खुलवाना होगा |
          • ब्रोकर के ऑनलाइन पोर्टल पर लॉगिन करके गोल्ड ईटीएफ फण्ड (Gold ETF Fund) चुने जिसे आप खरीदना चाहते है |
          • गोल्ड ईटीएफ फण्ड (Gold ETF Fund) की निर्दिष्ट इकाइयों के आधार पर अपना आर्डर स्थापित करें |
          • स्टॉक एक्सचेंज में गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) के तहत दिए गए आर्डर तथा बिक्री आर्डर सामान होने पर आपके ईमेल पुष्टिकरण के लिए भेजा जायेगा |
          • यदि आप चाहे तो गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) की ईकाईयो को एकमुश्त या व्यवस्थित रूप से नियमित अंतराल पर भी खरीद सकते हैं |
          • अगले दिन आपके डीमैट खाते में इकाईया ब्रोकर के द्वारा स्थानांतरित कर दी जाती है |

          गोल्ड ईटीएफ में निवेश से लाभ (Benefits to Invest of Gold ETF)

          • गोल्ड ईटीएफ को खरीदने तथा बेचने की प्रक्रिया बहुत ही सरल है, इसे ऑनलाइन या ब्रोकर द्वारा या म्यूच्यूअल फण्ड (Mutual Fund) के माध्यम से खरीद या बेच सकते है |
          • गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF)अधिक समय तक निकास न होने पर कोइ भार नहीं होता, जितना अधिक समय रहता है, उतना ही लाभ दायक होता है |
          • गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) का कारोबार सोने की वास्तविक कीमत के आधार पर किया जाता है, इसकी कीमत सार्वजानिक रूप से उपलब्ध रहती है |
          • गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) डीमेट खाते में जमा होने के कारण सोने के चोरी या खोने का खतरा नहीं होता है, तथा इसकी सुरक्षित स्थान पर रहने की भी आवश्यकता नहीं होती है |
          • गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) डीमेट खाते में होने के कारण इसमें सोने के भौतिक रूप के समान मिलावट, शुद्धता तथा गारंटी आदि की भी आशंका नहीं होती है, तथा गोल्ड ईटीएफ को अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है |
          • गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) से होने वाली आय को लम्बे समय तक पूंजीगत लाभ कर के रूप में माना जाता है।
          • सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के तहत प्रति माह एक निश्चित राशि में सोना खरीद सकते है इसके अंतर्गत 1 ग्राम या 1/2 ग्राम भी सोना ख़रीदा जा सकता है |

          निवेश के लिए मुख्य गोल्‍ड ईटीएफ (Best Gold ETF for Invest)

          • इन्‍वेस्‍को इंडिया गोल्‍ड ईटीएफ (Invesco India Gold ETF)
          • केनरा अभौतिक खाता रोबेको गोल्‍ड ईटीएफ (Canara Robeko Gold ETF )
          • आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल गोल्‍ड ईटीएफ (ICICI PrudentialGold ETF)
          • आईडीबीआई I गोल्‍ड ईटीएफ (IDBI Gold ETF)
          • यूटीआई गोल्‍ड एक्‍सचेंज ट्रेडेड स्‍कीम (UTI Gold Exchange Traded अभौतिक खाता Scheme)
          • कोटक गोल्‍ड एग्‍सचेंज ट्रेडेड स्‍कीम (Kodak Gold Exchange Traded Scheme )
          • एसबीआईगोल्‍ड ईटीएफ (SBI Gold ETF)
          • एचडीएफसीगोल्‍ड एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंड (HDFC Exchange Traded Fund )
          • क्‍वांटम गोल्‍ड एक्‍सचेंज ट्रेडेड स्‍कीम (Quantum Gold Exchange Traded Scheme )
          • रिलायंस ईटीएफ गोल्‍ड BeES (Reliance ETF Gold BeES)

          सही गोल्ड ईटीएफ़ का चुनाव (Selection of Right Gold ETF)

          शेयर बाज़ार में अनेक प्रकार गोल्ड ईटीएफ़ (Gold ETF) उपलब्ध है, जिनमे आप निवेश कर सकते हैं। भौतिक सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव के आधार पर इनका प्रदर्शन रहता है। इसके लिए आपको गोल्ड ईटीएफ़ (Gold ETF) की ट्रेकिंग एरर तथा ट्रेडिंग वॉल्यूम पर ध्यान देना होगा| जिस गोल्ड ईटीएफ़ (Gold ETF) की ट्रेकिंग एरर कम तथा ट्रेडिंग वॉल्यूम अधिक हो वह ही ख़रीदे। इसके लिए आप सुबह 9:15 से लेकर दोपहर 3:30 तक किसी भी समय ट्रेडिंग कर सकते हैं |

          यहाँ आपको गोल्ड ईटीएफ़ (Gold ETF) की जानकारी से अवगत कराया गया है यदि आप इससे सम्बधित अन्य जानकारी प्राप्त करना अभौतिक खाता चाहते है तो कमेंट करे और अपना सुझाव प्रकट करे, आपकी प्रतिक्रिया का जल्द ही जवाब देने का प्रयास किया जायेगा | अधिक जानकारी के लिए hindiraj.com पोर्टल पर विजिट करते रहे |

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