Trading के फायदें

ईटीएफ और इंडेक्स फंड

ईटीएफ और इंडेक्स फंड

ईटीएफ और इंडेक्स फंड

कार्वी कैपिटल के मुख्य निवेश अधिकारी स्वप्निल पवार का कहना है कि वह खुदरा निवेशकों को समूची रकम एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ) में निवेश करने की सलाह देंगे। इससे निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में बदलाव या एक अच्छा प्रदर्र्शन करने वाले फंड में निवेश करने की जरूरत नहीं रह जाएगी। पवार कहते हैं, 'एक मात्र सवाल यह है कि क्या आप किसी खास ईटीएफ में निवेश करना चाहते हैं या नहीं।'

सभी वित्तीय सलाहकार पवार की बात से सहमत होंगे यह जरूरी नहीं है। हालांकि इनका मानना है कि यह यह आपके निवेश का हिस्सा होना चाहिए। मोटे तौर पर पोर्टफोलियो में 10-15 प्रतिशत निवेश गोल्ड या इक्विटी लिंक्ड ईटीएफ में होना चाहिए। इस साल बाजार में पांच नए ईटीएफ आने वाले हैं, आइए देखते हैं कि इनमें क्यों निवेश किया जाना चाहिए।

ईटीएफ शेयरों के संकलन होते हैं जो किसी खास सूचकांक को दर्शाते हैं। सबसे सामान्य ईटीएफ बेंचमार्क सूचकांक निफ्टी और सेंसेक्स से जुड़े होते हैं। विभिन्न क्षेत्रों पर आधारित सूचकांक भी होते हैं जैसे बैंक निफ्टी और पीएसयू आदि। अब म्युचुअल फंड कंपनियां मिड- और स्मॉल-कैप से जुड़े वृहद सूचकांक आधारित ईटीएफ लाने जा रही हैं।

ईटीएफ का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि ये सस्ते और कम जोखिम वाले होते हैं। चूंकि, ये निवेश के अप्रत्यक्ष साधन होते हैं और पोर्टफोलियो की संरचना और इसमें भारांश (शेयरों का भारांश) के हिसाब से सूचकांक का अनुसरण करते हैं। ईटीएफ सूचकांक को प्रतिबिंबित करते हैं इसलिए ईटीएफ उन निवेशकों के लिए उपयुक्त होते हैं जो शेयरों में निवेश करना चाहते हैं लेकिन प्रबंधित फंडों से जुड़े जोखिम से बचते हैं। हालांकि इससे थोड़े कम प्रतिफल से संतोष करना पड़ सकता है।

बोनांजा पोर्टफोलियो के प्रमुख, वेल्थ मैंनेजमेंट एवं फाइनैंशियल प्लानिंग प्रमुख अचिन गोयल कहते हैं, 'इस निवेश के साथ मानवीय पक्ष जैसे भावना, डर, लालच जैसी बात नहीं होती है जो लंबी अवधि में निवेश प्रभावित करते ईटीएफ और इंडेक्स फंड हैं। ईटीएफ अप्रत्यक्ष निवेश में रुचि रखने वाले लोगों के लिए बेहतर विकल्प होते हैं और लंबी अवधि में छोटी अवधि के उतार-चढ़ावों से प्रभावित हुए बिना पूंजी निर्माण करते हैं।'

भारत में ईटीएफ में निवेश करने वाले कम होते हैं क्योंकि सक्रिय फंड प्रबंधकों ने अंडरलाइंग बेंचमार्क के मुकाबले खासा प्रतिफल अर्जित लिया है। लेकिन पवार कहते हैं, 'अगर हम अल्फा (फंड प्रबंधक द्वारा अर्जित प्रतिफल) को बीटा (सूचकांक द्वारा अर्जित बीटा) से अलग कर प्रतिफल पर विचार करें तो बीटा कुल प्रतिफल का 80-90 प्रतिशत तक देता है। ऐसे में कोई 2 प्रतिशत या इससे अधिक का एक्सपेंस रेशियो क्यों देना चाहेगा?' ईटीएफ के लोकप्रिय नहीं होने की दूसरी वजह यह है इसमें कोई कमीशन नहीं मिलता है जिसकी वजह से सक्रिय तौर पर इनकी बिक्री नहीं होती है। खुदरा निवशकों के लिए ब्रोकिंग अकाउंट खेालना एक लंबी प्रक्रिया होती है जिस वजह से कई निवेशक ईटीएफ से दूर रहते हैं।

साथ कुछ अच्छी बातें

पोर्टफोलियो में विविधता : ईटीएफ निवशकों को घरेलू सूचकांकों, गोल्ड, मनी मार्केट, क्षेत्र आधारित और वैश्विक सूचकांकों में निवेश का मौका देता है। आस्क वेल्थ एडवाइजर्स के प्रबंध निदेशक राजेश सलूजा कहते हैं, 'ईटीएफ निवेशकों को खास क्षेत्रों में निवेश करने वाले शेयरों में रकम लगाने का मौका देते हैं। शेयरों में निवेश तरीका प्रक्रियात्मक हो सकता है।

कर्म खर्च : ईटीएफ पर प्रशासनिक खर्च नहीं लगते हैं जिनका भुगतान म्युचुअल फंडों के मामले में करना होता है। इस वजह से कुल खर्च अनुपात काफी कम है। अल्प अवधि में म्युचुअल फंडों पर लगने वाले शुल्क जैसे एसटीटी, ब्रोकरेज आदि सभी निवेशकों को प्रभावित करते हैं। ईटीएफ के मामले में परिचालन करने पर आने वाले खर्च का वहन केवल उसी निवेशक को करना होता है। ईटीएफ में लंबी अवधि के निवेशकों पर ईटीएफ में आने या जाने वाली रकम का असर नहीं पड़ता है। सलूजा कहते हैं, 'इक्विटी ईटीएफ का औसत एक्सपेंस अनुपात करीब 0.61 प्रतिशत है। इसकी तुलना में ओपन-एंडेड इक्विटी फंडों के मामले में यह 2.24 प्रतिशत और इंडेक्स फंडों में यह 1.16 प्रतिशत है।'

कुछ नकारात्मक बातें

तरलता : चूंकि, भारत में ईटीएफ में भागीदारी अब भी कम है, इसलिए तरलता एक समस्या हो सकती है। गोयल कहते हैं, 'निवेशकों को निवेश करने से पहले तरलता का ध्यान जरूर रखना चाहिए। तरलता कम रहने की स्थिति में खरीद और बिक्री मूल्य में अंतर अधिक होने से ईटीएफ और इंडेक्स फंड आपको अधिक नुकसान हो सकता है।' सक्रिय प्रबंधन और ईटीएफ : भारत जैसे तेजी से उभरता बाजार बहुत परिपक्व नहीं है और इसमें गहराई का अभाव है। लिहाजा परिस्थ्िातयों के सही प्रबंधन से अधिक निवेश मदद करने में मदद मिलती है। भारत में ईटीएफ प्रबंधन अभी उस स्तर का नहीं है।

ट्रैकिंग एरर : किसी परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी द्वारा भारी खरीदारी और बिकवाली की स्थिति में नकदी के स्तर से कुछ ट्रैकिंग एरर, यानी फंड के प्रबंधन और अंडरलाइंग इंडेक्स में थोड़ा हेर-फेर हो सकता है।

कैसे करें सही ETF का चुनाव? निवेश से पहले रखें इन बातों का ध्यान

ईटीएफ में इन्वेस्टमेंट एक बेहतर विकल्प

इंडियन मार्केट में आम तौर पर पांच प्रकार के ETF देखने को मिलते हैं गोल्ड ETF, इंडेक्स ETF, बॉन्ड ETF, सिल्वर ETF और इंटरनेशनल ETF.

  • News18Hindi
  • Last Updated : February 15, 2022, 13:46 IST

नई दिल्ली. अगर आप लंबे समय के निवेश में बेहतर रिटर्न चाहते हैं तो ईटीएफ में इन्वेस्टमेंट एक बेहतर विकल्प हो सकता है. ETF शेयर बाजार में सूचीबद्ध होते हैं और शेयर की तरह ही इनकी खरीद बिक्री होती है. इसमें एक म्यूचुअल फंड की तरह एक्टिव पोर्टफोलियो मैनेजमेंट की जरूरत नहीं पड़ती है, इसलिए इसे एक निष्क्रिय इक्विटी इन्वेस्टमेंट माना जाता है.

मार्केट में कई प्रकार के है ETF
इंडियन मार्केट में आम तौर पर पांच प्रकार के ETF देखने को मिलते हैं गोल्ड ETF, इंडेक्स ETF, बॉन्ड ETF, सिल्वर ETF और इंटरनेशनल ETF.

निवेश का तरीका
ETF को शेयरों की तरह स्टॉक मार्केट में खरीदा और बेचा जाता है. ETF ईटीएफ और इंडेक्स फंड खरीदने के लिए आपको अपने ब्रोकर के माध्यम से डीमैट अकाउंट खोलना होता है. एक ETF की कीमत रीयल टाइम में घट या बढ़ सकती है. यह एक म्यूचुअल फंड के यूनिट की कीमत के विपरीत होता है, जिसे सिर्फ एक ट्रेडिंग सेशन के अंत में तय किया जाता है.

निवेश से पहले इन पैरामीटर्स पर परखें ईटीएफ को

>> ETF को चुनते समय या उसमें निवेश करने से पहले निवेशकों को एल4यू स्ट्रेटजी पर भरोसा रखना चाहिए लिक्विडिटी, लो एक्सपेंस रेशियो, लो इंपैक्ट कॉस्ट, लो ट्रैकिंग एरर और अंडरलाइंग सिक्योरिटीज.
>> ETF की लिक्विडिटी से निवेशकों को स्टॉक एक्सचेंज पर इसकी खरीद या बिक्री करने में आसानी रहेगी.
>> आमतौर पर ETF के एक्सपेंस रेशियो एक्टिव फंड्स की तुलना में कम होते हैं लेकिन निवेशकों को विभिन्न ईटीएफ के एक्सपेंस रेशियो की आपस में तुलना जरूर करनी चाहिए.
>> किसी भी ETF को चुनते समय लो ट्रैकिंग एरर महत्वपूर्ण फैक्टर है. इससे इंडेक्स की तुलना में मिलने वाले रिटर्न का अंतर कम करने में मदद मिलती है. आमतौर पर अंडरलाइंग सिक्योरिटीज के मुताबिक 0 2 फीसदी का ट्रैकिंग एरर आदर्श माना जाता है.
>> किसी ETF का चुनाव करते सबसे महत्वपूर्ण पैरामीटर अंडरलाइंग सिक्योरिटीज है क्योंकि रिटर्न इसी के परफॉरमेंस पर निर्भर होता है.

नॉन इक्विटी ETF जैसे गोल्ड और इंटरनैशनल ETFs में 3 साल से कम समय के लिए किए गए इन्वेस्टमेंट्स को शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट माना जाता है, जबकि 3 साल से ज्यादा समय के लिए किए गए इन्वेस्टमेंट्स को लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट माना जाता है. नॉन इक्विटी ETFs के STCG पर मामूली दर से टैक्स लगता है. नॉन इक्विटी ETF के LTCG पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ 20% टैक्स लगता है.

ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|

Nifty 50 ETF: नए निवेशकों के लिए बेहतर है 'निफ्टी 50 ईटीएफ', शेयर बाजार में पहली बार निवेश की पूरी जानकारी

अगर आप इक्विटी में नए हैं और सीधे शेयरों के साथ निवेश की शुरुआत करना चाहते हैं, तो सही शेयर में निवेश का निर्णय लेना आसान नहीं है। इससे पहले आपको कंपनी की वित्तीय स्थिति, उसकी कारोबारी संभावनाओं, मूल्यांकन, उद्योग की गतिशीलता, बाजार की स्थितियों आदि को समझने की जरूरत है। यहीं पर निफ्टी 50 ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) सामने आता है।

ईटीएफ एक विशिष्ट इंडेक्स को ट्रैक करता है। इससे एक्सचेंजों पर स्टॉक की तरह कारोबार किया जाता है, लेकिन इसे म्यूचुअल फंड हाउस द्वारा ऑफर किया जाता है। आप बाजार समय के दौरान एक्सचेंजों से ईटीएफ की यूनिट्स खरीद और बेच सकते हैं। इस संबंध में निफ्टी 50 ईटीएफ पहली बार स्टॉक निवेशकों के लिए और सामान्य रूप से अपनी इक्विटी यात्रा शुरू करने वालों के लिए एक शुरुआती प्वॉइंट में से एक है।

50 ब्लूचिप शेयरों के विविधीकरण में निवेश

निफ्टी 50 इंडेक्स में बाजार पूंजीकरण में सबसे बड़ी भारतीय कंपनियां शामिल हैं। इसलिए, निफ्टी 50 ईटीएफ निवेशक के लिए शेयरों और सेक्टर्स में उम्दा विविधीकरण प्रदान करता है।

एक विविध पोर्टफोलियो निवेशक के लिए जोखिम को कम करता है, जो कि स्टॉक में निवेश करने के मामले में नहीं होता है। ईटीएफ में निवेश करने के लिए डीमैट खाते की जरूरत पड़ती है। जिनके पास डीमैट खाता नहीं है वे निफ्टी 50 इंडेक्स फंड में निवेश कर सकते हैं।

आप चाहें तो इसमें एसआईपी के जरिये भी निवेश कर सकते हैं। ऐसा करने से आप बाजार के सभी स्तरों पर खरीदारी कर सकेंगे और इससे निवेश की लागत औसत होती जाएगी।

अगर आप निवेशक हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार की संभावना में विश्वास करते हैं तो निफ्टी 50 ईटीएफ निवेश के लिए बेहतर आइडिया है। आपके निवेश पर इसमें सबसे कम खर्च या चार्ज लगता है।

-चिंतन हरिया, प्रोडक्ट डेवलपमेंट प्रमुख, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी

ईटीएफ में निवेश की लागत बहुत कम है

निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश सस्ता पड़ता है। चूंकि ईटीएफ निफ्टी 50 इंडेक्स को निष्क्रिय रूप से ट्रैक करता है और इंडेक्स घटकों में सीमित या कोई मंथन नहीं होता है, इसलिए लागत कम होती है। खर्च का अनुपात या दूसरे शब्दों में, जो फंड चार्ज करते हैं, वह सिर्फ 2 से 5 आधार अंक (0.02-0.05%) है। इक्विटी और स्टॉक में एक नौसिखिया निवेशक के रूप में आपको कुछ कंपनियों के शेयरों की कीमतें काफी महंगी लग सकती हैं।

निफ्टी बास्केट के भीतर ऐसे स्टॉक हैं जो 15,000 रुपये से 30,000 रुपये प्रति शेयर के बीच कहीं भी ट्रेड करते हैं। नए निवेशकों के लिए, विशेष रूप से उनके करियर के शुरुआती चरण में सीमित मासिक या समय-समय पर यह राशि बहुत बड़ी और पहुंच से बाहर हो सकती है।

जोखिम की क्षमता कम होती है

निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश करके अधिक जोखिम उठाए बिना वर्षों तक बाजार की गतिशीलता को समझना शुरू कर सकते हैं। साथ ही बाजारों को चलाने वाले विभिन्न कारकों से खुद से परिचय कराते हैं। जोखिम लेने की क्षमता, लक्ष्य, समय सीमा और निवेश करने योग्य सरप्लस के आधार पर छोटे और मिडकैप शेयरों या म्यूचुअल फंड का पता लगा सकते हैं।

ऐसे निवेशकों के लिए निफ्टी 50 ईटीएफ बहुत कम राशि में भी एक्सपोजर देगा। ईटीएफ की एक यूनिट को आप कुछ सौ रुपये में खरीद सकते हैं। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ एनएसई पर 185 रुपये की कीमत पर ट्रेड करता है। आप 500-1000 रुपये तक का निवेश कर सकते हैं और एक्सचेंज से निफ्टी 50 ईटीएफ यूनिट्स खरीद सकते हैं।

आप भी Index fund में करना चाहते है निवेश? तो पहले जानिए सही इंडेक्स फंड कैसे चुनें?

Index fund: इंडेक्स की नकल करने वाले पैसिव मैनेज्ड फंड पिछले कुछ समय से निवेशकों के रडार पर हैं। वे एक आकर्षक विकल्प बन गए हैं। ऐसे में अगर आप भी इंडेक्स फंड में निवेश करना चाहते है तो पहले जानिए सही इंडेक्स फंड कैसे चुनें?

How to choose the right index fund?: इंडेक्स फंड एक ऐसा निवेश है जो मार्केट इंडेक्स को ट्रैक करता है। इंडेक्स की नकल करने वाले पैसिव मैनेज्ड फंड पिछले कुछ समय से निवेशकों के रडार पर हैं। वे एक आकर्षक विकल्प बन गए हैं, खासकर लार्ज-कैप स्पेस में, क्योंकि सक्रिय रूप से मैनेज्ड फंड बेंचमार्क पर बेहतर रिटर्न देने के लिए संघर्ष करते हैं।

हालांकि किसी के पास इंडेक्स पर नज़र रखने के लिए इंडेक्स फंड या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) में निवेश करने का विकल्प होता है, लेकिन इंडेक्स फंड के जरिए निवेश करना ज्यादा आसान रास्ता है। ETF में निवेश करने के लिए एक डीमैट और एक ट्रेडिंग खाता होना चाहिए। यह किसी भी अन्य इक्विटी शेयर की तरह स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेड करता है।

दूसरी ओर, कोई Index fund में ठीक उसी तरह निवेश कर सकता है जैसे कोई अन्य म्यूचुअल फंड में निवेश करता है। एक SIP के माध्यम से मंथली ऑटोमेटेड इन्वेस्टमेंट संभव है, और डीमैट या ट्रेडिंग खाता होना अनिवार्य नहीं है। इंडेक्स फंड चुनते समय दो महत्वपूर्ण बातों की जांच करनी चाहिए।

एक्सपेंस रेश्यो - यह जितना कम होगा आपके लिए उतना बेहतर होगा। इंडेक्स फंड के प्रबंधन में फंड मैनेजर की बड़ी भूमिका नहीं होती है और वह इंडेक्स की संरचना को दोहराता है। और यही कारण है कि निष्क्रिय रूप से प्रबंधित फंडों का आमतौर पर सक्रिय रूप से प्रबंधित फंडों की तुलना में कम व्यय अनुपात होता है। चूंकि एक ही इंडेक्स को ट्रैक करने वाले सभी इंडेक्स फंडों का पोर्टफोलियो एक जैसा होगा, इसलिए उनकी लागत एक महत्वपूर्ण अंतर बन जाती है। लागत का फंड के रिटर्न पर सीधा असर पड़ता है। एक इंडेक्स फंड एक ही इंडेक्स को ट्रैक करने वाले दूसरे की तुलना में कम एक्सपेंस रेशियो वाला ज्यादा रिटर्न दे सकता है। इसलिए सबसे कम एक्सपेंस रेशियो वाले इंडेक्स फंड की तलाश करें।

ट्रैकिंग एरर - यह भी जितना कम होगा आपके लिए बेहतर होगा। ट्रैकिंग एरर तब होती है जब फंड इंडेक्स की गतिविधियों से मेल नहीं खा सकता है। मान लीजिए, एक ओपन-एंड फंड निफ्टी को ट्रैक करता है, और यह 90 बेसिस प्वाइंट ऊपर जाता है, जबकि निफ्टी खुद 1 फीसदी ऊपर जाता है। अंतर के परिणामस्वरूप ट्रैकिंग एरर होगा। दूसरे शब्दों में यह इस बात का माप है कि फंड इंडेक्स के प्रदर्शन को कितनी कुशलता से ट्रैक या दोहरा सकता है। चूंकि इंडेक्स फंड का उद्देश्य इंडेक्स को खुद ट्रैक करना होता है, इसलिए जितना कम वेरिएंस होता है, उतना ही अच्छा होता है।

ईटीएफ चुनने पर ऊपर बताए गए बिंदुओं के अलावा दो और चेक की आवश्यकता होती है - तरलता और नेट एसेट वैल्यू (NAV) और एक्सचेंज पर ट्रेडेड प्राइस के बीच का अंतर। चूंकि स्टॉक एक्सचेंज पर ईटीएफ का कारोबार होता है, जिस कीमत पर यह उपलब्ध है, वह फंड के नेट एसेट वैल्यू (NAV) से कम (छूट पर) या अधिक (प्रीमियम पर) हो सकता है। उसी के प्रति सचेत रहना चाहिए। ETF यूनिट सीधे फंड हाउस से खरीदना तब तक संभव नहीं हो सकता जब तक कि आप बड़ी राशि निवेश करने की योजना नहीं बनाते।

दूसरा बिंदु तरलता है - स्टॉक एक्सचेंज पर कितनी बार ईटीएफ का कारोबार होता है। आपके निवेश को बेचते समय कम ट्रेडिंग मूल्य वाला ईटीएफ एक बाधा हो सकता है।

ETF क्या होते हैं | ETF के प्रकार

21 वीं सदी में स्टॉक मार्केट में बहुत से निवेश के विकल्प मौजूद हैं। ETF भी उन्हीं निवेश के विकल्पों में से एक हैं। आपने भी ETF का नाम अवश्य सुना होगा, परन्तु क्या आप जानते हैं की ETF क्या होते हैं, कैसे काम करते हैं? इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेंगे कि ETF क्या होते हैं What is ETF और ETF के प्रकार (Types of ETF’s) .

ETF क्या होता हैं – What is ETF in Hindi

etf gold, what is etf

भारत का पहला ETF फण्ड वर्ष 2001 में बेंच मार्क Mutual Fund द्वारा Nifty ETF Fund के रूप में लांच किया गया था। ETF menaing ETF यानि Exchange Traded Funds.

ETF जैसा की इसके नाम से ही पता चल रहा है, ETF एक्सचेंज पर ट्रेड होते हैं जैसे कि NSE, BSE. इसका मतलब हुआ कि Exchange पर ETF खरीदने-बेचने के लिए एक Buyer और seller होना आवश्यक है। ETF के खरीदने और बेचने का तरीका बिलकुल Shares जैसा ही होता हैं।

अधिकतर ETF फंड Passive funds होते हैं, यानी कि फंड मैनेजर द्वारा एक्टिवली मैनेज नहीं किए जाते है , निवेशकों का पैसा सीधा किसी index, sector में लगा दिया जाता हैं। इस प्रकार ETF इंडेक्स फंड की भांति होता है जिसमें Stocks चुनने नहीं होते हैं बल्कि पूरी एसेट किसी इंडेक्स या सेक्टर में लगा दी जाती हैं। जैसे फार्मा सेक्टर, निफ़्टी, बैंक निफ़्टी आदि।

  • ETF एक प्रकार से एक सिक्योरिटी होता है जिसमें stocks, securities का कलेक्शन होता है जो किसी विशेष index या सेक्टर के होते हैं।
  • ETF बिल्कुल म्यूचुअल फंड के समान ही होते हैं, हालांकि यह एक्सचेंज पर दिनभर ट्रेड करते हैं और इनका मूल्य लगातार घटता-बढ़ता रहता है।
  • किसी ETF में कई प्रकार की इन्वेस्टमेंट हो सकती है जैसे Stocks, Bonds, Commodities. Passive Funds होने के कारण इनमे बहुत कम एक्सपेंस रेशों होता है, जो इनके रिटर्न्स को ओर बढ़ा देते हैं।

ETF पर कितना Tax लगता हैं ?

ETF पर मिलने वाला Dividend वित्त वर्ष 2020-21 से निवेशक की वार्षिक आय में जुड़ जायेगा और उनकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार से टैक्सेबल होता हैं।

More than 12 months – 10%

1 लाख से ज्यादा पर LTCG

More than 36 months

ETF की लिस्टिंग

ETF को म्यूच्यूअल फंड की भांति NFO (New Fund Offer) के माध्यम से लांच किया जाता है। आप इसे IPO की तरह भी समझ सकते हैं। शुरुवाती दौर में नए ETF के लिए निवेशकों से पैसे जुटाए जाते हैं। बाद में इसकी खरीद-बिक्री एक्सचेंज के माध्यम से प्रारंभ हो जाती है। इसे आप अपने Stock Broker के माध्यम से खरीद-बेच सकते हैं।

ETF का वैल्यूएशन

Mutual Fund की वैल्यू ट्रेडिंग डे के अंत पर NAV के आधार पर निकाली जाती है परंतु ETF के मामले में ऐसा नहीं हैं। ETF का मूल्य ट्रेडिंग सेशन के दौरान एक शेयर की भांति लगातार बदलता रहता हैं।

ETF कैसे ख़रीदे

आप ETP अपने Stock Broker के माध्यम से ख़रीद सकते हैं। आप सीधा अपने ब्रोकर से सम्पर्क करके या उनके ऑनलाइन ट्रेडिंग टर्मिनल जैसे की उनका ऐप प्रयोग में लेकर भी ETF खरीद सकते हैं।

ETF के प्रकार – Types of ETF

वर्तमान में निवेशकों की जरूरतों एवं लक्ष्यों के हिसाब से बहुत सी ETF Schemes उपलब्ध है। आपको Index, Gold, Currency से सम्बंधित ETF मिल जायेंगे। आप उनमें से अपनी जरूरत के हिसाब से ETF का चुनाव कर सकते हैं।

एक ETF स्टॉक्स, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट, बांड्स, करेंसी और सिक्योरिटीज से मिलकर बना हो सकता हैं।

1. Index Fund ETF

आपने इंडेक्स फंड का नाम तो सुना ही होगा उसी का मिलता-जुलता रूप है Index Fund ETF. इंडेक्स फंड ईटीएफ एक Passively मैनेज फण्ड होता है जो किसी विशेष इंडेक्स को फॉलो करता है। जैसे NIFTY 50 भारत की सबसे बड़ी 50 कंपनियों से मिलकर बना है, अब यदि कोई NIFTY 50 का कोई ETF है तो वह ETF उन्हीं 50 शेयर्स के पूल से मिलकर बना होगा।

Index Fund ETF का मुख्य उद्देश्य किसी विशेष इंडेक्स की परफॉर्मेंस को ट्रैक करना होता है जैसे सेंसेक्स, बैंक निफ़्टी, निफ़्टी 50 . सरल भाषा में समझे तो यदि आप बैंक निफ़्टी का कोई ETF खरीद रहे हो तो इसका मतलब हुआ कि आप बैंक निफ़्टी के Stocks के पूल में निवेश कर रहे हैं।

Index Fund ETF के उदाहरण – Motilal Oswal Nasdaq 100, Nippon India ETF Bank BeES

etf full form, types of etf

2. Bond ETF

BOND ETF भी एक तरह से Bond mutual fund की तरह होते हैं। Bond ETF का पोर्टफोलियो बांड्स से मिलकर बना होता है। इसमें Fixed income securities होती है जैसे की कॉर्पोरेट बांड्स। आप अगर Bond ETF में निवेश कर रहे हैं तो आपको Bonds के interest rate पर अवश्य ध्यान रखना चाहिए। कम ब्याज दर होने पर आपको इस प्रकार के फंड्स से दूर रहना चाहिए।

एक्सचेंज पर एक स्टॉक जैसे ट्रेड होने की वजह से Bonds के ऊपर एक आम निवेशक द्वारा आसानी से निवेश किया जा सकता है।

Bond ETF के उदाहरण – LIC Nomura AMC

3. Gold ETF

Gold ETF मुख्यतः Gold Bullion में निवेश करते हैं। Gold ETF का मूल्य गोल्ड के मूल्य के अनुसार ही ऊपर-नीचे होता रहता है। Gold ETF निवेशकों को आसानी से गोल्ड में निवेश का विकल्प प्रदान करता है, जो आसानी से NSE – BSE पर खरीदा एवं बेचा जा सकता है। जब आप Gold ETF खरीदते हो इसका मतलब है कि आपने गोल्ड को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में खरीदा है।

Gold ETF के उदाहरण – Nippon Gold ETF, SBI Gold ETF

4. Sector ETF

यह ETF सेक्टर फंड की तरह होते हैं। Sector ETF किसी विशेष सेक्टर या इंडस्ट्री के स्टॉक व सिक्योरिटी से मिलकर बना होता है, जैसे ऑटो सेक्टर, फार्मा सेक्टर, बैंकिंग सेक्टर आदि। किसी विशेष सेक्टर में तेजी का फायदा उठाने के लिए Sector ETF ख़रीदे जा सकते हैं।

Sector ETF के उदाहरण – Nippon India ETF Bank BeES

5. Currency ETF

Currency ETF वह ETF होते हैं जो निवेशकों को किसी फॉरेन करेंसी या करेंसी के पुल में निवेश ऑफर करते हैं। Currency ETF अपने निवेशकों को करेंसी में निवेश का विकल्प प्रदान करती है, वह भी बिना किसी विशेष करेंसी में निवेश किये। Currency ETF को भी Passively मैनेज किया जाता है। इस प्रकार के ETF में करेंसी मूवमेंट के द्वारा मुनाफा कमाया जाता है।

6. Real State ETF

Real State ETF अपनी Assets को REIT (Real estate investment Trust) और उनसे सम्बंधित Derivatives में निवेश करते हैं। Returns के हिसाब से Real State ETF बहुत ही आकर्षक होते हैं।

दोस्तों, आपने यहां समझा की ETF क्या होते हैं (What is ETF) और Types of ETF. अगर आपको ETF से सम्बंधित कोई भी सवाल हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछ सकते हैं।

रेटिंग: 4.29
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 72
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *