रिवर्स निवेश

RBI की तरफ से ब्याज दरों में नहीं हुआ बदलाव, जानिए कहां FD कराने पर मिलेगा ज्यादा फायदा
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ब्याज दरों को लेकर ताजा घोषणा के बाद फिक्स्ड डिपॉजिट में आपको कहां पर ज्यादा ब्याज मिल रहा है, जानना जरूरी है। जहां, देश के टॉप बैंकों में एफडी की दर 5.50 फीसदी है, फाइनेंस कंपनियों में ज्यादा ब्याज मिलता है।
नई दिल्ली। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट तथा रिवर्स रेपो रेट में बदलाव नहीं किए जाने की घोषणा की, जो क्रमशः 4% और 3.35% पर पहले की तरह बरकरार रहेंगी। मौद्रिक नीति समिति (MPC) की 2 जून, 2021 से 4 जून, 2021 रिवर्स निवेश तक निर्धारित बैठक के बाद यह घोषणा की गई। RBI ने लगातार छठी बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने तथा इसे MPC के 4% के लक्ष्य के करीब रखने रिवर्स निवेश के उद्देश्य से रेपो रेट में बदलाव नहीं किया गया है। इसके अलावा, वर्तमान में बेहद कमजोर आर्थिक हालात को देखते हुए इन उपायों से बाज़ार में नकदी के प्रवाह को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
हालांकि इससे लोगों के लिए ऋण लेना काफी आसान हो गया है, लेकिन सभी फाइनेंसरो पर डिपॉजिट रेट को कम करने का भारी दबाव है। पूरी दुनिया के मौजूदा हालात ने लोगों के सामने बचत की अहमियत को उजागर किया है, जो आपात स्थिति के लिए और भी अधिक है। हाल की घोषणाओं के साथ, डिपॉजिट रेट में और ज्यादा कटौती की जा सकती है, इसी वजह से निवेशकों के लिए अपनी जमा-पूँजी को बढ़ाने हेतु मौजूदा उच्च FD दरों पर निवेश करना महत्वपूर्ण है। कुछ निवेशक बाज़ार से जुड़े साधनों में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं, लेकिन इस तरह के निवेश जोखिम के अधीन होते हैं जो बाज़ार की गतिविधियों पर निर्भर हैं।
बीते दो साल से एफडी पर ब्या्ज दरें लगभग स्थिर हैं. ऐसे में एक एफडी निवेश के तौर पर यह जानना जरूरी है किन तरीके से उन्हेंन ज्या दा रिटर्न मिल सके. एफडी में निवेश के लिए मार्केट में कई विकल्प हैं. आइए जानते हैं कहां कितना मिल रहा है ब्याज
बजाज फाइनेंस - 6.75%
एसबीआई - 5.40%
आईसीआईसीआई - 5.50%
एचडीएफसी बैंक - 5.50%
पंजाब नेशनल बैंक - 5.25%
कैसे बनाए रणनीति
अपने निवेश पोर्टफोलियो में विविधता लाने और उसे संतुलित करने के लिए, एक शानदार फाइनैंसियल प्लान का चयन करना ही सबसे बेहतर होता है, जिस पर बाज़ार की गतिविधियों का कोई असर नहीं हो। मौजूदा दौर में बजाज फाइनैंस समेत कई ऐसे ऑनलाइन FD निवेश का एक पसंदीदा विकल्प हो सकता है, जो आपकी जमा-पूँजी की उच्चतम सुरक्षा के साथ-साथ आकर्षक रिटर्न प्रदान करता है।
बजाज फाइनैस ऑनलाइन FD वरिष्ठ नागरिकों को किसी भी माध्यम से निवेश करने पर 6.75% तक के बेहद आकर्षक ब्याज़ दरों का प्रस्ताव देता है, जबकि ऑनलाइन निवेश करने वाले गैर-वरिष्ठ नागरिकों को 6.60% तक के ब्याज़ दर का प्रस्ताव मिलता है। पोस्ट ऑफिस और अन्य सभी बैंक FDs की तुलना में ये ब्याज़ दरें अपेक्षाकृत अधिक हैं। उच्चतम ब्याज़ दर से निवेशकों को मैच्योरिटी पर बेहतर रिटर्न मिलना सुनिश्चित हो जाता है, और इस तरह उनकी जमा-पूँजी में वृद्धि होती है।
इस तरह आप अलग-अलग समयावधि पर लागू आकर्षक FD दरों पर विचार कर सकते हैं। चक्रवृद्धि ब्याज़ के फायदे की वजह से लंबे समय के लिए निवेश करने पर ज्यादा रिटर्न मिलता रिवर्स निवेश है। इस तालिका से यह स्पष्ट हो जाता है कि, बजाज फाइनैंस ऑनलाइन FD में निवेश करने वाले निवेशकों को पर्याप्त रिटर्न मिल सकता है।
इसके अलावा, आप नॉन-कम्युलेटिव FD में अपनी पसंद के अनुरूप समयावधि के लिए इतनी ही राशि का निवेश करके नियमित अंतराल पर भुगतान पाने के विकल्प का भी लाभ उठा सकते हैं। निवेशक मासिक, तिमाही, छमाही, वार्षिक आधार पर, या फिर मैच्योरिटी पर भुगतान पाने का विकल्प चुन सकते हैं।
कोई भी निवेशक आपात स्थिति के दौरान अपने फिक्स्ड डिपॉजिट से समय से पहले पैसे निकाल सकता है। बजाज फाइनैंस FD पर आसानी से मिलने वाला लोन प्रदान करता है, जिससे निवेशक अपनी FD पर निवेश की गई राशि के 75% तक का लोन प्राप्त कर सकते हैं। FD पर लोन देने की प्रक्रिया में न्यूनतम कागजी कार्रवाई की जरूरत होती है, साथ ही यह प्रक्रिया बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के तुरंत पूरी की जाती है।
अब निवेशक विभिन्न प्रकार के दस्तावेजों की कॉपी जमा करने और लंबी कतारों में खड़े होने की परेशानी के बिना FD में निवेश कर सकते हैं।
रिवर्स मॉर्गेजिंग से कर सकते हैं अधिक कमाई, जानिए क्या है यह स्कीम
रिवर्स मॉर्गेज से वरिष्ठ नागरिकों को उस समय अपने अनिवार्य खर्चों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त आय कमाने में मदद मिलती है, जब उनकी आय बहुत ही कम, अनियमित तथा अनिश्चित होती है। यहां विस्तार से जानिए।
हर कोई बिना किसी पर निर्भर रह कर एक सम्मानित जीवन जीना चाहता है। यह बात खासतौर पर सेवानिवृत या वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी सही उतरती है जिनके पास आमतौर पर नियमित आय नहीं होती है लेकिन साथ ही वे वित्तीय रूप से स्वतंत्र रहना चाहते हैं। भारत में अधिकांश लोगों के पास रिटायरमेंट के बाद सोशल सिक्योरिटी नहीं होती है। वे लोग जिन्हें रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलती है, उनको तो वित्तीय सुरक्षा मिल ही जाती है, लेकिन कुछ आपातकालीन अतिरिक्त जरूरतों के लिए वह भी काफी साबित नहीं हो सकती है। साथ ही, अधिकांश माता-पिता अपने बच्चों पर बोझ बनने से बचना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है की उनके बच्चों को अपने बढ़ते हुए परिवारों की भी देखभाल करनी होती है। इन सभी बातों के कारण रिवर्स मॉर्गेज पर विचार करना उपयोगी साबित हो सकता है। रिवर्स मॉर्गेज से रिवर्स निवेश वरिष्ठ नागरिकों को उस समय अपने अनिवार्य खर्चों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त आय कमाने में मदद मिलती है, जब उनकी आय बहुत ही कम, अनियमित तथा अनिश्चित होती है। वे अपने ही घर का इस्तेमाल वहां रहने के दौरान ही इसे मॉर्गेज करके अतिरिक्त आय कमाने के लिए कर सकते हैं। लेकिन, ऐसा करने वाले व्यक्ति को इस बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए कि रिवर्स मॉर्गेज किस तरह से रिवर्स निवेश काम करता है और सूचित निर्णय लेने के लिए इसके लाभ और हानि का मूल्यांकन कर लेना चाहिए। इस लेख में, हम इस स्कीम पर गहराई से विचार करेंगे और यह पता लगाएंगे कि क्या आय वरिष्ठ नागरिकों के लिए लाभदायक है।
रिवर्स मॉर्गेज क्या होता है?
रिवर्स मॉर्गेज एक ऐसी स्कीम है जिसमें घर के मालिक, जिनकी आयु 60 वर्ष से अधिक है, वे उधारदाता संस्थान को अपनी सम्पत्ति गिरवी रख देते हैं, ताकि वे, उधारदाता और उधारकर्ता के बीच म्यूचल समझौते के अनुसार एकमुश्त या पीरियोडिक भुगतान प्राप्त कर सकें। अनेक फैक्टर्स जैसे आयु, सम्पत्ति का मूल्य, ब्याज दर और चुना गया प्लान आदि पर विचार करने के बाद, लोन राशि को तय किया जाता है। एक बार जब आप रिवर्स मॉर्गेज को चुन लेते हैं, तो उधारदाता संस्थान द्वारा गिरवी रखी गई सम्पत्ति के बदले में या तो मासिक इंस्टालमेंट्स में या फिर एकमुश्त राशि उधार दी जाएगी। उधारकर्ता को इस प्रकार के मॉर्गेज विकल्प में कोई रिपेमेंट नहीं करनी होगी। कौन यह स्कीम लेने के योग्य है?
इस फाईनेंसिंग सुविधा का लाभ उठाने के लिए, घर के मालिक की आयु 60 वर्ष से अधिक होनी चाहिए तथा उसका सेल्फ-एक्वायर्ड प्रोपटी में रहना आवश्यक है। साथ ही, मॉर्गेज की गई सम्पत्ति की रेसिड्यूल लाइफ कम से कम 20 वर्ष होनी चाहिए। योग्यता के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण फैक्टर जिस पर विचार किया जाएगा, वह यह है कि सम्पत्ति किसी भी प्रकार के एन्कम्ब्रन्स (भार) से मुक्त होनी चाहिए और उधारकर्ता का स्पष्ट मालिकाना हक होना चाहिए। किसी वरिष्ठ नागरिक कप्पल द्वारा इस स्कीम का लाभ संयुक्त उधारकर्ताओं के रूप में उठाया जा सकता है। लेकिन, ऐसे मामले में आयु संबंधी फैक्टर का निर्णय उधारदाता संस्थान द्वारा किया जाता है, लेकिन उनमें से किसी एक की आयु 60 वर्ष से अधिक जरूर होनी चाहिए।
अवधि
नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) द्वारा तैयार की गई स्कीम के अनुसार, लोन अधिकतम 15 वर्ष की अवधि के लिए दिया जा सकता है। हालांकि कुछ बैंक वेबसाइट 20 वर्ष तक की अवधि के लिए लोन देने का उल्लेख करते हैं। यदि उधारकर्ता 15 वर्ष से अधिक अवधि के लिए जीवित रहता है, तो आवधिक भुगतान नहीं किए जाएंगे और उधारकर्ता अपने घर पर कब्जा बनाए रख सकता है।
लोन की राशि
लोन-टू-वैल्यू (एलटीवी) रेशो आमतौर पर 60-80 प्रतिशत होता है और अधिकतम 1 करोड़ रुपये का लोन ऑफर किया जाता है, फिर चाहे सम्पत्ति की वैल्यू अधिक ही क्यों न हो। उधारदाता शुरुआत में लोन की मंजूरी के समय सम्पत्ति की वैल्यू को निर्धारित करता है और बाद में समय-समय पर ऐसा किया जाता है। नियमों के अनुसार, इस बात की जानकारी उधारकर्ता को पहले ही (अपफ्रंट) रूप से दी जानी चाहिए। समीक्षा के बाद, सम्पत्ति के पुन: मूल्यांकन के बाद, उधारदाता को पीरियोडिक/एक मुश्त राशि में संशोधन करने का विकल्प होता है।
प्रोसेसिंग फी
अलग-अलग उधारदाता भिन्न-भिन्न प्रोसेसिंग फी लेते हैं। आमतौर पर, यह लोन राशि की 0.5% से 1% तक होती है। इससे किसी वारिस पर क्या प्रभाव पड़ता है? आमतौर पर, बच्चे अपने माता-पिता की वसीयत के अनुसार, उनकी सम्पत्ति को वसीयत के तौर पर प्राप्त करते हैं। रिवर्स मॉर्गेज के साथ, किसी बच्चे द्वारा तब तक सम्पत्ति को वसीयत के तौर पर प्राप्त नहीं किया जा सकता है जब तक कि लोन और मॉर्गेज को क्लीयर नहीं कर दिया जाता है। लेकिन यदि कोई बच्चा कानूनी वारिस है, तो वह सम्पत्ति को रिक्लेम करने के लिए लोन चुका सकता है। दिशानिर्देशों के अनुसार वरिष्ठ नागरिक/ घर के मालिक की मृत्यु की स्थिति में, कानूनी वारिस को लोन को चुकाने का विकल्प मिलता है और वे सम्पत्ति के स्वामी बन सकते हैं या फिर वे उधारदाता को सहमति दे सकते हैं कि इस सम्पत्ति को बेच दिया जाए, अपने पूरे पैसे की वह वसूली कर सकता है और शेष राशि, यदि कोई है, टाइटल को कानूनी वारिस के लिए रिलीज कर सकता है।
तो क्या मुझे यह विकल्प चुनना चाहिए?
भारत में रिवर्स मॉर्गेज लोन पापुलर नहीं है क्योंकि सम्पत्ति की एक सेंटिमेंटल वैल्यू मानी जाती है और यह अनेक लोगों के लिए इन्हेरिटेंस के रूप में काम करती है। किसी व्यक्ति द्वारा रिवर्स मॉर्गेज का विकल्प उस समय चुना जा सकता है जब वर्तमान में आमदनी बहुत ही कम है जिससे की जरूरी खर्चे पूरे नहीं किए जा सकते हैं। इस विकल्प को चुनने से पहले, आप को उन सभी विकल्पों का पता लगाना चाहिए जिस से आप आय प्राप्त कर सकते हैं। अपनी आयु के अनुसार 10-20 वर्ष की अवधि के लिए रिवर्स मॉर्गेज तथा निवेश दोनों से मिलने वाले यील्ड की तुलना करें। आप इस बात की भी जांच कर सकते हैं कि क्या मौजूदा घर को बेचने से आपको उच्च कीमत मिलेगी जिससे आप छोटा घर खरीद सकते हैं और शेष राशि को अपने लिए मासिक आय प्राप्त करने के लिए निवेश कर सकते हैं। इससे उच्चतर मासिक आय मिलेगी और साथ ही आपकी मृत्यु पर आपके वारिस को घर भी मिल जाएगा।
अंत में, किसी वरिष्ठ नागरिक को रिवर्स मॉर्गेज के माध्यम से अदा की जाने वाली राशि को सम्पत्ति के मूल्य और अवधि के आधार पर तय किया जाएगा, और यह लोन वैल्यू के प्रति लाख की नियत राशि होगी। इसलिए, आपको आय सृजन करने के अपने सभी विकल्पों पर सावधानी से विचार करना चाहिए और यह देखना चाहिए कि क्या रिवर्स मॉर्गेज लेना सही होगा। यदि ऐसा करना सही है, तो आपको अपने चुने गए उधारदाता से पेआउट के बारे में पूरी जानकारी स्पष्ट रूप से प्राप्त करनी चाहिए और इस बात का मूल्याकंन करना चाहिए कि क्या यह खर्चों की पूरा करने के लिए पर्याप्त होगी, इससे पहले की आप उस पर हस्ताक्षर करते हैं।
इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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Cryptocurrency : क्या बिटकॉइन ब्लॉकचेन में निवेश करना सही है? कितना सेफ होता है आपका पैसा?
Bitcoin Blockchain : साल 2009 में लॉन्च हुआ बिटकॉइन दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी है जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर रन होती है. ये टेक्नोलॉजी अपनी बेजोड़ सुरक्षा के लिए जानी जाती है. इस टेक्नोलॉजी को इसी वजह से तेजी से अपनाया जा रहा है.
Bitcoin Blockchain पूरी तरह से फुलप्रूफ नहीं है, लेकिन हैकिंग आसान भी नहीं है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
क्या बिटकॉइन में निवेश (bitcoin investment) करना सुरक्षित है? लोग अक्सर इसे लेकर सवाल पूछते हैं. लोगों का ये सवाल केवल बिटकॉइन के जबरदस्त उतार-चढ़ाव को लेकर ही नहीं होता बल्कि इस डिजिटल संपत्ति की सिक्योरिटी को लेकर भी होता है. साल 2009 में लॉन्च हुआ बिटकॉइन दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी है जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (blockchain technology) पर चलती है. ये टेक्नोलॉजी अपनी बेजोड़ सुरक्षा के लिए जानी जाती है. इस टेक्नोलॉजी को इसी वजह से तेजी से अपनाया जा रहा है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है और ये कैसे काम करती है? और यह कितनी सुरक्षित है?
क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन का डेटाबेस है ब्लॉकचेन
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ब्लॉकचेन डिजिटल मनी ट्रांजैक्शन के लिए एक प्लेटफॉर्म के रूप में बिटकॉइन और इथीरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी है. यह दुनिया भर में सभी क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन का डेटाबेस है. हालांकि, इस टेक्नोलॉजी का उपयोग मेडिकल रिकॉर्ड जैसे डेटा को स्टोर करने के लिए भी किया जाता है. ये टेक्नोलॉजी एक ऐसे बहीखाते की तरह है जो डिजिटल है और हर किसी के लिए खुला हुआ है. यह ट्रांजैक्शन करने और रिकॉर्ड करने का एक सुरक्षित प्लेटफॉर्म है. क्रिप्टोकरेंसी से किए गए सभी ट्रांजैक्शन यहां रिकॉर्ड किए जाते हैं और रिवर्स निवेश ब्लॉक पर डेटा के रूप में रखे जाते हैं. यह सारी जानकारी टाइम-स्टैम्प्ड होती है.
क्या ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी सुरक्षित है?
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी ढेर सारे ब्लॉक की एक सीरीज है जो डेटा स्टोर करती है. हर ब्लॉक में एक यूनीक़ हैश नंबर और एक लिंक होता है जो इसे पिछले ब्लॉक से जोड़ता है. हर ब्लॉक सीक्वेंस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और इसे बदला नहीं जा सकता. यदि कोई परिवर्तन होता है, तो हैश सम (hash sum) बदल जाता है और ब्लॉक वैध नहीं रह जाता. यह invariability यानी न बदली जा सकने वाली क्षमता ब्लॉकचेन की सुरक्षा की एक तरह से नींव है. इसके अलावा भी सुरक्षा के इसके तीन पहलू हैं.
क्रिप्टोग्राफी
सभी ब्लॉकचेन ट्रांजैक्शन क्रिप्टोग्राफी से सुरक्षित हैं. प्रत्येक ब्लॉक में अनिवार्य रूप से एक यूनिक और प्राइवेट की (Key) होती है जिसे पब्लिक Key से सत्यापित किया जा सकता है. यदि ट्रांजैक्शन से संबंधित डेटा में कोई परिवर्तन होता है, तो ब्लॉक की यूनीक Key अमान्य हो जाती है. नतीजतन, ब्लॉक को चेन से हटा दिया जाता है.
डिसेंट्रलाइजेशन
ब्लॉकचेन तकनीक सुरक्षित है क्योंकि यह डिसेंट्रलाइज्ड है. यदि सिस्टम के एक हिस्से को हैक कर लिया जाए तो इससे दूसरे हिस्से प्रभावित नहीं होते. हालांकि, एक प्राइवेट ब्लॉकचेन के मामले में, यह एडवांटेज आंशिक रूप से खत्म हो जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि प्राइवेट ब्लॉकचेन में रिवर्स निवेश कंट्रोल का सिंगल पॉइंट होता यानी कंट्रोल करने का एक बिंदु होता है और सीमित संख्या में नोड होते हैं. इससे यूजर्स खुद लेज़र यानी बहीखाते के रिकॉर्ड में खुद कोई बदलाव नहीं कर सकते. कुछ संगठन खुद के आंतरिक इस्तेमाल के लिए ऐसे प्राइवेट ब्लॉकचेन का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि इसके जरिए कंपनी अपनी प्रक्रियाओं को नियंत्रित कर सकती है.
कंसेंसस मॉडल
सभी ब्लॉकचेन तकनीक एक कंसेंसस मॉडल (consensus model) के माध्यम से ऑपरेट होती है, जो यह वेरिफाई करती है कि ट्रांजैक्शन हुआ है और वैध है. इस तरह के ज्यादातर मॉडल प्रोटोकॉल पर चलते हैं जिसमें कार्य का प्रमाण, हिस्सेदारी का प्रमाण, अथॉरिटी का प्रमाण वगैरह शामिल होता है.
बिटकॉइन ब्लॉकचेन कितनी सुरक्षित है?
बिटकॉइन ब्लॉकचेन के मामले में क्रिप्टोग्राफिक सिस्टम ट्रांजैक्शन को अपरिवर्तनीय बनाता है. दूसरे शब्दों में कहे तो एक बार चेन पर बनाए गए ब्लॉक को मॉडिफाई नहीं किया जा सकता है. हालांकि, आप इसमें जानकारी जोड़ सकते हैं. यह लोगों को पहले से हो चुके किसी भी ट्रांजैक्शन को रिवर्स करने से रोकता है. बिटकॉइन ब्लॉकचेन सार्वजनिक है. यूजर की गुमनामी (anonymity) के बावजूद, नेटवर्क पर सभी ट्रांजैक्शन जनता के लिए एक्सेसिबल हैं, जिससे सिस्टम को हैक करना या धोखा देना मुश्किल हो जाता है.
यह डिसेंट्रलाइज्ड है. दुनिया भर में इसके हजारों नोड हैं जो सिस्टम पर होने वाले सभी ट्रांजैक्शन का ट्रैक रखते हैं. अगर एक सर्वर के साथ कुछ गलत होता है तो दूसरे सर्वर इसे सिस्टम को रन कर सकते हैं. ऐसे में एक सर्वर को हैक करने का कोई मतलब नहीं है. हालांकि, इसका मतलब यह भी नहीं है कि यह पूरी तरह से फुलप्रूफ है और इसे हैक नहीं किया जा सकता है- लेकिन हां यह कोई बहुत आसान भी नहीं है. अगर आप बिटकॉइन या दूसरी क्रिप्टोकरेंसीज़ में निवेश कर रहे हैं तो आपको हैकिंग से ज्यादा रिस्क धोखाधड़ी से या खराब निवेश करने से उठाना पड़ सकता है.
सेबी सिखाएगा शेयर खरीदने, बेचने, निवेश करने व धोखाधड़ी से बचने के गुर
इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। अगर आप शेयर बाजार, म्युचुअल फंड या रियल एस्टेट में निवेश करना चाहते हैं लेकिन इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है तो यह खबर आपके लिए है। बीते सालभर में शेयर बाजार में निवेश और क्रिप्टो करंसी को लेकर चली बहस के बीच भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) अब लोगों के बीच जाकर उन्हें निवेश की बारीकियां सिखाएगा। वित्तीय धोखाधड़ी से बचने के लिए जागरूक भी करेगा।
सेबी ने मध्य प्रदेश में निवेशकों व आम लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए 11 प्रशिक्षकों को नियुक्त किया है। सबसे ज्यादा पांच प्रशिक्षक इंदौर में बनाए गए हैं। 22 से 28 नवंबर तक सेबी विश्व निवेशक सप्ताह भी मना रहा है। आंकड़ों के अनुसार, अकेले इंदौर के निवेशक हर दिन शेयर बाजार में 200 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार कर रहे हैं। सेबी ही देश के शेयर बाजार से लेकर बैंकों और तमाम वित्तीय व निवेश संस्थानों को विनियमित करने वाला निकाय है। बीते कुछ महीनों में लगातार आए आइपीओ, सेंसेक्स की रिकार्ड तोड़ ऊंचाई लोगों को शेयर बाजार में निवेश के लिए खींच रही है। इस बीच कुछ आइपीओ का औंधे मुंह गिरना और सेंसेक्स में ताजा दौर का उतार-चढ़ाव निवेशकों को विचलित भी कर रहा है।
कोरोना प्रतिबंधों के कारण सेबी अब तक ऐसे प्रशिक्षण आयोजित करने से बच रहा था। प्रतिबंधों के हटाने के साथ ही घोषणा कर दी गई है। सेबी ने इसे स्मार्ट्स स्कीम नाम दिया है। हर प्रशिक्षक को 100-100 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का जिम्मा भी दिया गया है। सेबी के प्रशिक्षक और सीए सुमित सिंह मोंगिया के अनुसार देशभर में 157 प्रशिक्षक बनाए गए हैं। मध्य प्रदेश में पांच इंदौर में, तीन भोपाल में और एक-एक उज्जैन, देवास व रतलाम से बनाए गए हैं।
ये होगा प्रशिक्षण कार्यक्रम में
- हर प्रशिक्षक 50-50 लोगों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगा।
- करीब दो घंटे के प्रशिक्षण में 11 विषयों को समझाया जाएगा।
- शेयर बाजार में निवेश की शुरुआत से लेकर खरीदी-बिक्री के तरीके, नियम बताएंगे।
- आइपीओ, म्युचुअल फंड, रीयल एस्टेट इंवेस्ट, ट्रस्ट आदि के बारे में भी जानकारियां देंगे।
- एडवांस तकनीकों का उपयोग सिखाएंगे।
- वित्तीय निवेश के दौरान कौन सी सावधानियां रखनी चाहिए यह भी बताएंगे।
- सेबी में शिकायत कैसे करें और किसी भी धोखाधड़ी का निराकरण कैसे प्राप्त करें, यह भी बताएंगे।
आरबीआई के एलान का आपके लोन और एफडी पर क्या असर पड़ेगा?
केंद्रीय बैंक ने रिवर्स रेपो रेट को 4 फीसदी से घटाकर 3.75 फीसदी कर दिया है. वैसे तो ब्याज दरों पर इसका सीधा असर नहीं पड़ेगा. लेकिन, बैंक ग्राहकों को ज्यादा कर्ज देने के लिए अपने मार्जिन को कम कर सकते हैं.
बैंकों के पास जब दिनभर के कामकाज के बाद रकम बची रह जाती है, तो वे उस रिवर्स निवेश रकम को भारतीय रिजर्व बैंक में रख देते हैं. इस रकम पर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है. केंद्रीय बैंक इस रकम पर जिस दर से बैंकों को ब्याज देता है, उसे 'रिवर्स रेपो रेट' कहते हैं.
वहीं, रिवर्स निवेश टारगेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपेरशन यानी एलटीआरओ 2.0 के तहत आरबीआई 50,000 करोड़ रुपये की सहायता उपलब्ध कराएगा.
फिनोलॉजी के सीईओ प्रांजल कामरा कहते हैं कि रिवर्स रेपो रेट में कटौती के बाद बैंक आरबीआई के पास इस पैसे को जमा करने के बजाय कहीं और लगाएंगे. कारण है कि अब आरबीआई के पास इसे रखना बहुत आकर्षक नहीं रह गया है. इसके चलते बैंक ज्यादा कर्ज देने के लिए ब्याज दरों पर अपने मार्जिन को घटा सकते हैं.
मनी टैप के सीबीओ और सह-संस्थापक कुणाल वर्मा कहते हैं कि टीएलटीआरओ के एलान का मतलब यह है कि बैंकिंग सिस्टम में 50,000 करोड़ रुपये की नकदी और आएगी. इससे विशेष तौर पर बैंकों के जरिये छोटी और मध्यम आकार की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को दिया जाएगा. यह कदम बहुत सही समय उठाया गया है. इससे कर्ज की उपलब्धता बढ़ेगी. उम्मीद है कि यह कम और प्रतिस्पर्धी दरों पर अंतिम ग्राहकों को मिलेगा.
आय फाइनेंस के सीएफओ आशीष शर्मा ने कहा कि आरबीआई के आज के कदम (टीएलटीआरओ 2.0) से बैंकों की लिक्विडिटी बढ़ेगी. वे एनबीएफसी को ज्यादा कर्ज दे पाएंगे. बदले में एनबीएफसी उपभोक्ताओं और छोटे उद्यमों को इसका फायदा देंगे.
एफडी की दरें और घट सकती हैं
अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त लिक्विडिटी से ब्याज दरों पर दबाव बन सकता है. शर्मा कहते हैं कि जहां तक निजी निवेश का सवाल है तो फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दर 0.25 से 0.50 फीसदी तक घट सकती हैं.
वहीं, ईवाई इंडिया में चीफ पॉलिसी एडवाइजर डीके श्रीवास्तव कहते हैं कि डिपॉजिट की दरों पर रेपो रेट का ज्यादा असर पड़ता है. मौजूदा डिपॉजिट दरों पर शायद बहुत असर नहीं पडे़ क्योंकि बैंक रेपो रेट में कटौती का इंतजार कर सकते हैं.
एफडी के निवेशकों को क्या करना चाहिए?
शर्मा रिवर्स निवेश कहते हैं कि निवेश के विकल्पों के बारे में सोचने से पहले निवेशकों को अपनी जोखिम लेने की क्षमता के बारे में देख लेना चाहिए. जब ब्याज दरों में गिरावट हो तो रिटर्न की बजाय निवेशकों को अपनी पूंजी की सुरक्षा के बारे में सोचना चाहिए.
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