अमरीकी डालर के व्यापार

इसी कारण चीन चाहता है कि उसकी मुद्रा “युआन” वैश्विक विदेशी मुद्रा बाज़ार में व्यापार के लिए व्यापक तरीक़े से इस्तेमाल हो. अर्थात चीन, युआन को अमेरिकी डॉलर की वैश्विक मुद्रा के रूप में इस्तेमाल होते देखना चाहता है. ज्ञातव्य है कि चीन की मुद्रा युआन को IMF की SDR बास्केट में 1 अक्टूबर 2016 को शामिल किया गया था.
व्यापार (मुद्रा कारोबार कोष) ETF शेयरों पर CFD
एक्सचेंज कारोबार जो न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (NYSE पर) कारोबार कोष (ETFs), के शेयरों पर Cfd इस समूह शामिल हैं.
आयोग प्रति शेयर 0.02 USD के बराबर है (लेकिन कम से कम 1 अमरीकी डालर है)। आयोग जब खोलने और एक स्थिति को बंद करने का आरोप लगाया है.
ETF पर CFD के लाभांश समायोजन प्रति ETF शेयर लाभांश के बराबर है। अमरीकी डालर के व्यापार CFDs पर लंबी पदों के धारकों एक लाभांश समायोजन खाते, पर प्राप्त होता है जबकि छोटे पदों के धारकों के लिए समायोजन खाते से चार्ज किया जाता है जब एक सकारात्मक समायोजन की गणना, एक 15% कर समायोजन की राशि से कटौती की है.
अमेरिका-चीन में हुआ पहले चरण का समझौता, दुनिया के प्रमुख बाजार मजबूत
- नई दिल्ली,
- 16 जनवरी 2020,
- (अपडेटेड 16 जनवरी 2020, 10:43 AM IST)
- करीब डेढ़ साल से अमेरिका-चीन में चल रहा था ट्रेड वॉर
- अमेरिका-चीन के बीच पहले चरण का व्यापार समझौता हुआ
- खबर के आते ही दुनिया के प्रमुख शेयर बाजार मजबूत हुए
US-China ट्रेड वॉर में बड़ी राहत मिली है. अमेरिका और चीन के बीच पहले चरण का व्यापार समझौता हो गया है. इससे बुधवार को दुनिया के प्रमुख बाजारों में तेजी देखी गई. अमेरिका के व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति ट्रंप और चीन के उप-प्रधानमंत्री लिउ ही ने समझौते पर दस्तखत किए.
ट्रंप एक-दो सप्ताह में देंगे चीन के साथ व्यापार समझौते की प्रगति का ब्यौरा
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डॉलर दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा क्यों मानी जाती है?
एक समय था जब एक अमेरिकी डॉलर सिर्फ 4.16 रुपये में खरीदा जा सकता था, लेकिन इसके बाद साल दर साल रुपये का सापेक्ष डॉलर महंगा होता जा रहा है अर्थात एक डॉलर को खरीदने के लिए अधिक डॉलर खर्च करने पास रहे हैं. ज्ञातव्य है कि 1 जनवरी 2018 को एक डॉलर का मूल्य 63.88 था और 18 फरवरी, 2020 को यह 71.39 रुपये हो गया है. आइये इस लेख में जानते हैं कि डॉलर दुनिया में सबसे मजबूत मुद्रा क्यों मानी जाती है?
दुनिया का 85% व्यापार अमेरिकी डॉलर की मदद से होता है. दुनिया भर के 39% क़र्ज़ अमेरिकी डॉलर में दिए जाते हैं और कुल डॉलर की संख्या के 65% का इस्तेमाल अमरीका के बाहर होता है. इसलिए विदेशी बैंकों और देशों को अंतरराष्ट्रीय अमरीकी डालर के व्यापार व्यापार में डॉलर की ज़रूरत होती है. आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि आखिर डॉलर को विश्व में सबसे मजबूत मुद्रा के रूप में क्यों जाना जाता है?
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 80 पर… चलो देखते है कमजोर मुद्रा के कुछ फायदे और नुकसान …
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नई दिल्ली : इस सप्ताह भारतीय रुपया पहली बार अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 80 के स्तर से नीचे फिसल गया, यहां तक कि कड़े वैश्विक आपूर्ति के बीच उच्च कच्चे तेल की कीमतों ने अमेरिकी मुद्रा की मांग को बढ़ावा दिया। भले ही गिरते रुपये से पूरी अर्थव्यवस्था को फायदा न हो, लेकिन यह घरेलू उत्पादकों को अमरीकी डालर के व्यापार अपने निर्यात को बढ़ाने में सहायता करता है, जिससे व्यापार को बढ़ावा मिलता है। आर्थिक परिदृश्य को बढ़ावा देने के लिए कई देश अपनी मुद्राओं के अवमूल्यन को प्राथमिकता देते हैं। ऐसे कुछ उदाहरण हैं जब देशों ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ हासिल करने के लिए कथित तौर पर अवमूल्यन की रणनीति अपनाई।