निवेश के जोखिम

जोखिम उठाने की क्षमता के अनुसार निवेशक इक्विटी फंड या डेट (debt) फंड में निवेश कर सकता है। हाइब्रिड फंड के जरिए वह दोनों फंड का फायदा एकसाथ उठा सकते हैं। इसके अलावा निवेशक सेक्टोरल फंड, मल्टी-कैप फंड या कमोडिटी फंड में भी निवेश कर सकते हैं।
अध्याय: 6
वेबस्टर के शब्दकोष में जोखिम की परिभाषा ‘‘हानि या चोट की संभावना_ आशंकाऔर स्पष्टता’’, ‘‘निश्चितकालीन, अनिर्धारित’’ और ‘‘संदेह से परे नहीं पता’’ के रूप में है। नाइट (1921) जिन्होंने जोखिम को अनिश्चितता से अलग अर्थ देने की दिशा में कार्य किया है, ने जोखिम और अनिश्चितता के बीच निम्नानुसार अंतर स्पष्ट किया हैः ‘‘जोखिम वहाँ होता है जब भविष्य की घटनाएँ मापने योग्य संभावना के साथ घटती हैं जबकि अनिश्चितता वहाँ होती है जहाँ भविष्य में निवेश के जोखिम होने वाली घटनाओं के अनिश्चित या बेहिसाबी होने की संभावना होती है।’’
- निवेश भविष्य की गतिविधि है और भविष्य की उम्मीदें निर्णय लेने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- निवेशक उच्च रिटर्न और कम जोखिम वाली परियोजनाओं में निवेश करना पसंद करते हैं।
- कैपिटल एसेट प्राइसिंग मॉडल (Capital Asset Pricing Model) के अनुसार, निवेश पर रिटर्न व्यवस्थित जोखिम के साथ सकारात्मक रूप से संबंधित है।
- अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बढ़ने से यह व्यवस्थित जोखिम बढ़ जाता है और इस तरह निवेश को सही ठहराने के लिये आवश्यक प्रतिफल की दर बढ़ जाती है।
- नतीजतन इस आवश्यक रिटर्न की तुलना में कम रिटर्न उत्पन्न करने वाली परियोजनाएं अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बढ़ने पर अस्थिर हो जाती हैं।
- इसके अलावा जैसा कि निश्चित निवेश अपरिवर्तनीय है, अनिश्चितता जोखिम में कमी लाती है, जोखिम को संभालने के लिये प्रीमियम की मांग बढ़ जाती है और अंततः निवेश कम हो जाता है।
भारत में आर्थिक नीति की अनिश्चितता
- EPU इंडेक्स के अनुसार, वर्ष 2011 निवेश के जोखिम के अंत और वर्ष 2012 की शुरुआत में भारत में आर्थिक नीति की अनिश्चितता चरम पर थी और वर्ष 2013 के बीच टेपर टेंट्रम अवधि के दौरान बीच-बीच में घटती और बढ़ती रही है।
- बढ़ते व्यापार तनाव, ब्रेक्सिट, धीमी वैश्विक वृद्धि जैसे कारकों के कारण बढ़ती वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद भारत की आर्थिक नीति की अनिश्चितता में कमी आ रही है और यह अधिक स्थिर भी हो गई है।
- ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस का फिक्स्ड इन्वेस्टमेंट रेट(Fix Investment Rate) पर सीधा प्रभाव पड़ा, जो वर्ष 2007-08 में 37% से गिरकर अगले 10 सालों में निवेश के जोखिम 27% हो गया। किंतु हाल ही में इसमें 28% तक का सुधार देखा गया है।
- इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 (Insolvency and Bankruptcy code, 2016) के कार्यान्वयन और बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के बाद ट्विन बैलेंस शीट समस्या के निरंतर समाधान ने देश में निवेश को बढ़ावा देने में मदद की है।
मेन्स के लिये कीवर्ड
टेपर टैंट्रम: यह 2013 के सामूहिक प्रतिक्रियात्मक आतंक को संदर्भित करता है जिसने अमेरिकी ट्रेज़री पैदावार में स्पाइक को ट्रिगर किया था, निवेशकों ने सीखा कि फेडरल रिज़र्व धीरे-धीरे अपने मात्रात्मक सहजता (QI) कार्यक्रम पर ब्रेक लगा रहा था।
भारत में आर्थिक नीति अनिश्चितता पिछले एक दशक में काफी कम हुई है।
सकल घरेलू उत्पाद (सकल निवेश दर) के अनुपात के रूप में सकल स्थिर पूंजी निर्माण वर्ष 2007-08 में 37% से गिरकर वर्ष 2017 में 27% हो गया तथा हाल ही में इसमें 28% तक का सुधार हुआ।
Sarkari Yojana: अगर आप बिना किसी जोखिम के करोड़पति बनना चाहते हैं, तो इस सरकारी योजना में निवेश करें
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सरकारी योजना: सरकारी योजनाएं निवेश के लिए सबसे अच्छा विकल्प हैं। इसमें जहां आपको अच्छा रिटर्न मिलता है वहीं आपका पैसा भी पूरी तरह सुरक्षित रहता है। इनमें से अधिकतर योजनाओं में एक व्यक्ति बहुत कम राशि से निवेश शुरू कर सकता है और एक बड़ा फंड बना सकता है। आज हम आपको केंद्र सरकार की एक ऐसी योजना के बारे में बताएंगे जिसके जरिए आप 1 करोड़ रुपये का फंड बना सकते हैं। इस योजना को लोक भविष्य निधि कहा जाता है। आप इस योजना का लाभ डाकघर या सरकारी बैंक से उठा सकते हैं।
आप पीपीएफ में सिर्फ 500 रुपये से निवेश शुरू कर सकते हैं। आप अधिकतम रुपये जमा कर सकते हैं। 1.5 लाख और अधिकतम रु. 12,500 का निवेश किया जा सकता है। इसमें आपको अच्छा रिटर्न मिलता है। इसके अलावा ब्याज दरें भी अच्छी हैं। पीपीएफ की मैच्योरिटी 15 साल की होती है, लेकिन आप इसे 5-5 साल तक बढ़ा सकते हैं।
Equity Market Investment : इक्विटी में निवेश पर चाहिए ज्यादा रिटर्न? अपनाएं ये 4 टिप्स
छोटी कंपनियों के शेयर्स में ज्यादा निवेश से ज्यादा बेहतर होगा, बड़ी कंपनियों में कम निवेश करना.
Equity Investment : अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं तो हम आज आपको कुछ ऐसे जरूरी टिप्स बताने वाले हैं. इन्हें अपनाकर आप न सिर्फ अपने निवेश को सुरक्षित कर सकते हैं, बल्कि बेहतरीन रिटर्न भी हासिल कर पाएंगे. आम तौर पर भारत में ज्यादातर लोग इक्विटी में निवेश करना पसंद करते हैं. क्योंकि इसमें कम निवेश पर भी बेहतरीन रिटर्न हासिल हो सकता है. हालांकि इसमें निवेश जोखिम बना रहता है. इसलिए इक्विटी में निवेश से पहले आपको इसके बारे में सभी जानकारी तो लेनी ही चाहिए, साथ ही आपको व्यवस्थित तरीके से निवेश करना चाहिए. ताकि आपके निवेश पर जोखिम कम से कम हो.
1. कभी भी इन्वेस्टमेंट टिप्स के पीछे न भागें
हमारे देश में शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने वाले 10 में से 9 व्यक्ति ऐसे हैं जिन्होंने किसी अन्य से मिली इन्वेस्टमेंट टिप्स को आधार बनाते हुए शेयर बाजार में निवेश शुरू किया है. ऐसे में सवाल उठता है कि शेयर मार्केट का जानकार या उसमें काम करने वाला व्यक्ति आप को ऐसी जानकारी या टिप्स क्यों देगा, जिससे उसकी जगह आप का फायदा होगा? उदाहरण के तौर पर हम देखेंगे कि कभी भी कोई सेफ (खाना बनाने वाला) अपनी रेसिपी का खुलासा नहीं करता है, तो फिर कोई आपको फायदा निवेश के जोखिम कराने वाली टिप्स की जानकारी क्यों देगा?. इसलिए किसी इन्वेस्टमेंट टिप्स के पीछे भागने से बेहतर होगा कि आप निवेश से पहले स्कीम को लेकर थोड़ा रिसर्च जरूर करें, ताकि आप की मेहनत की कमाई बेकार न हो जाए.
जहां तक रिसर्च की बात है तो हर व्यक्ति को न तो रिसर्च की तकनीक का ज्ञान है और न ही उसमें इतनी समझ है कि वो खुद से इन्वेस्टमेंट से जुड़े टेक्निकल वर्ड को सही मायनों में समझ सके. हालांकि निवेश के जोखिम वो पढ़ जरूर सकता है. वैश्विक स्तर पर बात की जाए तो इन्वेस्टमेंट सेक्टर में हमेशा वॉरेन बफे और चार्ली मुंगेर की मिसाल दी जाती है, जिन्होंने निवेश से पहले अच्छी तरह से रिसर्च किया और प्लान तरीके से निवेश किया. अपनी इसी रिसर्च और प्लान निवेश के दम पर इंटरनेशनल मार्केट में दोनों ने अपनी खास पहचान बनाई है.
3. पोर्टफोलियो में लाएं डायवर्सिटी
क्या आप जाने हैं कि एक ही स्टॉक या सेक्टर में निवेश करना आप के लिए बड़ा जोखिमभरा साबित हो सकता है. इसलिए आप को निवेश करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि आप अलग-अलग सेक्टर की कंपनियों में थोड़ा-थोड़ा निवेश करें, ताकि अगर निवेश के जोखिम एक सेक्टर या एक स्टॉक में कोई दिक्कत आती है तो आप की सारी रकम एक साथ न डूब जाएये. यही वजह है कि निवेशकों को अपने निवेश पोर्टपोलियों में विविधता लाने की सलाह दी जाती है.
स्टॉक में निवेश करने वाले निवेशकों को ये पता होता है कि उसे कब शेयर खरीदना और बेचना है. आम तौर पर 20 से 30 फीसदी के लाभ पर शेयर होल्डर्स अपने शेयर को बेच देते हैं, लेकिन मंदी के दौर में निवेशकों को इसे लेकर बहुत ही सावधानी बरतने की जरूरत होती है. क्योंकि कई बार लोग सोचते हैं कि मंदी के समय में सस्ते शेयर लेकर इन्हें बाद में प्रॉफिट के साथ बेच देंगे. तो ये सोच कभी-कभी निवेशक के लिए बहुत ही नुकसानदायक साबित हो सकती है.
पोर्टफोलियो में विविधता क्यों जरूरी है? फायदे और नुकसान जानें
विविधता पोर्टफोलियो मैनेजमेंट का एक महत्वपूर्ण निवेश के जोखिम पहलू है। अलग-अलग एसेट्स में निवेश करने से निवेशकों का जोखिम कम होता है। इसके साथ ही यह बाजार के उतार-चढ़ाव से भी निवेशकों को बचाता है। यह मुनाफा बनाने की रणनीति में भी मददगार साबित हो सकता है।
सभी पैसों को एक ही बस्ते में नहीं रखना चाहिए: यह बात विविधता को बहुत अच्छी तरह बताती है। पोर्टफोलियो में विविधता या एसेट एलोकेशन से आप अलग-अलग एसेट वर्ग में निवेश करते हैं। अगर किसी एक वर्ग में गिरावट आती है, तो दूसरा एसेट आपको नुकसान से बचाता है।
अपने निवेश पोर्टफोलियो से जोखिम करना चाहते है कम? तो इन 10 तरीकों को अपनाएं
निवेश चाहे वह किसी भी प्रकार का हो, अगर वे अच्छे रिटर्न प्रदान करते हैं तो उनके साथ थोड़ा जोखिम होता है। अस्थिरता और जोखिम निवेश बाजार के जुड़े हुए है। अगर आप जोखिम से दूर रहते हैं, तो रिटर्न में काफी गिरावट आने वाली है। आपके निवेश पोर्टफोलियो को प्रभावित करने वाली बहुत सी बातों का ध्यान रखकर जोखिम में कमी की जा सकती है। यहां ऐसे 10 तरीके बताएं गए हैं जिनसे आप अपने निवेश के जोखिम को कम कर सकते हैं।
1) SIP और रुपी कॉस्ट एवरेजिंग
अगर आपने अभी तक इसके बारे में नहीं सुना है, तो अब समय आ गया है कि आप रुपी कॉस्ट एवरेजिंग और निवेश के SIP तरीके के बारे में जानें। रुपी कॉस्ट एवरेजिंग SIP मेथड के पीछे की तकनीकों में से एक है जो निवेश के जोखिम उस निवेश में शामिल समग्र जोखिम का औसत निकालती है। यह आपको नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि का निवेश करने की अनुमति देता है और प्रक्रिया अधिक होने पर कीमतें कम और कम होने पर आपको अधिक शेयर खरीदने की अनुमति देता है। इसी तरह, यह आपको कीमतों और उच्च होने पर बेचने और कम होने पर होल्ड करने की अनुमति देता है।