सीएफडी पर कमाई

एएसआई संकेतक

एएसआई संकेतक
श्री सूर्य पहाड़ में तीन स्तूप परिसर का दृश्य

भारत समाचार

विधान परिषद चुनाव के रिटर्निंग अफसर अशोक कुमार चौबे ने लखनऊ में बताया कि उच्च सदन की 13 सीटों के लिए इतने ही उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है.

मक्का ब्लास्ट केस: असीमानंद को बरी करने वाले जज ने दिया इस्तीफा

स्पेशल एनआईए कोर्ट ने आज ही 11 साल पुराने केस में फैसला सुनाते हुए सभी 5 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी किया था।

केंद्रीय मंत्री नकवी ने कहा, मोदी सरकार में SC/ST, अल्पसंख्यकों के अधिकार पूरी तरह से सुरक्षित

केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सोमवार को कहा कि मोदी सरकार में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यकों के अधिकार ‘पूरी तरह से सुरक्षित’ हैं.

पश्चिम बंगाल: पंचायत चुनावों में हिंसा के खिलाफ लेफ्ट, कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन

पश्चिम बंगाल में होने वाले पंचायत चुनावों के नामांकन के दौरान हुई कथित एएसआई संकेतक हिंसा के विरोध में कांग्रेस की प्रदेश इकाई और वाम मोर्चा ने कोलकाता में 2 अलग-अलग स्थानों पर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया.

Video: क्या भगवा आतंकवाद फर्जी एएसआई संकेतक था?

बीजेपी भाजपा ने कांग्रेस की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि कुछ वोटों के लिए कांग्रेस पार्टी ने जिस प्रकार से हिन्दू धर्म को बदनाम करने का काम किया था, उसके लिए आज सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।

मुस्लिम को-ऑपरेटिव सोसायटी ने हिंदुओं के जीवन में लाया बदलाव

मुसलमान बिरादरी में भाईचारा व सामूहिकता आम बात है मगर मुस्लिम समुदाय के संगठनों द्वारा हिंदुओं के जीवन में बदलाव लाने की मिसालें निस्संदेह बदले हुए समाज में सांप्रदायिक सद्भाव को मजूबती प्रदान करती है।

महाराष्ट्र: गढ़चिरौली में सड़क हादसे में उड़े SUV के परखच्चे, 5 छात्रों की मौत, 4 घायल

अरमोरी गढ़चिरौली मार्ग पर रविवार को हुए एक सड़क हादसे में 5 छात्रों की मौत हो गई और 4 अन्य घायल हो गए.

मेवाड़ राजघराने के लक्ष्यराज सिंह की इस मुहिम पर टूट गया वर्ल्ड रिकॉर्ड, एएसआई संकेतक दुबई को छोड़ा पीछे!

जनवरी माह में शुरू की गई इस अनूठी मुहिम में भारतीय सेना, स्थानीय लोगों, स्वयंसेवी संगठनों, विभिन्न स्कूलों के छात्रों, और अतंरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों ने बढ़-चढ़कर योगदान दिया.

एएसआई संकेतक

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Q. Consider the following statements with reference to Annual Survey of Industries ASI:1. It is a comprehensive survey covering both organised and unorganised sectors.2. It covers all the companies registered under the Companies Act.Which of the statements given above is/are correct?Q. वार्षिक सर्वेक्षण उद्योग एएसआई के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:1. यह संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों को कवर करने वाला एक व्यापक सर्वेक्षण है।2. इसमें कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत सभी कंपनियां शामिल हैं।उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है / हैं ?

Q. Consider the following statements with reference to Annual Survey of Industries (ASI):

1. It is a comprehensive survey covering both organised and unorganised sectors.
2. It covers all the companies registered under the Companies Act.

Which of the statements given above is/are correct?

Q. वार्षिक सर्वेक्षण उद्योग (एएसआई) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

1. यह संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों को कवर करने वाला एक व्यापक सर्वेक्षण है।
2. इसमें कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत सभी कंपनियां शामिल हैं।

श्री सूर्य पहाड़ (असम)

विशाल ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर स्थित, श्री सूर्य पहाड़, असम के सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक विरासत स्थलों में से एक है। असम के गोलपाड़ा शहर से लगभग 12 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित, यह स्थल एक पहाड़ी इलाके में स्थित है, जिसमें कई शैलकर्तित शिवलिंग, मन्नत स्तूप और हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों के देवी-देवताओं की नक्काशीदार आकृतियाँ हैं। 'सूर्य की पवित्र पहाड़ी' के रूप में भी प्रसिद्ध, श्री सूर्य पहाड़, यद्यपि अब खंडहर में तब्दील हो चुका है, फिर भी यह प्राचीन असम के सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास में गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

Gateway to Sri Surya Pahari

श्री सूर्य पहाड़ का प्रवेश द्वार

A young Maharaja Duleep Singh

श्री सूर्य पहाड़ में जैन परिसर का दृश्य

सूर्य पहाड़ नाम इस बात का संकेतक है कि शायद यह स्थल सूर्य देव की पूजा करने की प्रथा से जुड़ा था। सूर्य देव की एएसआई संकेतक उपासना असमिया लोगों के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन में एक प्रमुख स्थान रखती है। सूर्य पहाड़ प्राचीन असम में मौजूद दो सूर्य मंदिरों में से एक है और इसका उल्लेख ‘कालिका पुराण’ में मिलता है। इस स्थल पर की गई पुरातात्विक खुदाई में विभिन्न युगों की कलाकृतियाँ प्राप्त हुई हैं, जो ईसा की 5वीं से 12वीं शताब्दी तक की हैं। यहाँ मिली पकी मिट्टी (टेराकोटा) और पत्थर की मूर्तियाँ हिंदू, जैन और बौद्ध धर्मों के संगम को दर्शाती हैं। ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर इसकी सामरिक स्थिति के कारण, यह माना जाता है कि यह स्थल अहोम युग से पहले एक समृद्ध व्यापारिक और प्रशासनिक केंद्र के रूप में कार्य करता था। विभिन्न क्षेत्रों के यात्री और व्यापारी यहाँ एकत्रित हुआ करते थे, जिससे यह विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के मिलन का केंद्र बन गया। चीनी यात्री ह्वेन त्सांग के वृत्तांत बताते एएसआई संकेतक हैं कि प्रागज्योतिषपुर (महाभारत में वर्णित) की प्राचीन भूमि श्री सूर्य पहाड़ के वर्तमान क्षेत्र से संबंधित है।

पुरातत्वविदों ने पहाड़ियों के चारों ओर बिखरे हुए विभिन्न आकृतियों और आकारों के कई लिंगों की खोज की है। एक किंवदंती के अनुसार, ऋषि वेद व्यास ने दूसरी काशी बनाने के लिए इस स्थल पर 99,999 शिवलिंग स्थापित किए एएसआई संकेतक थे। वर्तमान काशी (वाराणसी) में 100,000 लिंग स्थापित हैं। आगे की खुदाई में पहाड़ियों के आसपास घरों के निशान मिले हैं। क्षेत्र के भौगोलिक और मौसम संबंधी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, इन घरों का ईंटों से सावधानीपूर्वक निर्माण और कलात्मक ढंग से अलंकरण किया गया था। इन खोजों द्वारा, प्राचीन असम में सूर्य पहाड़ के आसपास एक संपन्न एवं उन्नतिशील सभ्यता के अस्तित्व के बारे में प्रचलित विश्वास और सुदृढ़ हो जाता है।

View of the Jain complex at Sri Surya Pahari

श्री सूर्य पहाड़ में तीन स्तूप परिसर का दृश्य

View of the Three Stupa Complex in Sri Surya Pahari

ईंट मंदिर परिसर के अवशेष

श्री सूर्य पहाड़ की तलहटी में, हिंदू देवी-देवताओं की शैल नक्काशी देखी जा सकती है। इनमें भगवान शिव और भगवान विष्णु जैसे हिंदू देवताओं की मूर्तियों वाली पट्टियाँ (पैनल) हैं। बारह भुजाओं वाले भगवान विष्णु, जिनके सिर पर सात फनों वाला छत्र है, बहुत प्रमुख हैं। वर्तमान में दसभुज दुर्गा के रूप में पूजे जाने वाले ये ईश्वर, कमल के पुष्प पर खड़े हैं। यद्यपि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इन्हें एक पुरुष देवता के रूप में चिन्हित किया है, लेकिन अन्य विद्वान इन्हें माँ मन्शा का रूप मानते हैं। आगे दक्षिण में, ग्रेनाइट पत्थरों को काटकर बनाए गए विभिन्न आकारों के 25 मन्नत स्तूप हैं। यहाँ बौद्ध धर्म का प्रभाव सुस्पष्ट है, और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अनुसार, नक्काशी का आकार इंगित करता है कि वे बौद्ध धर्म के हीनयान चरण के दौरान बनाए गए थे। स्थल पर प्रसिद्ध जैन धर्म से संबंधित विभिन्न प्रकार की मूर्तियाँ और शिलालेख भी पाए गए हैं, जिनमें 9वीं शताब्दी ईसा पूर्व के प्रथम जैन तीर्थंकर- आदिनाथ की मूर्ती भी शामिल है। ये जैन अवशेष उत्तर-पूर्व भारत में जैन धर्म के अस्तित्व का प्रमाण देते हैं।

वर्तमान में श्री सूर्य मंदिर में रखी, सूर्य चक्र नामक एक नक्काशीदार पत्थर की पटिया, पुराने सूर्य मंदिर की छत का टूटा हुआ हिस्सा मानी जाती है। पटिया के आंतरिक घेरे के अंदर बनी केंद्रीय आकृति को प्रजापति (प्राचीन भारत के वैदिक काल के निर्माण देवता) के रूप में पहचाना जाता है। पटिया का बाहरी घेरा बारह कमल की पंखुड़ियों के रूप में है। प्रत्येक कमल की पंखुड़ी में विभिन्न सौर देवताओं की एक बैठी हुई आकृति है, जिन्हें आदित्य के नाम से जाना जाता है। सूर्य चक्र के समान ही चंद्र चक्र है, जो अब खंडहर हो चुका एएसआई संकेतक है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और असम पुरातत्व विभाग द्वारा श्री सूर्य पहाड़ में की गई खुदाई में ईसा की 5वीं से 12वीं शताब्दी तक कई कलाकृतियों पाई गईं हैं। स्थल पर एक संग्रहालय है, जिसमें खुदाई में प्राप्त अधिकांश पुरावशेषों को प्रदर्शित किया गया है, जैसे पत्थर की गजसिम्हा और महिषासुरमर्दिनी की मूर्तियाँ, एक शेर का सुसज्जित सिर, एक साँचें में ढली हुई मछली, मानव आकृतियों से युक्त फ़लक, और पौराणिक जानवर, कीर्तिमुख, फूलदार और ज्यामितीय डिज़ाइनों से सजी टाइलें, इत्यादि। श्री सूर्य पहाड़ असम के समृद्ध और विभिन्न परतों वाले सांस्कृतिक इतिहास का साक्षी है, और यह उम्मीद की जाती है कि आगे की खुदाई में कई और कलाकृतियाँ प्राप्त की जाएँगी।

ऐतिहासिक लालकिला के रखरखाव की जिम्मेदारी डालमिया ग्रुप को देने पर कांग्रेस खड़े किए सवाल

द डालमिया भारत ग्रुप ने इस उद्देश्य के लिए पांच वर्ष की अवधि में 25 करोड़ रूपये खर्च करने की प्रतिबद्धता जतायी है।

Congress raised questions on the responsibility of maintenance of the historic Lalkila Dalmiya Group | ऐतिहासिक लालकिला के रखरखाव की जिम्मेदारी डालमिया ग्रुप को देने पर कांग्रेस खड़े किए सवाल

ऐतिहासिक लालकिला के रखरखाव की जिम्मेदारी डालमिया ग्रुप को देने पर कांग्रेस खड़े किए सवाल

नई दिल्ली, 28 अप्रैल: कांग्रेस ने ऐतिहासिक लालकिला के रखरखाव की जिम्मेदारी एक निजी समूह को दिये जाने पर शनिवार को सवाल उठाया। कुछ ही दिन पहले एक उद्योग घराने ने पर्यटन मंत्रालय के साथ 'धरोहर को गोद लेने' की उसकी योजना के तहत एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था। सहमति ज्ञापन के तहत ' द डालमिया भारत' समूह धरोहर और उसके चारों ओर के आधारभूत ढांचे का रखरखाव करेगा। समूह ने इस उद्देश्य के लिए पांच वर्ष की अवधि में 25 करोड़ रूपये खर्च करने की प्रतिबद्धता जतायी है।

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एएसआई संकेतक यहां संवाददाताओं से कहा, 'वे ऐतिहासिक धरोहर को एक निजी उद्योग समूह को सौंप रहे हैं। भारत और उसके इतिहास को लेकर आपकी क्या परिकल्पना है और प्रतिबद्धता है ? हमें पता है कि आपकी कोई प्रतिबद्धता नहीं है लेकिन फिर भी हम आपसे पूछना चाहते हैं।' उन्होंने सवाल किया, 'क्या आपके पास धनराशि की कमी है। एएसआई ( भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ) के लिए निर्धारित राशि क्यों खर्च नहीं हो पाती। यदि उनके पास धनराशि की कमी है तो राशि खर्च क्यों नहीं हो पाती है ?'

इस परियोजना के लिए इंडिगो एयरलाइंस और जीएमआर समूह दौड़ में थे। मंत्रालय के अनुसार डालमिया समूह ने 17 वीं शताब्दी की इस धरोहर पर छह महीने के भीतर मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने पर सहमति जतायी है। इसमें पेयजल कियोस्क , सड़कों पर बैठने की बेंच लगाना और आगंतुकों को जानकारी देने वाले संकेतक बोर्ड लगाना शामिल है।

समूह ने इसके साथ ही स्पर्शनीय नक्शे लगाना , शौचालयों का उन्नयन , जीर्णोद्धार कार्य करने पर सहमति जतायी है। इसके साथ ही वह वहां 1000 वर्ग फुट क्षेत्र में आगंतुक सुविधा केंद्र का निर्माण करेगा। वह किले के भीतर और बाहर 3.. डी प्रोजेक्शन मानचित्रतण , बैट्री चालित वाहन और चार्ज करने वाले स्टेशन और थीम आधारित एक कैफेटेरिया भी मुहैया कराएगा। खेड़ा की टिप्पणी पर पर्यटन राज्य मंत्री के . जे . अल्फोंस ने कहा कि गत वर्ष शुरू की गई योजना के तहत मंत्रालय धरोहर स्मारकों को विकसित करने के लिए जन भागीदारी पर गौर कर रहा है।

उन्होंने कहा , 'इस परियोजना में शामिल कंपनियां केवल पैसा खर्च करेंगी , पैसा कमाएंगी नहीं। वे आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए उनके लिए शौचालय और पेयजल जैसी सुविधाएं मुहैया कराएंगी। वे यह बताने के लिए बाहर में बोर्ड लगा सकती हैं कि उन्होंने मूलभूत सुविधाएं विकसित की हैं। यदि वे राशि खर्च कर रही हैं तो उसका श्रेय लेने में कुछ गलत नहीं है।'

उन्होंने कहा , 'मैं कांग्रेस से पूछना चाहता हूं उन्होंने पिछले 70 वर्ष एएसआई संकेतक क्या किया। सभी धरोहर स्मारक और उसके आसपास स्थित सुविधाओं की स्थिति अत्यंत खराब है। कुछ स्थानों पर कोई सुविधा ही नहीं है।'इस वर्ष 31 मार्च तक की स्थिति के अनुसार संभावित स्मारक मित्रों का चयन किया गया है। इनका चयन निरीक्षण एवं दृष्टि समिति द्वारा किया गया है ताकि 95 धरोहर स्मारकों पर पर्यटकों के अनुकूल सुविधाओं का विकास किया जा सके। इन 95 स्मारकों में लाल किला , कुतुब मिनार , हम्पी ( कर्नाटक ), सूर्य मंदिर ( ओडिशा ), अजंता गुफा ( महाराष्ट्र ), चार मिनार ( तेलंगाना ) और काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान ( असम ) शामिल हैं।

मंदी मिटानी है तो छुट्टी लें और कहीं घूम आएं

लेखिका: नीरज कौशल

अगर लाखों भारतीय सिर्फ छुट्टियां मनाने देश के पर्यटक स्थलों पर जाने लग जाएं तो क्या उससे सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ लेगी? क्या अर्थव्यवस्था हमारे ज्यादा काम करने के बजाय काम से छुट्टी लेकर चार धाम की यात्रा करने से पटरी एएसआई संकेतक पर लौटेगी? आप मानें या न मानें, दोनों सवालों के जवाब हां में हैं। हम ज्यादा काम करके अपनी आमदनी बढ़ाते हैं और अपनी उस कमाई को खर्च करके भी देश की जीडीपी में योगदान करते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था में घरेलू पर्यटकों का और पर्यटन का योगदान ठीक से रेखांकित नहीं हो पाया है।

हाल के दशकों में घरेलू पर्यटकों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। साल 2000 में 22 करोड़ घरेलू पर्यटक यात्राएं दर्ज की गई थीं जो 2018 आते तक करीब नौ गुना बढ़कर 182 करोड़ हो चुकी थी। इन का एक बड़ा हिस्सा धार्मिक यात्राओं का है, लेकिन खर्च आप चाहे केदारनाथ की तीर्थयात्रा पर करें या कुफ्री में स्कीइंग पर, जुड़ेगा वह जीडीपी में ही। विदेशी पर्यटकों का आना भी बढ़ा है, पर इनका अनुपात काफी कम है। 2000 में इनकी संख्या 60 लाख थी जो 2016 में बढ़कर 2.47 करोड़ हुई। किसी देसी पर्यटक के मुकाबले एक विदेशी सैलानी काफी ज्यादा खर्च करता है, लेकिन देसी पर्यटकों की संख्या इतनी विशाल है कि इनका योगदान बहुत ज्यादा हो जाता है।

प्रसंगवश, अर्थशास्त्री और वित्त मंत्रालय में पूर्व मुख्य सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने जीडीपी के ‘गलत आकलन’ पर प्रस्तुत अपने हार्वर्ड पेपर में विदेशी सैलानियों के आने को एक कारक माना था। मेरे ख्याल से अगर उन्होंने घरेलू पर्यटकों की यात्रा को कारक माना होता तो उनका जीडीपी आकलन थोड़ा ज्यादा होता। पहले के एक आर्थिक सर्वेक्षण में सुब्रमण्यन ने आंतरिक यात्रा के आंकड़े उससे कहीं ज्यादा दर्ज किए थे जो आम तौर पर आर्थिक सर्वेक्षणों में झलकते रहे हैं। इससे जीडीपी विकास दर भी थोड़ी बढ़ी हुई लग रही थी, हालांकि मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े पारंपरिक संकेतक 7 फीसदी विकास का संकेत नहीं दे रहे थे।

घरेलू पर्यटन पर वापस लौटें तो लाल किले से स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से आह्वान किया कि वह 2022 तक देश के अंदर 15 पर्यटन स्थलों की यात्रा करें और घरेलू पर्यटन में ऊर्जा का संचार कर दें। पहल अच्छी है, लेकिन काम कठिन। पहल अच्छी इसलिए क्योंकि पर्यटन श्रम प्रधान उद्योग है। इसमें अच्छा पैसा आता है तो इसका सीधा मतलब है कि रोजगार पैदा होंगे और लोगों की आमदनी बढ़ेगी। कठिन काम इसलिए क्योंकि मोदी चाहते हैं, हम साल में पांच यात्राएं करें। 2018 की सालाना औसतन डेढ़ यात्राओं से कहीं ज्यादा। अगर 20 फीसदी भारतीयों ने भी उनकी सुन ली तो घरेलू पर्यटन दोगुना हो जाएगा।

पर्यटन के उद्देश्य से यात्रा करना एक लग्जरी है। यह हम तभी करते हैं जब इसका खर्च उठाने की हालत में होते हैं। लोग अक्सर घर बनवाने, उसकी मरम्मत करवाने, या फिर शिक्षा का खर्च जुटाने के लिए कर्ज लेते हैं। घूमने के लिए वे शायद ही कभी उधार लेते हों। घरेलू बजट में पर्यटन संबंधी खर्च निवेश नहीं, खपत में आता है। हालांकि हालिया रिसर्च लगातार दर्शा रही है कि छुट्टियां मनाना हमारी उत्पादकता और रचनात्मकता बढ़ाता है, तनाव कम करके मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बनाता है। छुट्टियों को एएसआई संकेतक लेकर नजरिया भी अलग-अलग देशों में अलग-अलग दिखता है। यूरोप इस मान्यता को काफी गंभीरता से लेता है कि छुट्टियों वाले दिन तनाव घटाते हैं और शारीरिक-मानसिक सेहत बनाते हैं। इसलिए छुट्टियां वहां अनिवार्य हैं। कई यूरोपीय देशों में तो जुलाई-अगस्त में जब लोग छुट्टियां मनाने निकलते हैं तो पूरे एक महीने तक कार्यस्थलों में ताला लग जाता है। काम के बोझ से लदे अमेरिका में यूएस ट्रैवल असोसिएशन और ऑक्सफर्ड इकनॉमिक्स-इप्सॉस की 2019 की एक स्टडी के मुताबिक इस्तेमाल न की गई छुट्टियों की लागत सालाना 151.5 अरब डॉलर पड़ती है।

भारी इजाफे के बावजूद भारतीय पर्यटन में आज भी जबर्दस्त संभावनाएं हैं। ऐसे में यह सवाल बचा रह जाता है कि आखिर भारत की समृद्ध विरासत, सांस्कृतिक विविधता, अनोखे खानपान और सभ्यता के लंबे इतिहास के बावजूद दुनिया के सैलानियों और पर्यटन राजस्व का इतना छोटा सा हिस्सा हमें क्यों मिलता है? वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (डब्लूईएफ) का ट्रैवल एंड टूरिज्म कॉम्पिटिटिव इंडेक्स-2017 इस पर कुछ रोशनी डालता है। 136 देशों के ग्रुप में टूरिज्म कॉम्पिटिटिव इंडेक्स में भारत 40वें स्थान पर, इंटरनैशनल ओपननेस में 55वें, सूचना व संवाद तकनीक की तैयारी के मामले में 112वें, टूरिस्ट सर्विस इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिहाज से 110वें, सुरक्षा की दृष्टि से 114वें, स्वास्थ्य और आरोग्य के हिसाब से 104वें और कारोबारी माहौल के लिहाज से 89वें स्थान पर है।

भारत में पर्यटन कभी उच्च प्राथमिकताओं में नहीं रहा। डब्लूईएफ यात्रा एवं पर्यटन प्राथमिकता के मामले में हमें 104वें स्थान पर रखता है। इसका सकारात्मक पहलू यह है कि पर्यटन में विस्तार की अपार संभावनाएं हैं। भारत कमखर्ची के मामले में 10वें, सांस्कृतिक संसाधनों में 9वें और यूनेस्को की वैश्विक धरोहरों की दृष्टि से 24वें स्थान पर है। मगर फिलहाल जो देश खर्चे और सांस्कृतिक-प्राकृतिक संसाधनों के मामले में भारत से काफी पीछे हैं, वे भी घरेलू और विदेशी पर्यटन में हमसे बहुत आगे हैं।

भारत में न जाने कितने ऐतिहासिक स्थलों की अभी खुदाई भी नहीं हुई एएसआई संकेतक है। और कितने ऐसे हैं जहां सब कुछ के बावजूद पहुंचना ही लगभग नामुमकिन है। वास्तविक समस्या है इनके जीर्णोद्धार की, जिसकी जिम्मेदारी आर्कियॉलजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) की बनती है। एएसआई के पास फंड नहीं है, लिहाजा ये स्मारक यूं ही नष्ट होने के लिए छोड़ दिए गए हैं। आगा खान फाउंडेशन और टाटा ट्रस्ट ने एएसआई के साथ मिलकर दिल्ली के हुमायूं मकबरा सहित कई स्मारकों के जीर्णोद्धार का शानदार काम किया है। ऐसी पहलकदमियों को काफी फैलाने की जरूरत है। (लेखिका अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में सोशल पॉलिसी की प्रफेसर हैं)

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