सीएफडी पर कमाई

अतिरिक्त कमाई

अतिरिक्त कमाई
हालांकि, रनिता पहले एक दुग्ध उत्पादन इकाई में सचिव के रूप में काम करती थीं। जबकि, उनके पति, शबु एक टायर कंपनी में फोरमैन थे। रनिता

fifa world cup 2022: फीफा का राजस्व सात अरब 50 करोड़ डॉलर के पार, मात्र चार साल में हुई बंपर कमाई

fifa world cup 2022: दोहा, 20 नवंबर (एपी) फुटबॉल की वैश्विक संचालन संस्था फीफा ने रविवार को बताया कि उसने कतर में विश्व कप 2022 तक चार साल के व्यावसायिक करार से रिकॉर्ड सात अरब 50 करोड़ डॉलर का राजस्व हासिल किया।

फीफा ने अपने 200 से अधिक सदस्य देशों के अधिकारियों के समक्ष आय का खुलासा किया। रूस में 2018 में हुए विश्व कप से जुड़े चार साल के चक्र में हुई राजस्व कमाई से यह एक अरब डॉलर अधिक है।

विश्व कप के मेजबान देश के साथ हुए व्यावसायिक अनुबंधों से यह अतिरिक्त कमाई हुई है। कतर एनर्जी शीर्ष स्तर के प्रायोजक के रूप में जुड़ा है और तीसरे टीयर के प्रायोजकों में कतर का बैंक क्यूएनबी और टेलीकॉम कंपनी ओरेडू शामिल है।

फीफा के साथ इस साल दूसरे टीयर का प्रायोजक वित्तीय कंपनी क्रिप्टो.कॉम भी जुड़ी।

अतिरिक्त कमाई

अतिरिक्त कमाई के लिए रेलवे करेगा स्टेशनों की को-ब्रांडिंग

अतिरिक्त कमाई के लिए रेलवे करेगा स्टेशनों की को-ब्रांडिंग

अतिरिक्त कमाई के लिए रेलवे करेगा स्टेशनों की को-ब्रांडिंग

नई दिल्ली, 05 मार्च (आईएएनएस)। रेल मंत्रालय ने रेलवे की अतिरिक्त कमाई के लिए कई स्टेशनों के नाम की को-ब्रांडिंग के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं। को-ब्राइंडिंग का मतलब है कि स्टेशन के नाम के साथ ब्रांड का नाम जोड़ा जाएगा।

भारतीय रेलवे के अनुसार को-ब्रांडिंग का मकसद गैर-किराए वाला रेवेन्यू बढ़ाना है। हालांकि स्टेशन के नाम के साथ ब्रांड के नाम को जोड़े जाने के बाद भी टाइमटेबल, वेबसाइट, टिकट घोषणाओं और रूट मैप में स्टेशन का ओरिजनल नाम ही रहेगा। इसके मद्देनजर आने वाले दिनों में यात्रियों को भारतीय रेलवे स्टेशनों पर कमर्शियल ब्रांडिंग देखने को मिल सकती है। मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइंस के अनुसार विज्ञापन देने वाली कंपनी की ब्रांडिंग स्टेशन परिसर में उस हर जगह पर होगी, जहां-जहां स्टेशन का नाम लिखा है। यह नाम स्टेशन के नाम से पहले भी जुड़ सकता है और बाद में भी। ऐसा डीएमआरसी (दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन) पिछले कई सालों से कर रही है जबकि टाइमटेबल, टिकट घोषणाओं और रूट मैप में स्टेशन का ओरिजनल नाम ही रहेगा।

खासबात ये है कि रेलवे हेरिटेज बिल्डिंग या स्टेशनों के नाम के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं करेगी। या ऐसे स्टेशन जिनके नाम किसी लोकप्रिय हस्ती के नाम अतिरिक्त कमाई पर रखे गए हैं, उन स्टेशनों पर को-ब्रांडिंग नहीं की जाएगी। मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइंस के अनुसार विज्ञापन देने वाली कंपनी की ब्रांडिंग स्टेशन परिसर में हर उस जगह पर होगी, जहां-जहां स्टेशन का नाम लिखा है। पूरे परिसर में स्टेशन के नाम के साथ ब्रांड का नाम जोड़ा जाएगा। हालांकि को-ब्रांडिंग के वक्त ये जरूर ध्यान रखा जाएगा कि कोई राजनीतिक, धार्मिक, एल्कोहल या तंबाकू बेचने वाली कंपनी का विज्ञापन न हो। को-ब्रांडिंग में किसी व्यक्ति के नाम का इस्तेमाल भी नहीं किया जायेगा। रेलवे मंत्रालय की से जारी पत्र में कहा गया है कि अगर कोई स्टेशन क्षेत्र व देश के महापुरूष के नाम से अंकित है तो उस स्टेशन के नाम से पहले व बाद में व्यक्ति विशेष का नाम नहीं जुड़ पाएगा।

ये ठीक उसी तरह है जैसे पिछले कई वर्षों से मोबाइल कंपनी या अन्य कंपनी का नाम आईपीएल (इंडियन प्रीमियर लीग) के साथ जोड़ा जाता रहा है। उसी तर्ज पर कंपनियां रेलवे स्टेशनों के नाम के साथ ब्रांड का नाम जोड़ दिया जाएगा। इस ब्रांडिंग के बदले रेलवे कंपनियों से अच्छा मुनाफा कमाएगा। स्टेशन को ब्रांडिंग के लिए एक बार में एक वर्ष से लेकर तीन वर्षों के लिए आवंटित किया जाएगा। इस दौरान विज्ञापन पैनल, होडिंग के रख रखाव की जिम्मेवारी संबंधित व्यक्ति की होगी।

टीचर्स के लिए अतिरिक्त कमाई करने के 4 बेहतरीन बिजनेस आइडिया

टीचर्स के लिए अतिरिक्त कमाई करने के 4 बेहतरीन बिजनेस आइडिया

टीचिंग सबसे अच्‍छी नौकरियों में से एक है. शिक्षक हर किसी के जीवन में एक महान व्‍यक्ति होता है. शिक्षक ही होते हैं जो हम सभी में ज्ञान की नींव रखते हैं. अगर आप भी टीचर हैं तो आप समाज के लिए बेहद खास हैं. टीचिंग के साथ अगर आप कुछ साइड बिजनेस करना चाहते हैं, तो यहां हम आपको कुछ अच्छे बिजनेस आइडिया बता रहे हैं. ये बिजनेस आप टीचिंग के साथ आसानी से कर सकते हैं.

ये साइड बिजनेस आप अपनी रुचि और कम्फर्ट के हिसाब से चुन सकते हैं. यहां हम आपको ऐसे 4 बिजनेस आइडिया बता रहे हैं. आप दिन में 2 से 3 घंटे निकाल कर ये बिजनेस शुरू कर सकते हैं. आप चाहें तो घर पर ही इन्हें शुरू कर सकते हैं. Business in Beauty Sector: ब्यूटी बिजनेस शुरू करने से पहले जान लें ये बातें, मिलेगी सफलता.

ट्यूशन

टीचर्स के लिए ट्यूशन से बेहतर बिजनेस आइडिया और क्या हो सकता है. आज के समय में अधिकांश टीचर्स ट्यूशन पढ़ाते हैं. आप घर पर अपने विषय की ट्यूशन क्लासेस चला सकते हैं. होम ट्यूशन से अच्‍छी-खासी कमाई हो जाती है. टीचिंग के साथ ट्यूशन देने के लिए आप आसानी से दो से चार घंटे निकाल सकते हैं.

हॉबी क्लासेस

बहुत से लोग कोई नई स्किल्स या एक्टिविटी सीखना चाहते हैं. इसलिए आप जिस चीज में माहिर हैं, उसकी क्लासेस दे सकते हैं. यह कुछ भी हो सकता है. जैसे, कुकिंग क्लासेस, म्यूजिक क्लासेस, डांस क्लासेस, इंग्लिश स्पीकिंग, लैंग्वेज क्लासेस आदि. आज के समय में बच्चों से लेकर बड़े भी हॉबी क्लासेस जॉइन करते हैं.

स्‍कूल और कॉलेजों की एग्जाम कॉपियां जांचे

टीचर्स साइड बिजनेस के तौर पर स्‍कूल और कॉलेजों की एग्जाम कॉपियां चेक कर सकते हैं. आज के समय में स्कूल, कॉलेज और कोचिंग सेंटर भी एग्जाम कॉपियां चेक करने के लिए पैसे देते हैं. इसमें प्रति कॉपी के हिसाब से रूपए मिलते हैं. आजकल कई शिक्षण संस्थानों में एग्जाम कॉपियां चेक करने के लिए अलग से शिक्षकों की आवश्‍यकता पड़ती रहती है.

योगा क्‍लास

आज कल योगा क्लास का प्रचलन बढ़ता जा रहा है. लोग फिट और सेहतमंद रहने के लिए अपने लाइफस्टाइल में योगा को शामिल कर रहे हैं. ऐसे में लोग हमेशा अपने आस-पास योगा टीचर की तलाश में रहते हैं. अगर आपको योगा का ज्ञान है, तो आप भी योगा टीचर बन सकते हैं. आप अपने घर पर ही सुबह या शाम के समय योगा सिखा सकते हैं.

पशुपालन : कम खर्च पर लाखों की कमाई, सरकार भी करेगी आर्थिक मदद

पशुपालन : कम खर्च पर लाखों की कमाई, सरकार भी करेगी आर्थिक मदद

Sheep farming : किसानों के बीच भेड़ पालन व्यवसाय लोकप्रिय होता जा रहा है, जानें कैसे करें भेड़ पालन

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती-बाड़ी के साथ ही पशुपालन भी अतिरिक्त आय का एक अच्छा स्त्रोत है। पशुपालन में ग्रामीण इलाकों के लोग गाय, भैंस, भेड़-बकरी, सुअर और मुर्गी आदि का पालन कर बिजनेस करते है। और इनकम करते है। देश की राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र की राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत योजनाएं बनाकर किसानो एवं पशुपालकों को मदद भी देती है। जिनमें किसानों को सब्सिडी और जरूरत पड़ने पर सस्ती दरों पर कर्ज भी देती है। पिछलें कुछ दशकों से केंद्र और राज्य सरकारों का इन प्रयासों का सकारात्मक असर भी दिखाई दे रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग पशुपालन से कम खर्च पर लाखों की कमाई करते नजर आ रहे है। इसमें भेड़ पालन भी शामिल है। पिछले कुछ वर्षो में देश के कई राज्यों में भेड़ पालन का कार्य बड़े पैमानें पर किया जा रहा है। भेड़ पालन व्यवसाय में काफी वृद्धि देखनें को मिली है, क्योंकि भेड़ पालन में अन्य पशुओं की अपेक्षा लागत कम लगती है और लाभ अधिक होता है। इसे छोटे और सीमांत किसान आसानी से कर सकते हैं। भेड़ के पालन और देखभाल में अधिक खर्च की आवश्यकता नही होती है। और यह जंगली घास या खरपवार ही खाकर अपना विकास करती है। जिस कारण देशभार में ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोग भेड़ पालन कर लखपति बन रहे। यदि आप भी पशुपालन में भेड़ पालन का व्यवसाय करना चाहते है, तो ट्रैक्टरगुरु के इस लेख से हम आपकों भेड़ पालन संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे। इस जानकारी से आपको भेड़ पालन करने में आसानी होगी।

भेड़ पालन व्यवसाय कैसे शुरू करें?

ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले छोटे किसानों की अर्थव्यवस्था का मुख्य जरिया पशुपालन को माना गया है। पशुपालन बिजनेस में किसान कम लागत एवं घर के छोटे से हिस्से से शुरू होने वाले पशुओं का बिजनेस करते हैं, जिनमें बकरी और भेड़ का पालन करते है। ये बिजनेस किसानों को ग्रामीण स्तर पर अच्छा रोजगार देता है। भेड़ एक शाकाहरी पशु है, जो जंगली घास-फूस तथा हरी पत्तियों को खाकर अपना विकास करती है। सामान्य तौर पर कहां जाए तो इसके आहार के लिए किसी खास तरह की व्यवस्था नहीं करनी पड़ती। ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर पशुपालक किसान भेड़ों का पालन दूध उत्पादन, ऊन एवं इसके मांस के लिए करते हैं। भेड़ से प्राप्त ऊन और चमड़े से कई प्रकार के उत्पादन बनाए जाते है। इसके अलावा इसका मांस काफी पोष्टिक होता है और इसमें कई प्रकार के विटामिन पाए जाते हैं। जिससे इसके ऊन, मांस और दूध की मांग अधिक होती है अतिरिक्त कमाई और यह बाजार में काफी अच्छी कीमत पर बिकता है। अन्य छोटे पशुओं की अपेक्षा इसका पालन काफी सरल है, क्योंकि भेड़ें आकार में छोटी होती हैं और इनका पालन कम स्थान में बड़ी सरलता से किया जा सकता है। इतना ही नहीं भेड़ में मौसम के अनुरूप स्वयं को ढ़ालने की क्षमता होती भी होती है। इन्हें हर तरह की जलवायु में पाला जा सकता है। देश में इस वक्त मालपुरा, जैसलमेरी, मंडियां, मारवाड़ी, बीकानेरी, मैरिनो, कोरिडायल रामबुतु ,छोटा नागपुरी शहाबाबाद प्रजाति के भेड़ों का चलन ज्यादा है।

भेड़ पालन लोन पर सब्सिडी भी देती है केंद्र सरकार

ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन को बढ़ावा देने के साथ ही रोजगार के नये अवसर बनाने के लिए राष्ट्रीय पशुपालन और डेयरी विभाग ने वर्ष 2014-15 में राष्ट्रीय पशुधन मिशन शुरू किया था। इस मिशन के तहत भोजन एवं चारे के विकास सहित ग्रामीण इलाकों में मुर्गी, भेड़, बकरी और सुअर पालन के क्षेत्र में उद्यमिता विकास एवं नस्ल सुधार और पशु उत्पादकता में वृद्धि के माध्यम से रोजगार पैदा करने के प्रयास किए जा रहे है। इस मिशन के तहत किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए बकरी पालन एवं भेड़ पालन योजना चलाई जा रही हैं। केंद्र की यह योजना अब लगभग देश के सभी राज्यों में संचालित है, जिनमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, ओडिशा, झारखंड, आसाम और अन्य कई राज्यों में भी शामिल है। इसके अलावा कई राज्य सरकारों ने प्रशिक्षण केंद्र भी बनाए हैं और जिस से लोग यह समझते हैं कि भेड़ पालन कैसे करें और इस से मुनाफा कैसे कमाए। केंद्र सरकार इस मिशन के तहत किसानों को भेड़ पालन के लिए लोन वं इस लोन 50 प्रतिशत तक सब्सिडी भी प्रदान करती है। केंद्र सरकार की इस योजना के तहत सब्सिडी पर लोन प्राप्त कर आप भेड़ पालन के लिए शेड तैयार कर पालन शुरू कर सकते है और अन्य कई कार्य भी कर सकते है।

भेड़ पालन (Sheep farming) के फायदे

पशु विशेषज्ञों की मानें तो भेड़ के दूध, अतिरिक्त कमाई मांस में अधिक मात्र में औषधी गुण और प्रोटीन पाये जाते है। जिस वजह से इसके दूध और मांस की बजार में काफी मॉग रहती है। इसके दूध और मांस से काफी बढि़या मुनाफा हासिल किया जा सकता है।

दूध देने वाली भेड़ को बेचकर एवं भेड़ को माँस के रूप में बेचकर

भेड़ के ऊन व खाल से भी आय प्राप्त की जाती है।

भेड़ की मींगणियों अतिरिक्त कमाई को खाद के रूप में बेचकर। इसके मींगणियों का उपयोग खेतों की उत्पादता को बढ़ाया जा सकता है।

भेड़ पालन को सूखा प्रभावित क्षेत्र में खेती के साथ साथ आसानी से कर सकते है।

भेड़ की खरीदने और बेचने में कोई कठिनाई नहीं आती है। इसके लिए बाजार स्थानीय क्षेत्र में ही मौजूद है।

अधिकतर व्यवसायी गांव - गांव में आकर इन की खरीद करके ले जाते हैं।

भेड़ के शरीर से प्राप्त ऊन से कई प्रकार के गर्म वस्त्र बनाए जाते है। ऐसे में एक भेड़ का उपयोग किसान कई तरह के व्यवसायों का उपयोग बढि़या मुनाफा कमाने के लिए कर सकते हैं।

लाख रुपये के खर्च में शुरू कर सकते है भेड़ पालन

नेशनल लाइवस्टॉव मिशन के अंर्तगत चलाई जा रही भेड़, बकरी पालन योजना के तहत आप अपने घर के पास ही खुद का व्यवसाय शुरू कर सकते है। इस व्यवसाय के लिए किसी भी प्रकार की आयु सीमा या फिर शैक्षणिक योग्यता की कोई आवश्यकता नहीं होती है। भेड़ पालन करने के लिए किसी भी व्यक्ति से लोन नहीं लेना पड़ता आप योजना के तहत आवेदन करके सब्सिडी पर अधिकतम 1 लाख रुपए राशि तक का लोन प्राप्त कर कम पूंजी लगाकर 10 से 12 भेड़ों और 1 नर भेड़ से पालन शुरू कर सकते है। और आने वाले समय में आपके पास डबल भेड हो जाएंगी। जिनसे आपको अधिक मुनाफा हासिल हो सकता है। पशु विशेषज्ञों के अनुसार किसान लाख रुपए की लागत से इसे शुरू कर सकते है। भेड़ की कीमत उसकी नस्ल पर निर्भर करती है। भेड़ की अच्छी नस्ल की कीमत तीन हजार रूपए से लेकर आठ हजार रुपए के बीच हो सकती है। 20 भेड़ो के लिए 500 स्क्वैयर फीट का शेड पर्याप्त माना जाता है। लेकिन यह शेड खुला और हवादार होना चाहिए। आप यह शेड़ 25 से 40 हजार रुपये में तैयार कर सकते हैं।

भेड़ पालन (Sheep farming) में ध्यान रखे योग्य बातें

पशु एक्सपर्ट्स के अनुसार, भेड़ पालन के लिए अधिकतम 10 वर्ग फिट की आवश्यकता होती है। भेड़ पालन में सभी भेड़ों को एक साथ रखा जा सकता हैं, क्योंकि इन जीवों में आपस में लड़ने की प्रवृति नही पाई जाती है। लेकिन नर भेड़ को मादा भेड़ से अलग रखा जाता है। क्योंकि नर भेड़ हिंसक प्रवत्ति के होते हैं। पशु एक्सपर्ट्स के अनुसार, 30 मादा भेड़ो पर 1 नर पशु पर्याप्त होता है। गर्भित भेड़ो को हमेशा अन्य भेड़ो से अलग रखा जाता है। भेड़ो के समुचित विकास के लिए उन्हें सामान्य रूप से खुले स्थान पर चराए, क्योंकि इनका मुख्य भोजन जंगली हरी घास और पेड़ो की पत्तियां है। भेड़ों को चराहों में सुबह और शाम के वक्त ही चराना चाहिए।
पशु एक्सपर्ट्स के अनुसार 1 भेड़ एक वर्ष में दो बार बच्चों को जन्म देती हैं, यदि आप 15 भेड़ों के साथ पालन शुरू करते है, तो आपके पास लगभग 50-60 भेड़ हो जाएगी। बाजार में एक भेड़ की कीमत तीन से आठ हजार रुपए के आस-पास हो सकती हैं। इस हिसाब से 50 भेड़ों की कुल कीमत लगभग 4 लाख रुपए होती हैं। सभी खर्च निकालने के पश्चात किसान भाई 1 लाख रुपए सालाना की आय बड़ी आसानी हासिल कर सकते है।

ट्रैक्टरगुरु आपको अपडेट रखने के लिए हर माह करतार ट्रैक्टर इंडो फार्म ट्रैक्टर कंपनियों सहित अन्य ट्रैक्टर कंपनियों की मासिक सेल्स रिपोर्ट प्रकाशित करता है। ट्रैक्टर्स सेल्स रिपोर्ट में ट्रैक्टर की थोक व खुदरा बिक्री की राज्यवार, जिलेवार, एचपी के अनुसार जानकारी दी जाती है। साथ ही ट्रैक्टरगुरु आपको सेल्स रिपोर्ट की मासिक सदस्यता भी प्रदान करता है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।

अतिरिक्त कमाई के लिए अतिरिक्त कमाई शुरू किया था इडली बनाने का काम, आज है अपनी फूड कंपनी

Kerala Woman

केरल की फूड एंटरप्रेन्योर रनिता शाबू ने अपने बिजनेस की शुरुआत 2005 में की थी। इसके तहत वह इडली से लेकर, इडियप्पम, वट्टायप्पम, चक्कायदा, चक्का वट्टायप्पम, नय्यप्पम, उन्नीअप्पम, कोज्हुकत्ती और पलाप्पम जैसे दक्षिण भारतीय व्यंजनों को सर्व करती हैं।

केरल के कोच्चि की रहने वाली रनिता शाबू के बचपन से ही खाना बनाने का काफी शौक रहा है। उनके बनाए कोज्हुकत्ती और पलाप्पम आपके मुँह में पानी ला देंगे।

लेकिन, एक फूड एंटरप्रेन्योर होना रनिता के लिए महज एक इत्तेफाक था।

वह कहती हैं, “अपने बेटे, गोकुल के जन्म के बाद मैंने कई व्यंजनों के साथ प्रयोग करना शुरू कर दिया, क्योंकि वह मेज पर अलग-अलग तरह के खानों को देख कर काफी खुश होता है। इसी कड़ी में, मैंने कई नए व्यंजनों को बनाना सीखा।”

Kerala Woman

हालांकि, रनिता पहले एक दुग्ध उत्पादन इकाई में सचिव के रूप में काम करती थीं। जबकि, उनके पति, शबु एक टायर कंपनी में फोरमैन थे। रनिता

परिवार को संभालने के साथ अपने बिजनेस को भी शुरू करने का मिला मौका

यह साल 2005 था, जब रनिता को पहली बार में 100 इडली बनाने का ऑर्डर मिला।

इसे लेकर वह कहती हैं, “हम रेसमी आर्ट्स और स्पोर्ट्स क्लब के पास रहते हैं। एक दिन, क्लब के छात्र किसी टूर पर जा रहे थे और उन्हें नाश्ते के लिए इडली की जरूरत थी। इसलिए मैंने उनके लिए सौ इडली, सांबर और नारियल की चटनी बनाए। जब वे वापस आए, तो उन्होंने मेरे खाने की काफी तारीफ की। इससे मुझे एहसास हुआ कि मैं घर का बना खाना बेचकर, कुछ अतिरिक्त कमाई कर सकती हूँ।”

Kerala Woman

शाबू से इस विषय में बात करने के बाद, उन्होंने उसी वर्ष अपने वेंचर – गोकुलसन फूड एंड प्रोसेसिंग यूनिट की शुरुआत की। इस बिजनेस को दोनों ने मिलकर चलाना शुरू किया। उनके पति भोजन वितरण की जिम्मेदारी संभालते थे, तो रनिता खाना बनाती थीं।

कुछ ही दिनों में उन्हें कई स्थानीय होटलों से ऑर्डर मिलने लगे। इस तरह, रनिता को पहले महीने में करीब 1 हजार इडली के ऑर्डर मिले।

धीरे-धीरे, उनके पास ऑर्डर बढ़ने लगे और आगे चलकर वे सिर्फ इडली ही नहीं, इडियप्पम, वट्टायप्पम, चक्कायदा, चक्का वट्टायप्पम, नय्यप्पम, उन्नीअप्पम, कोज्हुकत्ती और पलाप्पम को भी बेचने लगे।

रनिता को अपने इस काम में अपने बेटे, गोकुल की भी पूरी मदद मिलती है।

24 वर्षीय गोकुल कहते हैं, “मैं खाने को पैक करता हूँ और कॉलेज जाने के दौरान, इसे कई दुकानों, कॉलेज के कैंटीन और अपने दोस्तों को वितरित कर देता हूँ। इससे न सिर्फ माता-पिता की मदद हो जाती है, बल्कि मैं अपने एमबीए की फीस भी भर पाता हूँ।”

निरंतर बढ़ते ऑर्डर के कारण, रनिता और शबू ने अपनी नौकरी छोड़ दी, ताकि वे अपने बिजनेस को ठीक से चला पाएं।

Kerala Woman

खुद से बनाया मशीन

शुरुआती दिनों में बढ़ती माँग के कारण, एक स्टोव पर खाना तैयार करना उनके लिए काफी मुश्किल हो गया था। इसके बाद, इस जोड़ी ने कम समय में अधिक खाना तैयार करने वाले कई मशीनों के बारे में पता किया, लेकिन सब बेकार था।

इसके बाद, शबू ने साल 2006 में, एक ऐसे मशीन को बनाया, जिससे एक घंटे में 450 पलाप्पम बन सकती थी और इसके लिए केवल एक व्यक्ति की जरूरत थी। इस डिजाइन को तैयार करने में, उन्हें स्थानीय मेटल कंपनी के एक इंजीनियर की भरपूर मदद मिली।

इसके अलावा, उन्होंने एक ऐसा कूकर बनाया, जिससे जिससे एक घंटे में इडियप्पम, वट्टायप्पम, चक्का वट्टायप्पम जैसे 750 व्यंजनों को बनाया जा सकता है।

उन्हें मशीनों को बनाने में करीब 30 लाख रुपए खर्च हुए। इसके लिए उन्होंने बैंक से कर्ज लेना पड़ा। इसके अलावा, उन्हें प्रधानमंत्री योजना, त्रिशूर जिला उद्योग केंद्र के जरिए महिला उद्योग कार्यक्रम और उद्यमी सहायता योजना से भी आर्थिक मदद मिली।

कोरोना महामारी से हुआ भारी नुकसान

गोकुल कहते हैं, “कोरोना महामारी से पहले हमें हर महीने 1 लाख रुपए की कमाई हो जाती थी। लेकिन, अब 60 हजार ही होते हैं। हमें उम्मीद है कि यह स्थिति जल्द ही बदल जाएगी और हम और अधिक लाभ कमा पाएंगे।”

अंत में रनिता कहती हैं कि उन्होंने इस बिजनेस को बेहतर ढंग से चलाने के लिए 7 महिलाओं को रोजगार दिया है। वे तीन शिफ्ट में काम करती हैं।

वह कहती हैं कि ये महिलाएं उनकी गृहिणी हैं और उन्हें जिस काम को करने का अनुभव है, उससे कमाई कर वे काफी खुश हैं। उनका इरादा अपने बिजनेस के दायरे को बढ़ा कर, अधिक से अधिक महिलाओं को रोजगार देने का है।

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें [email protected] पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

Kerala Woman, Kerala Woman, Kerala Woman, Kerala Woman

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons.

रेटिंग: 4.11
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 447
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *