अस्थिर ब्याज क्या है

ICICI Bank Hikes FD Rates: एफडी पर मिलेगा ज्यादा रिटर्न, ICICI Bank ने फिर की फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी
FD Rate Hike: बैंक के मुताबिक मौजूदा अस्थिरता और चढ़ाव के माहौल में आईसीआईसीआई बैंक का एफडी बेहद सुरक्षित साबित हो सकता है.
By: ABP Live | Updated at : 26 Aug 2022 06:53 PM (IST)
ICICI Bank Hikes FD Rates: फिक्स्ड डिपॉजिट में गाढ़ी कमाई रखना आकर्षक होता जा रहा है. देश की दिग्गज निजी आईसीआईसीआई बैंक ने फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला किया है. 7 दिनों से लेकर 10 वर्ष के डिपॉजिट पर बैंक अब 3.50 फीसदी से लेकर 5.90 फीसदी ब्याज देगा. आईसीआईसीआई बैंक की एफडी में बढ़ोतरी का फैसला 26 अगस्त, 2022 से लागू हो गया है.
कितनी बढ़ी ब्याज दरें
आईसीआईसीआई बैंक ने 2 करोड़ से लेकर 5 करोड़ रुपये के फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला किया है. 7 दिनों से लेकर 29 दिनों तक के एफडी पर 3.50 फीसदी ब्याज मिलेगा. 30 से लेकर 45 दिनों तक के एफडी पर 3.60 फीसदी, 46 से लेकर 60 दिनों तक के एफडी पर 4 फीसदी, 61 से 90 दिनों के एफडी पर 4.75 फीसदी ब्याज मिलेगा. 91 से 184 दिनों के एफडी पर 5.25 फीसदी , 185 से 270 दिनों तक के एफडी पर 5.40 फीसदी ब्याज मिलेगा. 271 दिनों से लेकर 1 साल के तक के एफडी पर 5.60 फीसदी 1 से 5 साल तक के एफडी पर 6.05 फीसदी और 5 साल 1 दिन से लेकर 10 साल तक के एफडी पर 5.90 फीसदी ब्याज मिलेगा.
आईसीआईसीआई बैंक के वेबसाइट पर दी जानकारी के मुताबिक आप एफडी में डिजिटल तरीके के साथ ब्रांच में जाकर भी एफडी खुलवा सकते हैं. बैंक के मुताबिक मौजूदा अस्थिरता और चढ़ाव के माहौल में आईसीआईसीआई बैंक का एफडी बेहद सुरक्षित साबित हो सकता है. बैंक ने अपने वेबसाइट में कहा है कि आईसीआईसीआई बैंक के एफडी को AAA रेटिंग मिला हुआ है.
19 अगस्त 2022 को आईसीआईसीआई बैंक ने 2 करोड़ रुपये से कम एफडी पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी की थी. जिसमें 3 साल 1 दिन से लेकर 5 साल के एफडी पर 6.10 फीसदी ब्याज मिल रहा है, जिसमें सीनियर सिटीजन को 0.50 फीसदी ज्यादा ब्याज मिल रहा है.
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Published at : 26 Aug 2022 06:52 PM (IST) Tags: ICICI Bank FD Rate Hike ICICI Bank Fixed Deposit Rates FD Rate ICICI Bank Hikes FD Rates हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
नई ब्याज दरें: अगर आपका लोन 30 लाख रुपये है तो जानिए अब कितनी होगी EMI
2018 अगस्त से नीतिगत दर में पहली बढ़ोतरी हुई है। रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.40 फीसदी का इजाफा किया और यह अब 4.4 प्रतिशत हो गई। आरबीआई के इस कदम के बाद तमाम तरह के कर्ज पर ईएमआई बढ़ जाएगी।
रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनियाभर समेत भारत में बढ़ रही कमोडिटी की कीमतों को देखते हुए रिजर्व बैंक ने बड़ा फैसला लिया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को ब्याज दरों में करीब पौने चार साल बाद इजाफा कर दिया है। रिजर्व बैंक गवर्नर ने बताया कि रेपो रेट में तत्काल प्रभाव से 0.4 फीसदी की बढ़त की गई है वहीं कैश रिजर्व रेश्यो यानी सीआरआर में आधा फीसदी की बढ़त कर दी गई है। यह बढ़त 21 मई से प्रभावी होगी।
कर्ज पर ईएमआई बढ़ जाएगी
जानकारों की राय में आरबीआई के इस कदम के बाद तमाम तरह के कर्ज पर ईएमआई बढ़ जाएगी। रिजर्व बैंक ने यह कदम मुख्य तौर पर बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने के लिए उठाया है। खुदरा महंगाी दर पिछले तीन महीने से लगातार छह फीसदी के ऊपर बनी हुई थी जो आबीआई के लक्षित सीमा के ऊपर थी।
आरबीआई के जिम्मे महंगाई दर को चार फीसदी के आप-पास, जिसमें दो फीसदी की कमी या इजाफा हो सकता, बनाए रखने की जिम्मेदारी दी गई है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक रुख अब भी नरम है और महामारी के दौरान किए गए उपायों को सोच-विचार कर वापस लिया जाएगा। उनके मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था बाहरी झटकों का सामना करने में पहले से बेहतर स्थिति में है।
अचानक क्यों उठाना पड़ा यह कदम
महंगाई को तय सीमा से आगे जाते देख आरबीआई को यह कदम उठाना पड़ा है। इस बैठक में महंगाई की स्थिति पर चर्चा की गई साथ ही महंगाई को लक्ष्य के दायरे के भीतर रखने के लिए उदार रुख को धीरे-धीरे वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला लिया गया। साथ ही रूस-यू्क्रेन के बीच चल रहे युद्ध की वजह से पैदा हुआ वैश्विक स्तर पर कमोडिटी की कीमतों में आ रही अस्थिरता की वजह से देश में भी असर दिखना शुरू हो गया है।
सबकी ईएमआई बढ़ जाएगी
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने यह फैसला बिना किसी तय कार्यक्रम के दो और चार मई को आयोजित बैठक में लिए हैं। इस फैसले से अगस्त अस्थिर ब्याज क्या है 2018 के बाद पहली बार नीतिगत दरों में बढ़ोतरी देखने को मिली है। इस फैसले के बाद न सिर्फ कॉरपोरेट बल्कि आम लोगों के लिए उधार की लागत बढ़ेगी। इससे आवास, कार, और व्यक्तिगत कर्ज समेत सभी तरह के कर्ज की ईएमआई बढ़ जाएगी।
इतनी बढ़ जाएगी ईएमआई
लोन की अस्थिर ब्याज क्या है राशि 30 लाख रुपये
अवधि 20 वर्ष
मौजूदा ब्याज दर 6.8 प्रतिशत
मौजूदा मासिक किस्त 22,900 रुपये
नई ब्याज दर 7.2 प्रतिशत
नई मासिक किस्त 23,620 रुपये
किस्त में वृद्धि 720 रुपये
(एसबीआई के टर्म लोन के आधार पर गणना)
कई बैंक पहले ही बढ़ा चुके हैं दरें
आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ाने के पहले ही आवास ऋण देने वाली एचडीएफसी समेत कई बैंक ब्याज दरों में पहले ही इजाफा कर चुके थे। बैंकों द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि को आने वाले समय में आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा में दरें बढ़ाने के संकेत के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन केन्द्रीय बैंक ने समय से पहले ही रेपो रेट बढ़ाकर आम और खास सबको चौंका दिया।
- रेपो दर बढ़ने से वाहन, रियल एस्टेट, कंज्यूमर गुड्स (टीवी, वाशिंग मशीन, एसी, फ्रिज और घरेलू उपकरण) की कीमतों पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
- कंपनियां लागत बढ़ने की वजह से कीमत बढ़ाएंगी जिसका बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। वहीं, खरीदारी करने के लिए महंगा कर्ज चुकाना होगा।
- बैंकों को सीआरआर में 0.5 वृद्धि की भरपाई करने के लिए बाजार पूंजी लेनी होगी जिससे एफडी पर ब्याज में वृद्धि संभव
क्यों उठाना पड़ा कदम
1. यूक्रेन युद्ध व रूस पर प्रतिबंधों की वजह से कच्चे तेल के दाम बढ़ रहे,इसका भारत पर असर
2. अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं और खाने-पीने की वस्तुओं की कमी से कीमतों में इजाफा संभव
3. इंडोनेशिया द्वारा पाम ऑयल के निर्यात पर पाबंदी की वजह से खाद्य तेलों के दाम अगले कुछ महीनों में बढ़ने की संभावना
4. बीते महीने खाने-पीने की चीजों के 12 उपसमूहों में से नौ में महंगाई बढ़ी,बैंक के मुताबिक खुदरा महंगाई में बढ़त संभव
अस्थिर ब्याज क्या है
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अस्थिर ब्याज क्या है
धराशाई होते वित्तीय बाज़ार और गड़बड़ाती अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए अमरीका के केंद्रीय बैंक फ़ेडरल रिज़र्व ने ब्याज दरों में 0.75 प्रतिशत की कटौती करने की घोषणा की है.
इस कटौती के साथ ब्याज की दर तीन प्रतिशत से घटकर 2.25 प्रतिशत हो गई है. लेकिन यह वित्तीय बाज़ार की उम्मीद की तुलना में अभी भी कम है.
फ़ेडरल रिज़र्व ने इस महीने दूसरी बार ब्याज दरों में कटौती की है. सितंबर से लेकर अब तक यह छठवीं बार है जब ब्याज दरों में कटौती की गई है.
बहुत से विशेषज्ञों का मानना है कि अमरीका पहले ही आर्थिक मंदी के दौर में पहुँच चुका है.
अर्थव्यवस्था में गिरावट को रोकने के लिए फ़ेडरल रिज़र्व ने इस हफ़्ते कुछ बड़े क़दम उठाए हैं. इसकी शुरुआत करते हुए अमरीका के बड़े इन्वेस्टमेंट बैंक बीयर स्टर्न्स को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई थी.
अमरीका के वित्तमंत्री हेनरी पॉलसन ने मंगलवार को स्वीकार किया कि अमरीकी अर्थव्यवस्था में तेज़ी से गिरावट आ रही है, हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि इस साल बाद में इसमें सुधार आएगा.
वैसे फ़ेडरल रिज़र्व की मंगलवार की घोषणा के बाद अमरीकी शेयर बाज़ार में तेज़ी से सुधार हुआ है.
ब्याज दरों में कटौती से फ़ेडरल रिज़र्व की अस्थिर बाज़ार को शांत करने की कोशिशों को फ़ायदा मिलेगा.फ़ेडरल रिज़र्व ने साफ़ कर दिया है कि अर्थव्यवस्था को स्थिर करना उसकी पहली प्राथमिकता है और महंगाई के बारे में वह बाद में चिंता करेगा
बीबीसी के आर्थिक मामलों के संवाददाता का कहना है कि ब्याज दरों में ताज़ा कटौती के बाद भी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या अभी ब्याज दरों में और कटौती होनी है?
फ़ेडरल रिज़र्व को उम्मीद है कि उसके इस क़दम से आर्थिक मंदी को रोकने में सहायता मिलेगी और यह वित्तीय व्यवस्था में सुधारने में मदद करेगा.
सैंड्स ब्रदर सेलेक्ट एक्सेस फ़ंड के डेनियल लिब्बी ने कहा, "ब्याज दरों में कटौती से फ़ेडरल रिज़र्व की अस्थिर बाज़ार को शांत करने की कोशिशों को फ़ायदा मिलेगा."
उनका कहना है, "फ़ेडरल रिज़र्व ने साफ़ कर दिया है कि अर्थव्यवस्था को स्थिर करना उसकी पहली प्राथमिकता है और महंगाई के बारे में वह बाद में चिंता करेगा."
उनका कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था तब तक मज़बूत नहीं हो सकती जब तक कि उसके बैंकों का कामकाज़ ठीक से न चले.
अमरीका में स्थिति यह हो चली है कि बैंक एक दूसरे को पैसा देने में घबराने लगे हैं क्योंकि उन्हें अमरीका में गृह-ऋण से होने वाले नुक़सान की चिंता होने लगी है.
उल्लेखनीय है कि अमरीका में आर्थिक मंदी का सबसे बड़ा असर अमरीका के होम लोन बाज़ार में हुआ है.
ECB ब्याज दरों में वृद्धि करता है
मीडिया में 50 बीपीएस की इस दर वृद्धि के बारे में बहुत सारी बातें हुई हैं, लेकिन बहुत से लोग इस तंत्र को स्पष्ट रूप से समझाने की सीमा तक नहीं गए और इसका वास्तव में क्या अर्थ है। सच्चाई यह है कि ईसीबी की गवर्निंग काउंसिल 3 प्रमुख ब्याज दरें निर्धारित करती है, जिन्हें इस नवीनतम बढ़ोतरी में बदल दिया गया था। आइए प्रत्येक को विस्तार से कवर करें:
मुख्य पुनर्वित्त संचालन पर
शायद ईसीबी के लिए सभी 3 प्रमुख दरों में से सबसे महत्वपूर्ण, मुख्य पुनर्वित्त पर दर ऑपरेशंस (एमआरओ) यूरोपीय बैंकिंग प्रणाली के लिए तरलता का मुख्य चालक है। सरल शब्दों में, यह वह दर है जिस पर बैंक एक सप्ताह की अवधि के लिए ईसीबी से उधार ले सकते हैं। अनिवार्य रूप से, जब बैंकों को तरलता की आवश्यकता होती है, तो वे इस सुविधा तक पहुंच सकते हैं और संपार्श्विक प्रदान करके यूरोसिस्टम से उधार ले सकते हैं।
पिछले सप्ताह से, यह दर अब 0.00% की लंबी अवधि के बाद 0.50% पर सेट है।
जमा सुविधा पर दर
पिछले उदाहरण के विपरीत, जमा सुविधा पर दर ईसीबी के साथ रातोंरात जमा करने के लिए बैंकों द्वारा प्राप्त ब्याज है। जब से वैश्विक वित्तीय संकट टूट गया और वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिरता को खतरा है, ईसीबी (और अन्य केंद्रीय बैंक) यह सुनिश्चित कर रहा है कि यह दर यथासंभव कम रहे, और इस सोच के पीछे का विचार यह सुनिश्चित करना है कि बैंकों को अपने अतिरिक्त भंडार जमा करने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाता है, लेकिन इसके बजाय खपत और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए इस तरलता को सीधे अर्थव्यवस्था में उधार देना।
उपरोक्त स्पष्ट रूप से व्यवहार में यह दर्शाता है। ईसीबी ने न केवल इस दर को 0% तक कम कर दिया, बल्कि 2014 में उन्होंने नकारात्मक दरों (2019 में -0.50% के रूप में कम) के साथ “प्रयोग” किया, वाणिज्यिक बैंकों को एक स्पष्ट संदेश दिया कि उनकी तरलता को केंद्रीय बैंक के साथ पार्क नहीं किया जाना चाहिए बल्कि परिवारों और कंपनियों को पारित किया जाना चाहिए। यह दर अब 0.00% है।
सीमांत ऋण सुविधा पर दर
ईसीबी द्वारा निर्धारित 3 प्रमुख ब्याज दरों में से अंतिम सीमांत ऋण अस्थिर ब्याज क्या है सुविधा पर दर है। यह उधार साधन मुख्य पुनर्वित्त संचालन पर दर के समान है, लेकिन एक सप्ताह की अवधि के लिए ईसीबी से उधार लेने वाले बैंकों के बजाय, इस सुविधा का उपयोग रातोंरात ऋण के लिए किया जाता है। बैंकों को अभी भी इस उधार सुविधा के लिए संपार्श्विक प्रदान करना होगा और एमआरओ की तुलना में उच्च दर का शुल्क लिया जाएगा। यह दर भी 50 बीपीएस बढ़ाकर 0.70% कर दी गई थी।
इसका क्या अर्थ है?
2022 में मुद्रास्फीति एक प्रमुख विषय रहा है और केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीति इस कारण से सुर्खियों में रही है।
शून्य या निकट-शून्य ब्याज दरों के वर्षों के बाद, निवेश और खपत को प्रोत्साहित करके अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए, केंद्रीय बैंकों को अब अर्थव्यवस्थाओं को धीमा करने के लिए मजबूर करके मुद्रास्फीति को कम करने के प्रयास में इस गतिशील पर ब्रेक लगाने के लिए मजबूर किया गया था।
जब ब्याज दरें ऊपर की ओर बढ़ रही हैं, तो क्रेडिट अधिक महंगा हो जाता है, व्यवसाय शांत हो जाते हैं, परिसंपत्ति की कीमतें अधिक अस्थिर हो सकती हैं और धन की आपूर्ति गिर जाती है। यह सब मुद्रास्फीति को एक स्वीकार्य स्तर पर लाने और मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने की अंतिम उम्मीद में परिवर्तित होता है, जो दिन के अंत में, केंद्रीय बैंकों का प्राथमिक उद्देश्य है।