सीएफडी पर कमाई

सामूहिक निवेश क्या है?

सामूहिक निवेश क्या है?

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना

योजना में दाम्पत्य जीवन में खुशहाली एवं गृहस्थी की स्थापना हेतु कन्या के खाते में रू0 35,000/- की धनराशि का अनुदान एवं विवाह संस्कार के लिए आवश्यक सामग्री यथा कपड़े, बिछिया, पायल, बर्तन आदि रू0 10,000/- की धनराशि से क्रय करते हुए प्रदान किया जाता है तथा प्रत्येक जोड़े के विवाह आयोजन पर रू0 6,000/- की धनराशि व्यय किये जाने की व्यवस्था है।

आवेदन कैसे करें

नगरीय निकाय (नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद, नगर निगम), क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत स्तर पर पंजीकरण

निवेश करना सीखें

अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फण्ड (एआईएफ) निवेश का अपेक्षाकृत नया साधन है और कुछ वर्षों में इसका प्रचलन काफी बढ़ा है. विगत तीन वर्षों में सरकार के विभिन्न नियामक सुधारों, जैसे कि कमोडिटी डेरिवेटिव्स में निवेश करने की इजाजत, केटेगरी 1 और 2 फंड्स के लिए टैक्स पास-थ्रू ढांचा का क्रियान्वयन और आटोमेटिक रूट के तहत फण्ड में विदेशी निवेशों का समावेश के कारण वैकल्पिक निवेशों की तेज वृद्धि हुयी है.

इस आलेख में हम आपको अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स और इससे सम्बंधित हर चीज के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे. तो चलिए हम सबसे पहले अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स यानी वैकल्पिक निवेश फंड्स को समझने के साथ शुरुआत करते हैं.

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अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स क्या हैं ?

अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स भारत में स्थापित या निगमित निजी तौर पर समुच्चित निवेश साधन है. यह जानकार निवेशकों से फण्ड एकत्र करके उनका समुच्चय खडा करता है जिनमें भारतीय और विदेशी दोनों होते हैं. इस तरह जमा फण्ड को अपारंपरिक विकल्पों, जैसे कि रियल एस्टेट फंड्स, हेज फंड्स, प्राइवेट इक्विटी आदि में निवेश कर दिया जाता है. निवेश के उत्पाद की व्यापक रेंज से निवेशकों को अपने निवेश पोर्टफोलियो को व्यापक बनाने और विविधीकृत करने में मदद मिलती है.

ये फंड्स प्रचलित विधि वाले निवेश मद, जैसे कि इक्विटी, नियत आमदनी, और नकदी में निवेश नहीं करते और इसी कारण से वे निवेश के परम्परागत विकल्पों से भिन्न होते हैं. दूसरे शब्दों में अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट किसी संपदा श्रेणी में किया गया निवेश है जो शेयर, बांड्स और नकदी का समावेश नहीं होता है. साधारण रूप से कहें तो निवेश के परम्परागत स्वरूप का कोई भी वैकल्पिक रूप अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट के श्रेणी में आता है.

अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स भारी-भरकम राशि निवेश करने वाले धनी लोगों, कॉर्पोरेट और संस्थागत ग्राहकों के लिए एक आदर्श निवेश साधन है. ये प्राइवेट इन्वेस्टमेंट फंड्स है और प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (आईपीओ) या किसी दूसरे तरह के सार्वजनिक निर्गम के माध्यम से नहीं मिलते हैं. इसलिए उनके विनियम दूसरे फण्ड प्रबंधन के विनियमों से भिन्न होते हैं.

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भारत में अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट्स का वर्गीकरण

अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट में निम्नलिखित सम्मिलित हैं :

टैन्जबल रियल एस्टेट (भौतिक अचल संपत्ति)

इनमें भौतिक सम्पदाएँ शामिल हैं जिनका उनके स्वरुप या गुणों के कारण स्वाभाविक मूल्य होता है, जैसे कि बेशकीमती धातु की वस्तुओं, तेल, दुर्लभ सिक्के, कलाकृति, आभूषण आदि. निवेशक सीधे इन संपदाओं को खरीद सकते हैं या इस तरह की संपत्तियों में विशेषज्ञ फण्ड में निवेश कर सकते हैं.

हेज फंड्स (बचाव निधि)

इन फंड्स द्वारा जोखिमों में विविधता के उद्देश्य से विविध संपदा श्रेणियों में निवेश किया जाता है. फण्ड मैनेजर निधि संग्रह करते हैं, उन्हें सामूहिक लाभ कोष में डालते हैं और विविध वित्तीय विपत्रों में निवेश कर देते हैं. वे घरेलू और विदेशी दोनों बाज़ारों में एक से अधिक रणनीतियों, जैसे कि दीर्घ, अल्प, लाभ उठाया हुआ, व्युत्पन्न स्थितियों, आदि का प्रयोग करते हैं.

प्राइवेट इक्विटी और स्टॉक्स (निजी इक्विटी और शेयर)

प्राइवेट इक्विटी कम्पनियां अधिकांशतः संस्थागत और गैर-संस्थागत निवेशकों से निधियाँ एकत्र करती हैं. इसमें फण्ड द्वारा निवेश को संभावनाशील प्राइवेट कंपनियों में कंपनी के स्टॉक्स और शेयरों के बदले में लगा दिया जाता है. इससे आम तौर पर निवेशकों का जोखिम प्रोफाइल कम हो जाता है.

यह निवेश का मिश्रित रास्ता है. इसमें म्यूच्यूअल फण्ड और एक्सचेंज पर क्रय-विक्रय किये गए फंड्स होते हैं.

इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स (आधारभूत संरचना फंड्स)

इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स द्वारा सड़क, बंदरगाह, पुल, जल मार्ग और बिजली उत्पादन जैसी आधारभूत संरंच्नाओं के निर्माण में संलग्न कंपनियों में निवेश किया जाता है.

स्टार्ट-अप या अर्ली स्टेज फंड्स (स्टार्ट-अप फंड्स या शुरुआती चरण के फंड्स)

इन फंड्स द्वारा सुदृढ़ वृद्धि की संभावना प्रदर्शित करने वाले स्टार्ट-अप तथा लघु एवं मंझोले आकार के उद्यमों में निवेश किया जाता है. ये फंड्स ज्यादा जोखिम, ज्यादा रिटर्न के सिद्धांत पर प्रदर्शन करते हैं.

डेब्ट फंड्स (ऋण फंड्स)

ये फंड्स मुख्यतः अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स के घोषित उद्देश्यों के आधार पर सूचीबद्ध और असूचीबद्ध कंपनियों के ऋण विपत्रों में निवेश करते हैं.

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के विनियमों के अनुसार अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स को तीन वर्गों में बांटा गया है – श्रेणी 1, श्रेणी 2 और श्रेणी 3. श्रेणी 1 के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स (एआईएफ) में स्टार्ट-अप, इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स, और अर्ली स्टेट वेंचर फंड्स सम्मिलित हैं. श्रेणी 2 के एआईएफ में प्राइवेट इक्विटी, डेब्ट फंड्स, रियल एस्टेट फंड्स और संकत्ग्रत संपत्तियां शामिल हैं. श्रेणी 3 के एआईएफ में हेज फंड्स, विविध व्यापार रणनीतियों वाले फंड्स, और अल्पकालिक रिटर्न वाले फंड्स आते हैं.

अब इनमें से एक-एक को विस्तार से समजिये.

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अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स के प्रकार

श्रेणी 1 के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स

प्रथम श्रेणी के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स का मुख्य लक्ष्य स्टार्ट-अप में, प्रारम्भिक चरण के उपक्रमों में, लघु एवं मंझोले उद्योगों में या सरकार की नज़र में आर्थिक और सामाजिक रूप से व्यावहारिक माने जाने वाले अन्य क्षेत्रों में निवेश करना होता है. ये फंड्स भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक और फायदेमंद है और विकास को रफ़्तार देते हैं, इसलिए इन्हें सरकार, सेबी और अन्य नियामकों द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है. चूंकि इन फंड्स द्वारा सामाजिक रूप से वांछित व्यावसायिक क्षेत्रों में निवेश किये जाते हैं, इसलिए इसके पीछे मुनाफ़ा कमाने का इरादा हो भी सकता है, नहीं भी हो सकता है. श्रेणी 1 के एआईएफ में सोशल वेंचर फंड्स, इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स, एंजेल फंड्स, वेंचर कैपिटल फंड्स और एसएमई फंड्स सम्मिलित हैं.

श्रेणी 2 के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स

द्वितीय श्रेणी के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स अपनी प्रकृति में अपेक्षाकृत क्लोज-एंडेड (सीमित अवधि के लिए) होते हैं. इन फंड्स में निवेश करने के लिए पूंजी पैदा करने के लिए ऋण लेने की मनाही है. किन्तु, इस नियम का एक अपवाद है कि ये एआइएफ अपने परिचालन की दैनिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए उधार जे सकते हैं या लाभ उठाने की रणनीति का इस्तेमाल कर सकते हैं. श्रेणी 2 के एआईएफ में प्राइवेट इक्विटी फंड्स या डेब्ट फंड्स शामिल हैं. इसके अलावा इन एआईएफ फंड्स को सरकार, सेबी या किसी और विनियामक से प्रोत्साहन या सामूहिक निवेश क्या है? रियायत नहीं मिलती है. यह एक विविध श्रेणी का फण्ड है और इसमें वैसे एआईएफ सम्मिलित है जो श्रेणी 1 और श्रेणी 3 के दायरे में नहीं आते हैं.

श्रेणी 3 के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स

तृतीय श्रेणी के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स वैसे फंड्स होते हैं जिनकी खरीद-बिक्री अल्पकालिक रिटर्न अर्जित करने के इरादे से की जाती है. इनमें हेज फंड्स और पब्लिक इक्विटी में प्राइवेट निवेश (पीआइपीई) फंड्स शामिल हैं. ये ओपन-एंडेड (असीमित अवधि) फंड्स हैं और इन्हें सरकार, सेबी या किसी दूसरे विनियामक से प्रोत्साहन या रियायत नहीं मिलती है. इन फंड्स द्वारा मार्जिन ट्रेडिंग, आर्बिट्राज, फ्यूचर्स ट्रेडिंग, डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग आदि जैसी जटिल व्यापार रणनीतियों का प्रयोग किया जाता है. श्रेणी 3 के एआइएफ को सूचीबद्ध और असूचीबद्ध डेरिवेटिव्स पर निवेश करने के लिए लीवरिज के इस्तेमाल की इजाजत होती है.

अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स के लिए फण्ड संग्रह और निवेश के प्रतिबन्ध

अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स मुख्यतः निजी स्थापन के माध्यम से फंड्स एकत्र करते हैं. इसके अलावा उन्हें किसी निवेशक से 1 करोड़ रुपये के कम का निवेश स्वीकार करने की अनुमति नहीं होती है.

अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फण्ड या इसके अंतर्गत कोई योजना 1000 से अधिक निवेशकों को स्वीकार नहीं कर सकती. इन योजनाओं में न्यूनतम योग्य राशि 20 करोड़ रुपये है. दूसरे शब्दों में हरेक योजना में कम से कम 20 करोड़ रुपये का कोष रहना ही चाहिए. किन्तु एंजेल फंड्स को अपेक्षाकृत कम योग्य राशि की अनुमति है.

हाल के समय में भारत में अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ा है. सीमित परम्परागत जोखिमों के साथ निवेश का यह शानदार माध्यम है. इसके अलावा, बाज़ार की परिस्थितियों का इस पर सीमित असर होता है.

आप भी अल्टरनेटिव फंड्स में निवेश करने का विचार कर सकते हैं. लेकिन, निवेश करने के सामूहिक निवेश क्या है? पहले इसका पिछला रिकॉर्ड और इसका प्रबंधन करने वाले लोगों की विश्वसनीयता को लेकर पूरा संतुष्ट हो लेना ज़रूरी है. बेहतर होगा कि निवेश करने के पहले फण्ड प्रबंधक द्वारा अपनाई गयी रणनीतियों को एयर ओम फिम्ड्स से जुड़े जोखिमों को समझ लें.

म्युचुअल फंड क्या है?

यह वाक्यांश जो हम अक्सर सुनते हैं, म्यूचुअल फंड में हमारी रुचि को कम कर देता है और "डर" के साथ हमारे दिमाग को बादल देता है, पैसे खोने का डर। हालांकि, अकेले और इस बयान की तुलना में यहां म्यूचुअल फंडों की संख्या बहुत अधिक है, हम उन्हें सरल बनाने का प्रयास करते हैं!

Top 10 Investment Tips: पहली बार निवेश करने वालों के लिए 10 टिप्स, जानें- निवेश को सुरक्षित और आगे बढ़ाने के उपाय

Top 10 Investment Tips: निवेश एक सतत प्रक्रिया है. अगर आप ज्यादा पैसे बनाना चाहते हैं, तो लगातार निवेश करते रहना चाहिए. इसके अलावा टिप्स पर ध्यान नहीं देना चाहिए. साथ ही यह समझें कि आप निवेश कर रहे हैं न कि सट्टेबाजी में पैसा लगाए हैं.

Updated: August 18, 2022 1:03 PM IST

Investment Tips

संपत्ति बनाने और मेहनत से अर्जित आय या प्रशंसा से पैसे बचाने के लिए अर्जित या निवेश की गई संपत्ति को निवेश की श्रेणी में रखा गया है. निवेश का अर्थ मुख्य रूप से आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्राप्त करना या किसी विशिष्ट अवधि में निवेश से लाभ प्राप्त करना है. यहां पर हम आपके लिए लेकर आए हैं निवेश के 10 बड़े टिप्स-

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निवेश की एक योजना बनाएं

अपने मन में यह बात लाने के बाद कि आप पैसा का निवेश करना चाहते हैं. आपको कुछ प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए एक योजना तैयार करने की आवश्यकता है. मैं कितना निवेश कर सकता हूं? मैं क्या खोने का जोखिम उठा सकता हूं? मेरे निवेश का लक्ष्य क्या है? उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए मैं कितने समय के लिए निवेश कर रहा हूं? क्या मैं सभी प्रासंगिक निवेश परिभाषाओं और शब्दावली को जानता हूं?

अपनी जोखिम क्षमता को समझें

अपनी जोखिम सहने की क्षमता को समझें और अगर आपने निवेश किया हुआ कुछ या पूरा पैसा खो दिया तो आप कैसा महसूस करेंगे. पहली बार के निवेशकों के लिए एक सामान्य गलती यह मान लेना है कि वे वास्तव में नुकसान के प्रति ज्यादा सहनशील हैं. इसलिए जब जोखिम भरा निवेश कम होने लगता है, तो वे अक्सर घबरा जाते हैं और अपने पोर्टफोलियो को कम करने लगते हैं. जोखिम और इनाम के लिए एक तय दृष्टिकोण अपनाने से आप अपनी हानि की क्षमता के अनुरूप निवेश करने का बीमा लेंगे. याद रखें, आप जो कुछ भी करते हैं उसमें जोखिम शामिल है. इसमें नकदी रखना भी शामिल है, क्योंकि इसकी क्रय शक्ति मुद्रास्फीति से धीरे-धीरे कम हो सकती है.

शुरुआत से टैक्स का रखें ध्यान

जब निवेश की बात आती है, तो आप शायद अपेक्षाकृत छोटे पॉट से शुरुआत करेंगे और सोच सकते हैं कि टैक्स कोई बड़ी चिंता नहीं है. याद रखें, निवेश एक दीर्घकालिक रणनीति है और आपको भविष्य में अपने निवेश के संभावित मूल्य पर विचार करने की आवश्यकता है. यह बात ध्यान में रखें कि आप अपनी सेवानिवृत्ति के लिए अभी निवेश कर रहे हैं, जब तक आप सेवानिवृत्ति की आयु तक पहुंचते हैं, तब तक आपने काफी कुछ हासिल कर लिया होगा. यदि आपने पेंशन जैसे कर-कुशल वातावरण में निवेश नहीं किया है तो आपको कर की काफी राशि का भुगतान करना पड़ सकता है. यह भी तय करें कि जब आप खाता खोलते हैं तो आपको इसके बारे में पता होना चाहिए.

अलग-अलग सेगमेंट में करें निवेश

जैसे-जैसे विभिन्न बाजार बढ़ते और गिरते हैं, विभिन्न प्रकार के निवेश फंडों का एक विविध पोर्टफोलियो आपके पोर्टफोलियो को एक आर्थिक चक्र में स्थिर करने में मदद कर सकता है. विशेष रूप से विशेष बाजारों, क्षेत्रों या कंपनियों में निवेश करने से आप एक विशेष क्षेत्र में होने वाली अप्रत्याशित समस्याओं के संपर्क में आ सकते हैं. परिसंपत्ति वर्गों, क्षेत्रों और क्षेत्रों की एक श्रृंखला में निवेश करने से संभावित नुकसान को कम करने और लंबी अवधि के रिटर्न को अधिकतम करने में मदद मिलती है.

टिप्स पर ध्यान न दें

इंटरनेट और मीडिया शेयरों या फंडों पर पंडितों से भरे हुए हैं जो अगली सबसे अच्छी चीज होने वाले हैं. हालांकि ये ‘टिप्स’ कभी-कभी व्यावहारिक हो सकते हैं, सावधान रहें कि उनका पीछा न करें और अपने पोर्टफोलियो में जोड़ने के लिए उपयुक्त निवेश चुनकर उनका लाभ उठाने के लिए अपने पोर्टफोलियो को लगातार बदलते रहें.

घोड़े की दौड़ में टट्टू पर दांव न लगाएं

इतिहास के सबसे प्रभावशाली निवेशकों में से एक, वॉरेन बफे ने कहा, “एक उचित कंपनी की तुलना में एक अद्भुत कंपनी को उचित मूल्य पर खरीदना बेहतर है.” हालांकि “कैंसर के इलाज” या “संभावित तेल क्षेत्र” के माध्यम से उच्च रिटर्न के लिए उनकी कथित क्षमता के साथ पैसा शेयर बहुत लुभावना हो सकता है. आपको यह विचार करने की आवश्यकता है कि कंपनी का दीर्घकालिक भविष्य मूल्य क्या है. बहुत छोटी कंपनियां विशुद्ध रूप से जोखिम भरी हो सकती हैं क्योंकि वे बड़े, बहुराष्ट्रीय निगमों की तुलना में कम अच्छी तरह से विनियमित हो सकती हैं. यह सोचना गलत है कि बढ़ा हुआ जोखिम लेना आपको अधिक धन की गारंटी देता है, आप घोड़े की दौड़ में टट्टू पर दांव नहीं लगाएंगे.

लगातार करना चाहिए निवेश

कभी-कभी थोड़ा और अक्सर निवेश करना बड़ी एकमुश्त निवेश करने से बेहतर होता है. निवेश पर शोध से पता चला है कि यहां तक ​​​​कि सामूहिक निवेश क्या है? पेशेवर भी नियमित रूप से निवेश करना बेहतर समझते हैं. बजाय इसके कि बाजार में एकमुश्त निवेश करने की कोशिश की जाए. बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहता है. आप बाजार के उतार-चढ़ाव को बराबर करना चाहते हैं. जल्दी और नियमित रूप से निवेश करना शुरू करके आप कंपाउंडिंग का लाभ उठा सकते हैं.

प्राप्त लाभ को निवेश में लगाएं

अगर आप अपने निवेश से विशिष्ट अवधि के लिए आय की तलाश नहीं कर रहे हैं. तब आप फंड या लाभांश से लौटाई गई किसी भी पूंजी को अपने निवेश पोर्टफोलियो में वापस निवेश करने पर विचार कर सकते हैं. इतिहास इस बात का गवाह है कि इक्विटी से लाभांश का पुन: निवेश लंबी अवधि में आपके रिटर्न में काफी वृद्धि करता है.

फिर से करें आकलन

एक बार जब आप निवेश करना शुरू कर देते हैं, तो याद रखें कि यह एक सतत प्रक्रिया है, इसलिए आपको समय-समय पर अपने निवेश, व्यक्तिगत परिस्थितियों, समय-सीमा और जोखिम सहनशीलता की समीक्षा करने की आवश्यकता है, क्योंकि ये सभी समय के साथ बदल जाएंगे. उदाहरण के लिए, जैसे-जैसे आप अपने लक्ष्य के करीब आते जाते हैं, आप अपनी पूंजी को सुरक्षित करने के लिए जोखिम भरे निवेशों में अपने जोखिम को कम करना चाहेंगे. अपनी व्यक्तिगत जोखिम सहनशीलता का आकलन करने के अलावा, अपने पोर्टफोलियो के जोखिम प्रोफाइल की जांच करें. जैसा कि विभिन्न शीर्ष निवेश फंड मूल्य में बदलते हैं, यह आपके पोर्टफोलियो में उनके भार को समायोजित करेगा और यह आपके पोर्टफोलियो के समग्र जोखिम प्रोफाइल को प्रभावित करेगा. आपके पोर्टफोलियो का आवधिक पुनर्संतुलन इसे वापस वांछित स्तर पर पुन: समायोजित करने का प्रयास करता है.

अपनी योजना पर टिके रहें

जब आप पहली बार निवेश करना शुरू करते हैं तो आप महसूस करेंगे कि बाजार की चाल, कमोडिटीज, शेयर टिप्स, मुद्रास्फीति, ब्याज दरें, लाभांश, सोने की कीमत, तेल की कीमत के बारे में बकवास को नजरअंदाज करना बहुत मुश्किल है … यह अंतहीन है और वैश्वीकरण के साथ पर्याप्त स्थिर बाजार है. एक सच्चे निवेशक को दीर्घकालिक रुझानों और व्यापक आर्थिक कारकों को देखना चाहिए जो मूल रूप से उनकी योजना को आकार देते हैं और हमेशा इन्हें अपना ध्यान केंद्रित करते हैं.

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Mutual Fund: मीनिंग, प्रकार और अर्थव्यवस्था के विकास में भूमिका

Mutual Fund; स्टॉक, बॉन्ड और अन्य अल्पकालिक निवेश साधनों में निवेश किया गया कई लोगों का सामूहिक निवेश पूल होता है. यह फंड आमतौर पर एक फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किया जाता है, जो निवेशकों से उनके निवेश का ध्यान रखने के लिए फीस वसूलता है. आप किसी भी दिन कितने भी म्यूचुअल फंड खरीद और बेच सकते हैं.

Meaning of Mutual Fund

विकासशील देशों में पूँजी का सृजन एक बड़ी समस्या रहती है.अगर कोई निवेशक कोई बड़ा निवेश करना या उद्योग लगाना चाहता है तो पूँजी की कमी एक प्रमुख समस्या होती है. इस समस्या को चिट फण्ड, म्यूच्यूअल फण्ड, फिक्स्ड डिपॉजिट्स और बैंक जमा के माध्यम से पूरा सामूहिक निवेश क्या है? किया जाता है.

म्युचुअल फंड का मतलब (Meaning of Mutual Fund)?
एक म्यूचुअल, फंड एक प्रकार का समूह निवेश होता है जिसमें कई लोगों (व्यक्ति,संस्था) द्वारा संयुक्त रूप से स्टॉक, बॉन्ड, अल्पकालिक निवेश या अन्य प्रतिभूतियों में निवेश किया जाता है.

यह फंड आमतौर पर एक फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किया जाता है, जो फंड के निवेश को निर्धारित करता है और लाभ और हानि खाते को मैनेज करता है. यह मैनेजर, निवेशकों से उनके निवेश का ध्यान रखने के लिए फीस वसूलता है. आप किसी भी दिन कितने भी म्यूचुअल फंड खरीद और बेच सकते हैं.

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ध्यान रहे कि म्यूचुअल फंड में कोई भी निवेश कर सकता है. म्यूचुअल फंड में न्यूनतम 500 रुपए से निवेश किया जा सकता है. भारतीय निवासी और NRI दोनों म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. निवेशक, अपने जीवनसाथी या बच्चों के नाम पर भी निवेश कर सकते हैं.

म्यूचुअल फंड के प्रकार (Types of Mutual Fund):-

म्यूचुअल फंड को जोखिम, रिटर्न, आकार और निवेश के आधार पर कई श्रेणियों में बांटा गया है. हमने यहां सिर्फ चार श्रेणियां बताई हैं;

1. इक्विटी फंड (Equity funds)

2. फिक्स्ड-इनकम फंड (Fixed-Income Funds)

3. हाइब्रिड म्यूचुअल फंड (Hybrid Mutual Fund)

4. समाधान उन्मुख म्युचुअल फंड (Solution Oriented Mutual Fund )

आइये अब इनके बारे में एक एक करके जानते हैं

1. इक्विटी फंड (Equity Fund):-यह स्कीम सीधे शेयरों में पैसा लगाती हैं. ये स्कीम शॉर्ट टर्म में रिस्की हो सकती हैं, लेकिन लॉन्ग टर्म में यह आपको बेहतरीन रिटर्न कमाने में मदद करती है. कंपनियों के आकार के आधार पर उन्हें स्माल कैप, मिड कैप और लार्ज-कैप में विभाजित किया जाता है. इस प्रकार के म्यूचुअल फंड उन लोगों द्वारा पसंद किए जाते हैं जो ज्यादा जोखिम लेना पसंद करते हैं.

2. फिक्स्ड-इनकम फंड्स (Fixed-Income Funds):- इस प्रकार के म्यूचुअल फंड्स, मालिकों को निश्चित रिटर्न देते हैं. कुछ फ़िक्स्ड रिटर्न फंड्स हैं; कॉर्पोरेट बॉन्ड्स, सरकारी बॉन्ड्स या अन्य डेट इंस्ट्रूमेंट्स (debt instruments).म्यूच्यूअल फण्ड मैनेजर, मूल रूप से अपने निवेशकों को ब्याज आय देता है. इस प्रकार के म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश उन निवेशकों द्वारा किया जाता है जो जोखिम नहीं लेना चाहते हैं.

3. हाइब्रिड म्यूचुअल फंड (Hybrid Mutual Fund):- हाइब्रिड म्यूचुअल फंड या एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) एक से अधिक प्रकार की निवेश सुरक्षा, जैसे स्टॉक और बॉन्ड में निवेश करते हैं. ये म्यूचुअल फंड; स्कीम इक्विटी और डेट (debt) दोनों में निवेश करते हैं. इन योजनाओं को चुनते समय, निवेशकों को अपने जोखिम लेने की क्षमता का ध्यान रखना आवश्यक होता है.

4. सॉल्यूशन ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड (Solution Oriented Mutual Fund):- सॉल्यूशन ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड स्कीम एक विशिष्ट लक्ष्य या समाधान के अनुसार बनाई जाती हैं. इनमें सेवानिवृत्ति योजनाएं या बच्चों की शिक्षा और लड़की की शादी जैसे लक्ष्य हो सकते हैं. आपको इन योजनाओं में कम से कम पांच वर्षों के लिए निवेश करना आवश्यक है.

म्युचुअल फंड की सुविधाएँ और लाभ (Features & Benefits of Mutual Funds)

1. जोखिम का विविधीकरण:- इक्विटी और डेट सिक्योरिटीज में फंड का विविधीकरण

2. तरलता:- निवेशक अपनी आवश्यकता के अनुसार आंशिक या पूर्ण निकासी कर सकता है

3. ट्रान्सपैरेंसी:- इनवेस्टर्स को पता होता है कि पैसा कहां लगाया जा रहा है

4. कम लागत:- म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय कोई एंट्री शुल्क नहीं

5. व्यावसायिक प्रबंधन: - उद्योग विशेषज्ञ म्युचुअल फंड की निधियों का प्रबंधन करते हैं जिससे पैसा ज्यादा अच्छी जगह निवेश होता है.

6. प्रभावी दक्षता:- निवेशकों को इक्विटी और डेट फंड में कर छूट का लाभ मिलता है

7. लोचशीलता:- एक फंड से दूसरे फंड में निवेश फंड स्विच करने की स्वतंत्रता

आर्थिक विकास में म्युचुअल फंड की भूमिका (Role of Mutual Funds in the Economic Development)
जैसा कि म्यूचुअल फंड की परिभाषा कहती है कि विभिन्न निवेशकों और संस्थानों द्वारा सामूहिक निवेश का एक पूल अर्थात ऐसी जगह जहाँ पर कई लोगों का पैसा एक जगह इकठ्ठा होता है.

1. यह अर्थव्यवस्था में निवेश के उद्देश्य के लिए धन की व्यवस्था करने में मदद करता है.

2. यह निवेश के माध्यम से जनता की छोटी बचत को जुटाता है जिससे लोगों में बचत और निवेश करने की भावना का विकास होता है

3. हम जानते हैं कि भारत जैसे विकासशील देशों में पूंजी संचय का अभाव है.लेकिन म्यूच्यूअल फण्ड की मदद से देश में पूंजी संचय होता है और बड़े उद्योगों को पर्याप्त मात्रा में पैसा मिलता है. इसलिए म्यूचुअल फंड पूंजी संचय में मदद करते हैं जो भारत जैसे विकासशील देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण है.

4. यह घर में पैसे की बेकार होर्डिंग को हतोत्साहित करता है.पुराने समय में लोग पैसों को जमीन में गाड़कर रखते थे लेकिन अब ऐसा नहीं होता है.

5. यह देश में निवेश का वातावरण बनाने में मदद करता है.

6. यह रोजगार सृजन में सहायक है

इसलिए निष्कर्ष में, यह कहना बुद्धिमानी है कि म्यूचुअल फंड देश में कई बड़ी निवेश परियोजनाओं को शुरू करने के लिए धन इकठ्ठा करने में मदद करता है.

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