कारक विश्लेषण

ग्राउंड फॉल्ट के लिए सिंगल-लाइन
कारक विश्लेषण
Year: Jan, 2021
Volume: 18 / Issue: 1
Pages: 451 - 457 (7)
Publisher: Ignited Minds Journals
Source:
E-ISSN: 2230-7540
DOI:
Published URL: http://ignited.in/I/a/305919
Published On: Jan, 2021
दूरस्थ शिक्षा के प्रति महिला शिक्षार्थियों के दृष्टिकोण पर एक अध्ययन | Original Article
Jayshree Gautam*, Dr. Binay Kumar, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research
स्पीयरमेन का द्विकारक सिद्धांत Spearman’s Two Factor Theory
स्पीयरमेन एक ब्रिटेन मनौवैज्ञानिक थे जिन्होने 1904 में बुद्धि के द्विकारक सिद्धांत कारक विश्लेषण कारक विश्लेषण का वर्णन किया। इनका जन्म 10 फरवरी 1863 तथा मृत्यु 17 सितंबर 1945 हुवा। उन्होने बुद्धि के विषय में बहुत से प्रयोग किए। जो निम्नलिखित है :
उन्होने कारक विश्लेषण के द्वारा कई प्रयोगात्मक विश्लेषण किये और इन अंकड़ो का विश्लेषण कर के ये बताया की बुद्धि दो संरचनाओ का मूल है यानी बुद्धि में दो प्रकार के कारक होते हैं
बुद्धि की संरचना में एक कारक सामान्य तत्व होता है जिसे ( G – Factor ) और दुसरा विशिष्ट कारक (S – Factor) कहा जाता है।
सामान्य तत्व – ये सभी प्रकार की मानासिक क्रियाओ के मूल हैं।
सामान्य तत्व ( General Factor/ G – कारक ) की सही विशेषताएं होती है
- स्पीयरमेन का मना है की G – कारक को मानासिक ऊर्जा कहा है, अर्थत सभी मानासिक कार्य को करने के लिए G कारक की उपस्थिति अनिवार्य है, और ये उपस्थिति अलग अलग व्यक्तियों में अलग अलग हो सकती है।
- यह कारक जन्म जात एवं अपरिवर्तनीय हैै अर्थात यह कारक जीन द्वारा हमें जन्म से मिलता है। और G कारक पर किसी भी तरह की शिक्षण प्रक्षिक्षण और पूर्व अनुभूति का प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि यह कारक वंनशानुक्त है यह हमें जन्म से प्राप्त हुआ है।
- प्रत्येक व्यक्ति में G – कारक को मात्रा निश्चित है परन्तु इसका मतलब ये नही है कि सभी व्यक्तियों मे यह बराबर है प्रत्येक व्यक्ति में इस कारक की मात्रा अलग अलग हो सकती है, अर्थात किसी में, मानासिक कार्य करने की क्षमता अधिक भी हो सकती है और किसी में कम भी।
- G – कारक एक विषय से दूसरे विषय में स्थांतरित भी हो सकता है।
विशिष्ट कारक की विशेषताएं :
- S – कारक का स्वरूप परिवर्तनशील है। अर्थत एक मानसिक क्रिया अगर कोई कारक विश्लेषण व्यक्ति अगर गाना गा रहा है तो उस मे S – कारक अधिक हो सकता है, परन्तु हो सकता है, उस में पेंटिंग के लिए S – कारक काम हो ।
- विशिष्ट कारक में यह जन्मजात ना होकर अर्जित होता है, जैसा हमने कहा G कारक अनुवांशिक है, यह जन्मजात है, यह हमे अनुवांशिक रूप से कारक विश्लेषण मिल रहा है। पर विशिष्ट कारक जन्मजात नही है ये अर्जित किया जाता है। अर्थत इसे शिक्षण या पूर्व अनुभूतियों द्वारा इसे बढ़ा सकते हैं। जैसे हम ट्रेनिंग देकर पेंटर बना सकते है।
3.व्यक्ति में जिस विषय से सम्बंधित S – कारक होता है, उसी से सम्बंधित कुशलता में वह विशेष सफतता प्राप्त करता है।
इसका उदाहरण लता मंगेशकर से ले सकते है G कारक तो उपस्थित था ही साथ में गान के लिए S कारक विशिष्ट रूप से था। जिस से गान में उन्हें सफलता प्राप्त हुई।
वाक्य विश्लेषण किसे कहते कारक विश्लेषण हैं ? वाक्य में पदों का क्रम
वाक्य में आए हुए शब्द अथवा वाक्य खंडों को अलग-अलग करके उनका पारस्परिक सम्बन्ध बताना वाक्य-विश्लेषण कहलाता है। विश्लेषण करते हुए, ‘उद्देश्य’, विधेय, कारक, विशेषण, क्रिया-विशेषण, पूरक क्रिया आदि का लिंग, वचन, काल आदि की पहचान की जाती है। वाक्य-विश्लेषण करते हुए शब्द दोषों व वाक्य दोषों का उल्लेख भी करना चाहिए।
रचना के आधार पर बने वाक्यों को उनके अंगों सहित पृथक् कर उनका पारस्परिक सम्बन्ध बताने को वाक्य विश्लेषण कहते हैं-
वाक्य में पदों का क्रम
- सामान्य वाक्यों में पहले कर्त्ता फिर कर्म तथा अन्त में क्रिया होती है। जैसे अभिषेक गाना गाता है।
- यदि वाक्य में सम्बोधन या विस्मयादिबोधक है, तो वह कर्त्ता से पहले आता है। जैसे प्रशान्त, मेरी बात सुनो। अरे ! हरिण भाग गया।
- कर्त्ता, कर्म तथा क्रिया के विस्तारक क्रमश : इनसे पहले ही आते हैं जैसे भूखा भिखारी गर्म रोटी जल्दी-जल्दी खा गया।
- पदवी या व्यवसाय-सूचक कारक विश्लेषण शब्द नाम से पहले आते हैं। जैसे डॉ. आलोक आज जापान जायेंगे। प्रोफेसर अशोक छात्रों को पढ़ा रहे हैं।
- वाक्य में सम्बन्ध कारक का प्रयोग सम्बन्धी से पहले किया जाता है जैसे यह गोविन्द का घर है।
- क्रिया-विशेषण क्रिया से पहले लगाया जाता है। जैसे घोड़ा तेज दौड़ता है।
- प्रश्नवाचक पद प्राय: व्यक्ति या विषय से पूर्व लगाया जाता है। जैसे तुम किस व्यक्ति की बात कर रहे हो ?
- पूर्वकालिक क्रिया मुख्य क्रिया से पहले आती है। जैसे वह खाना खाकर चला गया।
- द्विकर्मक क्रिया में गौण कर्म पहले और मुख्य कर्म बाद में आता है। जैसे अशोक ने सुशील को पुस्तक दी।
- निषेधात्मक वाक्यों में ‘न’ अथवा ‘नहीं’ का प्रयोग प्राय: क्रिया से पूर्व किया जाता है। जैसे दुष्यन्त वहाँ नहीं जायेगा।
- करण कारक, सम्प्रदान कारक, अपादान कारक तथा अधिकरण कारक कर्त्ता और कर्म के मध्य रखे जाते हैं तथा वाक्य में इनका प्रयोग विपरीत क्रम यानी अधिकरण, अपादान, सम्प्रदान, करण कारक में होता है। जैसे - टीना ने कागज पर रिंकु के लिए पेन्सिल से चित्र बनाया।
- पूरक, कर्त्तृ पूरक स्थिति में सदैव कर्त्ता के बाद तथा कारक विश्लेषण कर्म पूरक स्थिति में कर्म के बाद रहता है।
- मिश्रवाक्य की संरचना में प्रधान वाक्य प्राय: आश्रित उपवाक्य के पहले आता है। कारक विश्लेषण जैसे - गाँधी जी ने कहा कि सदा सत्य बोलो। राम सफल नहीं हुआ क्योंकि वह पढ़ा नहीं।
- मिश्र या संयुक्त वाक्यों में योजक दो उपवाक्यों के बीच प्रयुक्त होता है- तुम इसी समय रवाना हो जाओ ताकि गाड़ी मिल जाय। कृष्ण बाँसुरी बजा रहे हैं और राधा नाच रही है।
बाल विकास Quiz 19
71) व्यक्ति की वह योग्यता या शक्ति, जिसके द्वारा वह नवीन रचना/उत्पादन करता है उसे किस नाम से संबोधित करते है?
(4)मानसिक परिपक्वता का
उत्तर 71-3, 72-3, 73-3, 74-3, 75-2, 76-2, 77-1, 78-1, 79-3, 80-2,
दोष विश्लेषण
दोष धाराओं का कारण बनता है उपकरण क्षति टर्मिनल और मैकेनिकल दोनों प्रक्रियाओं के कारण। गलती का लक्ष्य गलती के दौरान मौजूद धाराओं के परिमाण को निर्धारित करना है।
भूमि संबंधी खराबी
एक विद्युत प्रणाली में एक अवांछनीय स्थिति है, जिसमें विद्युत प्रवाह जमीन पर बहता है।
ग्राउंड फॉल्ट तब होता है जब वितरण या ट्रांसमिशन नेटवर्क में विद्युत प्रवाह अपने इच्छित प्रवाह पथ के बाहर लीक होता है।
वितरण और पारेषण नेटवर्क हैंआम तौर पर दोषों के खिलाफ इस तरह से संरक्षित किया जाता है कि एक दोषपूर्ण घटक या ट्रांसमिशन लाइन स्वचालित रूप से एक संबद्ध सर्किट ब्रेकर की सहायता से डिस्कनेक्ट हो जाती है।
दोष के प्रकार
दोषों का सामान्य वर्गीकरण:
- मीट्रिक दोष: कारक विश्लेषण सिस्टम संतुलित रहता है। ये दोष अपेक्षाकृत दुर्लभ हैं, लेकिन सबसे आसान विश्लेषण हैं।
- विषम दोष: सिस्टम अब संतुलित नहीं है। बहुत आम है, लेकिन विश्लेषण करना अधिक कठिन है।
- तीन चरण प्रणाली पर अब तक का सबसे आम प्रकार एकल लाइन-ग्राउंड है, कारक विश्लेषण इसके बाद लाइन-टू-लाइन दोष, डबल लाइन-टू-ग्राउंड दोष और संतुलित तीन चरण दोष हैं।