दलाल कैसे बने

गौतम अडानी ने जताया शोक
जानिए कैसा था राकेश झुनझुनवाला का सफर
राकेश झुनझुनवाला ने निवेश की दुनिया में साल 1985 में कदम रखा था। इस दौरान उन्होंने महज 5 हजार रुपये से निवेश की शुरुआत की थी और निधन से पहले उनकी कुल 'नेटवर्थ' 41 हजार करोड़ रुपये से अधिक की थी । झुनझुनवाला ने इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट से सीए की डिग्री भी ली। बताया जाता है कि शेयर बाजार में झुनझुनवाला की दिलचस्पी पिता के कारण हुई। उनके पिता टैक्स ऑफिसर थे। उनके पिता अक्सर अपने दोस्तों के साथ शेयर बाजार की बातें किया करते थे। झुनझुनवाला अपने पिता की बातें गौर से सुनते थे। इसके बाद से उन्होंने दलाल स्ट्रीट को समझना शुरू कर दिया और यहीं से उन्होंने निवेश की दुनिया में उड़ान भरनी शुरू कर दी। निवेश की दुनिया में जब उन्हें फायदा होने लगा तो उन्हें पक्का यकीन हो गया कि अगर कहीं से बड़ा पैसा बनाया जा सकता है तो वह सिर्फ यही जगह है।
झुनझुनवाला ने एक कार्यक्रम में बताया था कि उन्होंने अपना सफर 5 हजार रुपये से शुरू किया था और सीए भाई की मदद से महज 2 साल में उनकी नेटवर्थ 50 लाख रुपये हो गई। 1990 के बजट को वह बेहद अहम बताते हैं, जिसके बाद तगड़ा बूम आया था। तब झुनझुनवाला की नेटवर्थ 2 करोड़ रुपये थी, जो कुछ ही समय में 20 करोड़ रुपये हो गई। वह कहते हैं कि रिस्क लेना जरूरी है, लेकिन उसका नतीजा भी पता होना चाहिए।
जानिए कैसा था राकेश झुनझुनवाला का सफर
राकेश झुनझुनवाला ने निवेश की दुनिया में साल 1985 में कदम रखा था। इस दौरान उन्होंने महज 5 हजार रुपये से निवेश की शुरुआत की थी और निधन से पहले उनकी कुल 'नेटवर्थ' 41 हजार करोड़ रुपये से अधिक की थी । झुनझुनवाला ने इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट से सीए की डिग्री भी ली। बताया जाता है कि शेयर बाजार में झुनझुनवाला की दिलचस्पी पिता के कारण हुई। उनके पिता टैक्स ऑफिसर थे। उनके पिता अक्सर दलाल कैसे बने अपने दोस्तों के साथ शेयर बाजार की बातें किया करते थे। झुनझुनवाला अपने पिता की बातें गौर से सुनते थे। इसके बाद से उन्होंने दलाल स्ट्रीट को समझना शुरू कर दिया और यहीं से उन्होंने निवेश की दुनिया में उड़ान भरनी शुरू कर दी। निवेश की दुनिया में जब उन्हें फायदा होने लगा तो उन्हें पक्का यकीन हो गया कि अगर कहीं से बड़ा पैसा बनाया जा सकता है तो वह सिर्फ यही जगह है।
झुनझुनवाला ने एक कार्यक्रम में बताया था कि उन्होंने अपना सफर 5 हजार रुपये से शुरू किया था और सीए भाई की मदद से महज 2 साल में उनकी नेटवर्थ 50 लाख रुपये हो गई। 1990 के बजट को वह बेहद अहम बताते हैं, जिसके बाद तगड़ा बूम आया था। तब झुनझुनवाला की नेटवर्थ 2 करोड़ रुपये थी, जो कुछ ही समय में 20 करोड़ रुपये हो गई। वह कहते हैं कि रिस्क लेना जरूरी है, लेकिन उसका नतीजा भी पता होना चाहिए।
राकेश झुनझुनवाला ऐसे बने शेयर बाजार के 'Big Bull', इन दो Stocks ने किया कमाल
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 14 अगस्त 2022,
- (अपडेटेड 14 अगस्त 2022, 5:43 PM IST)
- सबसे पहले 43 रुपये के हिसाब से खरीदे थे टाटा टी के शेयर
- मल्टीबैगर स्टॉक साबित हुआ टाइटन Titan का शेयर
राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala), आज दुनिया से विदा हो गए. इन्हें शेयर बाजार में 'बिग बुल (Big Bull)' के नाम से भी जाना जाता था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये नाम उन्हें कैसे मिला. तो हम आपको बताते हैं इसकी कहानी. दरअसल, झुनझुनवाला को दलाल स्ट्रीट का बिग बुल बनाने में टाटा समूह (Tata Group) का सबसे अहम योगदान रहा. इनमें से पहला रहा टाटा टी (Tata Tea) और दूसरा मल्टीबैगर स्टॉक साबित हुआ टाइटन (Titan).
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Titan के शेयरों ने दिलाया मुकाम
टाटा-टी के बाद राकेश झुनझुनवाला टाटा समूह की कंपनी टाइटन के शेयरों (Titan Stocks) में ऐसे समय पर निवेश किया, जबकि कीमत बेहद कम थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2002-03 में उन्होंने टाइटन के शेयर सिर्फ 3 रुपये की औसत कीमत पर खरीदे थे. वर्तमान में टाइटन के शेयर (Titan Stocks) का भाव 2,472 रुपये से ज्यादा है. इस कंपनी के शेयरों से मिले जबर्दस्त मुनाफे के बाद ही झुनझुनवाला का नाम शेयर बाजार में बिग बुल के नाम से मशहूर हो गया. जून 2022 तक टाइटन कंपनी में उनकी होल्डिंग 5.1 फीसदी की है, जो कीमत के लिहाज के करीब 11,000 करोड़ रुपये होती है.
रियल एस्टेट से बैंकिंग तक निवेश
Titan के साथ ही राकेश झुनझुनवाला ने अपने सपनों को उड़ान दी और निवेश का दायरा बढ़ाते हुए अपने सपनों को उड़ान दी. बिग बुल ने हर सेक्टर में निवेश किया और मुनाफा कमाया. रिपोर्ट के अनुसार, उनके कुल निवेश में रियल एस्टेट और निर्माण क्षेत्र (real estate and construction) में 13 फीसदी, फाइनेंस सेक्टर (Finance) में 6 फीसदी, फार्मास्युटिकल Pharmaceuticals में 6 फीसदी. बैंकिंग सेक्टर Banking में 6 फीसदी, जबकि 3 फीसदी का निवेश कम्प्यूटर, सॉफ्टवेयर, इंफ्रास्ट्रक्चर, फुटवियर, ऑटो और पैकेजिंग से संबंधित कंपनियों में है.
बाल ठाकरे की जुबानी जानिए, कैसे वह बने एक कार्टूनिस्ट
हर बात का एक समय होता है। इसी तरह एक वक्त कार्टून का था। कार्टूनों की एक अलग दुनिया थी। उस दुनिया में मैंने ब्रश के जरिए अपना एक अलग दलाल कैसे बने स्थान जरूर निर्माण किया। मैं कार्टूनिस्ट कैसे बना? यह एक मजेदार कहानी ही है, जिसमें अनेक पात्र और प्रसंग हैं। खट्टी-मीठी यादें हैं। जिंदगी में तो यही सब रहता है। लेकिन मेरे कार्टूनों की एक समग्र किताब प्रकाशित होगी और उसके लिए बीते समय के सभी कार्टूनों को बड़ी मेहनत के साथ इकट्ठा किया जाएगा, यह कभी सोचा न था। क्योंकि हम ठाकरे कभी कुछ संजोकर नहीं रखते। कल किताब प्रकाशित करनी है, तो आज कार्टूनों को संभालकर रखना हमसे नहीं हुआ। किसी तरह की संपत्ति का लालच नहीं रखा। धन जमा नहीं किया। जो आया दलाल कैसे बने बांट दिया। कार्टून ही हमारी संपत्ति है, लेकिन उन्हें लेकर भी हम लापरवाह रहे।
एक बार मैंने फ्री प्रेस के अपने पुराने कार्टून ऊपर छज्जे पर रखे थे, किसी संदर्भ के लिए जब उन्हें उतारा, तो उनमें दीमक लग दलाल कैसे बने चुकी थी। मुझे वह सारे कार्टून जलाने पड़े। वह मेरी जिंदगी का बहुत दुखद वाक्या था। पर आज वह सारे कार्टून फिर मेरे सामने आ गए हैं। उद्धव ने उस बात को दिल पर न लिया होता, तो यह मुमकिन नहीं हो पाता। आज किताब के रूप में अपने चुनिंदा कार्टूनों का खजाना जनता-जनार्दन के सामने रख रहा हूं।आज हम जो कुछ भी हैं, तो सिर्फ कार्टूनों की वजह से। मेरे हाथों में अगर ब्रश नहीं होता, दलाल कैसे बने तो आज राजनीति व समाज में हमने जो ऊंचाईयां हासिल की हैं, वह संभव नहीं होता। कार्टून बनाने के लिए हाथ और नजरें दोनों सशक्त चाहिए। अब मेरे हाथ थरथराते हैं, मगर पहले इन्हीं हाथों से मैंने अच्छे-अच्छों को कांपने पर मजबूर कर दिया था। आज जब मैं अपने कार्टूनों को देखता हूं, तो हैरानी होती है कि मैंने इतने अच्छे कार्टून कैसे बनाए। इसका श्रेय मैं प्रबोधनकार और बाबुराव पेंटर को दूंगा। और भी लोग हैं। मूलत मैं कार्टूनों की तरफ आकर्षित हुआ तो बैनबेरी के कार्टूनों की वजह से। बैनबेरी दूसरे विश्व युद्ध के समय टाईम्स आफ इंडिया के लिए कार्टून बनाते थे। उसी समय हम भिवंडी से मुंबई आए थे। 1939 का जमाना था, हम दादर में रहते थे। दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो चुका था। मैं रोजाना टाईम्स आफ इंडिया में बैनबेरी के कार्टून देखा करता था। एक दिन दादा यानी मेरे पिता ने पूछा- क्या देख रहे हो? मैंने कहा- कार्टून देख रहा हूं। उन्होंने फिर पूछा- अच्छा लगा? तो मैंने हां में जवाब दिया। पिताजी ने कहा- ठीक है, आज से तुम भी बनाओ। पेंसिल से बनाना, मैं शाम को वापस आने के बाद देखूंगा। शाम को घर आकर हाथ-पैर धोए और चाय पीने के बाद पूछा- क्यों भई, कुछ बनाया? मैंने जो बनाया था, उन्हें दिखा दिया। उन्होंने कुछ सुधार सुझाए। पिताजी का हाथ अच्छा था। वे खुद भी चित्रकार थे। उन्होंने हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया। मेरे कार्टूनिस्ट बनने में उनका बहुत बड़ा हाथ है। बड़ी कम उम्री में मेरे कार्टून प्रकाशित हुए। हालांकि उनकी कल्पना पिताजी की होती थी। इसलिए कार्टून कला के मेरे पहले गुरू मेरे पिता थे। उनके बाद मैं दीनानाथ दलाल और डेविड लो को अपना गुरू मानता हूं।
ऑनलाइन डी०एल० कैसे बनाये How to apply DL online?
ऑनलाइन डी०एल० कैसे बनाये (How to Apply DL online) आप जो अगर कोई भी वाहन चलाते हो तो आपके पास ड्राइबरी लइसेंस होना बहुत जरूरी है आपको पता होगा कि ट्रैफिक रूल दिन पर दिन बदले जा रहे है गाड़ी चलाने के लिए डी०एल० यानि ड्राइबरी लइसेंस आवश्यकता पड़ती है डी०एल० यह पता करने के लिए गोवेर्मेंट बनवाती है कि इस ब्यक्ति को पूरी तरीके से गाड़ी चलाना आता है की नहीं यही मैन मकसद डी०एल० बनवाने का होता है अगर आपको कोई भी गाड़ी चलानी है तो आपको ड्राइबरी लइसेंस की जरुरत पड़ेगी डी०एल० भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त एक बैध प्रमाण है
डी०एल० कैसे बनवाये? (How to Apply DL)
डी०एल० बनवाने लिए आप अपना ऑनलाइन फॉर्म अप्लाई करके ऑनलाइन फॉर्म के लिए Parivahan.gov.in पर जाकर अपना फॉर्म अप्लाई कर सकते है फिर उसके बाद आपको आर०टी०ओ० ऑफिस में जाकर टेस्ट देना होता है क्योंकि ये पता करने के लिए टेस्ट कराया जाता है कि इसको पूरी तरह से वाहन चलाना आता है और फिर जो अगर आप टेस्ट में पास कर लेते हो तो आपका लर्नर ड्राइबरी लइसेंस आपके घर आ जायेगा.
ऑफलाइन-की बात करे तो आपको आर०टी०ओ० ऑफिस जाकर डी०एल० के लिए अप्लाई कर सकते हो 200 से 300 रूपये देकर अपना फॉर्म भर सकते हो अगर आप दलाल के माध्यम से बनवाते हो तो आपको 1000 से 1500 तक देना पड़ सकता है दलाल आपसे बहुत सारा पैसा ले लेते है इससे अच्छा है आप अपना लइसेंस खुद से अप्लाई कर सकते है.
#1. म्यूच्यूअल फण्ड क्या है (WHAT IS MUTUAL FUND) की पूरी जानकारी? #2. बिना किसी कोर्स के इंग्लिश बोलना कैसे सीखे? #3. 5 बेस्ट तरीके ऑनलाइन पैसे कमाने के. #4. शेयर मार्किट क्या है What is Share Market hindi? |
अप्लाई करने लिए क्या क्या डाक्यूमेंट्स होना चाहिए |(What documents need to be applied)
1. पता दलाल कैसे बने का प्रमाण (Address of Proof)
- राशन कार्ड
- आधार कार्ड
- बिजली बिल
- वाटर बिल
- पैन कार्ड
- इलेक्ट्रिसिटी बिल
- रेंट एग्रीमेंट
2. जन्म का प्रमाण (Date of Birth Certificate)
- जन्म सर्टिफिकेट
- आधार कार्ड
- 10th मार्कशीट
- वोटर आई०डी०
3. डी०एल० कितने प्रकार के होते है (Types of Driving Licence)
- लर्नर लइसेंस
- स्थाई लाइसेंस
- इंटरनेशनल लइसेंस
- डुप्लीकेट दलाल कैसे बने लइसेंस
- लाइट मोटर विकल लइसेंस
- हैवी मोटर विकल लइसेंस
डी०एल० अप्लाई करने से पहले-आपके पास ऊपर दिए हुये डाक्यूमेंट्स होना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि नहीं ये सब डाक्यूमेंट्स नहीं होने पर डी०एल० अप्लाई नहीं हो सकता है और प्रार्थी दलाल कैसे बने यानि जिसका लइसेंस बनना है उसकी ऐज 18 साल से ज्यादा होना चाहिए और उसका उसी आर०टी०ओ० ऑफिस बन सकता है इसके अंडर उसका अड्रेस आता होगा अन्थया कही और से नहीं बनवा सकते है.
दलाल-को पैसा कभी न दे हमेशा डायरेक्ट आप आर०टी०ओ० ऑफिस या ऑनलाइन फ्रॉम अप्लाई करके आपको बनवाना चाहिए किसी भी दलाल को पैसा नहीं देना चाइये आपसे दलाल जयदा पैसे वसूल लेते है और ये पता नहीं होता है की लइसेंस बन जायेगा की नहीं क्योकि बहुत सारे दलाल फ्रॉड कर जाते है तो हमेशा ध्यान रख्खे स्वॅम अप्लाई करके बनवाये.