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डेरिवेटिव मार्केट क्या है?

डेरिवेटिव मार्केट क्या है?
स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह ग्लोबल ट्रेंड्स और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के प्रवाह से तय होगी.

शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव : कहां डेरिवेटिव मार्केट क्या है? करें डेरिवेटिव मार्केट क्या है? निवेश?

इन दिनों शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। लेकिन इस उतार-चढ़ाव के दौर में भी निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि बाजार में निवेश का एक ऐसा भी विकल्प है, जहां उतार-चढ़ाव का इस्तेमाल प्रतिफल हासिल करने के लिए किया जाता है। यह विकल्प है आर्बिट्राज फंड।

क्या है आर्बिट्राज फंड?

बाजार में उतार-चढ़ाव के दौर में कम जोखिम उठाने वाले निवेशकों के लिए आर्बिट्राज फंड निवेश का एक बेहतर विकल्प है। ये इक्विटी म्युचुअल फंड की श्रेणी में आते हैं। मतलब इसमें कम से कम 65 फीसदी निवेश इक्विटी में होता है। जबकि बाकी निवेश डेट और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में किया जाता है। आर्बिट्राज फंड इक्विटी मार्केट के कैश और फ्यूचर (डेरिवेटिव) सेगमेंट में किसी शेयर की कीमत में अंतर का फायदा उठाकर प्रतिफल देते हैं। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव वाले दौर में दोनों सेगमेंट के बीच कीमतों का अंतर बढ़ जाता है। जब बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ता है, तब ये फंड ज्यादा प्रतिफल देते हैं, लेकिन जब उतार-चढ़ाव कम होता है तो प्रतिफल में भी कमी आती है।

कैसे काम करता है?

इसमें एक सेगमेंट से कम कीमत पर शेयर खरीद कर दूसरे सेगमेंट में ज्यादा कीमत पर बेच दिया जाता है। इसे एक उदाहरण की मदद से समझा जा सकता है। मान लीजिए किसी कंपनी के एक शेयर की कीमत कैश सेगमेंट में 500 रुपये है और फ्यूचर/डेरिवेटिव सेगमेंट में 550 रुपये है। इसलिए अगर कोई निवेशक एक ही समय में इस शेयर को कैश सेगमेंट में खरीदकर फ्यूचर सेगमेंट में बेच दे तो उसे 50 रुपये का मुनाफा होगा। इस तरह आर्बिट्राज फंड कैश सेगमेंट और फ्यूचर सेगमेंट में कीमतों के बीच अंतर का फायदा उठाता है।

क्या है आर्बिट्राज फंड?

इस फंड को काफी सुरक्षित माना जाता है। फंड मैनेजर इक्विटी में निवेश करने के बाद डेरिवेटिव मार्केट में उस सौदे को हेज करता है। इससे कैश मार्केट में खरीदे गए शेयर पर जोखिम काफी हद तक घट जाता है और शेयरों में ज्यादा गिरावट आने पर भी पोर्टफोलियो सुरक्षित बना रहता है।

क्या हैं टैक्स प्रावधान?

ये फंड इक्विटी म्युचुअल फंड की कैटेगरी में आते हैं। इसलिए इस पर टैक्स भी इक्विटी की तरह हीं लगता है। यहां हम इसके दोनों ऑप्शन ग्रोथ और डिविडेंड में टैक्स प्रावधान की बात करेंगे।

ग्रोथ ऑप्शन : एक साल से कम अवधि में अगर आप रिडीम करते हैं तो इनकम शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी और आपको 15 फीसदी (प्लस 4 फीसदी सेस) शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। लेकिन अगर आप एक साल के बाद रिडीम करते हैं तो इनकम लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी और आपको सालाना एक लाख रुपये से ज्यादा की आय पर 10 फीसदी (प्लस 4 फीसदी सेस) लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। एक लाख रुपये से कम की आय पर कोई टैक्स देय नहीं होगा।

डिविडेंड ऑप्शन : अगर आप डिविडेंड प्लान लेते हैं तो आपको निवेश की अवधि के दौरान, जो प्रतिफल लाभांश के रूप में मिलता है, वह आपकी सालाना आय में जुड़ जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से उस रकम पर टैक्स अदा करना होगा। साथ ही, अगर किसी वित्त वर्ष में लाभांश 5 हजार रुपये से ज्यादा है तो लाभांश राशि पर आपसे 10 फीसदी टीडीएस काट लिया जाएगा।

ग्रोथ या डिविडेंड?

जो लोग एक साल तक के लिए इनमें निवेश कर रहे हैं, वे डिविडेंड ऑप्शन को चुन सकते हैं, बशर्ते डिविडेंड को जोड़ने के बाद भी उनकी टैक्स योग्य आय 5 लाख रुपये से कम हो। क्योंकि अगर होल्डिंग पीरियड एक साल से कम है तो ग्रोथ स्कीम में आपको 15 फीसदी शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। वहीं, जिनका होल्डिंग पीरियड एक साल से अधिक है, उनके लिए ग्रोथ ऑप्शन अच्छा रहेगा।

Derivative क्या हैं?

वित्त में, एक Derivative एक Contract है जो एक अंतर्निहित इकाई के प्रदर्शन से अपना मूल्य प्राप्त करता है। यह अंतर्निहित इकाई एक परिसंपत्ति, सूचकांक या ब्याज दर हो सकती है, और इसे अक्सर "Underlying" कहा जाता है।

डेरिवेटिव डेरिवेटिव मार्केट क्या है? क्या हैं? [What is Derivative? In Hindi]

डेरिवेटिव वित्तीय अनुबंध (Contract) हैं जिनका मूल्य अंतर्निहित परिसंपत्ति या परिसंपत्तियों के समूह पर निर्भर है। आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली संपत्ति स्टॉक, बॉन्ड, मुद्राएं, कमोडिटीज और मार्केट इंडेक्स हैं। अंतर्निहित परिसंपत्तियों का मूल्य बाजार की स्थितियों के अनुसार बदलता रहता है। डेरिवेटिव अनुबंधों (Contracts) में प्रवेश करने के पीछे मूल सिद्धांत भविष्य में अंतर्निहित परिसंपत्ति के मूल्य पर अनुमान लगाकर लाभ अर्जित करना है।

कल्पना कीजिए कि किसी इक्विटी शेयर का बाजार मूल्य ऊपर या नीचे जा सकता है। स्टॉक मूल्य में गिरावट के कारण आपको नुकसान हो सकता है। इस स्थिति में, आप एक सटीक शर्त लगाकर लाभ कमाने के लिए एक डेरिवेटिव अनुबंध (Derivative Contract) में प्रवेश कर सकते हैं। या बस अपने आप को स्पॉट मार्केट में होने वाले नुकसान से बचाएं जहां स्टॉक का कारोबार किया जा रहा है।

Derivative क्या हैं?

डेरिवेटिव के लाभ [Benefits of Derivatives] [In Hindi]

  • अपना निवेश सुरक्षित करें (Secure your investment):

एक Derivative Contract एक निवेश के खिलाफ खुद को बचाने का सबसे अच्छा तरीका है जिसे आप खट्टा (tart) होते हुए देख सकते हैं। जब आप शेयर बाजार में डेरिवेटिव में व्यापार करते हैं, तो आप अनिवार्य रूप से अपनी निश्चितता पर पैसा लगा रहे हैं कि एक निश्चित स्टॉक या तो अच्छा करेगा या डूब जाएगा। डेरिवेटिव ट्रेडिंग का एक बड़ा हिस्सा अटकलों पर आधारित है और यह आवश्यक है कि इस तरह के व्यापार में उद्यम करने से पहले बाजार के बारे में आपका ज्ञान पर्याप्त हो। नतीजतन, यदि आप जानते हैं कि जिन शेयरों में आपने निवेश किया है, वे मूल्य में गिरावट शुरू कर रहे हैं, तो आप एक अनुबंध (Contract) में प्रवेश कर सकते हैं जिसमें आप स्टॉक मूल्य में कमी का सटीक अनुमान लगा सकते हैं।

  • आर्बिट्रेज का लाभ (Advantage of arbitrage):

अनुभवी निवेशकों के बीच एक सामान्य व्यापार तंत्र को आर्बिट्रेज ट्रेडिंग कहा जाता है, जिसमें एक वस्तु या सुरक्षा को एक बाजार में कम कीमत पर खरीदा जाता है और फिर दूसरे बाजार में काफी अधिक कीमत पर बेचा जाता है। डेरिवेटिव ट्रेडिंग आपको आर्बिट्रेज ट्रेडिंग के संदर्भ में एक लाभ प्रदान करती है, जो आपको विभिन्न बाजारों में मूल्य निर्धारण के अंतर से लाभ उठाने में सक्षम बनाती है।

  • बाजार की अस्थिरता से सुरक्षित रहें (Stay safe from market volatility):

डेरिवेटिव में निवेश करने से आप बाजार की अस्थिरता से सुरक्षित रह सकते हैं। उदाहरण के लिए, आप एक निश्चित बाजार में स्टॉक खरीद सकते हैं और फिर एक Derivatives Contract में प्रवेश कर सकते हैं जिसके माध्यम से आप अपने निवेश की रक्षा करते हैं, भले ही आपको बाजार में नुकसान हो।

  • डूबते शेयरों पर लाभ (Profit on sinking stocks):

डेरिवेटिव में निवेश करने के लिए अक्सर आपको तस्वीर के दोनों पक्षों को देखने की आवश्यकता होती है। एक निवेशक के रूप में, यह संभावना है कि आपने उन शेयरों में निवेश किया है जो आपको विश्वास है कि अच्छा प्रदर्शन करेंगे। डेरिवेटिव मार्केट क्या है? हालांकि, अगर वे नहीं हैं और आप इसे बाकी बाजार से पहले सटीक रूप से मापने में सक्षम हैं, तो आप डेरिवेटिव अनुबंध में प्रवेश करके लाभ कमाने में सक्षम हो सकते हैं। Delisting क्या है?

  • अपने अधिशेष फंड का निवेश करें (Invest your surplus funds):

जबकि अधिकांश व्यापारी सट्टा और लाभ के लिए डेरिवेटिव बाजार में प्रवेश करते हैं, यह भी अक्सर आपके पास किसी भी अधिशेष धन को पार्क करने के लिए सबसे अच्छा होता है। अपने अधिशेष निधियों के साथ डेरिवेटिव अनुबंधों में प्रवेश करके, आप अपने किसी भी मौजूदा, अंतर्निहित प्रतिभूतियों को छुए बिना अतिरिक्त लाभ उत्पन्न करने के लिए अपने धन का उपयोग कर रहे हैं।

डेरीवेटिव क्या होता है ? (What is Derivative)

Zerodha

इसलिए सिम्सोपली सोने की रिंग डेरीवेटिव है सोने का, और मार्केट में अगर सोने के भाव में तेजी होगी, तो सोने की रिंग का भाव भी बढेगा, और मार्केट में अगर सोने का भाव घटा तो सोने की रिंग के भाव में कमी आ सकती है,

ये एक सिम्पल एक्साम्प्ल है डेरीवेटिव का, यहाँ पर सोना underlying asset है सोने का,

इसके अलावा – दही भी डेरीवेटिव दूध का,

दही, दही बंनने के लिए जरुरी है दूध, दूध नहीं तो दही नहीं, इसलिए दही जो डिपेंड (underlay) है दूध पे, और इसलिए हम कह सकते है दही डेरीवेटिव है दूध का,

जी हा, दही डेरीवेटिव है,

और आज के बाद, आप जब भी दही को देखो, दही खाओ या दही का नाम भी सुनो तो समझना कि दही दूध का डेरीवेटिव है,डेरिवेटिव मार्केट क्या है?

एक स्टेप आगे…जाये…तो

दही से बनता है – घी और मक्खन, और घी और मक्खन दही के डेरीवेटिव है, या कह सकते है कि दही या मक्खन दूध के भी डेरीवेटिव है …क्योकि …दही हो, मक्खन हो या फिर घी हो …इन सबकी उत्पति दूध होने पर ही संभव है,

अगर दूध नहीं तो दही नहीं…

खैर….हम दूध दही और इन सबमे और डीप में नहीं जायेंगे…यहाँ पर हमें सिम्पली ये समझना है कि दही एक बेस्ट एक्साम्प्ल है डेरीवेटिव का…

लेकिन दही और स्टॉक मार्केट का क्या सम्बन्ध,

दही और स्टॉक मार्केट (डेरीवेटिव) का क्या सम्बन्ध

ये सही है कि दही और स्टॉक मार्केट का कोई सम्बन्ध नहीं है, लेकिन जो हमने कांसेप्ट समझा डेरीवेटिव का, उस कांसेप्ट का स्टॉक मार्केट में बहुत ज्यादा महत्व है,

क्योकि स्टॉक मार्केट में दो सेगेमेंट होते है

एक होता है – कैश सेगेमेंट, औरदूसरा – डेरीवेटिव सेगेमेंट,

और डेरीवेटिव सेगमेंट को हम फ्यूचर और आप्शन सेगमेंट के नाम से भी जानते है,

यानी स्टॉक मार्केट में स्टॉक फ्यूचर एक डेरीवेटिव है, जिसका मूल्य उसके underlying stock के भाव से निकाला जाता है,

और आप्शन के साथ भी ऐसा ही है, आप्शन भी एक डेरीवेटिव है, जिसका भाव किसी स्टॉक या इंडेक्स के भाव से निकाला जाता है,

जैसे – टाटा स्टील फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट, एक डेरीवेटिव है , और इस केस में टाटा स्टील फ्यूचर के कॉन्ट्रैक्ट का भाव डिपेंड करेगा, टाटा स्टील के स्टॉक प्राइस से,

और ऐसे ही, निफ्टी आप्शन कॉन्ट्रैक्ट, एक डेरीवेटिव है, और निफ्टी आप्शन कॉन्ट्रैक्ट का भाव derive होगा निफ्टी से,

अब डेरीवेटिव इनता इम्पोर्टेन्ट क्यों है ?

अगर बात करे कि डेरीवेटिव का क्तोया इम्पोर्टेंस है ?

तो डेरीवेटिव बहुत ही इम्इपोर्सटेन्काट पार्ट है स्टॉक मार्केट या कैपिटल मार्केट का, और इसका सिम्पल सा कारण ये है कि अगर आप स्टॉक मार्केट के डाटा को देखे तो आपको पता चलेगा कि इन टर्म ऑफ़ टर्नओवर, कैश सेगेमेंट से कई गुना ज्यादा कारोबार डेरीवेटिव सेगेमेंट में होता है, और अगर कोई स्टॉक मार्केट में काम करना चाहता है तो उसके लिए लिए डेरीवेटिव के कांसेप्ट को समझना बहुत ही ज्यादा इम्पोर्टेन्ट हो जाता है,

आई हॉप कि आप यहाँ तक डेरीवेटिव के कांसेप्ट को जरुर समझ पा रहे होंगे…और आपको डेरीवेटिव का कांसेप्ट और इसकी परिभाषा, इसका अर्थ आपको जरुर याद रहेगा…

Derivative और underlying asset

जैसा हमने देखा डेरीवेटिव में दो चीज है

पहला – डेरीवेटिव प्रोडक्ट (कॉन्ट्रैक्ट ) उस प्रोडक्ट का underlying asset (जिस के आधार पर डेरीवेटिव का भाव में बदलाव आता है )

अब एक इम्पोर्टेन्ट क्वेश्चन – किसका भाव ज्यादा होगा – डेरीवेटिव का या फिर उस डेरीवेटिव के underlying (asset/stock/index) का,

दुसरे, शब्दों में,

Example के तौर पे किसका भाव ज्यादा होगा दही या फिर दूध का ?

(ध्यान दीजिए कि दही डेरीवेटिव है और दूध underlying है )

तो इसका जवाब यही होगा कि –

दही क्योकि दूध से बनता है, दूध को दही बनने के लिए समय लगता है, प्रोसेस होता है, और उस प्रोसेस के कास्ट को जोड़ने से दूध की अपेक्षा दही की कीमत ज्यादा हो जाती है,

जैसे – अगर दूध का प्राइस है x और उस दूध को दही बनाने में जो कास्ट आएगा वो मान लेते है Y

तो दही का जो प्राइस होगा = x+y+profit of the seller

और अगर दूध का भाव बढेगा तो दही का भाव आटोमेटिकली बढ़ जायेगा… यानि, इसका मतलब ये हुआ कि – आम तौर पर

डेरीवेटिव का भाव उसके underlying asset से ज्यादा होता है,

और बिल्कुल स्टॉक मार्केट के डेरीवेटिव सेगमेंट में कुछ ऐसा ही देखने को मिलता है

और इसमें जो डेरीवेटिव होता है उसका प्राइस भी कुछ इसी तरह से तय होता है, जिसमे underlying asset (stock/index/commodity) का मार्केट प्राइस + कॉन्ट्रैक्ट कैर्री प्राइस + मार्जिन ऑफ़ seller /buyer मिलकर डेरीवेटिव के प्राइस को तये करते है,

डेरीवेटिव क्या होता है ? (What is Derivative) – Summary

तो अब फाइनली स्टॉक मार्केट में डेरीवेटिव को समझना हो, तो वो कुछ ऐसा होगा डेरिवेटिव मार्केट क्या है? कि –

डेरीवेटिव (Derivative)– एक फाइनेंसियल instrument/contract/product है जिसकी value किसी दुसरे स्टॉक/इंडेक्स /commodity से derive होती है,

ध्यान दीजिए कि – स्टॉक मार्केट में डेरीवेटिव लेगेल कॉन्ट्रैक्ट होते है, और इस कॉन्ट्रैक्ट की सभी नियम और शर्ते, पहले से निश्चित होती है, और लीगली bounded अग्रीमेंट होते है,

Market Outlook This Week: ग्लोबल ट्रेंड से तय होगी बाजार की चाल, डेरिवेटिव एक्सपायरी की वजह से रहेगा उतार-चढ़ाव

Market Outlook: एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस सप्ताह फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) की बैठक का ब्योरा जारी होगा, जिससे बाजार को आगे के लिए संकेतक मिलेंगे.

Market Outlook This Week: ग्लोबल ट्रेंड से तय होगी बाजार की चाल, डेरिवेटिव एक्सपायरी की वजह से रहेगा उतार-चढ़ाव

स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह ग्लोबल ट्रेंड्स और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के प्रवाह से तय होगी.

Market Outlook This Week: स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह ग्लोबल ट्रेंड्स और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के प्रवाह से तय होगी. विश्लेषकों ने यह राय जताते हुए कहा कि इस सप्ताह घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा आंकड़ा नहीं आना है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा मंथली डेरिवेटिव एक्सपायरी की वजह से भी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के रिटेल रिसर्च हेड सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि इस सप्ताह फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) की बैठक का ब्योरा जारी होगा, जिससे बाजार को आगे के लिए संकेतक मिलेंगे.

क्या है एक्सपर्ट्स की राय

  • रेलिगेयर ब्रोकिंग लि. के उपाध्यक्ष शोध अजित मिश्रा ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ी घटना नहीं होने की वजह से स्थानीय बाजार की दिशा ग्लोबल ट्रेंड, कच्चे तेल के दाम और मुद्रा के उतार-चढ़ाव से तय होगी.
  • इसके अलावा नवंबर माह के डेरिवेटिव एक्सपायरी की वजह से भी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है. वैश्विक डेरिवेटिव मार्केट क्या है? बाजारों में भी कुछ कमजोरी का रुख देखने को मिला.
  • स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक प्रवेश गौर ने कहा, ‘‘संकेतकों के अभाव में बाजार ने सीमित दायरे में कारोबार किया. डेरिवेटिव एक्सपायरी के बीच अब बाजार को दिशा के लिए संकेतकों का इंतजार रहेगा. इस बात की काफी संभावना है कि बाजार अभी ऊपर की ओर जाए. हालांकि, व्यापक रूप से बाजार में मुनाफावसूली देखने को मिल रही है.’’

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FOMC की बैठक का दिख सकता है असर

उन्होंने कहा कि वैश्विक मोर्चे की बात की जाए तो एफओएमसी की बैठक के ब्योरे से कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है. साथ ही संस्थागत निवेशकों का प्रवाह महत्वपूर्ण होगा. पिछले कुछ सत्रों से इसमें कमी आई है. जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर किसी बड़े घटनाक्रम के अभाव में बाजार वैश्विक संकेतकों से ही दिशा लेगा. बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 131.56 अंक या 0.21 प्रतिशत के नुकसान में रहा. वहीं निफ्टी में 42.05 अंक या 0.22 प्रतिशत की गिरावट आई.

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