क्रिप्टो करेंसी का उपयोग कैसे किया जाता है

मनी लॉन्ड्रिंग में क्रिप्टोकरंसी का बढ़ता इस्तेमाल बड़ी चिंता, वजीर एक्स की संपत्तियों को ईडी ने किया फ्रीज
क्रिप्टोकरेंसी के जरिये मनी लॉन्ड्रिंग, घोटाले, फिरौती, रिश्वतखोरी, हैंकिंग, डार्कनेट मार्केट और आतंकवादी गतिविधियों की फंडिंग की जा रही है। पोंजी स्कीम, फिशिंग, फेक टोकन सेल, ब्लैकमेलिंग लेनदेन बढ़ा।
वित्तीय अपराधों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने वाले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज कंपनी वजीर एक्स की संपत्तियों को फ्रीज कर दिया। ब्लॉकचेन की अंतर्निहित क्षमता के बावजूद ईडी क्रिप्टो प्लेटफॉर्म पर इस तरह के आरोप लगाने वाली पहली एजेंसी नहीं है। जांच एजेंसियों के लिए यह एक नई चिंता बनकर उभरा है।
कैसे बढ़ रही क्रिप्टो चोरी
चेनअनालिसिस 2022 क्रिप्टो क्राइम रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 में क्रिप्टोकरंसी चोरी और अवैध खातों में पैसा हस्तांतरित करने का चलन 80 फीसदी तक बढ़ गया।
वर्ष कुल नुकसान (बिलियन डॉलर में)
2017 में 4.6
2018 में 4.4
2019 में 11.7
2020 में 7.8
2021 में 14.0
1. क्या ब्लॉकचेन से लेनदेन का आकलन संभव है ?
ब्लॉकचेन पर लेनदेन हमेशा जांच योग्य होता है। दुनिया भर में अधिकांश अदालत और कानून प्रवर्तन निकाय ब्लॉकचेन रिकॉर्ड को लेनदेन इतिहास के कानूनी प्रमाण के रूप में स्वीकार करते हैं। हालांकि, क्रिप्टो लेनदेन कभी-कभी ऑफ-चेन हो सकता है, या धन के प्रवाह को बाधित करने के लिए अन्य तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, ब्लॉकचेन कन्वेयर बेल्ट की तरह हैं, जो क्रिप्टो के प्रवाह को एक वॉलेट से दूसरे क्रिप्टो करेंसी का उपयोग कैसे किया जाता है में भेजने की सुविधा देते हैं। वॉलेट सेवा देने वाली कंपनी वॉलेट रखने वाले के बारे में गोपनीयता का ध्यान रखती है।
2. हस्तांतरण किस तरह छिपाए जाते हैं?
हैकर्स द्वारा उपयोग किए जाने वाले सबसे आम तरीकों में से एक को मिक्सिंग या टम्बलर कहा जाता है। चूंकि हर क्रिप्टो टोकन का पता लगाया जा सकता है, टंबलर विभिन्न ब्लॉकचेन से कई टोकन तोड़ते हैं और उन्हें मिलाते हैं। फिर वे मूल राशि को उसके मालिक को हस्तांतरित कर देते हैं, लेकिन कई माध्यमों से लेन-देन के चलते इसका पता लगाना कई बार मुश्किल हो जाता है। कुछ अवैध उपयोगकर्ता ट्रेस करने योग्य टोकन को गोपनीयता-केंद्रित ब्लॉकचेन जैसे मोनेरो में भी स्थानांतरित करते हैं, जो वॉलेट का पता और विवरण छिपा लेते हैं। ऐसे दलाल भी हैं जो नकद क्रिप्टो करेंसी का उपयोग कैसे किया जाता है सहित अन्य रूप में भुगतान लेकर समान राशि को क्रिप्टो में उपयोगकर्ता के वॉलेट में भेज देते हैं।
3.ईडी ने वजीर एक्स और बिनांस पर क्या आरोप लगाए?
ईडी का दावा है कि वजीरएक्स की होल्डिंग कंपनी जानमाई लैब्स क्रिप्टो-टू-क्रिप्टो लेनदेन के बारे में विरोधाभासी और अस्पष्ट जवाब दे रही है। ईडी ने कहा कि वजीरएक्स ब्लॉकचेन डाटा और लेनदेन का ब्योरा में विफल क्रिप्टो करेंसी का उपयोग कैसे किया जाता है रहा है।
4.ऑफ-चेन हस्तांतरण क्या है?
-जब कोई उपयोगकर्ता किसी एक्सचेंज से क्रिप्टो निकालता है तो उसे अपना वॉलेट पता बताना होता है, जिसके बाद टोकन ट्रांसफर किया जाता है। इसका ब्योरा ब्लॉकचेन पर भी रखा जाता है। हालांकि, इसके लिए उन्हें एक शुल्क देना होता है जिसका उपयोग ब्लॉकचेन पर भुगतान में किया जाता है। इस शुल्क से बचने के लिए, दो प्लेटफॉर्म एक-दूसरे के साथ एकीकृत हो सकते हैं और उपयोगकर्ताओं को ब्लॉकचेन का उपयोग किए बिना क्रिप्टो ट्रांसफर करने की अनुमति दे सकते हैं। ब्लॉकचेन पर रिकॉर्ड नहीं रखे जाते, ऐसे में इस तरह के लेन-देन से धन की खोज के संबंध में सवाल उठते रहते हैं।
5. एक्सचेंज किस तरह मनी लॉन्ड्रिंग रोक सकते हैं?- विशेषज्ञों के अनुसार, एक्सचेंज केवाईसी और आठ से दस क्रिप्टो करेंसी का उपयोग कैसे किया जाता है वर्षों के लेनदेन का रिकॉर्ड रख सकते हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस में साइबर अपराध शाखा के पुलिस अधीक्षक त्रिवेणी सिंह के अनुसार, केवाईसी वाले वॉलेट से लेनदेन का ब्योरा आसानी से रखा जा सकेगा। हालांकि, भारत के बाहर के प्लेटफॉर्म पर रखे गए वॉलेट के लिए केवाईसी मानदंड भारत से भिन्न हो सकते हैं। कुछ ब्लॉकचेन रिसर्च फर्म मशीन लर्निंग-आधारित टूल पर भी काम कर रही हैं जो अवैध खातों को चिह्नित कर सकती हैं।
भारत का डिजिटल रुपया क्रिप्टोकरेंसी से कितना अलग? जानिए कैसा होगा भविष्य का पैसा
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार को डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया है। लेकिन, सभी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह क्रिप्टोकरेंसी जैसा होगा? इसे किस तरह संचालित किया जाएगा?
डिजिटल रुपये (Digital Rupees) की सुगबुगाहट पिछले एक साल से थी, आखिरकार इसका पायलट प्रोजेक्ट 1 नवंबर से शुरू हो गया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार को डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया है। लेकिन, सभी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह क्रिप्टोकरेंसी जैसा होगा? इसे किस तरह संचालित किया जाएगा? आइए एक-एक करके जानते हैं कि भविष्य का पैसा कैसा होगा?
हाल के कुछ साल में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते प्रचलन की वजह से दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के सामने अपने देश की करेंसी को बचाए रखने का संकट भी धीरे-धीरे खड़ा हो रहा है। यही वजह है कि सभी देश अपने-अपने स्तर पर क्रिप्टोकरेंसी को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि क्रिप्टोकरेंसीज को कोई रेगुलेट नहीं करता है इसलिए इसके जरिए टेरर फंडिंग की भी बात सामने आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसीज के संचालन को लेकर कई बार चिंता भी व्यक्त की है। इस साल बजट में सरकार की तरफ से जब डिजिटल रुपये का ऐलान हुआ तभी यह बात स्पष्ट हो गई थी कि भारत सरकार किसी प्रकार मौका क्रिप्टोकरेंसीज को नहीं देना चाहती है। तब रही-कही कसर क्रिप्टोकरेंसी पर 30 प्रतिशत का टैक्स लगाकर पूरा कर दिया था। आइए जानते हैं जिस डिजिटल रुपये को भारत, क्रिप्टोकरेंसी के बराबर खड़ा करने की सोच रहा है वह है क्या? रिजर्व बैंक इसे रेगुलेट कैसे करेगा? इन सबके अलावा हम और आप जैसे आम आदमी इसका उपयोग कैसे कर पाएंगे।
क्या है डिजिटल रुपया?
अभी हम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से जारी 100, 200 रुपये के नोट्स और सिक्के का उपयोग करते हैं। इसी का डिजिटल स्वरूप ही डिजिटल रुपया कहलाएगा। टेक्निकल भाषा में इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) भी कह सकते हैं। यानी रुपये का इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म, जिसका उपयोग हम बिना स्पर्श किए (कॉन्टैक्टलेस ट्रांजैक्शन) करेंगे। बता दें, सरकार ने इसका ऐलान 2022 के बजट में किया था।
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क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपये में अंतर क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी को कोई भी रेगुलेट नहीं करता है। यह पूरा तरह से ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर निर्भर करता है। इसलिए यह लेन-देन के लिए आधिकारिक करेंसी नहीं माना जाती है। वहीं, डिजिटल रुपये को रिजर्व बैंक जारी करेगा। इसका संचालन पूरी तरह आरबीआई के हाथ में होगा और बैंक अपने ग्राहकों को इसे बांट सकते हैं।
एक-दूसरे को कैसे करेंगे ट्रांसफर
डिजिटल रुपये के रिटेल वर्जन यानी जिसका उपयोग हम और आप जैसे सामान्य लोग करेंगे वह टोकन आधारित हो सकता है। व्यक्तियों को रसीद भी दी जा सकती है (जैसे ई-मेल इत्यादि)। डिजिटल रुपये को ट्रांसफर करते वक्त पासवर्ड जैसे डीटेल्स की जरूरत पड़ सकती है, क्योंकि यह पूरी तरह से प्रोग्राम्ड होगा तो इसलिए शुरुआती समय में इसे सेक्टर बेस्ड ही जारी किया जा सकता है। उदाहरण के रूप में खाद की सब्सिडी डिजिटल रुपये में ट्रांसफर की जाए।
क्या डिजिटल रुपये पर मिलेगा ब्याज?
नहीं, डिजिटल रुपये पर आरबीआई की तरफ से कोई भी ब्याज नहीं दिया जाएगा।
पैसे के लेन-देन पर रहेगी आरबीआई की नजर
जब हमें कोई नोट देता है तो किसी को पता नहीं होता है कि इससे पहले किस-किस के पास से यह पैसा गुजरा है। डिजिटल रुपये में ऐसा नहीं होगा। रिजर्व बैंक सभी पैसे का पता कर पाएगा कि यह किसके-किसके पास से गुजरा है। खासकर बड़े अमाउंट पर कड़ी नजर रहेगी।
बिना इंटरनेट के कर पाएंगे डिजिटल रुपये को ट्रांसफर?
रिजर्व बैंक डिजिटल रुपये के ऑफलाइन मोड पर काम कर रहा है। यानी जब कभी ये आम लोगों के उपयोग में आए तो वह इसका उपयोग ऑफलाइन भी कर पाएं।
1 नवंबर से पायलट प्रोजेक्ट शुरू
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा, 'डिजिटल रुपये (होलसेल ट्रांजैक्शन) का पहला पायलट परीक्षण एक नवंबर को शुरू होगा। इस टेस्टिंग के तहत सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन का निपटान किया जाएगा।' आरबीआई ने 'केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा' (central bank digital currency OR CBDC) लाने की अपनी योजना की दिशा में कदम बढ़ाते हुए डिजिटल रुपये का पायलट टेस्टिंग शुरू करने का फैसला किया है। थोक खंड (Wholesale Transactions) के लिए होने वाले इस परीक्षण में नौ बैंक शिरकत करेंगे। इन बैंकों की पहचान भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी के रूप में की गई है।
पहले दिन कैसा रहा रिस्पांस
मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार पहले दिन डिजिटल रुपये के पायलट प्रोजेक्ट में सेकेंड्री मार्केट गर्वमेंट बॉन्ड का ट्रांजैक्शन 2.75 अरब डॉलर रुपये का हुआ है। तीन सिक्योरिटीज में नए रूट से यह ट्रेड सेटल्ड हुआ है।
क्रिप्टो करेंसी क्या है
प्रत्येक देश की अपनी एक करेंसी अर्थात मुद्रा होती हैं और उसका एक निश्चित नाम भी होता है, जैसे कि भारत में रूपया, अमेरिका में डालर, अरब का रियाल आदि | किसी भी देश की करेंसी के माध्यम से उस देश की अर्थव्यवस्था संचालित होती है |
इन सभी करेंसी को आप देख सकते है, अपनें पास एकत्र कर सकते है परन्तु आज की इस डिजिटल दुनिया में एक नई तरह की करेंसी आ गयी है, जिसे न ही हम देख सकते है और ना ही हम छू सकते है, क्योंकि यह डिजिटल फॉर्म में होती हैं | इस डिजिटल करेंसी का नाम क्रिप्टोकरेंसी है | क्रिप्टो करेंसी क्या है, क्रिप्टो करेंसी के प्रकार व नाम के बारें में आपको यहाँ पूरी जानकारी विधिवत रूप से दे रहे है |
क्रिप्टो करेंसी का क्या मतलब होता है ?
Table of Contents
क्रिप्टो करेंसी एक ऐसी मुद्रा है, जो कंप्यूटर एल्गोरिथ्म पर बनी होती है | यह एक ऐसी मुद्रा है, जिसे किसी भी देश की सरकार लागू नहीं करती है | इस मुद्रा पर किसी देश, राज्य या किसी अथॉरिटी का नियंत्रण नहीं होता है अर्थात यह एक स्वतंत्र मुद्रा है, जो डिजिटल रूप में होती है इसके लिए क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग किया जाता है। क्रिप्टो करेंसी द्वारा आप किसी भी तरह की वस्तु या सेवाएं खरीद या बेच सकते हैं।
क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत सबसे पहले जापान के सतोषी नाकमोतो नामक इंजीनियर नें वर्ष 2009 में की थी और पहली क्रिप्टो करेंसी का नाम बिटकॉइन है | हालाँकि शुरुआत में इसे कोई खास सफलता नहीं मिली परन्तु कुछ समय बाद यह काफी प्रचलित हुई और इसकी कीमत आसमान छूने लगी और धीरे-धीरे यह पूरी दुनिया में फ़ैल गयी |
क्रिप्टो करेंसी के प्रकार (Types Of Crypto Currency)
वर्तमान समय में लगभग 1 हजार से अधिक क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में उपलब्ध हैं, परन्तु इनमें से कुछ क्रिप्टो करेंसी ऐसी है, जिनका उपयोग सबसे अधिक किया जा रहा है, इनके नाम इस प्रकार है-
बिटकाइन (Bitcoin)
बिटकॉइन दुनिया की सबसे महंगी क्रिप्टोकरेंसी है, मुख्य रूप से इसका उपयोग बड़े-बड़े सौदो में किया जाता है|
सिया कॉइन (Sia Coin)
सिया कॉइन को एससी के नाम से भी जाना जाता है, ग्रोथ करने के मामले में बिटकॉइन के बाद सियाकॉइन का नंबर आता है |
लाइटकॉइन (Lite Coin)
लाइटकॉइन का अविष्कार वर्ष 2011 में चार्ल्स ली द्वारा किया गया था, यह क्रिप्टोकरेंसी भी बिटकॉइन की तरह ही हैं, जोकि डीसेंट्रलाइज्ड भी हैं और साथ ही पीर टू पीर टेक्नोलॉजी के तहत कार्य करती हैं |
डैश (Dash)
यह दो शब्दों डिजिटल और कैश को मिलकर बनाया गया है | इस क्रिप्टोकरेंसी को बिटकॉइन की तुलना में अधिक विशेषताओं के साथ शुरू किया गया है | अन्य क्रिप्टोकरेंसी की अपेक्षा इसमें सुरक्षा को अधिक महत्व दिया जाता है | इसमें एक विशेष प्रकार की एल्गोरिथम और टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाता है |
रेड कॉइन (Red Coin)
रेड कॉइन एक ऐसी क्रिप्टो करेंसी हैं, जिसका उपयोग विशेष अवसरों पर लोगों को टिप देने के लिए किया जाता है।
एसवाईएस कॉइन (SYS Coin)
एसवाईएस कॉइन एक ऐसी क्रिप्टो करेंसी हैं, जो अन्य क्रिप्टो करेंसी की अपेक्षा बहुत ही तेज गति से कार्य करती है | मुख्य रूप से इसका प्रयोग पैसों के लेनदेन में जैसे संपत्ति को खरीदने या बेचने आदि में किया जाता है | एसवाईएस कॉइन, बिटकॉइन का एक भाग है जो डीप वेब में कार्य करता है।
ईथर और ईथरम (Ether Or Etherm)
इस करेंसी का प्रयोग इंटरचेंज करेंसी के रूप में किया जाता है | यह प्रकार का टोकन होता है, जिसका प्रयोग ईथरम ब्लाक चैन के अंतर्गत लेन-देन के लिए किया जाता है |
मोनेरो (Monero)
मोनेरो एक अलग तरह की क्रिप्टोकरेंसी है, जिसमें एक विशेष प्रकार की सिक्यूरिटी का प्रयोग किया जाता है, जिसे रिंग सिग्नेचर का नाम दिया गया है | इसका सबसे अधिक प्रयोग डार्क वेब और ब्लॉक मार्केट में किया जाता है | इस करेंसी की सहायता से स्मगलिंग, ब्लैक मार्केटिंग आदि की जाती है |
Digital Currency: भारतीय रिजर्व बैंक ने शुरू की डिजिटल करेंसी, जानिए इस्तेमाल का तरीका और बिटक्वाइन से कैसे है अलग
RBI Digital Currency: डिजिटल करेंसी की आज से शुरूआत हो गई है. ऐसे में आज हम आपको डिजिटल करेंसी के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं. तो चलिए जानते हैं कि क्या है डिजिटल करेंसी और कैसे होगा इसका इस्तेमाल?
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RBI Digital Currency: भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से आज डिजिटल करेंसी की शुरूआत की जा रही है. ये करेंसी अभी होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए जारी की गई है. जानकारी के मुताबिक डिजिटल रुपये को फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है.
पायलट प्रोजेक्ट क्या होता है
बता दें पायलट प्रोजेक्ट एक तरह का टेस्ट होता है जिसमें किसी भी चीज़ को बड़ी मात्रा में चालू करने से पहले इसे कम लोगों के लिए जारी किया जाता है. ऐसा करने से उस चीज़ की खामियां और कमजोरियां उजागर हो जाती हैं और उसे आसानी से ठीक कर दिया जाता है.
डिजिटल करेंसी क्या है?
डिजिटल करेंसी या डिजिटल रुपी सेंट्रल बैंक की तरफ से जारी किए गए एक तरह के नोट्स हैं. जिनका इस्तेमाल सिर्फ फिजिकली ना होकर इलेक्ट्रॉनिकली किया जा सकता है. यानी फिजिकल नोट्स की तरह इलेक्ट्रॉनिक नोट्स होना. रिजर्व बैंक के इस कदम को काफी अहम बताया जा रहा है. क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि आने वाला वक्त कॉन्टैक्टलेस ट्रांजेक्शन का होगा.
कितनी तरह की होती है डिजिटल करेंसी
- रिटेल (CBDC-R): ये करेंसी सभी के इस्तेमाल के लिए है, यानी आम आदमी इससे हर ज़रूरी समान खरीद सकेगा.
- होलसेल (CBDC-W): इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए बनाया गया है, यानी होल सेल करेंसी का आम लोग इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे.
डिजिटल करेंसी के क्या फायदे हैं?
मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक डिजिटल करेंसी आने से लोगों को अपने पास कैश रखने की ज़रूरत नहीं होगी. अब कैश मोबाइल वैलेट में रखा जा सकेगा. इस करेंसी के सर्कुलेशन को पूरी तरह रिज़र्व बैंक कंट्रोल करेगा. लेकिन बता दें ये करेंसी देश के छोटे-छोटे इलाकों में पहुंचाना एक बहुत बड़ा चैलेंज बन सकती है. क्योंकि आज भी देश की एक बहुत बड़ी आबादी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन नहीं करती है.
क्रिप्टो करेंसी से कैसे अलग है डिजिटल रुपया
क्रिप्टो करेंसी पूरी तरह से निजी होती है. इसे कंट्रोल करने के लिए भारत में अभी कोई बॉडी नहीं है. यानी ये सरकार और रिजर्व बैंक इस पर नज़र नहीं रखता है. लेकिन डिजिटल करेंसी पूरी तरह से सरकार और रिजर्व बैंक की देख रेख में रेगुलेट की जाएगी. डिजिटल करेंसी रखने के कोई लिमिट नहीं है. रिजर्व बैंक और सरकार के जरिए रेगुलेट होने के कारण इसमें लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग, फ्रॉड की आशंका भी कम है.
बता दें क्रिप्टो करेंसी का भाव लगातार घटता और बढ़ता रहता है. लेकिन डिजिटल रुपी का एक भाव ही रहेगा. आसान ज़ुबान में समझें तो फिजिकल इस्तेमाल होने वाले नोट के सारे फीचर्स आपको डिजिटली मिलेंगे.
इन 9 बैंक्स को किया गया है सेलेक्ट
इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने के लिए 9 बैंक्स को चुना दया है. जिसमें बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, आईसीआईसीआई, कोटक महिंद्रा बैंक, आईडीएफसी, एचएसबीसी शामिल हैं.
आरबीआई ने कही थी ये बात
हाल ही में आरबीआई ने कहा कि डिजिटल करेंसी का मकसद मौजूदा ट्रांजेक्शन्स के तौर तरीकों को बदलना नहीं है बल्कि एक एक्स्ट्रा ऑप्शन देना है. इसको लाने का मतलब मौजूदा प्रणालियों को बदलना नहीं है. यानी इसके आने से आपके लेन देन पर कोई असर नहीं होगा.
इस बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए विज़िट करें आरबीआई की ऑफिशियल वेबसाइट. क्लिक करें
RBI Digital Currency: कैसे काम करेगा ई-रुपया, क्रिप्टोकरेंसी से कितना होगा अलग, जानें पूरी डिटेल
RBI Digital Currency आरबीआई की ओर से सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को लेकर एक नोट जारी किया गया है जिसमें ई- रुपया या डिजिटल करेंसी के बारे में जानकारी दी है। केंद्रीय बैंक जल्द ई- रुपया को लेकर पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर सकता है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। RBI Digital Currency: आरबीआई की ओर से डिजिटल रुपये (ई-रुपये) को लेकर शुक्रवार को एक कॉन्सेप्ट नोट जारी किया गया है। डिजिटल रुपये का एलान इस वित्त वर्ष के बजट में देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया था। आरबीआई की ओर से जारी किए गए कांसेप्ट नोट में बताया गया है कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा का परीक्षण करने के लिए सीमित उपयोग के साथ जल्द ही ई- रुपये का पायलट प्रोजेक्ट को लांच करेगा। डिजिटल रुपये के अंतिम रूप पर फैसला पायलट प्रोजेक्ट से मिले फीडबैक के आधार पर ही आरबीआई की ओर से लिया जाएगा।
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बता दें, इस कांसेप्ट नोट में टेक्नोलॉजी और डिजाइन के साथ डिजिटल रुपये के उपयोग एवं इसे जारी करने के सिस्टम पर चर्चा की गई है। इसके बाद अब माना जा रहा है कि जल्द लोगों को रुपये का डिजिटल अवतार देखने को मिलेगा। आइए जानते हैं कि डिजिटल रुपया आम आदमी के लिए कितना उपयोगी साबित होगा।
ई-रुपये का क्या होगा इस्तेमाल?
आरबीआई के मुताबिक, रुपये के डिजिटल अवतार के दो वर्जन को लॉन्च किया जाएगा। पहला इंटरबैंक सेटलमेंट के लिए थोक में उपयोग होगा और दूसरा खुदरा के लिए होगा। आरबीआई की ओर से प्रस्तावित इनडायरेक्ट मॉडल के अनुसार, खुदरा ग्राहक अपने बैंक या फिर सर्विस प्रोवाइडर के द्वारा दिए गए वॉलेट में डिजिटल रुपये को रख सकते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी से कितनी होगा अलग
ई- रुपये को आरबीआई की ओर से जारी किया जाएगा। इसे सरकारी मान्यता होगी। वहीं, बिटकॉइन के साथ सभी क्रिप्टोकरेंसी का स्वरूप गैर- सरकारी है। हालांकि इसमें बिटकॉइन की तरह ही ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं है। इसे आप बिटकॉइन की तरह माइन नहीं कर सकते हैं।
ई-रुपये से लेनदेन
ई- रुपये का डिजिटल अवतार टोकन आधारित होगा। इसका मतलब यह है कि आप जिस व्यक्ति को पैसे भेजना चाहते हैं, उसकी पब्लिक 'की' के जरिये भेज सकते हैं। ये एक ईमेल आईडी जैसा हो सकता है। आपको पैसे भेजने के लिए प्राइवेट की या पासवर्ड डालना होगा। बता दें, ई- रुपया बिना इंटरनेट के भी कार्य करेगा। हालांकि इस पर विस्तार से जानकारी आनी बाकी है।
कितना मिलेगा ब्याज?
आरबीआई के कांसेप्ट नोट में बताया गया है कि ई- रुपये पर कोई भी ब्याज नहीं दिया जाएगा। इसके पीछे का कारण बताते हुए केंद्रीय बैंक ने कहा कि अगर ये कदम उठाया जाता है, तो बड़ी संख्या में लोग पैसे निकालकर बैंकों से ई-रुपये में बदलने में जुट सकते हैं।
ये देश अपना चुके हैं क्रिप्टोकरेंसी
भारत से पहले दुबई (यूएई) , रूस, स्वीडन, जापान, एस्तोनिया और वेनेजुएला जैसे देश खुद की क्रिप्टोकरेंसी लॉन्च कर चुके हैं।