अमरीकी डालर के व्यापार

विशेष रूप से देखते हुए, जनवरी अक्सर एक फ्लैट-टू-अप महीने होता है, जबकि सितंबर में डॉलर के लिए अक्सर नकारात्मक होता है, स्टॉक के लिए नकारात्मक और सोने अमरीकी डालर के व्यापार के लिए सकारात्मक। सितंबर के आंकड़े हमेशा सार्वभौमिक सत्य नहीं होते हैं, हालांकि - यूरो, स्विस फ़्रैंक और जापानी येन के खिलाफ डॉलर के मुकाबले ज्यादा कमजोर है, उदाहरण के लिए, यूरो के मुकाबले,
अमरीकी डालर की मौलिकता
विदेशी मुद्रा बाजार विशाल (अप्रैल 2010 के अनुसार दैनिक कारोबार में करीब 4 खरब डॉलर) और कर्मियों और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़े निवेश वाले प्रमुख बैंक, निधि और निवेशकों से बना है। यह अजीब लगता है, तो यह सोचने के लिए कि किसी भी तरह की मौसमी अवधि होगी - इसे स्पष्ट रूप से जल्द से जल्द सुलझाना चाहिए अमरीकी डालर के व्यापार क्योंकि यह स्पष्ट हो जाता है
देखें: मुद्रा व्यापार की शुरुआत
और फिर भी, ऐसा लगता है कि यू.एस. डॉलर के पास अपने व्यापारिक पैटर्न के लिए कुछ मौसमी नियमितियां हैं डॉलर के कारोबार में किसी तरह का मौसम क्यों होना चाहिए, और क्या ऐसा कुछ ऐसा है जो निवेशक एक व्यापारिक अवसर के रूप में देख सकते हैं?
क्या अमरीकी डालर ने यूरो को पार किया? | इन्वेस्टमोपेडिया
यूरो कमजोर है क्योंकि यूरोपीय संघ अपने आर्थिक संकटों में मदद करने के लिए मात्रात्मक आसान हो जाता है। इस बीच, यू.एस. डॉलर मजबूत है।
क्या यूरो / अमरीकी अमरीकी डालर के व्यापार डालर एक जोखिम भरा व्यापार आता है? | इन्वेस्टमोपेडिया
EUR / USD जोड़ी के व्यापार के मौजूदा जोखिम क्या हैं? फेड इस गर्मी में ब्याज दरों को बढ़ा सकता है और ईसीबी ने एक क्वांटिटेटिव कॉन्ट्रैक्ट प्रोग्राम शुरू किया है।
चीन अमरीकी डालर के व्यापार को पछाड़ भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर बना अमेरिका, हुआ 119 अरब डॉलर का कारोबार
पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (फोटो सोर्स: @narendraModi)
भारत अब अमेरिका का शीर्ष व्यापारिक भागीदार बन गया है और यह दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक संबंधों को भी दर्शाता है। वाणिज्य मंत्रालय के 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 119 बिलियन अमेरिकी डॉलर पार कर गया। दोनों देशों के बीच करीब 119.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार हुआ। जबकि 2020-21 में यह आंकड़ा 80.51 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका को निर्यात 2021-22 में बढ़कर 76.11 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष में 51.62 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। जबकि आयात 2020-21 में लगभग 29 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 43.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। 2021-22 के दौरान चीन के साथ भारत का वाणिज्य व्यापार 115.42 बिलियन अमरीकी डालर था, जबकि 2020-21 में यह 86.4 बिलियन अमरीकी डॉलर था।
भारत-अफगानिस्तान का कारोबार कनेक्शन, 1.4 बिलियन डॉलर के व्यापार पर ऐसे होगा असर
TV9 Bharatvarsh | Edited By: मनीष रंजन
Updated on: Aug 19, 2021 | 12:15 PM
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पूरी दुनिया के साथ साथ भारत की चिंताएं भी बढ़ सकती है . दरअसल भारत और अफगान का करोबार कई मायनों में अहम है. भारत अफगान के कारोबार में निर्यात-आयात काफी अहम है. इनमें सूखे सूखे किशमिश, अखरोट, बादाम, अंजीर, पाइन नट, पिस्ता, सूखे खुबानी और खुबानी, चेरी, तरबूज और औषधीय जड़ी-बूटियों और ताजे फल शामिल है.
अफगानिस्तान को भारत चाय, कॉफी, काली मिर्च , कपास, खिलौने, जूते और विभिन्न अन्य उपभोग्य वस्तुएं निर्यात करता है. जिस पर अब अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे है. अगर अफगानिस्तान में माहौल ठीक नहीं होता है तो भारत और अफगान के कारोबार में असर देखा जा सकता है.
डॉलर दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा क्यों मानी जाती है?
एक समय था जब एक अमेरिकी डॉलर सिर्फ 4.16 रुपये में खरीदा जा सकता था, लेकिन इसके बाद साल दर साल रुपये का सापेक्ष डॉलर महंगा होता जा रहा है अर्थात एक डॉलर को खरीदने के लिए अधिक डॉलर खर्च करने पास रहे हैं. ज्ञातव्य है कि 1 जनवरी 2018 को एक डॉलर का मूल्य 63.88 था और 18 फरवरी, 2020 को यह 71.39 रुपये हो गया है. आइये इस लेख में जानते हैं कि डॉलर दुनिया में सबसे मजबूत मुद्रा क्यों मानी जाती है?
दुनिया का 85% व्यापार अमेरिकी डॉलर की मदद से होता है. दुनिया भर के 39% क़र्ज़ अमेरिकी डॉलर में दिए जाते हैं और कुल डॉलर की संख्या के 65% का इस्तेमाल अमरीका के बाहर होता है. इसलिए विदेशी बैंकों और देशों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर की ज़रूरत होती है. आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि आखिर डॉलर को विश्व में सबसे मजबूत मुद्रा के रूप में क्यों जाना जाता है?
माल के आयात में वृद्धि
अप्रैल, 2021 से मार्च, 2022 की अवधि में देश का व्यापारिक आयात 610.22 बिलियन डॉलर था, जो अप्रैल 2020 से मार्च 2021 की समयावधि में 54.71% की वृद्धि है जो कि 394.44 बिलियन अमरीकी डॉलर दर्ज किया गया था।
मार्च 2022 में, देश का व्यापार घाटा 18.69 बिलियन डॉलर था, जबकि 2021-22 की पूरी अवधि के दौरान यह 192.41 बिलियन डॉलर था।
भारत का मासिक माल निर्यात
भारत का मासिक व्यापारिक निर्यात पहली बार 40 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया और मार्च 2022 में यह 40.38 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। यह मार्च 2021 के 35.26 बिलियन डॉलर से 14.53 प्रतिशत की वृद्धि है। मार्च 2020 के 21.49 बिलियन डॉलर की तुलना में मार्च 2022 में निर्यात 87.89 प्रतिशत अधिक था।
मार्च 2022 में, भारत का व्यापारिक आयात 59.07 बिलियन डालर था, जो मार्च 2021 के 48.90 बिलियन डालर से 20.79% अधिक है। मार्च 2020 की तुलना में यह 31.47 अरब डॉलर से 87.68% बढ़ा है।
गैर-पेट्रोलियम निर्यात
मार्च 2022 में, गैर-पेट्रोलियम निर्यात 33 बिलियन डालर दर्ज किया गया, जो मार्च 2021 के 31.65 बिलियन डालर अमरीकी डालर के व्यापार की तुलना में 4.28% की वृद्धि है। मार्च 2020 की तुलना में, निर्यात में 18.97 बिलियन डालर से 74% की वृद्धि देखी गई है।
मार्च 2022 में, गैर-पेट्रोलियम आयात 40.66 बिलियन डॉलर दर्ज किया गया, जो मार्च 2021 में दर्ज 38.63 बिलियन डॉलर से 5.26% अधिक है।