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निवेश और अर्थव्यवस्था

निवेश और अर्थव्यवस्था

PM Modi ने सिंगापुर को भारत में हरित अर्थव्यवस्था में निवेश करने के लिए किया आमंत्रित

बाली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगापुर को भारत में हरित अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा और डिजिटलीकरण सहित विभिन्न क्षेत्रों में निवेश करने के निवेश और अर्थव्यवस्था लिए आमंत्रित किया है। मोदी ने यहां जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सियन लूंग के साथ बुधवार को बातचीत की। इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने आपस में फिनटेक, नवीकरणीय ऊर्जा, कौशल विकास, स्वास्थ्य और दवा क्षेत्रों में व्यापार और निवेश संबंधों का विस्तार करने पर सहमति व्यक्त की। प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा कि दोनों प्रधानमंत्रियों ने सितंबर 2022 में नई दिल्ली में आयोजित भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन के उद्घाटन सत्र सहित भारत और सिंगापुर के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी और नियमित उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय और संस्थागत बातचीत पर के विषय में भी चर्चा की। बयान के मुताबिक मोदी ने सिंगापुर के लोगों को हरित अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचे और डिजिटलीकरण सहित विभिन्न क्षेत्रों में निवेश करने और भारत की राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन, संपत्ति मुद्रीकरण योजना और गति शक्ति योजना का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया। इन दोनों नेताओं ने हाल के वैश्विक और क्षेत्रीय घटनाक्रमों पर भी विचार विमर्श किया ।

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भारतीय अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ा, नवंबर के पहले हफ्ते में निवेश किए 15,280 करोड़ रुपए

दो महीनों तक भारतीय बाजारों से निकासी करने वाले विदेशी निवेशकों (FPI) ने नवंबर के पहले हफ्ते में जोरदार वापसी करते हुए घरेलू इक्विटी बाजारों में 15,280 करोड़ रुपए मूल्य के शेयरों की खरीद निवेश और अर्थव्यवस्था की है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) की तरफ से नीतिगत दरों में बढ़ोतरी को लेकर नरम रहने की उम्मीद में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों में जमकर खरीदारी की.

कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च (रिटेल) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा कि फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPI) का प्रवाह निकट समय में मौद्रिक सख्ती को देखते हुए उतार-चढ़ाव से भरा रह सकता है. इसके साथ ही जियो-पॉलिटिकल चिंताएं भी एक कारक बन सकती है.

लगातार दो महीने निकासी के बाद की खरीदारी

डिपॉजिटरी से मिले आंकड़ों के मुताबिक, FPI ने 1 से 4 नवंबर के बीच भारतीय इक्विटी बाजारों में 15,280 करोड़ रुपए का निवेश किया. इसके पहले एफपीआई ने अक्टूबर में भारतीय बाजारों से 8 करोड़ रुपए और सितंबर में 7,624 करोड़ रुपए निकासी की थी.

इसके पहले FPI ने अगस्त में 51,200 करोड़ रुपए और जुलाई में करीब 5,000 करोड़ रुपए मूल्य के शेयरों की खरीदारी की थी. उसके पहले के 9 महीनों तक एफपीआई लगातार बिकवाल निवेश और अर्थव्यवस्था बने हुए थे. इस तरह इस साल अब तक एफपीआई भारतीय बाजारों से कुल 1.53 लाख करोड़ रुपए की निकासी कर चुके हैं.

एक्सपर्ट्स की राय

सैंक्टम वेल्थ के प्रोडक्ट एंड सॉल्यूशंस को-हेड मनीष जेलोका ने कहा, नवंबर के पहले हफ्ते में FPI की तगड़ी मौजूदगी का कारण फेडरल रिजर्व की तरफ से नरमी दिखाने की उम्मीद रहा है.

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के चीन इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजिस्ट वी के विजयकुमार ने कहा, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और डॉलर के मजबूत होने के समय में भी भारतीय बाजार में FPI का खरीदारी करना एक महत्वपूर्ण पहलू है. यह भारतीय अर्थव्यवस्था में एफपीआई के विश्वास को दर्शाता है.

भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की प्रवृतियां

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश राष्ट्रीय आय, विकास दर तथा रोजगार बढ़ाने में सहायक है | खुदरा बाजार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को छूट देने से उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर उच्च गुणवता की वस्तुएं प्राप्त हो सकेंगी तथा बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ने के करण मुद्रास्फीति की दर निवेश और अर्थव्यवस्था में भी कमी आने की सम्भावना रहेगी | भारत में 1991 के बाद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की उच्च वृद्धि दर से स्पष्ट है कि उदारीकरण की नीतियों का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अन्तर्वाह पर सार्थक प्रभाव रहा है | इन उदार नीतियों के कारण भारत विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक मंजिल बनता जा रहा है और भारत द्वारा अपनाई गई उदार नीतियाँ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के महत्व को देखते हुए उचित प्रतीत होती हैं |

सोने में निवेश और अर्थव्यवस्था

" सुनो मेरी जान, मैं ये कह रहा था कि क्या एक अच्छा और सच्चा भारतीय नागरिक होने के नाते हमें अपने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद नहीं करनी चाहिए?

उफ्फ! मेरे तो कुछ समझ नहीं आ रहा अब सोने के कंगन देश की अर्थव्यवस्था को कैसे मजबूत कर देंगे |हद हो तुम भी! "

कर सकते हैं मजबूत हम अपने देश की अर्थव्यवस्था को अगर हम ये कंगन के पैसों को "डिजिटल गोल्ड" में निवेश कर दें |

" जानती हो देश की 'जी डी पी' में सिर्फ सोने का 7%का योगदान है |"

अब ये "जीडीपी" क्या होती है?

अरे बाबा जीडीपी "किसी भी देश की अर्थव्यवस्था कितनी सुदृढ़ है इस बात को मापने का एक तरीका है जीडीपी |

" तो क्या इसे बढ़ाने में हमें सहयोग नहीं करना चाहिए! बताओ और आखिर आज के ज़माने में आलमारी में ये सब रखना सुरक्षित भी तो नहीं फिर गोल्ड डिजिटल निवेश से एक पंथ दो काज भी तो होते हैं देश की अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होगी और हमारा पैसा भी वर्चुअल गोल्ड के रूप में सुरक्षित रहेगा क्यों क्या कहती हो? "

" हम्म, अब तो मुझे भी थोड़ा थोड़ा समझ आ रहा है पर ये होगा कैसे ये सब कराने के लिए मैं किसी भी ऑफिस- वोफिस के चक्कर नहीं लगाने वाली|

हाहाहा, अरे कोई चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे तुम्हें ये लो बस एक क्लिक में "जार एप्प डाउनलोड करो और 45 सेकंड में तुम्हारी सेविंग्स शुरू मेरी रानी |

मेरी सेविंग्स भी शुरू और देश की अर्थव्यवस्था को सोने के निवेश द्वारा थोड़ा और मजबूत बनाने में मेरा योगदान भी शुरू |"

कमजोर निवेश, कम जीएसटी संग्रह भारतीय अर्थव्यवस्था की बड़ी चुनौतियां: गोल्डमैन

आर्थिक वृद्धि निवेश और अर्थव्यवस्था तथा मुद्रास्फीति के मोर्चों पर सकारात्मक उपलब्धियों के बावजूद भारत के समक्ष कमजोर निवेश, नीतिगत फैसलों का लाभ लक्ष्य तक पहुंचने में सुस्ती तथा माल एवं निवेश और अर्थव्यवस्था सेवा कर (जीएसटी) का कम संग्रह समेत.

कमजोर निवेश, कम जीएसटी संग्रह भारतीय अर्थव्यवस्था की बड़ी चुनौतियां: गोल्डमैन

आर्थिक वृद्धि तथा मुद्रास्फीति के मोर्चों पर सकारात्मक उपलब्धियों के बावजूद भारत के समक्ष कमजोर निवेश, नीतिगत फैसलों का लाभ लक्ष्य तक पहुंचने में सुस्ती तथा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का निवेश और अर्थव्यवस्था कम संग्रह समेत कुछ बड़ी चुनौतियां हैं। वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता गोल्डमैन सैक्स ने एक रिपोर्ट में यह बात कही है।

भारत की औसत आर्थिक वृद्धि दर 2010 से 2014 के बीच 6.7 प्रतिशत रही, जो 2015 से 2019 निवेश और अर्थव्यवस्था के दौरान बढ़कर 7.3 प्रतिशत पर पहुंच गयी। इस दौरान औसत मुद्रास्फीति 10 प्रतिशत की तुलना में कम होकर पांच प्रतिशत पर आ गयी।

गोल्डमैन सैक्स की मुख्य अर्थशास्त्री (भारत) प्राची मिश्रा ने एक पॉडकास्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था के कारकों के बारे में चर्चा की। उन्होंने चर्चा के दौरान कहा, ''आर्थिक वृद्धि दर मजबूत रहने के बाद भी निवेश का माहौल काफी नरम रहा है। उन्होंने कहा, ''मैं कहना चाहूंगी कि कमजोर निवेश, नीतिगत फैसलों का लाभ लक्ष्य तक पहुंचने में सुस्ती तथा जीएसटी का कम संग्रह ऐसे समय में अभी भी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये बड़ी चुनौतियों में से हैं।"

मिश्रा ने कहा कि इस दशक में भारत की औसत आर्थिक वृद्धि दर करीब सात प्रतिशत रही है। इसमें तीन-चौथाई योगदान उपभोग का रहा है तथा निवेश ने इसमें महज एक-चौथाई का योगदान दिया है। उन्होंने कहा, ''गोल्डमैन सैक्स के उपभोक्ता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या सरकार के पास खासकर भूमि, श्रम, निर्यात संवर्धन और निजीकरण जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण संरचनात्मक सुधार करने की इच्छा है।"

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