विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण

2019 में कोलंबो में हुए सीरियल बम विस्फोट के बाद से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 10% का योगदान करने वाला पर्यटन उद्योग बुरे दौर से गुजर रहा है। 21 अप्रैल 2019, ईस्टर रविवार को, आत्मघाती हमलावरों ने कोलंबो के तीन चर्च और तीन विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण आलिशान होटलों को अपना निशाना बनाया था। हमले के बाद से काफी समय तक श्रीलंका में पर्यटकों का आना कम रहा। पर्यटन के क्षेत्र में 70% तक की गिरावट दर्ज की गई और इसके कारण श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। पर्यटकों की कमी के कारण विदेशी मुद्रा संकट पैदा हो गया, जुलाई 2020 के आखिर में विदेशी मुद्रा भंडार कम हो कर 2.8 अरब अमेरिकी विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण डॉलर रह गया जबकि पिछले वर्ष की तुलना में अर्थव्यवस्था में 3.6% [iii] की कमी दर्ज की गई।
पाकिस्तान में गहराया आर्थिक संकट: तेजी से घट रहा विदेशी मुद्रा भंडार, नगदी की कमी, चीन ने हाई रेट पर दिया कर्ज
पाकिस्तान में तेजी से घट रहे विदेशी मुद्रा भंडार के बीच नकदी की तंगी होती जा रही है। लोगों में इस बात का डर बढ़ता जा रहा है कि कहीं पाकिस्तान के हालात भी श्रीलंका जैसे न हो जाएं क्योंकि वहां भी विदेशी मुद्रा भंडार की बेहद कमी हो गई थी।
इस्लामाबाद. पाकिस्तान में एक तरफ विदेशी कर्ज बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर विदेशी मुद्रा का भंडार तेजी से कम हो रहा है। कुछ ऐसे ही हालात श्रीलंका के साथ भी थे, जो इस वक्त सबसे बुरे आर्थिकर दौर से गुजर रहा है। हाल ही में चीन ने पाकिस्तान के 2.3 बिलियन डालर की मदद की है। बावजूद इसके पाकिस्तान मुद्रा भंडार सिंगल डिजिट में पहुंच गया है। पाकिस्तान की तिमाही रिपोर्ट बताती है कि लोन सर्विस का दायरा बढ़ता जा रहा है और विदेशी कर्ज का भुगतान संभव नहीं हो पा रहा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यही स्थिति बनी रही तो वह दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान भी श्रीलंका जैसी मंदी का शिकार बन जाएगा।
Pakistan: पाकिस्तान का 'खजाना' खाली, विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण विदेशी मुद्रा भंडार 3 साल के सबसे निचले स्तर पर विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण पहुंचा
कराची, 12 अगस्त: नकदी संकट का सामने कर रहे पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार बड़ी गिरावट के साथ विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण 7.83 अरब डॉलर पर आ गया है. यह वर्ष 2019 के बाद पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा का न्यूनतम स्तर है. UN में भारत ने फिर पाकिस्तान को फिर लताड़ा, कहा- दुनिया के एक हिस्से में आतंकवाद पूरी दुनिया की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा
पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस महीने ऋण भुगतान में वृद्धि और बाहरी वित्तपोषण की कमी के कारण देश का विदेशी मुद्रा भंडार घटा है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) के इन आंकड़ों से पता चलता है कि देश के विदेशी भंडार में साप्ताहिक आधार पर 55.5 करोड़ डॉलर यानी 6.6 फीसदी की गिरावट आई है. ऐसा इस महीने बढ़े हुए ऋण भुगतान और बाहरी वित्तपोषण की कमी के कारण हुआ है.
विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी कमी
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अब भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। लेकिन इसमें पिछले छह महीने में बड़ी कमी आई है। पिछले साल सितंबर में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 642 अरब डॉलर से ऊपर पहुंच गया था। लेकिन अब यह छह सौ अरब डॉलर से नीचे आ गया है। एक तरफ भारत का विदेशी मुद्रा भंडार घट रहा है और दूसरी विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण ओर डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत ऐतिहासिक गिरावट पर है। पिछले महीने 29 अप्रैल को खत्म हुए कारोबारी हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 597 अरब डॉलर पर आ गया था और छह मई को खत्म हुए कारोबारी हफ्ते में डॉलर की कीमत 76 रुपए से ऊपर पहुंच गई थी।
बहरहाल, पिछले छह-सात महीने में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 44.73 अरब डॉलर कम हुआ है। सांस्थायिक विदेशी निवेशकों विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण के पैसा निकालने की वजह से विदेशी मुद्रा कम हो रहा है। पिछले छह महीने में संस्थागत विदेशी निवेशकों ने 21.43 अरब डॉलर निकाल लिया है। यानी कम विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण हुई विदेशी मुद्रा में आधा हिस्सा संस्थागत विदेशी निवेशकों का है। इसका प्रत्यक्ष कारण तो यह दिख रहा है कि अमेरिका में फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी का फैसला किया है। अमेरिका में मौद्रिक नीति में बदलाव से विदेशी निवेशक लौट रहे हैं। अकेले मार्च के महीने में विदेशी निवेशकों ने छह अरब डॉलर से ज्यादा निकाले। इसके अलावा रूस और यूक्रेन की जगह की वजह से तेल की कीमतें बढ़ी हैं, जिनके डॉलर में भुगतान की वजह से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ रहा है। हालांकि भारत के लिए अब भी चिंता की कोई खास बात नहीं है लेकिन शेयर बाजार का उतार-चढ़ाव लंबे समय में मुश्किल का कारण बन सकता है। इसका असर हाल में लांच हुए एलआईसी के शेयरों पर भी पड़ सकता है।
भारतीय वैश्विक परिषद
अपनी वर्तमान विदेशी मुद्रा संकट के बीच श्रीलंका ने अगस्त 2021 में देश विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण में आपातकाल की घोषणा की थी। श्रीलंका के ज्यादातर बैंक आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए धन मुहैया कराने हेतु विदेशी मुद्रा की कमी से जूझ रहे हैं। देश के राजस्व में करीब 80 अरब अमेरिकी डॉलर की कमी आई है। [i] सेंट्रल बैंक ने एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 200 रुपये से अधिक की दर से वायदा कारोबार और रुपये के स्पॉट ट्रेडिंग (हाज़िर कारोबार) पर प्रतिबंध लगा दिया है [ii] । इसके कारण इस द्वीपीय राष्ट्र में विदेशी मुद्रा संकट और गंभीर हो गया है। हालांकि, यह स्थिति रातोंरात नहीं बनी है। इसके कई कारण हैं जैसे 2019 में ईस्टर बम हमले, कोविड-19 महामारी का फैलना और कई राजनीतिक फैसले जिन्होंने अपेक्षित परिणाम नहीं दिए। आसन्न संकट को भांपते हुए सरकार ने इस साल की शुरुआत में ही वाहनों, खाद्य तेलों और कुछ अन्य वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाकर इसे टालने की कोशिश विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण की लेकिन इससे कुछ विशेष लाभ नहीं हुआ। इस संकट की ओर ले जाने वाले कई महत्वपूर्ण कारकों में से कुछ महत्वपूर्ण कारकों का विश्लेषण इस लेख में किया गया है।