ट्रेडिंग विचार

कैसे काम करती है फोरेक्स ट्रेडिंग

कैसे काम करती है फोरेक्स ट्रेडिंग
दोस्तों हमारे आस पास बहुत सारी हाई फ्रीक्वेंसी की तरंगे जैसे की मोबाइल सिगनल, रेडीओ सिगनल आदि मौजूद रहते है। इन सिगनल से हम हमेशा घिरे रहते है।

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फोरेक्स ट्रेडिंग क्या है (फॉरेक्स ट्रेडिंग कैसे करे)forex market wikipedia in hindi

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उधारण के लिए अगर आपके पास usa डॉलर है अगर आप उसको किसी एअरपोर्ट जा फिर किसी बैंक से exchange करवाते है तो यह सब forex exchange का ही हिसा है तकरीबन 6.6 ट्रीलियन डॉलर के रोजाना लेनदेन के साथ यह दुनिया का सबसे बड़ा फाइनैंशल मार्किट है और अगर इसे हम पैसे का समुंदर कहे to इसमे कोई शक नही है सच में ही फोरेक्स मार्किट एक पैसे का समुंदर ही है

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जानिए कैसे काम करती है कैसे काम करती है फोरेक्स ट्रेडिंग कैसे काम करती है फोरेक्स ट्रेडिंग सब्जी मंडी, शेयर बाजार की तरह वहां भी होती है इनसाइडर ट्रेडिंग!

जानिए कैसे काम करती है सब्जी मंडी, शेयर बाजार की तरह वहां भी होती है इनसाइडर ट्रेडिंग!

आप अक्सर सोचते होंगे कि किसान अपनी फसल सड़क पर क्यों फेंक देते हैं? आखिर क्यों उन्हें फसल की सही कीमत नहीं मिल पाती? अगर आप जान लेंगे कि सब्जी मंडी कैसे काम करती है तो आपके सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे.

कृषि प्रधान देश भारत में किसान की हालत बेहद खराब है. सरकार से तमाम रियायतें मिलने के बावजूद यहां के किसानों को नुकसान होता है. कभी बारिश कम होने के चलते तो कभी ज्यादा बारिश की वजह से फसल बर्बाद हो जाती है. अगर सब कुछ अच्छा रहा और खेतों में भरपूर पैदावार हुई, तो मंडी में अच्छा रेट नहीं मिलता. अक्सर ऐसी खबरें आती ही रहती हैं कि कभी किसानों ने टमाटर सड़कों पर फेंक दिया तो कभी किसानों ने खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चला दिए. सभी की वजह सिर्फ यही है कि उन्हें सही कीमत नहीं मिल पाती. ऐसे में आपके लिए ये समझना जरूरी है कि सब्जी मंडी कैसे काम करती है.

सब्जी मंडी में भी होते हैं शेयर बाजार के ब्रोकर जैसे एजेंट

सब्जियों को सड़कों पर फेंकने की खबर सुनकर अगर आप ये सोचते हैं कि पहली मंडी से रेट पता कर के किसान फसल क्यों नहीं बेचते, तो मुमकिन है कि आप सब्जी मंडी गए ही ना हों. गए भी हों तो शायद ही आपने देखा हो कि वहां किस तरह से किसानों की फसल को बेचा जाता है. मंडी में पहुंचते ही सबसे पहले किसानों को मिलते हैं बहुत सारे एजेंट, जो उनकी सब्जी बिकवाने का काम करते हैं. ये एजेंट ठीक शेयर बाजार के ब्रोकर जैसे होते हैं, जिनकी मदद से शेयर खरीदे या बेचे जाते हैं. इन एजेंट के बिना सब्जियां नहीं बेची जा सकतीं, इन्हीं की मदद से सब्जी की बोली लगती है.

शेयर बाजार में अगर किसी शेयर की मांग ज्यादा बढ़ जाती है तो उसके दाम भी तेजी से ऊपर भागने लगते हैं. ठीक उसी तरह सब्जी मंडी में भी मांग बढ़ने पर दाम बढ़ते हैं और घटने पर गिरते हैं. सब्जी मंडी में एजेंट एक दाम तय करता है और उस पर बोली लगाना शुरू करता है. अगर मांग अधिक होती है तो बोली लगातार बढ़ती जाती है, लेकिन अगर मांग कम होती है तो बोली तेजी से गिरती जाती है. जिस दाम पर ग्राहक मिल जाता है, उसी दाम पर सामान बेच दिया जाता है. यही वजह है कि मंडी में किसी सब्जी या फल का क्या रेट है, इसका पता पहले से नहीं लगाया जा सकता.

शेयर बाजार की तरह ऐसे होती है इनसाइडर ट्रेडिंग

सबसे पहले तो ये समझना जरूरी है कि इनसाइडर ट्रेडिंग क्या होती है. जब कुछ लोग आपस में साठ-गांठ करके शेयरों को खरीदते-बेचते हैं और गलत तरीके से उसके दाम चढ़ाते या गिराते हैं तो उसे इनसाइडर ट्रेडिंग कहा जाता है. सब्जी मंडी में भी ऐसा होता है, जिसमें एजेंट और व्यापारी मिलकर या कई बार व्यापारी आपस में मिलकर इनसाइडर ट्रेडिंग करते हैं. सब मिलकर कम बोली पर किसान का माल बिकवाने की कोशिश करते हैं और बाद में उस पर तगड़ा मुनाफा कमाते हैं. कई व्यापारी तो बोली लगने से पहले ही किसान को उसकी फसल की कुछ कीमत ऑफर कर देते हैं.

मान लेते हैं कि एक किसान 1 टन टमाटर लेकर सब्जी मंडी में उसे बेचने जाता है. वहां एजेंट उसके सामान की बोली लगवाते हैं और बेचने में मदद करते हैं. मान लीजिए 10 रुपये किलो यानी 10 हजार रुपये टन से बोली की शुरुआत होती है. अगर टमाटर की मांग ज्यादा होगी तो बोली बढ़ती जाएगी, वरना बोली गिरने लगेगी. हम मान लेते हैं कि 10 हजार रुपये टन के हिसाब से ही टमाटर बिक जाता है. अब जिस व्यापारी ने इसे खरीदा है वह इसे दिल्ली-गाजियाबाद की बड़ी मंडियों में ले जाकर बेचेगा और मुनाफा कमाएगा. वहीं किसान की फसल 10 हजार की बिकी जरूर थी, लेकिन उसे 10 हजार रुपये मिलेंगे नहीं. किसान को सबसे पहले तो मंडी टैक्स चुकाना होगा, उसके बाद एजेंट का कमीशन, अगर सामान उतारने-चढ़ाने की जरूरत पड़ती है तो पल्लेदारी, ये सब काटने के बाद जो पैसे बचेगा, वो किसान को मिलेगा. इसी तरह शेयर बाजार में ट्रांजेक्शन टैक्स, ब्रोकरेज चार्ज आदि लगता है, सब्जी मंडी में भी वैसे की कई चार्ज लगते हैं.

फेराइट बीड कैसे काम करता है?

How does Ferrite Bead work?

दोस्तों फेराइट बीड फैराडे के म्यूच्यूअल इंडक्शन प्रिंसिपल पर काम करता है। अगर आपको फैराडे का नियम नहीं पता तो एक बार फैराडे का नियम देख लेते है।

फैराडे का नियम: जब कोई कंडक्टर इस तरह की मैगनेटिक फिल्ड में रखा हो, जो की समय के साथ चेंज हो रही है, तो उस कंडक्टर में एक EMF उत्पन हो जाता है।

अब अगर हम बात करे फेराइट बीट की तो ये एक चुंबकीय मटेरियल का बनाया हुआ सिलेंडर होता है। इस सिलेंडर के अंदर कॉपर वायर की एक हाई इंडक्टेन्स वाली कोइल होती है। जब इस कोइल में से हाई फिक्वेंसी की तरंगे पास होती है, तो फैराडे के नियम के अनुसार इस कोइल में एक EMF उत्पन हो जाता है, और करंट फ्लो होने लगती है।

ध्यान दे: यह करंट नॉइज़ और हाई फ्रीक्वेंसी सिगनल के कारण उत्पन होती है।

हाई फ्रीक्वेंसी और नॉइज़ से क्या नुकसान होते है?

What is Effect of High Frequency and Noise on system?

हाई फ्रीक्वेंसी से हानि:
दोस्तों हमारे उपकरण समान्यत 50Hz की फ्रीक्वेंसी पर काम करने के लिए ही बनाये जाते है। जब 50Hz से ज्यादा की frequency हमारे सिस्टम या उपकरण में आती है, तो हमारे उपकरण खराब भी हो सकते है।

नॉइज़ से नुकशान:
दोस्तों जैसा की हमने आपको ऊपर बताया था, की नॉइज़ ऐसे सिगनल होते है जो हमारे मैन सिगनल को डिस्टर्ब करते है। इसलिए नॉइज़ के आने से हमारे टी.वी की स्क्रीन फिल्कर हो सकती है, हमे अच्छे से स्क्रीन दिखाई ना दे या फिर यह भी हो सकता है, की नॉइज़ के कारण हमे कुछ साफ़ सुनाई न दे। दोस्तों ये सब नॉइज़ के कारण होता है।

बैटरी के चार्जिंग में समस्या:
दोस्तों हाई फ्रीक्वेंसी के कारण हमारी बैटरी चार्ज होने में बहुत ज्यादा समय लेती है या फिर चार्ज ही नहीं होती। दोस्तों हमने यह तो जान लिया की फेराइट बीड क्या है, कैसे काम करता है और क्यों जरुरी है। अब हम यह जान लेते है की फेराइट बीड कितने प्रकार की होती है।

फेराइट बीड कितने प्रकार की होती है?

Types of Ferrite Bead

फेराइट बीड दो प्रकार की होती है।

  1. Chip ferrite bead (चिप फेराइट कैसे काम करती है फोरेक्स ट्रेडिंग बीट)
  2. Wire wound ferrite bead (वायर वाउन्ड फेराइट बीड)

Chip Ferrite Bead:
दोस्तों चिप फेराइट एक पुराना डिवाइस है, जो की हाई Frequency की तरंगो को दबाने या फिर कम करने के लिए उपयोग में आता है। चिप फेराइट की करंट रेटिंग भी बहुत कम होती है। अगर इसकी रेटिंग से अधिक करंट फॉलो होगी तो ये खराब भी हो सकता है।

Wire Wound Ferrite Bead:
दोस्तों ये अधिक रेंज तक हाई Frequency की तरंगो को दबाने या फिर कम करने के लिए उपयोग में आता है। इसकी रेटिंग भी काफी ज्यादा होती है।

wire wound ferrite

रेटिंग: 4.47
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