बेस्ट शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट ऑप्शन

क्या है Money Market Fund? कम समय में देता है आपको मोटी कमाई का मौका
मनी मार्केट म्यूचुअल फंड विभिन्न फाइनेंशियल साधनों के माध्यम से शोर्ट टर्म इंवेस पर बेहतर रिटर्न प्रदान करता है। ऐसे लोग जिनके पास सेविंग अकाउन्ट में अच्छा खासा पैसा है और कम रिस्क पर बढ़िया रिटर्न पाना चाहते हैं तो इसमें इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। अगर आपको बढ़िया रिटर्न चाहिए और सिर्फ और सिर्फ एक साल के लिए इन्वेस्टमेंट करनी है, तो आपके लिए मनी मार्केट फंड (Money Market Fund) बेस्ट ऑप्शन हो सकते हैं। मनी मार्केट फंड म्यूचुअल फंड (Money Market Fund Mutual Fund) की एक कैटेगरी में आते है, इसे लिक्विड फंड भी कहा जाता है। इसमें कंपनी में निवेशकों से लिया हुआ पैसा या फंड सेफ और शॉर्ट-टर्म स्कीम में लगाती है। इसमें ट्रेजरी बिल, सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट, कमर्शियल पेपर से लेकर रीपर्चेज एग्रीमेंट शामिल हैं ऐसे इन्वेस्टमेंट एक साल से भी कम समय में मैच्योर हो जाते हैं, इसमें 91 दिन या फिर उससे भी कम समय के लिए इन्वेस्टमेंट होता है। साथ ही, किसी आपातकालीन स्थिति में आप अपना पूरा पैसा भी निकाल सकते हैं। इसमें एग्जिट लोड भी कम होता है।
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मनी मार्केट म्यूचुअल फंड विभिन्न फाइनेंशियल साधनों के माध्यम से शोर्ट टर्म इंवेस पर बेहतर रिटर्न प्रदान करता है। इसमें आप एक वर्ष तक इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं। ऐसे लोग, जिनके पास सेविंग अकाउन्ट में अच्छा खासा पैसा है और कम रिस्क पर बढ़िया रिटर्न पाना चाहते हैं तो इसमें इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं। ये फंड आपको सेविंग अकाउंट की तुलना में अधिक रिटर्न देता हैं।वहीं, लिक्विड फण्ड में आपको कम से कम 8 से 10% सालाना की दर से या उससे अधिक ब्याज मिल सकता हैं। इसलिए लिक्विड फण्ड के तहत आपके इन्वेस्टमेंट का अधिकतर हिस्सा सरकारी सिक्युरिटीज़ और बॉन्ड में इन्वेस्टमेंट किया जाता है। अगर आप लॉन्ग टर्म के लिए इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं, तो मनी मार्केट फंड आपके लिए बेहतर नहीं होता है। वहीं, लॉन्ग टर्म के लिए डायनेमिक बॉन्ड फंड और बैलेंस फंड का उपयोग कर सकते हैं।
हालांकि, इन्वेस्टर को सबसे पहले विभिन्न प्रकार के मनी मार्केट म्यूचुअल फंड्स की विशेषताओं और रिस्क के बारे में जानकारी जरूर होनी चाहिए। डेट फंडों के साथ जो रिस्क होते हैं, वे मनी मार्केट म्यूचुअल फंड्स के साथ भी जुड़े होते हैं। यानी कि, क्रेडिट रिस्क, इंटरेस्ट रेट रिस्क आदि का रिस्क इसमें होता है। निवेश करने से सबसे पहले आपको इन बातों का ध्यान चाहिए कि किस उद्देश्य से इन्वेस्टमेंट किया जा रहा है। साथ ही, फंड चुनने से पहले देखे कि यह आपके उद्देश्य को पूरा करता है या नहीं। वहीं, आपको हमेशा अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले म्यूचुअल फंड को ही चुनना चाहिए। इसके अलावा फंड मैनेजर की निवेश रणनीति को भी देख लेना चाहिए और निवेश से पहले एक्सपेंस रेशियो को भी देख सकते हैं।
कैसे लगता है टैक्स?
मनी मार्केट फंडों पर डेट स्कीमों के तहत टैक्स लगता है। यानी कि अगर आप तीन साल से पहले इन्वेस्टमेंट को सेल्स करते हैं तो रिटर्न आपकी इनकम के साथ जुड़ता है। इसके बाद फिर इस पर उसी के हिसाब से टैक्स लगेगा जिस टैक्स स्लैब में आप आते हैं। अगर आप तीन साल के बाद इन्वेस्टमेंट को सेल्स करते हैं तो इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स भी लगता है।
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फिक्स्ड डिपॅाजिट है निवेश का सबसे सुरक्षित जरिया, लेकिन इन्वेस्टमेंट से पहले जान लें कुछ खास बातें
फिक्स्ड डिपॅाजिट (Fixed Deposit) हमेशा से ही सेविंग करने का एक पंसदीदा ऑप्शन रहा है. इसमें इंवेस्टमेंट करने पर कस्टमर बेस्ट शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट ऑप्शन को रेग्युलर सेविंग अकाउंट की तुलना में ज्यादा इंटरेस्ट मिलता है. लेकिन आपको इससे जुड़ी कुछ खास बातों का पता होना जरुरी है.
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) सेविंग का एक ऐसा ऑप्शन है जहां आप अपना पैसा एक मैच्योरिटी पीरियड के लिए जमा करते हैं. एफडी में इंवेस्ट करने पर कस्टमर को इंटरेस्ट मिलता है. लेकिन आप अपने अमाउंट को एफडी से मैच्योरिटी पीरियड के पहले नहीं निकाल सकते हैं. ऐसा करने के लिए आपको पेनल्टी फीस का भुगतान करना होगा. फिक्स्ड डिपॉजिट में इंवेस्ट करने का सीनियर सिटीजन को बहुत फायदा मिलता है. बैंक सीनियर सिटीजन को फिक्स्ड डिपॉजिट में इंवेस्टमेंट के लिए हाई इंटरेस्ट रेट ऑफर करती है. यहां आपको एक तय अमाउंट एक अवधि तक पे करना होता है. फिक्स्ड डिपॉजिट पर सरकारी और प्राइवेट बैंक अलग-अलग इंटरेस्ट रेट देतें हैं. आप पोस्ट ऑफिस में भी फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट ओपन कर सकते हैं. लेकिन फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में इंवेस्ट करने से पहले आपको इससे जुड़ी जरुरी बातों की जानकारी होनी चाहिए. इन बातों को ध्यान में रखते हुए आप और आसानी से एफडी में निवेश कर सकतें हैं. और अपने इंवेस्टमेंट पर बेहतर रिटर्न पा सकते हैं. अगर आप एफडी अकाउंट ओपन करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको जरुरी डॅाक्यूमेंट्स लेकर नजदीकी बैंक जाना होगा. यहां जाकर फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) अकाउंट का फॅार्म फिल करें और फिक्स डिपॉजिट में इन्वेस्ट किए जाने बेस्ट शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट ऑप्शन वाले अमाउंट को जमा कर दें.
इन बातों का रखें ख्याल
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पूरी तरह से सेफ नहीं हैं
अगर आप फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करते हैं तो ये न समझें कि आपकी राशि सुरक्षित है. अगर कोई बैंक डूब जाता है तो आपको अच्छा खासा नुकसान हो सकता है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए अपनी राशि को हिस्सों में बांटकर अलग-अलग बैंक में इंवेस्ट करें. इससे आपकी रकम भी सेफ रहेगी साथ ही इमरजेंसी पड़ने पर आपको पूरे डिपॅाजिट को नहीं तोड़ना पड़ेगा. साथ ही आपको सिर्फ उसी अमाउंट पर पेनल्टी देनी पड़ेगी जितनी आपको जरुरत है. तो कह सकते हैं कि ऐसा करने से आपको बेहतर लिक्विडिटी मिलेगी.
मैच्योरिटी से पहले फंड का विड्रॅाल न करें.
फिक्स्ड डिपॉजिट में इंवेस्टमेंट एक निश्चित समय तक के लिए किया जाता है. अगर आप तय अवधि से पहले अपने अमाउंट का विड्रॅाल करेंगे तो आपको नुकसान हो सकता है. अगर आपने 5 साल के लिए फिक्स्ड डिपॅाजिट में इंवेस्टमेंट किया है तो आप इसके मैच्योरिटी के बाद ही विड्रॅाल कर सकते हैं. अगर फिर भी आपको राशि निकालनी है तो कम से कम एक साल का इंतजार करें. क्योंकि एक साल के डिपॅाजिट पर ही आपको लागू इंटरेस्ट रेट मिल पाएगी.
एफडी के इंटरेस्ट से होने वाली कमाई पर लगता है टैक्स
एफडी से होने वाली कमाई टैक्सेबल होती है. अगर आपका इंटरेस्ट अमाउंट 10,000 रुपये तक बढ़ता है तो बैंक आपको मिलने वाली राशि पर 10.3 फीसदी का टैक्स काट लेगा. इसी तरह अगर आप की सालाना इनकम पांच लाख रुपये से ज्यादा है तो आपको अधिक टैक्स पे करना पड़ेगा. लेकिन सीनियर सिटीजन जिनकी उम्र 60 साल से ज्यादा है, उन्हें आयकर कानून की धारा 80TTB के तहत एफडी पर इंटरेस्ट के रूप में होने वाली इनकम पर 50,000 रुपये तक की छूट मिलती है. साथ ही आपको अपना टैक्स रिटर्न फाइल करते समय एफडी से हुई कमाई को मेंशन करना चाहिए.
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एफडी से होने वाली इनकम आपकी कमाई की तरह ही होगी
भले ही आपने अपने जीवनसाथी के नाम पर ही क्यूं न इंवेस्ट करा हो. आपको एफडी से होने वाली कमाई पर टैक्स देना होगा. इसका मतलब है कि अगर पति ने अपनी पत्नी के नाम पर एफडी में इनवेस्ट करा है, तो एफडी से होने वाली कमाई को पति की इनकम के रुप में ही माना जाएगा. हालाकि बच्चे के नाम पर इंवेस्ट करने पर आपको 1500 रुपये सालाना की टैक्स में छूट भी मिल सकती है.
क्या आपको म्यूचुअल फंड में डिविडेंड ऑप्शन चुनना चाहिए?
डिविडेंड ऑप्शन में से निवेशक को अपनी जरूरत और निवेश के समय को ध्यान में रख कर ही चुनाव करना चाहिए.
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क्या है डिविडेंड ऑप्शन का मतलब
डिविडेंड ऑप्शन में निवेशक को म्यूचुअल फंड कंपनी समय-समय पर डिविडेंड का भुगतान करती है. डेट, इक्विटी या हाइब्रिड सभी स्कीम अपने निवेशकों को डिविडेंड देती हैं.
यह विकल्प ऐसे निवेशकों के लिए सही है, जो छोटी अवधि के लिए म्यूचुअल फंड की स्कीम में पैसा लगाना चाहते हैं. खासकर डेट फंड के मामले में यह विकल्प सही रहता है.
डिविडेंड ऑप्शन वाले डेट म्यूचुअल फंड बुजुर्ग लोगों के लिए सही हैं, जिन्हें नियमित आय की जरूरत होती है. हालांकि इस स्कीम में आपके निवेश की वैल्यू अपेक्षाकृत कम बढ़ती है.
डिविडेंड ऑप्शन में से निवेशक को अपनी जरूरत और निवेश के समय को ध्यान में रख कर ही चुनाव करना चाहिए. अगर निवेशक डिविडेंड नहीं लेने का फैसला करता है तो म्यूचुअल फंड मैनेजर इस रकम को शेयर खरीदने में दोबारा निवेश कर देते हैं.
किसी म्यूचुअल फंड स्कीम में डिविडेंड कब-कब मिलता है?
म्यूचुअल फंड आम तौर पर रोजाना, महीने में, तिमाही या सालाना डिविडेंड घोषित करते हैं. डिविडेंड पेमेंट फिक्स नहीं है. यह हर स्कीम में अलग-अलग हो सकता है. हर फंड अपने पिछले चलन के हिसाब से डिविडेंड देने की प्रक्रिया में एकरूपता रखने की कोशिश करती हैं.
बहुत सी लिक्विड फंड या अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड रोजाना डिविडेंड देती हैं. कुछ इक्विटी फंड सालाना डिविडेंड देती हैं.
क्या डिविडेंड पर टैक्स भी लगता है?
निवेशक के हाथ में आने पर डिविडेंड टैक्स फ्री है. डेट फंड के मामले में फंड हाउस 28.84 फीसदी डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) चुकाते हैं. इक्विटी म्यूचुअल फंड में इस तरह का कोई टैक्स नहीं है.
किसे चुनना चाहिए डिविडेंड ऑप्शन?
फाइनेंशियल प्लानर मानते हैं कि जिन निवेशकों को खर्च के लिए नकदी की जरूरत होती है, उन्हें ही डिविडेंड ऑप्शन चुनना चाहिए. जो लोग सिप के जरिये संपत्ति बढ़ाने के लिए निवेश कर रहे हैं, उन्हें डिविडेंड ऑप्शन का विकल्प नहीं चुनना चाहिए.
ध्यान रखने वाली बात यह है कि डिविडेंड की रकम मिलने से निवेशक को कंपाउंडिंग का फायदा उतना नहीं मिलता है, जितना ग्रोथ ऑप्शन में मिलता है. डिविडेंड का फैसला म्यूचुअल फंड कंपनी पर निर्भर करता है. कई बार पूरे साल स्कीम में डिविडेंड नहीं मिलता है.
डिविडेंड में एक और ऑप्शन है जिसे डिविडेंड रीइनवेस्टेड कहते हैं. इसमें निवेशक को ग्रोथ और डिविडेंड दोनों का ही फायदा मिलता है. अंतर यह है कि डिविडेंड की रकम निवेशक की जेब में नहीं जाती है. उसके बदले निवेशक को यूनिट्स आवंटित कर दी जाती है. लंबी अवधि में यह विकल्प काफी फायदेमंद है.
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Mutual Funds में करते हैं निवेश तो आज जान लीजिए डिविडेंड फंड और ग्रोथ फंड में कौन बेहतर?
अगर डिविडेंड ऑप्शन का चयन करते हैं तो समय-समय पर आपको डिविडेंड मिलेगा, लेकिन फाइनल रिटर्न कम रहता है.
रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए इन्वेस्टमेंट स्कीम का रिटर्न महंगाई के मुकाबले ज्यादा होना चाहिए. वर्तमान में महंगाई दर 5-6 फीसदी के बीच है. ऐसे में अगर निवेश के परंपरागत साधनों में निवेश करते हैं तो नेट रिटर्न कम होगा. म्यूचुअल फंड में आपका पैसा शेयर बाजार में भी निवेश होता है जिसके कारण रिटर्न ज्यादा मिलता है और आपका नेट रिटर्न ज्यादा होगा.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: अंकित त्यागी
Updated on: Jan 26, 2022 | 8:20 AM
अगर आप Mutual Funds में निवेश करते हैं तो ग्रोथ ऑप्शन और डिविडेंड ऑप्शन में कौन बेहतर है, यह सामान्य सवाल है. आपके लिए यह जानना भी जरूरी है कि आपका पोर्टफोलियो कैसा होना चाहिए साथ ही इसमें म्यूचुअल फंड का कितना योगदान होना चाहिए. फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स की सलाह होती है कि अगर आप करियर के शुरू में निवेश की शुरुआत करते हैं तो 75 फीसदी तक इक्विटी में निवेश किया जा सकता है. इक्विटी में डेट फंड के मुकाबले ज्यादा रिफंड मिलता है. अगर आप इक्विटी मार्केट में लंबे समय के लिए निवेश करते हैं तो हर हाल में बंपर रिटर्न मिलेगा.
बाजार में दर्जनों इक्विटी फंड उपलब्ध हैं जिसमें किसी का भी NAV खरीदा जा सकता है. जैसे टाटा इंडेक्स सेंसेक्स फंड, एचडीएफसी इंडेक्स सेंसेक्स फंड, मीरे असेट इमर्जिंग ब्लूचिप फंड, पराग पारिख फ्लेक्सी कैप फंड में निवेश किया जा सकता है.
आप इन फंड्स में SIP यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के तहत भी निवेश कर सकते हैं. इसके अलावा कई ऐसे फंड भी हैं जिसमें निवेश करने पर सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन का लाभ मिलता है.
ग्रोथ और डिविडेंड में किसी भी विकल्प को चुन सकते हैं
जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो ग्रोथ ऑप्शन के अलावा डिविडेंड ऑप्शन मिलता है. फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर डिविडेंड ऑप्शन का चयन करते हैं तो समय-समय पर आपको डिविडेंड मिलेगा, लेकिन फाइनल रिटर्न कम रहता है. ऐसे में बेस्ट शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट ऑप्शन बेस्ट शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट ऑप्शन शॉर्ट टर्म की जरूरतों के लिए म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो का कुछ हिस्सा डिविडेंड ऑप्शन वाला होना चाहिए. हालांकि डिविडेंड इनकम पर आपको डिविडेंड टैक्स चुकाना पड़ता है. निवेश के समय इस बात को भी याद रखना चाहिए. वहीं, लॉन्ग टर्म के लिए ग्रोथ फंड का सलेक्शन करना चाहिए. इसमे आपका निवेश तेजी से बढ़ता है. आपका म्यूचुअल फंड जितना रिटर्न पा रहा है, वह दोबारा निवेश कर दिया जाता है. कम्पाउंडिंग नेचर के कारण यह मल्टीबैगर रिटर्न देता है.
इक्विटी एक असेट क्लास है
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि इक्विटी एक असेट क्लास है. यह काफी वोलाटाइल रहता है. शुरुआत में इसमें निवेश करने पर आपका पोर्टफोलियो नेगेटिव रिटर्न दे सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म में यह कई गुना रिटर्न देगा. वहीं, अपनी शॉर्ट टर्म जरूरतों को पूरा करने के लिए पोर्टफोलियो में कुछ हिस्सा डेट फंड में भी जमा करें. यह डेट फंड 5 सालों तक का हो सकता है. इसके अलावा इमरजेंसी फंड भी तैयार रखें.