ट्रेडिंग विचार

भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार

भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार

क्रिप्टोकरेंसी में इन्वेस्ट करने से पहले जान लें, क्या हैं आंख बंद कर निवेश करने के खतरे

भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट में जब क्रिप्टोकरेंसी से हुई इनकम को आयकर के दायरे में लाने की घोषणा की, तब से डिजिटल करेंसी की चर्चा हो रही है. डिजिटल संपत्तियों को टैक्स की जांच के दायरे में लाकर सरकार ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है कि वह इस मुद्रा पर प्रतिबंध लगाने के मूड में नहीं है. हालांकि, यह देखना बाकी है कि इसे कब कानूनी मान्यता दी जाएगी. आर्थिक क्षेत्र में नई डिजिटल करेंसी के आने के बाद जरूरी है कि हम डिजिटल करेंसी में निवेश करने के तौर तरीकों को सही से समझें.

हैदराबाद: लोगों के फाइनेंशियल स्टेटस को बेहतर बनाने और कुछ ग्लोबल इनवेस्टर्स के फॉल में डिजिटल करेंसी का बड़ा योगदान रहा है. उदाहरण के लिए, लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन दो बार ऑल टाइम हाई लेवल पर पहुंच गया. पिछले साल मई में बिटकॉइन के एक सिक्के की कीमत 51 लाख रुपये तक पहुंच गई थी, जिसके बाद इसमें तेजी से गिरावट आई. नवंबर में यह फिर से बढ़कर 54 लाख रुपये का हो गया. फिलहाल इसकी कीमत 35 लाख रुपये के करीब है. चूंकि बिटकॉइन सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी है, इसलिए इसकी कीमत में उतार-चढ़ाव अन्य क्रिप्टोकरेंसी को भी प्रभावित करता है. कई फाइनेंशियल एक्सपर्ट क्रिप्टो को 'बुलबुला' बताकर खारिज कर दिया. इसके बावजूद कई लोगों का मानना ​​है कि उन्होंने बड़ी रकम कमाने का एक अच्छा मौका गंवा दिया. क्या आपके विचार भी ऐसे ही हैं.

एक संपत्ति के रूप में क्रिप्टो करेंसी (As an asset)

वर्तमान में हमारे देश भारत में क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी संपत्ति के रूप में मान्यता नहीं है. इन सिक्कों से अर्थव्यवस्था के लिए खतरा पैदा होने की आशंका है. कई भारतीय निवेशक इसमें निवेश करना चाहते हैं. कई लोगों का मानना है कि इसके जरिये लेन-देन भी किया जाए. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि कुछ देशों के व्यापारी क्रिप्टोकरेंसी से भुगतान स्वीकार करते हैं. पर सच यह है कि बतौर संपत्ति क्रिप्टोकरेंसी की कोई कीमत नहीं होती है. ब्लॉकचेन टेक्नॉलजी की ओर से संचालित इस करेंसी में निवेश सट्टे की तरह है, जिसमें आप भरोसा करते हैं कि वह आपके इन्वेस्टमेंट का अधिक भुगतान करेगा. क्रिप्टो से व्यापार के लिए कई एक्सचेंज उपलब्ध हैं. आप उनमें से किसी के साथ रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं और इसे भारतीय रुपये में पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं. इसके जरिये आप क्रिप्टो करेंसी की ट्रेडिंग भी शुरू कर सकते हैं. क्रिप्टो में निवेश करना आसान है, लेकिन इसके लिए सतर्क रहना भी जरूरी है.

पर्सनल रिसर्च (Personal research)

इन दिनों वर्चुअल बाजार में हजारों क्रिप्टो करेंसी उपलब्ध हैं. हर क्रिप्टो करेंसी जटिलता और अस्पष्टता से भरी हुई है. जब आप क्रिप्टो में निवेश करना चाहते हैं, तो अपनी मेहनत की कमाई को लगाने से पहले इसका डिटेल स्टडी करें. क्रिप्टो फोरम में भाग लेने के साथ-साथ इस पर उपलब्ध अधिक से अधिक सामग्री का अध्ययन करें. एक ओर, लोगों के पास किसी भी क्रिप्टो के बारे में 100 प्रतिशत विश्वसनीय जानकारी नहीं है, दूसरी ओर, कुछ क्रिप्टोकरेंसी निवेशक के साथ धोखाधड़ी भी कर रहे हैं. ऐसे में विश्वसनीय क्रिप्टो की तलाश करना जरूरी है. इसके अलावा इसमें शामिल हाई रिस्क को ध्यान में रखते हुए डिजिटल करेंसी में निवेश करना शुरू करें.

क्रिप्टो में निवेश कम से कम करें (Minimise investment)

यह सबको पता है कि हमारा इन्वेस्टमेंट व्यापक होना चाहिए. अपने निश्चित फाइनेंशियल गोल को हासिल करने के लिए, अचल संपत्ति, सोना, इक्विटी, म्यूचुअल फंड, छोटी बचत योजनाओं, बैंक डिपोजिट में मिला-जुलाकर इनवेस्ट करना चाहिए. निवेश मोटे तौर पर लाइफ गोल, रिस्क लेने की क्षमता और होने वाली इनकम पर आधारित होता है. यह आपको तय करना होता है कि किस फोलियो में कितना निवेश किया जाएगा. जीवन में इन्वेस्टमेंट की शुरुआत करने वालों और छोटे निवेशकों के लिए क्रिप्टोकरेंसी से दूर रहना बेहतर है. क्रिप्टोकरेंसी के लिए अपने इन्वेस्टमेंट बजट का एक प्रतिशत ही निवेश करें ताकि नुकसान होने की स्थिति में इसकी भरपाई आसानी हो जाए.

काफी अस्थिर है क्रिप्टो ( Quite unstable)

रिपोर्टस के अनुसार, क्रिप्टो करेंसी का बाजार दो ट्रिलियन डॉलर का है. इसकी कीमतों में हर दिन हर पल बदलाव होता है, इसलिए यह सबसे अधिक अस्थिर संपत्ति में से एक माना जाता है. इसके अस्थिर होने का दूसरा कारण यह है कि अधिकांश क्रिप्टोकरेंसी सट्टेबाजों द्वारा चलाई जाती हैं. अगर कुछ दिनों के लिए इन्वेस्टमेंट चेन में गड़बड़ी होती है तो निवेशकों को बड़ा नुकसान हो जाता है. यह उन लोगों के लिए नहीं है, जो उतार-चढ़ाव और नुकसान को सहन नहीं कर सकते. यह ऐसे निवेशकों के लिए भी नहीं है, जो अपने-अपने जीवन में कुछ लक्ष्यों को पूरा करने के लिए इन्वेस्टमेंट और बचत कर रहे हैं. डिजिटल करेंसी में निवेश करने के लिए कभी भी पैसे उधार नहीं ले. क्योंकि बैंकों में फिक्स डिपॉजिट का 5 लाख रुपये तक बीमा किया जाता है, लेकिन क्रिप्टो निवेश के लिए ऐसी सुरक्षा की गारंटी नहीं है.

लालच से बचें (Avoid greediness.)

क्रिप्टो बाजार किसी भी रूल-रेगुलेशन से बंधे नहीं हैं. इसमें निवेश के जरिये पैसे को दोगुना करना जितना आसान है, वैसे ही आपके इनवेस्ट की गई रकम का हवा में गायब होना भी आसान है.

एक्सपर्ट बताते हैं कि हाई रिस्क वाले बाजार में काम करते समय लालच और भय से बचें. यदि आप प्लानिंग के अनुसार अपने निवेश का 50% कमाते हैं, तो बाजार से बाहर निकल जाएं, क्योंकि इसमें बेशुमार फायदा की गारंटी गारंटी नहीं है या पूरी राशि के खोने की संभावना भी ज्यादा है. इसमें कोई शक नहीं, क्रिप्टो इन दिनों अच्छा रिटर्न दे रहा है. कुछ नए निवेशक बाजार में उपलब्ध छोटी क्रिप्टो करेंसी में भी निवेश कर रहे हैं, मगर ध्यान रखें इसमें मोटी कमाई के साथ बड़ा जोखिम भी जुड़ा है. 1 अप्रैल से क्रिप्टोक्यूरेंसी लेनदेन पर लाभ पर बिना किसी छूट के 30 प्रतिशत इनकम टैक्स लगेगा. Bankbazaar.com के सीईओ आदिल शेट्टी का कहना है कि टैक्स से बचने के लिए अवैध तरीकों का सहारा न लें, जिससे और मुश्किलें आ सकती हैं.

क्रिप्टोकरेंसी में निवेश का है इरादा, आगे बढ़ने से पहले पांच जरूरी बातें

नई दिल्ली,डेस्क रिपोर्ट। पिछले कुछ दिनों से क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) लगातार सुर्खियों में है। इससे जुड़े फायदे नुकसान पर चर्चा तेजी से जारी है। इस बीच लोग अचानक क्रिप्टो करेंसी (cryptocurrency) में निवेश करने में दिलचस्पी ले रहे हैं, क्रिप्टो से जुड़े स्कैम होने की संभावनाएं भी जताई जाती रही है। क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) को रेग्यूलेट करने के लिए फिलहाल भारत में कोई बड़ा फैसला नहीं हुआ है। हालांकि एडवर्टाइजिंग काउँसिल ने अपने स्तर पर गाइडलाइन जारी की है। जिसमें कहा गया है कि 1 अप्रैल 2022 के बाद क्रिप्टो से जुड़े विज्ञापनों में डिस्क्लेमर देने जरूरी कर दिया गया है। जिसमें विज्ञापन देने वालों को ये साफ साफ लिखना होगा कि क्रिप्टो करेंसी भारत में रेग्युलेटेड नहीं है, इसमें निवश करना जोखिम भरा हो सकता है।

जोखिमों की जानकारी के बावजूद लोग क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने में दिलचस्पी ले रहे हैं। ऐसे में क्रिप्टो करेंसी के कुछ जानकारों ने इसमें निवेश से पहले कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखने की सलाह दी है।

पूरी जानकारी लें
क्रिप्टो करेंसी में निवेश से पहले पूरी रिसर्च करना जरूरी है, निवेश का फैसला करने से पहले क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के बारे में पूरी जानकारी लेना सही होता है। रिसर्च के दौरान कई फैक्टर्स पर ध्यान देना चाहिए कि निवेश कब किया जाना चाहिए, निवेश से आपको कितना फायदा होगा। कीमतों को कौन कौन से फेक्टर्स प्रभावित करेंगे।

क्रिप्टो एक्सचेंज से निवेश
अपनी रिसर्च के आधार पर ही क्रिप्टोकरेंसी का सिलेक्शन करें। ज्यादा संख्या में अलग अलग डिजिटल करेंसी तलाशने की जगह जिसकी जानकारी अच्छे से मिले उसी में निवेश करें। निवेश के बाद किसी भी नुकसान से बचने के लिए किसी जाने माने क्रिप्टो एक्सचेंज से निवेश की सलाह दी जाती है।

संचालक को जानें
निवेश से पहले ये जरूर जान लें कि जिस भी क्रिप्टो करेंसी में आप पैसा डाल रहे हैं, उसका संचालन कौन कर रहा है। टीम की जानकारी मिलते ही अलग अलग सोशल मीडिया पर उस टीम से जुड़ी सारी जानकारी जरूर हासिल करें।

गणित भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार समझें
क्रिप्टोकरेंसी का गणित जरूर समझ लें, इसे टोकोनॉमिक्स कहा जाता है। टोकोनॉमिक्स यानि कि क्रिप्टो करेंसी की इकोनॉमिक्स, जिसे समझ कर आप ये जान सकते हैं कि डिमांड और सप्लाई का तरीका और सही समय क्या है, ये पूरा खेल समझने के बाद ही आगे बढ़ें।

जोखिम की तैयारी
विशेषज्ञों का मानना है कि क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने वालों को उतना ही पैसा इसमें लगाना चाहिए जिसका घाटा वो बर्दाश्त कर सकें। पूरी तैयारी से निवेश करने के बावजूद नुकसान की संभावना हमेशा बनी ही रहेगी।

*Disclaimer :- इसमें निवेश करने से पहले सही से जानकारी प्राप्त कर लें, तभी निवेश करने में दिलचस्पी लें, MPBreakingnews इसकी पुष्टि नहीं करता है।

जानें भारत में क्यों बढ़ रहा क्रिप्टोकरेंसी पर निवेश, भारत में रोजाना कितने का है इसका व्यापार

cryptocurrency: बीते कुछ सालों में ही क्रिप्टो ने भारतीय बाजार में अपने पैर इतनी तेजी से पसारे हैं कि अब देश में भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार कुल 15 क्रिप्टो एक्सचेंज बिजनेस कर रहे हैं। कहा जाता है इनका रोजाना का कारोबार लगभग 1500 करोड़ रुपये के आस पास का है जो कि अपने आप में एक चौकाने वाला आंकड़ा है।

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नई दिल्ली। क्रिप्टोकरंसी और बिटकॉइन ने बहुत कम समय में लोगों के बीच अपनी पकड़ मजूबत कर ली है। बात अगर भारत की करें तो, यहां इसका कारोबार करने वाली कंपनियां का मुनाफा दिनों-दिन लाखों का हो रहा है। क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती लोकप्रियता के कारण लोगों का ध्यान गोल्ड की तरफ कम होते जा रहा है। ये एक तरह का डिजिटल गोल्ड है जिसमें दिन-ब-दिन हो रहे मुनाफे के कारण लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।

क्रिप्टोकरेंसी

क्रिप्टो में बढ़ा निवेश

जिस तरह क्रिप्टो करेंसी का क्रेज बढ़ रहा है, वैसे ही यहां निवेशकों की संख्या भी बढ़ रही है। देश में फिलहाल एक करोड़ एक्टिव इन्वेस्टर हैं, जो क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग करते हैं। तो वहीं शेयर बाजार में निवेश करने वाले और ट्रेडर की संख्या भी करीब 6 करोड़ हो गई है। शेयर बाजार की तुलना में करीब 20 प्रतिशत लोग क्रिप्टो करेंसी में निवेश और ट्रेडिंग कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि डिजिटल कॉइन खरीदने के कारोबार में करीब ढेड करोड़ से ज्यादा भारतीय शामिल हैं।

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भारत में है बड़ा कारोबार

बीते कुछ सालों में ही क्रिप्टो ने भारतीय बाजार में अपने पैर इतनी तेजी से पसारे हैं कि अब देश में कुल 15 क्रिप्टो एक्सचेंज बिजनेस भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार कर रहे हैं। कहा जाता है इनका रोजाना का कारोबार लगभग 1500 करोड़ रुपये के आस पास का है जो कि अपने आप में एक चौकाने वाला आंकड़ा है।

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कई देशों में बैन, क्रिप्टो का कारोबार

एक ओर जहां दुनियाभर के कई देशों में ये अपनी जड़े मजबूत कर रहा है, तो वहीं कई देश ऐसे भी हैं जिन्होंने (क्रिप्‍टोकरेंसी) इसे अपने यहां पूरी तरह से बैन कर दिया है। इन देशों की बात करें तो, इनमें ईरान और सऊदी अरब शामिल है। वहीं, भारत, रूस, ब्राजील समेत कई ऐसे देश हैं, जो अभी भी डिजिटल एसेट को लेकर विचार विमर्श कर रहे हैं। अभी इसे लेकर कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया है।

UN की विकासशील देशों को चेतावनी, जानिए Cryptocurrency के मामले में भारत दुनिया में किस नंबर पर

UN की विकासशील देशों को चेतावनी, जानिए Cryptocurrency के मामले में भारत दुनिया में किस नंबर पर

डीएनए हिंदीः क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पिछले कुछ सालों में पूरी दुनिया में काफी लोकप्रिय हुई है. हमारे देश में भी इस डिजिटल करेंसी में लोगों का काफी रूचि है. हालांकि पीएम मोदी और वित्त मंत्री समय-समय पर इसे लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं. सरकार क्रिप्टो करेंसी को डिजिटल करेंसी नहीं बल्कि डिजिटल एसेट कहती है. पीएम मोदी ने कई बार क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कहा है कि इससे भ्रष्टाचार, आतंकवाद को फंडिंग जैसे मुद्दे उठाकर दुनिया का ध्यान इस ओर भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार खींचने की कोशिश है. संयुक्त राष्ट्र संघ (UNITED NATIONS) की ट्रेड बॉडी UNITED NATIONS CONFERENCE ON TRADE AND DEVELOPMENT (UNCTAD) ने विकासशील देशों से क्रिप्टोकरेंसी पर लगाम लगाने की चेतावनी दी है.

UNCTAD के मुताबिक यह एक अस्थिर वित्तीय संपत्ति है. ये बात सही है कि डिजिटल करेंसी से कुछ लोगों या कंपनियों को फायदा पहुंचा है. इन फायदों के सामने क्रिप्टोकरेंसी से पैदा होने वाले खतरे नजरअंदाज हो रहे हैं. डिजिटल करेंसी की वजह से किसी भी देश में वित्तीय अस्थिरता आ सकती है. उस देश की जनता को दी जाने वाली सुविधाओं पर किए जाने वाले खर्च पर बुरा असर पड़ेगा. साथ ही उस देश की सेंट्रल बैंक और खजाने या कहें मौद्रिक प्रणाली की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन जाएगी.

COVID-19 महामारी को दौरान क्रिप्टो में आई तेजी
पेमेंट करने का एक विकल्प हैं क्रिप्टोकरेंसी. एक encrypted तकनीक के जरिए डिजिटल लेनदेन किया भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार जाता है. इस तकनीक को ब्लॉकचेन कहा जाता है. क्रिप्टोकरेंसी दुनिया में पहले से मौजूद थी लेकिन COVID-19 महामारी के दौरान इसके इस्तेमाल में जबरदस्त तेजी देखने को मिली. इस समय दुनिया में 19,000 क्रिप्टोकरेंसी मौजूद हैं जबकि 2018 में ये आंकड़ा सिर्फ 1500 पर खड़ा था. पहली क्रिप्टोकरेंसी साल 2009 में वजूद में आई थी. सितंबर, 2019 से जून, 2021 के बीच क्रिप्टोकरेंसी में 2300% बढ़ोतरी देखने को मिली है.

इस तेजी में बहुत बड़ा हाथ विकासशील देशों का है. अगर किसी भी देश में क्रिप्टोकरेंसी रखने वाले नागरिकों के प्रतिशत के हिसाब से देखें तो टॉप20 में 15 विकासशील देश शामिल हैं. UNCTAD के साल 2021 के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया यूक्रेन की कुल जनसंख्या में से 12.7% लोग ऐसे हैं जो क्रिप्टोकरेंसी के मालिक हैं. जो कि दुनिया में सबसे ज्यादा है. दूसरे नंबर पर मौजूद रशिया के 11.9% नागरिक क्रिप्टोकरेंसी के मालिक बने हुए हैं. 10.3% जनसंख्या के साथ वैनेजुएला तीसरे नंबर पर काबिज है. 8.3% जनसंख्या के साथ अमेरिका छठे नंबर पर है तो 7.3% के साथ भारत सातवें नंबर पर काबिज है.

UN Data

आखिर विकासशील देशों में क्रिप्टोकरेंसी में क्यों हुई इतनी बढ़ोतरी?
UNCTAD के मुताबिक विकासशील देशों में मुख्य रूप से दो कारणों भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार से क्रिप्टोकरेंसी में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली है. पहला कारण है, लेन देन में सहूलियत होना. क्रिप्टोकरेंसी के जरिए एक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में अमाउंट ट्रांसफर करना आसान, सस्ता और तेज होता है. कोविड महामारी के दौरान लॉकडाउन के कारण अमाउंट ट्रांसफर करने के पारंपरिक तरीकों को अपनना कठिन हो गया था जिसकी वजह से लोगों ने क्रिप्टोकरेंसी का रूख किया. विकासशील देशों में मिडिल क्लास क्रिप्टोकरेंसी को निवेश का बेहतर विकल्प मान रहा है.

इस तरह का चलन उन देशों में ज्यादा देखने को मिला जहां कोविड महामारी की वजह से इन्फ्लेशन नई ऊंचाईयां छू रहा है और करेंसी कमजोर हो रही है. इन देशों में क्रिप्टोकरेंसी को घर की बचत सुरक्षित रखने के एक तरीके के तौर पर देखा जा रहा है. क्रिप्टोकरेंसी के विस्तार में क्रिप्टो एक्सचेंज ने भी एक अहम रोल अदा किया है. क्रिप्टोकरेंसी को उस देश की करेंसी में एक्सचेंज करने में ये बेहद तेजी से कर देते हैं. UNCTAD के मुताबिक मई 2021 तक दुनिया में 450 से ज्यादा क्रिप्टो एक्सचेंज हैं, जो रोजाना लगभग 500 बिलियन डॉलर का व्यापार करते हैं. ये दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज NASDAQ की उस अधिकतम क्षमता के बराबर है जो जनवरी 2022 में हासिल की है.

क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते वर्चस्व से पैदा होने वाले खतरे
UNCTAD का कहना है कि हाल ही में डिजिटल करेंसी मार्केट में कुछ झटके लगे थे, जिनसे ऐसा लगता है कि क्रिप्टो करेंसी भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार रखने में निजी जोखिम हो सकता है लेकिन अगर देश की सेंट्रल बैंक वित्तीय स्थिरता को सुरक्षित रखने के लिए दाखिल हो जाती है तो ये निजी जोखिम सार्वजनिक जोखिम में बदल जाएगा. इसके अलावा अगर क्रिप्टोकरेंसी पेमेंट के तरीके के तौर पर लगातार बढ़ता रहा तो हो सकता है कि गैर-आधिकारिक तौर पर ये उस देश की करेंसी की जगह ले ले. ऐसा होने पर उस देश की सरकार का अपने देश की करेंसी पर कंट्रोल खतरे में पड़ जाएगा. UNCTAD ने सावधान किया है कि स्टेबल कॉइन्स से विकासशील देशों को रिजर्व करेंसी की मांग को पूरा करने में कठिनाई पैदा हो सकती है.

जैसा कि नाम से ही समझ आता है स्टेबल कॉइन्स का मतलब ऐसे कॉइन्स जिनकी कीमत में ज्यादा बदलाव ना हो जो स्थिर रहें. इन कॉइन्स की वैल्यू इनके साथ जोड़ी गई दूसरी करेंसी या कमॉडिटी से आंकी जाती है. इन्ही सब कारणों की वजह से IMF ने भी लीगल टेंडर के तौर पर क्रिप्टो करेंसी खतरा पैदा कर सकती है. UNCTAD अपने पॉलिसी ब्रीफ में एक और चेतावनी देते हुए कहती है कि क्रिप्टोकरेंसी टैक्स चोरी को बढ़ावा दे सकती है बिल्कुल TAX HAVEN की तरह जहां लेन-देन करने वालों की पहचान करना मुश्किल होता है. इस तरह क्रिप्टोकरेंसी किसी भी देश की सरकार का उसकी कैपिटल पर नियंत्रण में ही रूकावट पैदा कर सकता है. ऐसा होने पर वो देश ना तो अपनी अर्थव्यवस्था और पॉलिसी पर नियंत्रण खो देगा.

क्रिप्टोकरेंसी को कैसे करें नियंत्रित
विकासशील देशों में क्रिप्टोकरेंसी के लगातार बढ़ते वर्चस्व को रोकने के लिए UNCTAD ने कुछ सुझाव दिए हैं. क्रिप्टोकरेंसी को रोकने के लिए UNCTAD ने सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी या तेज रीटेल पेमेंट सिस्टम को एक विकल्प बताया है. हालांकि इसमें कुछ सावधानियां बरतनी होंगी जो हर देश की जरूरत और क्षमता के हिसाब से होंगी. UNCTAD ने सरकारों से अपील की है कि वो नागरिकों को नगदी की कमी ना होने दें.

संयुक्त राष्ट्र की इस ट्रेड बॉडी ने क्रिप्टो एक्सचेंज, डिजिटल वॉलेट को रैगुलेट करने की सलाह दी है. साथ ही वित्तीय संस्थानों पर स्टेबल कॉइन सहित क्रिप्टकरेंसी रखने पर प्रतिबंध लगाने को भी कहा है. भारी-जोखिम वाली अन्य संपत्तियों कि तरह क्रिप्टोकरेंसी के विज्ञापन को भी नियंत्रित करने का कदम उठाने की सलाह दी है. इस डिजिटल युग में सरकारों को सलाह दी गई है कि वो अपने नागरिकों को सुरक्षित, भरोसेमंद पेमेंट सिस्टम दें. इसके अलावा UNCTAD क्रिप्टोकरेंसी पर एक ग्लोबल टैक्स लगाने की वकालत करता है जिसके लिए सभी देश एक दूसरे के साथ जानकारी साझा करें.

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