निवेश के एक रूप के रूप में सोशल ट्रेडिंग

AIF जो अलग अलग व्यापारिक रणनीतियों को नियोजित करते हैं और नियोजित कर सकते हैं. लिवरेज जिसमें सूचीबद्ध या असूचीबद्ध डेरिवेटिव में निवेश शामिल है. विभिन्न प्रकार के फंड जैसे हेज फंड, पीआईपीई फंड आदि कैटेगरी III एआईएफ के रूप में रेजिस्टर किए जाते है.
यहां बताया गया है कि चांदी के ढेर में निवेश कैसे होता है – पर्थ मिंट
सात महीने के लगातार नुकसान के बाद सोना 2022 की काफी कमी की भरपाई करने लगा है। और कई विश्लेषकों के अनुसार, चांदी को सोने की तेजी के बाद जाना जाता है। यह धातु तेजी के चक्रों के दौरान सोने से बेहतर प्रदर्शन निवेश के एक रूप के रूप में सोशल ट्रेडिंग करने और मंदी के चक्रों के दौरान सोने के खराब प्रदर्शन के लिए भी प्रसिद्ध है।
यही कारण है कि लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (एलबीएमए) के वैश्विक कीमती धातु सम्मेलन के पिछले महीने के सर्वेक्षण के नतीजे देखकर आश्चर्य नहीं हुआ। एलबीएमए प्रतिनिधियों ने कहा कि उन्होंने अगले 12 महीनों में चांदी को 28.30 डॉलर प्रति औंस तक बढ़ते हुए देखा – मौजूदा स्तरों से 36% की वृद्धि। उन्होंने यह भी उम्मीद की कि 12 महीनों में सोना बढ़कर 1,830.50 डॉलर प्रति औंस हो जाएगा – मौजूदा मूल्य स्तरों से 4% की बढ़त।
पर्थ मिंट ने एक नोट में कहा, “चांदी में निवेश, ऐसा लगता है, कई लोगों की राय में ढेर हो गया है।” “जब लोग स्टॉक और बॉन्ड जैसी पारंपरिक संपत्ति के साथ कम सहसंबंध निवेश के एक रूप के रूप में सोशल ट्रेडिंग के साथ निवेश की तलाश करते हैं, तो सोने को सभी महिमा मिलती है। लेकिन कई लोग चांदी में एक मुद्रास्फीति बचाव के रूप में निवेश करते हैं और आर्थिक समय में अपने पोर्टफोलियो के समग्र मूल्य की रक्षा करने में मदद करते हैं। उथल-पुथल।”
क्या कहता है सेबी के नियम?
सेबी ने कहा कि लगातार ऐसी शिकायतें मिली थी कि स्पॉन्सर घाटे का बोझ कम ले रहे थे. जबकि इसमें कुछ अन्य नियम बनाए गए थे कि जिस अनुपात में निवेश उसी हिसाब से घाटे का बोझ, लेकिन कुछ स्किमों में घाटे का बोझ उनपर यह कह कर डाला जा रहा था कि उनका पेमेंट प्रायोरीटी है.
अल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड या एआईएफ एक ऐसा फंड है जिसे भारत में बनाया गया है, जो निजी निवेश को साथ लेकर आगे बढ़ता है. इनमें कुछ चुनिंदा लोगों से निवेश लिया जाता है और इन्वेस्टमेंट पॉलिसी के अनुसार इन्वेस्ट किया जाता है. AIF में कम से कम निवेश की शर्त 1 करोड़ रुपए होती है. बड़े निवेशक डायवर्सिफिकेशन के लिए अपनाते हैं.
AIF निजी तौर पर पूल किये गये निवेश स्कीम (investment vehicle) होते हैं. इस स्कीमों में निवेशकों से जुटाए गए पैसे को निवेशकों के लाभ के लिए एक पूर्वनिर्धारित निवेश योजना के तहत निवेश किया जाता है.
AIF कितने प्रकार का होता है?
अलग-अलग तरह के कैटेगरी के लिए आवेदक अपना रेजिस्ट्रेशन एआईएफ के लिए करवा सकते हैं. इसके तहत आवेदक अलग अलग कैटेगरी और सब कैटेगरी के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकते है जिस प्रकार के नियम उनपर लागू हो. इसमें 3 प्रकार के कैटेगरी के AIF होते हैं.
- वेंचर कैपिटल फंड्स
- एसएमई फंड्स
- सोशल वेंचर फंड्स
- इंफ्रास्ट्रकचर फंड्स
क्या होता है कैटेगरी I AIF?
कैटेगरी I AIF जो स्टार्ट-अप या शुरुआती चरण के उपक्रमों या सामाजिक उपक्रमों या में निवेश करते हैं. एसएमई या इंफ्रास्ट्रकचर या अन्य क्षेत्र या क्षेत्र जो सरकार या नियामक सामाजिक या आर्थिक रूप से वांछनीय मानते हैं और इसमें शामिल होंगे. वेंचर कैपिटल फंड, एसएमई फंड, सोशल वेंचर फंड, इंफ्रास्ट्रक्चर फंड और इस तरह के अन्य AIF में स्पेसीफाइ किए जा सकते हैं.
एआईएफ जो कैटेगरी I और III में नहीं आते हैं और जो अंडरटेक नहीं करते हैं. दिन-प्रतिदिन की ऑपरेशनल आवश्यकताओं को पूरा करने के अलावा अन्य लाभ उठाना या उधार लेना और सेबी (अल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड) विनियमों 2012 में अनुमति के अनुसार, विभिन्न प्रकार के फंड जैसे रियल एस्टेट फंड, प्राइवेट इक्विटी फंड (पीई फंड), डिसस्ट्रेस एसेट के लिए फंड आदिकैटेगरी II AIF के रूप में रजिस्टर किए जाते है.
RD और FD में मिलता है कम रिटर्न
देश में फिक्स्ड डिपॉजिट और रिकरिंग डिपॉजिट(RD) जैसे ट्रेडिशनल फाइनेंशियल स्कीम मौजूद हैं, लेकिन मौजूदा वक्त में इन स्कीम में सबसे कम रिटर्न मिल रहा है. इस स्कीम में किया गया निवेश मुद्रास्फीति से प्रभावित होता है, जिसकी वजह से आपको उम्मीद के मुताबिक अच्छा रिटर्न नहीं मिल पाता है.
म्यूचुअल फंड का मकसद निवेशकों के निवेश में विविधता लाना और पैसे को स्टॉक, बॉन्ड, ईटीएफ और बॉन्ड जैसी प्लान में निवेश कराना है. इनका प्रदर्शन बाजार से प्रभावित होता है. म्यूचुअल फंड निवेशकों की मेहनत की कमाई को पेशेवरों द्वारा निवेश के एक रूप के रूप में सोशल ट्रेडिंग निवेश बेनिफिट्स के लिए किया जाने वाला इन्वेस्टमेंट हैं. म्यूचुअल फंड में निवेश सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) या एकमुश्त भुगतान के जरिए किया जा सकता है. म्यूचुअल फंड को सीनियर सिटिजन्स के लिए एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा सकता है, जिन्हें निवेश में फ्लेक्सिबिलिटी की जरूरत होती है. इसके साथ ही एमएफ सीनियर सिटिजन्स के निवेश को मुद्रास्फीति के असर से भी बचाता है.
लॉन्ग टर्म में मिलेगा ज्यादा रिटर्न
आमतौर पर सीनियर सिटिजन्स जोखिम भरे प्लान में निवेश नहीं करते हैं, जिसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि वो पहले ही रिटायर हो चुके हैं और मार्केट से जुड़े नुकसान नहीं उठाना चाहते हैं. वे हमेशा ऐसे प्लान में निवेश करना चाहते हैं, जो उन्हें गारंटीड रिटर्न का वादा करता है. इसके चलते ही वो पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट, बैंक डिक्स्ड डिपॉजिट या फिर नेशनल पेंशन स्कीम में निवेश को प्राथमिकता देते हैं. हालांकि एमएफ भी सीनियर सिटिजन्स के लिए फायदेमंद होते हैं और उनके लिए एक बेहतर विकल्प बन सकते हैं. यह सच है कि मार्केट शॉर्ट टर्म की अवधि में आपको नुकसान दिखाई दे, लेकिन लॉन्ग टर्म में यह आपको एक अच्छा रिटर्न देता है.
म्यूचुअल फंड निवेशक को कभी भी अपना निवेश वापस लेने का अधिकार देता है, जबकि यह विकल्प एनपीएस या किसी स्कीम में नहीं होता है. यानी सीनियर सिटिजन्स अपनी जरूरत के हिसाब से कभी भी अपना निवेश वापस पा सकते हैं. इसके अतिरिक्त म्यूचुअल फंड सीनियर सिटिजन्स को जरूरत के हिसाब से सभी परिसंपत्ति asset में अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करने की भी छूट देता है.
डेट म्यूचुअल फंड में करें निवेश
पहले पांच सालों के लिए सीनियर सिटिजन्स को डेट म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए. आप अगले पांच सालों के रेगुलर खर्चों के लिए अपनी जरूरत के पैसे को बैलेंस्ड म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. एक लार्ज कैप इक्विटी फंड का इस्तेमाल उन फंडों के लिए किया जा सकता है, जिनकी दस साल बाद जरूरत होगी. रिटायरमेंट के बाद निवेश से पहले आपको किसी फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह जरूर लेनी चाहिए, ताकि वो आपको आप की जरूरत के हिसाब से कम जोखिम वाला में निवेश स्कीम के बारे में बता सके.
मौजूदा वक्त में बैंक सीनियर सिटिजन्स को फिक्स्ड डिपॉजिट पर 3% से 7% तक का ब्याज दे रहे हैं. सरकार ने हाल ही में पोस्ट ऑफिस में सीनियर सिटिजन्स की सेविंग स्कीम की ब्याज दरों को बढ़ाकर 7.6% कर दिया है. वहीं नेशनल पेंशन स्कीम में निवेशकों को 9% से 12% तक तक का ब्याज मिल रहा है.
FD के मुकाबले में डेट फंड में मिलेगा बेहतर रिटर्न
हर म्युचुअल फंड में एक अलग तरह का जोखिम होता है और वह उसी हिसाब से निवेशक को रिटर्न देता है. म्यूच्यूअल फंड में रिटर्न मार्केट से जुड़ा होता है, इसलिए यह कभी भी निर्धारित रिटर्न नहीं देता. हालांकि यह आपको ज्यादा रिटर्न हासिल करने का विकल्प देता है. अगर आप रिटायर हो चुके हैं और शॉर्ट टर्म में निवेश करना चाहते हैं, तो आप अच्छी निवेश के एक रूप के रूप में सोशल ट्रेडिंग क्रेडिट रेटिंग वाली कंपनियों के शॉर्ट-टर्म बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं. बैंक FD के मुकाबले में ये डेट फंड आपको बेहतर रिटर्न दे सकते हैं.
मौजूदा म्युचुअल फंड टैक्स रुल्स के अनुसार जब आप उन्हें भुनाते हैं तो आपको अपने निवेश पर पूंजीगत बेनिफिट्स टैक्स का भुगतान करना होगा. डेट फंड और डेट-ओरिएंटेड हाइब्रिड फंड्स के लिए 3 साल से कम समय के लिए निवेश शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG) के अधीन हैं और आपको अपने आयकर ब्रैकेट के अनुसार टैक्स का भुगतान करने की जरूरत है. भुनाए गए निवेश को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) के रूप में माना जाता है, अगर बेनिफिट्स कम से कम 3 साल की स्कीम में निवेश पर मिला है तो इंडेक्सेशन के बाद LTCG पर 20% टैक्स लगता है.
सेबी ने कसी AIF स्कीम्स पर लगाम, कहा- इन स्कीम में निवेश से बचें, जानिए क्या होती हैं ये स्कीम
सेबी ने कहा कि लगातार ऐसी शिकायतें मिली थी कि स्पॉन्सर घाटे का बोझ कम ले रहे थे. जबकि इसमें कुछ अन्य नियम बनाए गए थे कि जिस अनुपात में निवेश उसी हिसाब से घाटे का बोझ, लेकिन कुछ स्किमों में घाटे का बोझ उनपर यह कह कर डाला जा रहा था कि उनका पेमेंट प्रायोरिटी है.
Sebi on AIF schemes: मार्केट रेगुलेटर सेबी ने 23 नवंबर को एक बयान जारी कर कहा घाटे सहने में भेदभाव वाली AIF (अल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड्स) स्कीमों में निवेश करने से रोका है. सेबी इस पर एक सर्कुलर जारी किया है. इसमें सेबी ने कहा कि प्रायोरीरिटी डिस्ट्रिब्यूशन मॉडल पर काम करने वाले AIF स्कीम्स को किसी नए निवेश से बचना चाहिए. यह रोक तब तक जारी रहेगी जब तक इस पर कोई विचार नहीं कर लेती. सेबी इस पर अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट पॉलिसी एडवाइजरी कमेटी (AIPAC) और इंडस्ट्री के साथ विचार कर रही.निवेश के एक रूप के रूप में सोशल ट्रेडिंग
क्या कहता है सेबी के नियम?
सेबी ने कहा कि लगातार ऐसी शिकायतें मिली थी कि स्पॉन्सर घाटे का बोझ कम ले रहे थे. जबकि इसमें कुछ अन्य नियम बनाए गए थे कि जिस अनुपात में निवेश उसी हिसाब से घाटे का बोझ, लेकिन कुछ स्किमों में घाटे का बोझ उनपर यह कह कर डाला जा रहा था कि उनका पेमेंट प्रायोरीटी है.
अल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड या एआईएफ एक ऐसा फंड है जिसे भारत में बनाया गया है, जो निजी निवेश को साथ लेकर आगे बढ़ता है. इनमें कुछ चुनिंदा लोगों से निवेश लिया जाता है और इन्वेस्टमेंट पॉलिसी के अनुसार इन्वेस्ट किया जाता है. AIF निवेश के एक रूप के रूप में सोशल ट्रेडिंग में कम से कम निवेश की शर्त 1 करोड़ रुपए होती है. बड़े निवेशक डायवर्सिफिकेशन के लिए अपनाते हैं.
AIF निजी तौर पर पूल किये गये निवेश स्कीम (investment vehicle) होते हैं. इस स्कीमों में निवेशकों से जुटाए गए पैसे को निवेशकों के लाभ के लिए एक पूर्वनिर्धारित निवेश योजना के तहत निवेश किया जाता है.
AIF कितने प्रकार का होता है?
अलग-अलग तरह के कैटेगरी के लिए आवेदक अपना रेजिस्ट्रेशन एआईएफ के लिए करवा सकते हैं. इसके तहत आवेदक अलग अलग कैटेगरी और सब कैटेगरी के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकते है जिस प्रकार के नियम उनपर लागू हो. इसमें 3 प्रकार के कैटेगरी के AIF होते हैं.
- वेंचर कैपिटल फंड्स
- एसएमई फंड्स
- सोशल वेंचर फंड्स
- इंफ्रास्ट्रकचर फंड्स
क्या होता है कैटेगरी I AIF?
कैटेगरी I AIF जो स्टार्ट-अप या शुरुआती चरण के उपक्रमों या सामाजिक उपक्रमों या में निवेश करते हैं. एसएमई या इंफ्रास्ट्रकचर या अन्य क्षेत्र या क्षेत्र जो सरकार या नियामक सामाजिक या आर्थिक रूप से वांछनीय मानते हैं और इसमें शामिल होंगे. वेंचर कैपिटल फंड, एसएमई फंड, सोशल वेंचर फंड, इंफ्रास्ट्रक्चर फंड और इस तरह के अन्य AIF में स्पेसीफाइ किए जा सकते हैं.
एआईएफ जो कैटेगरी निवेश के एक रूप के रूप में सोशल ट्रेडिंग निवेश के एक रूप के रूप में सोशल ट्रेडिंग I और III में नहीं आते हैं और जो अंडरटेक नहीं करते हैं. दिन-प्रतिदिन की ऑपरेशनल आवश्यकताओं को पूरा करने के निवेश के एक रूप के रूप में सोशल ट्रेडिंग अलावा अन्य लाभ उठाना या उधार लेना और सेबी (अल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड) विनियमों 2012 में अनुमति के अनुसार, विभिन्न प्रकार के फंड जैसे रियल एस्टेट फंड, प्राइवेट इक्विटी फंड (पीई फंड), डिसस्ट्रेस एसेट के लिए फंड आदिकैटेगरी II AIF के रूप में रजिस्टर किए जाते है.
निवेश के एक रूप के रूप में सोशल ट्रेडिंग
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